गर्मियों में करें पशुओं की उचित देखभाल
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
सूरजपुर : छत्तीसगढ़ राज्य में भीषण गर्मी की स्थिति में प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच तापमान 370 (डिग्री सेल्सियस) से अधिक निस्तर बना रहता है। इस दौरान पशुओं पर सामग्री रखकर या सवारी हेतु उपयोग करने से अथवा पशुओं को टांगे, बैलगाडी, भैसागाडी, उटगाडी, खच्चर टटटू गाड़ी एवं गधे पर वजन ढोने के उपयोग करने से पशु बीमार हो सकते है अथवा उनकी मृत्यु हो सकती है। पशुओं के प्रति कुरता का निवारण परिवहन एवं कृषि पशुओं पर क्रूरता का निवारण नियम 1965 के नियम 6(3) के अनुसार जिन क्षेत्रों में तापमान 370 से अधिक रहता है। उन क्षेत्रों में दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच ऐसे पशुओं का उपयोग प्रतिबंधित किया गया है।
पशुपालकों के लिए पशुओं को गर्मी/लू से बचाव के लिए दिशानिर्देश है। पशु गृह में हवा का मुक्त आवागमन सुनिश्चित कर पशुओं की सीधी धूप से बचाने के लिए पशु शाला के मुख्य द्वार पर खस (खसखस) या जूट की बोरियों के पर्दे लगाना चाहिए। पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए पशु शाला में पंखे, कूलर और स्प्रिंकलर सिस्टम लगाये जा सकते है। यह दुधारू पशुओं के लिए उपयुक्त है। पर्याप्त स्वच्छ पेयजल हमेशा उपलब्ध होना बाहिए। पीने के पानी को छाव में रखना चाहिए।
पानी और पानी के कुड़ों को हमेशा साफ रखे। पानी के कुडो को नियमित रूप से चूने से सफाई करनी चाहिए। पशुओं को कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे आटा, रोटी, चावल आदि न खिलाए। संतुलित आहार के लिए अनाज और चारा का अनुपात 40: 60 रखें। गर्मियों के दौरान उगाई जाने वाली ज्वार में जहरीले पदार्थ हो सकते है। जो जानवरों के लिए हानिकारक को सकते है। इसलिए वर्षा के अभाव में ज्वार की फसल को पशुओं को खिलाने से पहले 2-3 बार सिंचाई कर दें।
पशुओं के बरसात के मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु गर्मी में एच.एस, एफ.एम. डी. बी.क्यू आदि के टीके लगवाने चाहिए। पशु गृह के खुले क्षेत्र के आसपास छायादार पेड़ लगाए, जो तापमान को कम करने में सहायक होते है। ग्राम पंचायतो, नगरीय निकायों को अपने क्षेत्र के गौशाला, कांजी हाउस, गौठानों में चारे की पर्याप्त उपलब्धता तथा पशुओं हेतु पेयजल की उपलब्धता स्थानीय निकाय से समन्वय बनाकर सुनिश्चित करना चाहिए। गौशालाओं, पशु चिकित्सा संस्थानों में जीवन रक्षक औषधि का भण्डारण सुनिश्चित हों। पशुओं में लू लगने पर पशु चिकित्सक से परामर्श ले।
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