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   कोरिया : कृषकों की सामूहिक बाड़ियों से निकलना शुरू हुआ लेमन ग्रास तेल, जिला प्रशासन के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र में स्थापित आसवन संयंत्र प्रारंभ
तैयार की जा रही है लेमन ग्रास चायपत्ती

 कोरिया : स्थानीय किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया देने एवं परंपरागत कृषि के अलावा किसानों को विकल्प उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले में महात्मा गांधी नरेगा के पड़त भूमि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में लेमन ग्रास का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
 
लेमन ग्रास तेल निकालने हेतु जिले में केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान, लखनऊ के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र में आसवन संयंत्र की स्थापना भी की गई है। इसके साथ ही इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में भी लेमनग्रास का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेमन ग्रास तेल से स्वयं सहायता समूह द्वारा साबुन, अगरबत्ती एवं इत्र बनाया जाएगा। इसके लिए जानकारी भी प्रायोगिक तौर पर दी जा रही है। इसके अलावा इसकी पत्तियों को चाय के फॉर्म में अच्छी पैंकिग के साथ बेचने की तैयारी की गई है।
 
     जिला प्रशासन के मार्गदर्शन तथा जिला पंचायत के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा बाड़ी विकास की संकल्पना को साकार करने के लिए विकासखंड बैकुंठपुर के ग्राम दुधनिया में 12 एकड़ भूमि तथा विकासखंड मनेंद्रगढ़ में ग्राम लाई में 12 एकड़ भूमि में कृषकों को संगठित कर घरों के समीप पड़त भूमि में सामूहिक रूप से लेमन ग्रास की कृषि की जा रही है। इसके साथ ही खरीफ 2020-21 में विकासखंड बैकुंठपुर में ग्राम उमझर में तथा विकासखंड मनेंद्रगढ़ के ग्राम विश्रामपुर में आदिवासी कृषकों की स्थापित फलदार मातृवाटिका की सामूहिक बाड़ी में 10-10 एकड़ में खास प्रजाति सिम वृद्धि की खेती तथा इसी तरह मनेंद्रगढ़ के ही ग्राम शिवगढ़ में तथा ग्राम ताराबहरा में 10-10 एकड़ में लेमन ग्रास प्रजाति-कावेरीध्सिम शिखर की खेती प्रारम्भ की गयी है। सामूहिक बाड़ी के शेष रकबे में वर्ष भर टपक सिंचाई विधि से सब्जी का उत्पादन के साथ सब्जियों का बीज उत्पादन कार्य्रक्रम भी लिया गया है।
 
      कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारी ने बताया कि लेमन ग्रास के खेती 4 से 5 साल तक एक बार लेमन ग्रास लगाने उपरांत की जा सकती है तथा प्रत्येक वर्ष 60-70 दिन के अंतराल पर 4 से 5 कटाई की जा सकती है। लेमन ग्रास की प्रथम कटाई जुलाई-अगस्त में की जा रही है। प्रति वर्ष चार कटाई से लगभग 100-120 लीटर तेल प्राप्त किया जा सकता है। सामूहिक बाड़ी से कृषकों को तकरीबन एक लाख तक का मुनाफा आसनी से मिल सकता है।

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