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बलरामपुर :  उजाला की जिंदगी मे आया सुपोषित सबेरा, सुपोषण अभियान में मिलने वाले अतिरिक्त पूरक पोषण आहार से बढ़ा वजन
 
नौनिहालों का भविष्य संवार रहा है मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
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बलरामपुर :  विकासखण्ड बलरामपुर ग्राम भनौरा की रहने वाली उजाला का जन्म जून 2019 को हुआ था, जन्म के समय उजाला का वजन मात्र 1.50 किलोग्राम था। उजाला की स्वास्थ्यगत स्थिति को देखते हुए उसे 21 दिनों तक आईसीयू में विशेष देखभाल में रखा गया। आईसीयू से निकलने के बाद उजाला के स्वास्थ्य का लगातार निरीक्षण एवं देखभाल किया गया। इसी दौरान 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत उजाला की जिंदगी में सुपोषित सबेरा लेकर आई। 6 महीने बाद उजाला को आंगनबाड़ी के माध्यम से अतिरिक्त पूरक पोषण आहार के रूप में सप्ताह में तीन दिन अण्डा तथा दो दिन केले के साथ मूंगफली का लड्डू दिया गया। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा उसके माता-पिता को सुपोषण के साथ स्वच्छता तथा बच्चों की देखभाल के प्रति जागरूक किया गया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत किये गए इस प्रयास से उजाला अब कुपोषण से मुक्त हो चुकी है। उजाला का वजन अब बढ़कर 8.5 किलोग्राम हो चुका है। सुपोषण अभियान ने उजाला जैसे अनेको बच्चों को उनका बचपन लौटा दिया है। नीति आयोग के माह 2019 के आॅकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में 5 वर्ष से कम उम्र के 37.60 प्रतिषत बच्चें कुपोषण से पीड़ित है। 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिषत मातायें एनीमिया पीड़ित हैं। राज्य सरकार ने राज्य को कुपोषण की पीड़ा से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया है। आगामी 03 वर्षों में राज्य से पूरी तरह से कुपोषण मुक्त करने के लिए 02 अक्टुबर 2019 से महात्मा गांधी के 150वीं जन्म दिवस पूर्ण होने की बेला में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण योजना की शुरूआत की गई। जिला बलरामपुर-रामानुजगंज में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु कलेक्टर श्री श्याम धावड़े के मार्गदर्षन तथा महिला बाल विकास विभाग के दिषा निर्देषन में पूरक पोषण आहार, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ मद से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान संचालित किया जा रहा है। साथ ही साथ शासन के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जनजागरूकता अभियान अंतर्गत विभागीय अमलों के साथ-साथ ग्रामीण आजीविका मिषन की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा प्रत्येक कुपोषित बच्चों के घरों में जाकर उनके माता-पिता को पोषण बाड़ी/किचन गार्डन के अंतर्गत मुनगा एवं पपीता का पेड़, पोषण वाटिका, शुद्ध पेयजल, स्वच्छता आदि क्षेत्र में व्यवहार परिवर्तन हेतु प्रेरित किया जा रहा है। प्रथम चरण में 22 हजार 535 कुपोषित बच्चों को लक्षित कर अतिरिक्त पौष्टिक आहार के रूप में प्रति सप्ताह 03 दिवस अण्डा एंव 02 दिवस केला के साथ मुंगफली का लड्डु वितरण किया जा रहा है। जिसका वितरण एवं निगरानी ग्रामीण आजीविका मिषन की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है जिसके फलस्वरूप ग्रामों के अंतिम कुपोषित बच्चें तक इस योजना का शत्-प्रतिषत लाभ मिल रहा है। योजना प्रारंभ के समय जिला में कुल 17 हजार 609 मध्यम एवं 4 हजार 926 गंभीर कुपोषित बच्चें अर्थात् 25.60 प्रतिषत बच्चें चिन्हांकित थे जिसमें से 7 हजार 165 मध्यम एवं 3 हजार 410 कुल 10575 बच्चें अर्थात 12.77 प्रतिषत बच्चें कुपोषित से मुक्त हो चुके हंै।

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