केवीके मे किसान दिवस ससह प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला का आयोजन
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
बेमेतरा : निदेशक विस्तार सेवायें, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा में केवीके बेमेतरा एवं कृषि विभाग बेमेतरा के संयुक्त तत्वाधान में बलराम जयंती के उपलक्ष्य में प्राकृतिक खेती, गौ कृषि वाणिज्यम एवं तिलहन उत्पादन विषय पर किसान दिवस का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री तोषण कुमार ठाकुर ने किसान दिवस कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कृषकों को प्राकृतिक खेती के पांच स्तंभबीजामृत, जीवामृत, फसल आच्छादन, वापसा एवं पौध संरक्षण के बारे में जानकारी दिया एवं कृषकों को बताया कि समय के साथ खेती में मिट्टी की उर्वरक उपयोग क्षमता में जो कमी आ रही है. जिसके कारण अधिक रासायनिक उर्वरक उपयोग करने के बावजूद उत्पादन में वृद्धि नही हो पा रहा है, उसके समाधान के लिए तथा मृदा स्वास्थ्य व कृषि उपज की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए प्राकृतिक खेती के महत्व को समझना व अपनाना जरूरी है। श्री विद्यानंद ठाकुर ने बलराम दिवस की महत्ता को बताया गया, साथ ही साथ उन्होने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे स्वयं एक किसान है, और गौ-पालन के साथ प्राकृतिक खेती भी करते है। खेती को टिकाउ, कम खर्चीला व लाभप्रद बनाने के लिए सभी किसानों को प्राकृतिक खेती करना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनका संगठन किसानों की कृषि से संबंधित समस्याओं को शासन व प्रशासन के संज्ञान में लाते हुए उसके निराकरण हेतु निरंतर प्रयासरत व प्रतिबद्ध है। श्री रवि वर्मा द्वारा अपने उद्बोधन में खेती में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने व उत्पादन लागत को कम करने के लिए सीड ड्रिल एवं अन्य उपयोगी कृषि यंत्रों का कृषकों को उपयोग करने का सलाह दिया जिससे ज्यादा से ज्यादा उत्पादन व लाभ प्राप्त किया जा सके। उन्होने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश व देश में बेमेतरा जिला की परंपरागत पहचान जिले के कृषकों द्वारा फसल विविधकरण एवं प्रगतिशील खेती को अपनाने से हुई है और इस पहचान को बनाये रखने की जिम्मेदारी हम सभी किसानों की है।
इस अवसर पर कृषकों को सलाह दिया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु कृषक एक एकड़ खेती के लिए एक गाय अवश्य पालें तथा गांव में यदि 50 एकड़ में खेती होती है तो 48 एकड़ क्षेत्रफल में विभिन्न फसल लगाये एवं 2 एकड़ क्षेत्रफल पर कृषक नेपीयर, बरसीम, मक्का इत्यादि जैसे चारें वाली फसलों को अवश्य उगाये ताकि कुशलता पूर्वक गौपालन का कार्य किया जा सके।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषकों को रासायनिक खाद व कीटनाशकों के उपयोग कम से कम करने करने के लिए प्रेरीत किया ताकि रसायनयुक्त कृषि उपज से मानव स्वास्थ्य में होने वाली गंभीर बीमारीयों को कम से कम किया जा सके। शुरुआत में कृषक कम क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती को अपनाकर इसके लाभ को ध्यान में रखते हुए इसका विस्तार कर सकतें है। इस अवसर पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के साथ 80 से अधिक कृषि अधिकारीगण, जनप्रतिनिधिगण एवं कृषकगण की सक्रिय भागीदारी रही।
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