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 दुर्ग : खरीफ के दौरान खुले में चराई मुक्त गांवों के लिए रोकाछेका की अपील

- खरीफ सीजन के दौरान खुले में चराई से मुक्त गांवों के लिए रोकाछेका की परंपरा का होगा आयोजन, गांवों में तैयारियां शुरू
-  गौठानों में उत्साह से जुटकर कार्य कर रहे ग्रामीण और गौठान समिति के सदस्य
- 18 जून को आश्रित गांव में और 19 जून को ग्राम पंचायत में होगी ग्राम सभा, खरीफ के दौरान अपने मवेशियों को खुले में नहीं छोड़ने की शपथ लेंगे

दुर्ग 17 जून : खरीफ की फसल को मवेशियों से बचाने खुले में चराई से मुक्त गांव के लिए रोकाछेका की तैयारी गांवों में बड़े पैमाने पर की जा रही है। रोकाछेका छत्तीसगढ़ की परंपरा है इसमें खरीफ फसल से पूर्व ग्रामीणों को शपथ दिलाई जाती है कि खरीफ फसल के दौरान अपने मवेशियों को गौठान में ही रखें। अब चूंकि गांवों में नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के माध्यम से सामूहिक गौठान बने हैं तो रोकाछेका की रस्म और भी प्रासंगिक हो जाती है। दुर्ग जिले में 18 जून को आश्रित गांवों में और 19 जून को ग्राम पंचायतों में इस अवसर पर ग्रामीणों को शपथ दिलाई जाएगी। इस अवसर पर विशेष ग्रामसभा का आयोजन भी किया जाएगा। गौठानों में इसके लिए विशेष तैयारियां चल रही हैं। रोकाछेका की उपयोगिता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अब सामूहिक गौठान के रूप में विकल्प ग्रामीणों के पास उपलब्ध हैं जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा है। जिले में गौठान न केवल पशुधन संवर्धन के केंद्र के रूप में उभरे हैं अपितु आजीविकामूलक गतिविधियों के सृजन के लिए भी माध्यम बने हैं। हर गौठान में नवाचार के अलग से प्रयोग हो रहे हैं जो उस क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित हुए हैं। 

सामूहिक फलोद्यान के लिए ट्री फेंसिंग तैयार करने से लेकर मनरेगा काम के दौरान लोगों को सैनिटाइज करने के लिए साबुन तैयार करने तक का काम स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। रोकाछेका के आयोजन के दौरान स्वसहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का वितरण किया जाएगा। गौठानों में पशुचिकित्सा तथा पशुस्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। पशुपालन एवं मछलीपालन हेतु किसान क्रेडिट कार्ड बनाने शिविर का आयोजन किया जाएगा।  कृषि, पशुपालन, मछलीपालन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। गौठानों में पैरा संग्रहण एवं भंडारण हेतु मुहिम  भी छेड़ी जाएगी। अपने गांव में तैयारियों के संबंध में मचांदूर के सरपंच श्री दिलीप साहू ने बताया कि रोकाछेका को लेकर हम लोग काफी उत्साहित हैं। खरीफ फसल की सुरक्षा के लिए बरसों से मनाई जा रही इस परंपरा को सरकार भी बढ़ा रही है। यह देखकर अच्छा लग रहा है। जनपद सदस्य श्रीमती लेखन साहू ने बताया कि गौठान का उद्देश्य पशुधन संवर्धन और फसल की रक्षा दोनों है। रोकाछेका के माध्यम से खरीफ फसल को मवेशियों से बचाने की परंपरा रही है। हम लोग इसके लिए सभी को तैयार कर रहे हैं और सब 19 जून के दिन शपथ लेंगे।

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