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 घरेलू हिंसा, अकारण विवाह विच्छेद, टोनही प्रताड़ना कानून की दी गई जानकारी
जशपुर : विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 27 फरवरी को विधिक सेवा शिविर का आयोजन ग्राम भेलवंा अंतर्गत थाना तुमला में किया गया। जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के सचिव श्री अमित जिन्दल ने उपस्थित महिलाओ को बताया कि यदि कोई पति या पत्नी बिना किसी युक्तियुक्त कारण के अपने जीवन साथी को छोड देता है तो जिस पक्षकार को छोडा गया है वह हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत परिवार न्यायालय में दाम्पत्य अधिकारों के प्रतिस्थापन के लिए याचिका पेश कर सकता है।

श्री जिंदल ने आगे बताया कि कोई पक्षकार विवाह विच्छेद के लिए याचिका पेश करता है तो हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत वाद कालीन भरण पोषण का भी प्रावधान है। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 में उस महिला को भी भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार है जिसके विवाह का विच्छेद हो गया हो और जिसने पुर्नविवाह नही किया हो। श्री जिन्दल ने घरेलू हिंसा में प्रत्यर्थी के कार्य से पीडिता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि या उसे कोई क्षति या ऐसा संकट होता है या उसके साथ अपमान, उपहास, तिरस्कार गाली और विशेष रूप से संतान या नर बालक के न होने के संबंध में अपमान या उपहास किया जाता है या उसे किसी चीज से जिसकी वह विधिपूर्ण रूप से हकदार है उससे वंचित किया जाता है तो उक्त कृत्य घरेलू हिंसा की परिधि में आयेगा।
 
छत्तीसगढ़ टोनही प्रताडना निवारण अधिनियम के बारे में बताते हूए कहा कि धारा 5 के अनुसार जो कोई टोनही के रूप में पहचानी गयी किसी महिला को शारिरिक या मानसिक रूप से क्षति पहुचायेगा तो वह जुर्माने सहित 5 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डनीय होगा तथा छ0ग0 टोनही प्रताडना निवारण अधिनियम 2005 की धारा 6 के अनुसार जो कोई यह दावा करता है कि वह टोनही के रूप में पहचानी गयी किसी महिला का झाड फूंक आदि से ईलाज कर सकता है तो वह जुर्माने सहित 5 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डनीय होगा तथा छ0ग0 टोनही प्रताडना निवारण अधिनियम 2005 की धारा 7 के अनुसार जो कोई टोनही के रूप मे किसी प्रकार की क्षति कारित करने की शक्ति रखने का दावा करता है तो वह जुर्माने सहित 1 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डनीय होगा। उक्त कार्यक्रम में बडी संख्या में महिलायें उपस्थित थी।

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