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पहाड़ों-जंगलों के बीच बसा मैं ‘गोलाघाट‘ हूँ., 18 एकड़ में लीची, आम और सब्ज़ी की खेती से बदलेगी आदिवासी किसानों की किस्मत

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

प्रशासन की पहल और किसानों की मेहनत से बदलेगी गांव की तकदीर व तस्वीर

कोरिया : कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड का ग्राम गोलाघाट जहां चारों ओर पहाड़ और घने जंगल हैं। आधुनिक बागवानी और सब्ज़ी उत्पादन का चमकता उदाहरण बन रहा है। कभी परंपरागत खेती पर निर्भर रहने वाले यहां के आदिवासी किसान अब 18 एकड़ में लीची, आम और विभिन्न सब्ज़ियों की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आय और आत्मविश्वास दोनों बढ़ रहे हैं।

विचार से हकीकत तक
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप और कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी की पहल पर, वनाधिकार पट्टाधारी किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उद्यानिकी विभाग ने ठोस योजना बनाई। गांव के सात किसानों पावेरूस मिंज, जयप्रकाश, बीरबल, सन्तोष, विजय, विश्वास और मनोहर ने इस योजना के तहत बागवानी का रास्ता अपनाया।

लीची-आम के बाग और सब्ज़ियों की खुशबू
जिला उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक श्री विनय त्रिपाठी ने बताया कि पश्चिम बंगाल की ‘साही‘ प्रजाति की 1600 से अधिक लीची पौधों को 7-7 मीटर की दूरी पर लगाया गया है। पौधों के बीच बरबट्टी, लौकी, टमाटर, करेला, खीरा और तोरई जैसी सब्ज़ियां उगाई जा रही हैं।
खेतों की चारदीवारी में चौसा, दशहरी और लंगड़ा किस्म के 300 से अधिक आम के पौधे भी रोपे गए हैं। पूरी बागवानी को ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, बोरिंग और फेसिंग जैसी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है।

तीन साल में फसल, लंबा मुनाफा
अधिकारियों के अनुसार, तीन साल में लीची का उत्पादन शुरू हो जाएगा, और यह उन्नत किस्म लंबे समय तक फल देती रहेगी। आम और सब्ज़ियों से तुरंत आय भी शुरू हो गई है।

किसानों का बदलता जीवन
किसानों ने कहा कि इस पहल से वे अब केवल धान पर निर्भर नहीं रहेंगे। पावेरूस मिंज के शब्दों में ‘इन फसलों से धान से भी अधिक मुनाफा मिलेगा।‘

भविष्य की प्रेरणा
कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने कहा कि जिले में फल, फूल, दलहन, तिलहन, सब्ज़ी और शहद उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। गोलाघाट की प्राकृतिक सुंदरता और किसानों की लगन अन्य क्षेत्रों के किसानों को भी प्रेरित करेगी।

 

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