ब्रेकिंग न्यूज़

कोरबा : सफलता की कहानी, धान के धन से भरा समारू का आंगन...
 ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल के रेट ने मजबूत किया किसानों का खेती पर विश्वास

कोरबा : एक क्विंटल धान के लिए किसानों को ढाई हजार रुपए देने के  छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के संकल्प ने किसानों का खेती पर विश्वास बढ़ा दिया हैं। ऐसे ही विश्वास से लबरेज कोरबा के रजगामार के किसान समारू सिंह ने पिछले साल धान की फसल खराब होने के बाद भी इस वर्ष धान की उन्नत खेती की हंै।
No description available.

समारू सिंह ने इस बार रिकॉर्ड उत्पादन किया है उसका पूरा खलिहान इस बार धान से भर गया था और अब मिंजाई के बाद उनके आंगन में 39 क्विंटल से अधिक धान है। इस धान को वे एक-दो दिनों में कोरकोमा सोसाइटी में समर्थन मूल्य पर बेचेंगे। इस बार धान से समारू सिंह को समर्थन मूल्य के हिसाब से 73 हजार रूपये से अधिक मिलेंगे तो राजीव गांधी किसान न्याय योजना से उन्हें लगभग 24 हजार रूपये का भुगतान छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से होगा। दोनों को मिलाकर समारू सिंह को पहली बार धान की खेती से लगभग एक लाख मिलेंगे।

खुद समारू सिंह का कहना है कि पिछले साल अपने लगभग सवा चार एकड़ खेत में देशी किस्म का धान लगाया था। पर फसल खराब रहीं और केवल आठ से 10 क्विंटल ही धान हुआ। फसल बीमा करवाया था तो लगभग 23 हजार रूपये का मुआवजा मिला। कुछ धान बेचा और कुछ खाने के लिए रख लिया था। इस पर कोरोना के कारण भी परिवार को बड़ी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। समारू सिंह जैसे कोरबा ही नहीं प्रदेश के अन्य किसानों के लिए भी ऐसी परिस्थितियों में आगे खेती करना कठिन था।

पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत जो आर्थिक सहायता किसानों को दी है उसने ही अन्नदाताओं को खेती से जोड़ रखा है। समारू सिंह ने भी इसी से हिम्मत पाकर इस साल कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में उन्नत खेती करने का निर्णय लिया। विभागीय योजना के तहत इस बार समारू सिंह ने अपने खेत में लगभग ढाई एकड़ में धान की अधिक उपज देने वाली राजेश्वरी किस्म लगाई थी।

इस किस्म की खेती के लिए प्रदर्शन के रूप में समारू सिंह को 40 किलो बीज तथा अन्य जरूरी खाद, यूरिया, सुपर फास्फेट आदि निशुल्क दिया गया था। फसल में कीट व्याधि के लिए दवाइयां भी कृषि विभाग से मुफ़त ही मिली थी। समारू सिंह ने बताया कि उन्हीं की तरह ही गांव के 20 और किसानों ने भी प्रदर्शन योजना के तहत अन्य दूसरी किस्मों के धान की खेती की है और सभी ने अच्छी उपज प्राप्त की है।

सड़क किनारे खेत की स्थिति और समारू सिंह के जज्बे को देखकर कृषि विभाग ने उन्हें योजना के लिए फार्मर अचीवर के रूप में नामांकित किया। समारू ने अपनी इस पहचान को भी चरितार्थ किया और उन्नत खेती कर गांव ही नहीं बल्कि पूरे जिले के छोटे व परंपरागत खेती करने वाले किसानों के लिए मिसाल छोडी है।

रजगामार बाघमाडा बांध से आने वाले पानी को रोक कर समारू सिंह ने राजेश्वरी धान की नर्सरी लगाकर धान का थरहा तैयार किया था। इसके बाद क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी की सलाह से एक हेक्टेयर रकबे में रोपा लगाया। समारू सिंह को फसल पकने पर कटाई और मिंजाई के बाद लगभग 39 क्विंटल उपज मिली है।

इस फसल को मोटा धान के रूप में एक हजार 868 रुपए की दर  से समारू सिंह कोरकोमा सोसाइटी में बेचेंगे और इसके लिए उन्हें साढे 73 हजार रूपये मिलेंगे। समारू सिंह कहते हैं कि इस बार मेरी फसल सबसे अच्छी हुई ह,ै कृषि विभाग की सलाह और योजना से मुझे और मेरे जैसे छोटे तथा परंपरागत खेती करने वाले किसानों का भी मन अब उन्नत खेती करने का हो रहा है। अपने गांव के 20 अन्य किसानों के साथ इस बदलाव की शुरुआत समारू ने कर दी है। वे अब अपने जैसे अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।

Related Post

Leave A Comment

छत्तीसगढ़

Facebook