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दुर्ग : आयुर्वेदिक अस्पताल द्वारा बनाया गया पोषक मोदक कुपोषित बच्चों को खिलाया जा रहा -शतावर, अश्वगंधा, पुनर्नवादिमंडूर जैसी औषधियां

 दुर्ग : आयुर्वेद में पोषण बढ़ाने उपयोगी औषधियां सुझाई गई हैं। इन्हें शास्त्रोक्त विधि से बनाकर आंगनबाड़ी में कुपोषित बच्चों को खिलाया जा रहा है। इस स्वादिष्ट मोदक में शतावर, अश्वगंधा, पुनर्नवादिमंडूर जैसी औषधियां हैं जो शरीर में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं। जिला आयुष अधिकारी डाक्टर के.के. शर्मा ने बताया कि जिला आयुर्वेद अस्पताल में यह मोदक बनाये जा रहे हैं तथा इन्हें आंगनबाड़ी के कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए दिया जा रहा है। यह मोदक काफी स्वादिष्ट हैं और बच्चे इन्हें रुचि से खाते हैं। उल्लेखनीय है कि मोदक में सभी जरूरी पोषक तत्वों को शास्त्रोक्त तरीके से मिश्रित कर बनाया गया है। इसमें मूंगफली का हिस्सा काफी ज्यादा है जो प्रोटीन की सप्लाई का काम करता है। घी को आयुर्वेद में शरीर की अभिवृद्धि के लिए बहुत आवश्यक माना जाता है। इसके साथ ही मोदक को मीठा करने एवं स्वादिष्ट बनाने के लिए गुड़ और पिंडखजूर का उपयोग किया गया है। 


गुड़ को एन्टी एलर्जिक माना गया है और प्रदूषण से लड़ने में यह मदद करता है। पिंडखजूर को भी शक्तिवर्धक माना गया है। इसके साथ ही शतावर भी मोदक का प्रमुख हिस्सा है। शतावर से विटामिन बी-1 और विटामिन ई की शरीर में कमी दूर होती है। साथ ही फालिक एसिड का भी यह अच्छा स्रोत है। साथ ही शतावर एन्टी आक्सीडेंट का भी भरपूर स्रोत है। अश्वगंधा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है। पुनर्नवादिमंडूर आयरन का समृद्ध स्रोत है। इस प्रकार इसके पोषक तत्वों से बच्चों के शरीर में आरबीसी और डब्ल्यूबीसी का स्तर बेहतर बनाये रखने में मदद मिलती है। 

साथ ही मुलैठी का भी कुछ अंश इसमें सम्मिलित किया गया है। मुलैठी वोकल सिस्टम के विकास के लिए काफी मदद करता है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान आरंभ होने के पश्चात कुपोषण के दायरे से बच्चों को बाहर लाने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इसमें सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने पर जोर है। इसके अंतर्गत बच्चों को उचित पोषक तत्व उपलब्ध कराने की दिशा में पालकों को सलाह दी जाती है। साथ ही आंगनबाड़ी में चिक्की आदि का वितरण भी किया जा रहा है जो प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत गांधी जयंती के दिन हुई थी और इसके बाद से बच्चों के पोषण के स्तर में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी आई है।

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