मौसम आधारित कृषि सलाह
सामान्य फसलें:-
बेमेतरा :- कृषि विज्ञान केन्द्र ढ़ोलिया बेमेतरा के कृषि वैज्ञानिको ने किसानो को सम-सामयिक सलाह दी है। विगत दिनों मंे हुई वर्षा एवं आने वाले दिनों में बादल छाये रहने व वर्षा होने की संभावना को ध्यान मंे रखते हुए किसान भाईयों को सलाह है कि खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करें। लगातार बदली एवं वर्षा को देखते हुए दलहन, तिलहन एवं सब्जी वाली फसलोें में माहू (एफिड) के प्रकोप की आशंका है। इसके लिए सतत निगरानी रखें एवं प्रारंभिक प्रकोप दिखने पर नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव करें। लगातार बादल छाए रहने के कारण चने की फसल में इल्ली का प्रकोप बढ़ सकता है। अतः किसान भाईयांें को सलाह दी जाती है कि इसकी निगरानी करते रहें तथा चने में इल्ली की प्रारंभिक नियंत्रण हेतु एकीकृत कीट प्रबंधन जैसे फीरोमीन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों ंमे पक्षियों के बैठने केे लिए खूंटी करना लाभकारी होता है। देर से बोई गई गेहूँ कि फसल जहाॅ उम्र 40 से 50 दिन की हो वहाँ यूरिया की दूसरी मात्रा डालें। सरसों में एफिड (मैनी) का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोपिड 80 मि.ली./एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। चने में एस्कोकाईटाब्लाईट (झुलसा) रोग की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम/हेक्साकोनाजोल/साफ दवा का 2.5 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें। गेहूँ में अल्टरनेरिया ब्लाईट के लिए फफूंदीनाशक दवा का छिड़काव करें। तिवड़ा ंमें झुलसा के नियंत्रण के लिए फफंूदीनाशक दवा का छिड़काव करें।
सब्जियों /फल
पिछले दिनों बादल छाए रहने के कारण साग-सब्जियों मंे एफिड, भटा में फल एवं तना छेदक लगने की संभावना है। अतः किसान भाईयों को सलाह है कि प्रारंभिक कीट नियंत्रण हेतु एकीकृत प्रबंधन का प्रयोग जैसे फीरोमीन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों ंमे पक्षियों के बैठने केे लिए खूंटी करना लाभकारी होता है। मटर की फलियों में कीट प्रकोप की अधिकता होने पर स्पाईनोसेड नामक कीटनाशी दवा 60 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। आलू में पछेती अंगमारी रोग आने पर मेटालेक्जिल (1.5 ग्राम) या सायमाॅक्सीनील (2 ग्राम) दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़कावस करें। मटर में भभुतिया रोग के लिए रेडोमिल दवा का प्रयोग 2 ग्राम/लीटर का प्रयोग करें। भिण्डी मंे सफेद मक्खी से बचाव के लिए इमिडाक्लोपिड दवा का प्रयोग 8 मि.ली./10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
पशुपालन
अधिक दूध उत्पादन के लिए पशुओं को हरा चारा 25 से 30 किलो प्रति दिन खिलायें। हरे चारे एवं सूखे चारे का अनुपात 3ः1 रखें। गाभिन गायों को गर्भावस्था के अंतिम 3 महीनों में 10 से 15 किलो हरा चारा, 30-50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं 30 ग्राम साधारण नमक खिलाऐं । रात का ताममान कम है, अतः कम उम्र के पशुओं का रात मे ठण्ड से बचाव करें। इस हेतु बोरे के पर्दे लगावे ताकि ठण्ड से कम्र के पशु-पक्षियों को बचाया जा सके।
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