महासमुंद : राष्ट्रीय फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम 24, 25 एवं 26 फरवरी को
महासमुंद, 22 फरवरी 2020/राष्ट्रीय फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्र एवं राज्य शासन के आदेशानुसार जिले में फाइलेरिया, हाथीपांव, हाईड्रोसील एवं कृमि के खात्मे के लिए 24, 25 एवं 26 फरवरी 2020 को सामुहिक दवा सेवन एवं कृमि मुक्ति दिवस का अभियान चलाया जा रहा है एवं छुटे हुए व्यक्तियों को दवा खिलाने के लिए माफप राउंड 27, 28, 29 फरवरी 2020 तक रहेगा। इसके अन्तर्गत एक वर्ष के छोटे बच्चों, गर्भवती माताओं एवं अत्यंत वृद्धजन अथवा गम्भीर रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को छोड़कर सभी व्यक्तियों को डी.ई.सी एवं एल्बेन्डाजॉल की दवाई खिलाई जाएगी। जिले में इस बार सामुहिक दवा सेवन एवं राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम एक साथ चलाया जा रहा है जिसमें जिले के सभी, आगनबाड़़ी, शासकीय एवं निजी स्कूलां, मदरसा तथा सभी महाविद्यालय के बालक एवं बालिकाओं को 24 फरवरी 2020 को दवा खिलाई जाएगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.पी.वारे एवं सिविल सर्जन डॉ. आर.के.परदल ने जानकारी दी की जिले मे दस लाख दो हजार 833 व्यक्तियों को डी.ई.सी. के साथ मे कृमि नाशक एल्बेन्डाजॉल की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया हैं। इसके लिए विकासखण्डवार औषधि वितरकों का गठन किया गया है। विकासखण्ड सरायपाली में 552, बसना में 502, पिथौरा में 610, बागबाहरा में 562 एवं महासमुन्द में 740 इस प्रकार पूरे जिले में कुल दो हजार 966 दवा वितरकों का दल गठन किया गया है। जिसमें स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ मितानिनों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 350 के जनसंख्या पर एक औषधि वितरक का गठन किया गया है। जो घर-घर जाकर लोगों को डी.ई.सी. एवं एल्बेन्डाजॉल की दवा खिलाएंगे साथ ही दवा के नफा-नुकसान की भी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। एक बार डी.ई.सी. एवं एलबेंडाजॉल की निर्धारित खुराक का सेवन करना हैं। इस दवा का असर एक वर्ष तक शरीर में रहता है, जिससे फाईलेरिया के परजीवी यदि कम संख्या मे शरीर में है तो परजीवी की मृत्यु हो जाती हैं अथवा वे निष्क्रिय अवस्था में चले जाते है और दूसरे व्यक्ति मे फैलाव की संभावनाए घट जाती है। इस प्रकार हाथीपांव की कुरूपता एवं अकर्मण्यता को जन्म देने वाली इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है तथा नई पीढ़ी को इस अभिशाप से बचाया जा सकता है एवं बच्चां के आंत में कृमि रहने पर बच्चां के शारीरिक एवं मानसिक विकास में अवरोध उत्पन्न होता है, इसलिए एक वर्ष से अधिक सभी बच्चों को कृमिनाशक दवाई एलबेंडाजॉल की सही एवं निर्धारित खुराक खिलाना भी अति आवश्यक है।
डॉ. परदल ने समस्त जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि वे सभी इस अभियान को फाइलेरिया मुक्त बनाने मे सक्रिय सहयोग प्रदान करें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.पी.वारे एवं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ.व्ही.पी.सिंह ने जिले के समस्त नागरिकों से अपील की है कि वे स्वयं डी.ई.सी. एवं एल्बेन्डाजॉल की दवा खाएं एवं सभी को इस दवा के सेवन करने के लिए प्रेरित करें तथा जिले के नागरिकों को हाथीपांव (फाईलेरिया) एवं कृमि मुक्त करने मे सहयोग प्रदान करें।
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