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युक्ति युक्तकरण नीति से शिक्षण व्यवस्था हो रही सुदृढ़,

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

 

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में स्कूलों में लौट रही रौनक
 
हर स्कूल में शिक्षक, हर बच्चे को शिक्षा
 
बलरामपुर : जिले में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में लागू की गई युक्तिकरण नीति अब दूरस्थ अंचलों के स्कूलों में नवचेतना का संचार कर रही है। शिक्षक विहीन या एकल शिक्षक के भरोसे संचालित स्कूलों में अब पढ़ाई सुचारू रूप से संचालित हो रही है, जिससे जिलेभर में शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की उपस्थिति दोनों में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय की मंशा रही है कि राज्य के अंतिम गांव तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित की जाए, और कोई भी बच्चा गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई से वंचित न रहे। इसी सोच को अमल में लाने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा युक्तिकरण की व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई, जिसके तहत शिक्षकों का संतुलित पुनर्विन्यास करते हुए संसाधनों का कुशल प्रबंधन किया गया।
 
युक्तिकरण नीति का सकारात्मक प्रभाव जिले के उन विद्यालयों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहां एकल शिक्षक और संलग्नीकरण के भरोसे शाला संचालित हो रही थी। लेकिन अब स्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। जिले के लगभग 311 एकल शिक्षकीय एवं 14 शिक्षक विहीन प्राथमिक शालाओं में युक्तियुक्तकरण कर अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। युक्तिकरण नीति से जिले के शिक्षा व्यवस्था में सुधार देखा जा रहा है।
 
विकासखण्ड बलरामपुर के प्राथमिक शाला महाराजगंज जो लम्बे समय से शिक्षक विहीन थी, वहां युक्तिकरण नीति के तहत पूर्णकालिक शिक्षक की पदस्थापना होने के बाद विद्यालय में नियमित अध्यापन कार्य पुनः प्रारंभ हो गया है। कक्षा में पढ़ाई का वातावरण लौट आया है, इसका सकारात्मक परिणाम बच्चों की उपस्थिति में संभावित वृद्धि के रूप में देखा जा सकेगा।
 
इसी तरह एकल शिक्षक विद्यालय जैसे प्राथमिक शाला लुर्गी, भीतर सौनी और मक्याठी में भी अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना से अब विषयानुसार शिक्षण संभव हो सका है। शिक्षकों का कार्यभार संतुलित हुआ है और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिल रहा है, जिससे वे प्रतियोगी परीक्षाओं व जीवन कौशल में आगे बढ़ पाएंगे।
 
इस व्यापक युक्तिकरण प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू करने में जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। सभी स्तरों पर प्रभावी समन्वय, जवाबदेही और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई। किसी भी विद्यालय में शिक्षक का पद लंबे समय तक रिक्त न रहे और जहां आवश्यकता हो वहां त्वरित तैनाती की जाए, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए डेटा आधारित योजना तैयार की गई, जिससे संसाधनों का कुशल वितरण और वास्तविक जरूरत के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना संभव हो सकी। इससे शहरी और ग्रामीण स्कूलों के बीच संसाधनों की असमानता को भी काफी हद तक दूर किया जा सका।
 
युक्तिकरण नीति का प्रभाव केवल शिक्षकों की पदस्थापना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका व्यापक असर आने वाले समय में विद्यालयों के शैक्षणिक माहौल, विद्यार्थियों की सीखने की रुचि और अभिभावकों की संतुष्टि में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। इस पहल के माध्यम से विद्यालयों में औसत उपस्थिति दर में निरंतर वृद्धि, वार्षिक परीक्षाओं में बेहतर परिणाम, बालसभा, पठन-संवर्धन, कला और सांस्कृतिक गतिविधियों तथा ग्रामीण समुदायों में विद्यालयों के प्रति बढ़ता विश्वास देखने को मिलेगा। यह नीति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सशक्त बनाएगी, बल्कि विद्यालय और समाज के बीच सहभागिता को भी नई दिशा देगी।
 

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