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बलरामपुर : विशेष लेख - ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं महिलाएं, तेल प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना से महिलाएं उत्साहित

बलरामपुर : बलरामपुर-रामानुजगंज कृषि प्रधान जिला है तथा लोगों के आजीविका का प्रमुख साधन कृषि है। जिले में कृषि आधारित व्यवसायों के आपार संभावनाओं तथा महिलाओं को उद्यमिता से जोड़ने के लिए विकासखण्ड वाड्रफनगर के बसंतपुर में ममता खाद्य तेल प्रसंस्करण सहकारी समिति की स्थापना की गई है। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हरीष एस. के संयुक्त प्रयास एवं कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्यौगिकी विभाग के सहयोग से तेल प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की गई है। जिसका संचालन एन.आर.एल.एम. के स्व सहायता समूह के महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के बड़े भौगोलिक क्षेत्र में सरसों वृहद स्तर पर उत्पादन किया जाता है। इसीलिये क्षेत्र में सरसों से तैयार होने वाले उत्पादों के व्यवसाय की संभावनाएं देखी जा रही थी। महिलाओं द्वारा स्थापित सरसों तेल प्रसंस्करण का यह उद्योग इसी संभावनाओं को पूरा करने के दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। बसंतपुर एवं आसपास के गांवों के स्व सहायता समूह की महिलाओं ने आपस में मिलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देने का प्रयास किया है। महिलाएं तेल प्रसंस्करण उद्योग के स्थापना से बहुत अधिक उत्साहित हैं। महिलाओं का कहना है कि हम सभी घर से बाहर निकली हैं तथा तेल उत्पादन के साथ ही उसकी मार्केटिंग तथा प्रचार-प्रसार कर रही हैं। इन कार्यों से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है तथा हमें विश्वास है कि हम महिलाओं के सामूहिक प्रयास से यह उद्योग निश्चित रूप से सफल होगा। वर्तमान में हम प्रतिदिन लगभग 110 लीटर शुद्ध कच्ची घानी सरसों तेल का उत्पादन कर रही हैं, जिसे जिले के छात्रावासों, आंगनबाड़ियों तथा स्कूलों के लिए विक्रय किया जा रहा है। आगे इसका प्रचार-प्रसार कर वृहद स्तर पर व्यवसाय का विस्तार किया जाएगा।

 महिलाएं बताती हैं कि उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप मे सरसों बीज स्थानीय हाॅट बाजारों तथा कृषकों से खरीदा जाता है। तत्पश्चात् प्रसंस्करण केन्द्र में सरसों का तेल तैयार कर शेष सह उत्पाद के रूप में प्राप्त खली का भी विक्रय किया जाता है। खली का उपयोग पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जाता है, जिसकी भी बड़ी मांग है। महिलाओं ने बताया कि सरसों तेल विक्रय से उन्हें अच्छी आय प्राप्त हो रही है तथा आगेे इसे और अधिक विस्तार करने के लिए प्रयासरत् हैं। वर्तमान में तेल 01 लीटर एवं 05 लीटर की पैकिंग में उपलब्ध है, जिसे आकृति कच्ची घानी प्रीमियम सरसों का तेल नाम दिया गया है। महिलाएं बताती हैं कि छात्रावासों, आंगनबाड़ियों एवं स्कूलों में तेल के उपयोग पश्चात् हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। यह हमारे लिए गर्व की बात है तथा आगे भी समर्पित भाव से अपने उद्योग के प्रगति के लिए कार्य करते रहेंगे।

समूह की सदस्य श्रीमती कंचन पोर्ते ने बताया कि उद्योग के स्थापना के समय हमें तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया था, वर्तमान में जिसका हमें बहुत लाभ हो रहा है। उन्होंने बताया कि निम्न स्तर की तकनीकी समस्या के लिए हम तकनीकी विशेषज्ञों के साथ वीडियो काॅल के माध्यम चर्चा कर उसका निराकरण करते हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती सीता यादव बताती हैं कि जब उद्योग की स्थापना का प्रस्ताव आया तो हम सभी महिलाओं ने एक स्वर में हामी भरी थी, प्रशासन के ऐसे साकारात्मक प्रयासों से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है। प्रशासन ने हमें मौका दिया जिसे हम सभी महिलाएं मिलकर सही साबित करेंगी। उद्योग के क्षेत्र महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से न केवल जिले का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम आगे बढ़ेगा।

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