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कोरबा : सुपोषण अभियान ने सुधारी जन्म से कुपोषित अनुष्का की सेहत
दिव्यांग पिता और देहाड़ी मजदूर माँ की बेटी को मिली सेहत सुरक्षा

कोरबा : छतीसगढ़ प्रदेश मे चल रहे सुपोषण अभियान का असर शहरी इलाको के साथ साथ अब ग्रामीण क्षेत्रो मे भी दिखने लगा है। स्वास्थय के प्रति लापरवाही और जागरूकता में कमी के चलते जन्म से ही कुपोषित एवं कमजोर बच्चो की सेहत इस अभियान ने संवार दी है।
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कोरबा जिले के कटघोरा विकासखंड के भेजीनारा गाँव के दिव्यांग पिता एवं देहाड़ी मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने वाले परिवार की बेटी अनुष्का को भी इस अभियान से सेहत की सुरक्षा मिल गयी है।
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    अनुष्का भेजीनारा के प्राथमिक स्वास्थय केंद्र मे जन्मी कुपोषित बच्ची थी। इसके पिता दिव्यांग है और अपनी पत्नी के साथ वे कोरबा के कोसाबाड़ी मे दिहाड़ी मजदूरी अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करते है। लगभग दो साल पहले इस परिवार मे अनुष्का का जन्म हुआ था। अनुष्का जन्म से कमजोर थी। काम काज के सिलसिले मे घर से दूर रहने के कारण अनुष्का को माँ का दूध भी पर्याप्त मात्रा मे समय पर नहीं मिल पाता था। जिससे उसके स्वास्थय पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था तथा उसका विकास अत्यधिक धीमा था। ऐसे मे जिले मे शुरू हुये सुपोषण अभियान से अनुष्का को जोड़ा गया। भेजीनारा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमति संतोषी यादव ने बार बार अनुष्का के घर जाकर उसके माता पिता से चर्चा की और उसके स्वास्थय के बारे मे बताया।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की समझाईश पर अनुष्का के माता पिता ने उसे ऊपरी आहार देना शुरू किया। इसके साथ ही उसने प्रबल एवं सुपोषण अभियान के तहत अंडा तथा मूँगफली गुड के बने लड्डू भी विशेष आहार के रूप मे दिये गए। आंगनबाड़ी से मिलने वाले पूरक पोषण आहार रेडी टू ईट को खिलाने तथा खाने मे हरी पत्तेदार सब्जियाँ भाजी, मुनगा भाजी आदि को भी शामिल किया गया।

अच्छे खान पान तथा साफ सफाई का ध्यान रखने से अनुष्का की सेहत सुधरने लगी। और धीरे धीरे उसका वजन भी बढने लगा। जन्म के समय दो किलो की अनुष्का का वजन अब नौ किलो हो गया है और वह कुपोषण से निकल कर सामान्य श्रेणी मे आ गयी है। माता पिता भी लगातार अनुष्का की सेहत का ख्याल रख रहे है समय समय पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी घर जाकर सलाह देती है। अनुष्का अब अपने पैरो पर मजबूती से खड़े होकर दौड़ने भी लगी है और अपने माता पिता से बातचीत करना भी सीख रही है।

    अनुष्का की माँ श्रीमति लीला बाई बताती है कि घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, बच्ची भी कमजोर पैदा हुई थी ऐसे मे उसकी तबीयत की चिंता लगातार लगी रहती थी। सुपोषण अभियान ने मेरी बेटी को पाल दिया है। जून महीने मे उसका वजन साढ़े सात किलो और नवंबर महीने मे नौ किलो हो गया है। सुपोषण अभियान के तहत बेटी के साथ साथ लीला बाई को भी शिशुवती माता के रूप मे पोषक आहार दिया जा रहा है जिससे उसकी सेहत भी सुधर रही है।

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