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 ‘‘बाल विवाह होने के पूर्व दो बाल विवाह रोकवाया गया‘‘
बेमेतरा : विकासखण्ड नवागढ़ के ग्राम कँुरा व पौसरी थाना नांदघाट के दो परिवारों में नाबालिग बालिकाओं का विवाह किये जाने की सूचना पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सह बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी श्री रमाकांत चंद्राकर के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योम श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में विभाग की पर्यवेक्षक श्रीमती रानू मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार चंद्राकर, आनंद धृतलहरे आउटरीच वर्कर राजू प्रसाद शर्मा, चाईल्ड लाईन बेमेतरा से दिनेश कश्यप एवं शैलेजा गेण्डेª, पुलिस विभाग थाना नांदघाट श्रीमती अनुपमा दुबें महिला आरक्षक, कमलेश्वर अंचल आरक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रबुद्ध नागरीको की सहायता उन बालिकाओं के निवास स्थान पर पहुँच कर उक्त बालिकाओं, उसके परिजनों व आसपास के लोगों से पूछताछ की गई, जिससे विवाह किये जाने के तथ्य की पुष्टि हुई। 

एक बालिका का विवाह जिला - बेमेतरा स्थित गा्रम-सिघौरी, तह. बेमेतरा, थाना बेमेतरा एवं दूसरी बालिका का विवाह जिला-बलौदाबाजार स्थित ग्राम-परसवानी कें लड़के से संपन्न होना प्रस्तावित था, जिसे समझाईस देकर व आवश्यक कार्यवाही कर विवाह स्थगित किये जाने की सूचना दिया गया है। बालिकाओं परिजनों के अनुसार हमें यह ज्ञात नहीं था कि 18 वर्ष से कम आयु की बालिका एवं 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह गैर कानूनी है।

    अधिकारियों द्वारा समझाईश दिये जाने पर उन्होने उक्त बालिकाओं का विवाह 18 वर्ष के उपरांत किये जाने की शपथपूर्वक कथन किया। बालिकाओं व परिजनों को बालक कल्याण समिति, बेमेतरा में समझाईश हेतु बुलाया गया है तथा उन्हे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया गया कि 18 वर्ष से कम आयु की बालिका व 21 वर्ष से कम आयु का बालक का विवाह करना या करवाना अपराध है, जो भी व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है,तो उसे भी 02 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रू. तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

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