जशपुरनगर - सफलता की कहानी : मनरेगा से मिल रही आर्थिक सहायता, मजदूरों को रोजगार के साथ, किसानों को भी मिल रहा फायदा
मनरेगा के तहत् कुंआ निर्माण से सहदेव अब दो फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को करेंगे मजबूत
मनरेगा के तहत 2306 कुओं का किया गया निर्माण
जशपुरनगर 03 जून : जशपुर जिले में मनरेगा योजना के तहत् विभिन्न क्षेत्रों के ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है वहीं स्वंय ग्रामीण अपने ही बाड़ी में कुएं का निर्माण कर रोजगार से जुड़ रहें है। फरसाबहार विकासखंड के खारीबहार ग्राम के हितग्राही श्री सहदेव ने मनरेगा योजना का लाभ लेकर अपने खेत में 2.45 लाख रुपए की लागत से कुए का निर्माण कराया। उन्होंने बताया कि मनरेगा योजना हम सब ग्रामीणों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुआ है। अपने लिए बन रहे कुंए के निर्माण में उन्हें रोजगार प्राप्त हुआ है। सहदेव ने बताया कि वह कुएं के बन जाने से अब अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के साग-सब्जी का उत्पादन करेंगे। सहदेव कहते हैं कि कुएं नहीं होने से वह अपने बाड़ी में सिंचाई नहीं कर पाते थे। जिस वजह से बाड़ी में किसी भी प्रकार का साग-सब्जी का लाभ नहीं ले पा रहे थे। परंतु अब कुए के निर्माण हो जाने से उन्हें सिंचाई करने की सुविधा मिल गई है। सहदेव अब अपने बाड़ी में आलू, प्याज, टमाटर, करेला, गोभी, लौकी, बरबट्टी, बैंगन इत्यादि प्रकार की सब्जी की खेती करेंगे।


मनरेगा के एपीओ ने बताया कि जिले में अब तक मनरेगा योजना तहत् 2306 कुओं का निर्माण करा ग्राम वासियों को रोजगार से जोड़ा गया। जिसके तहत् जशपुर तहसील में 269, मनोरा में 172, बगीचा में 641, कांसाबेल में 159, दुलदुला में 270, कुनकुरी में 140, फरसाबहार में 334 एवं पत्थलगांव में 321 कुएं का निर्माण कराया गया है। कुए के निर्माण से जल संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में भी बढ़ोत्तरी हुई है। जिससे अनावश्यक पानी की बर्बादी न होकर उसे एक स्थान पर संरक्षित किया जा रहा है।
सहदेव ने बताया कि उनके परिवार में आर्थिक उपार्जन का एकमात्र साधन कृषि ही है जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है। वे एक ही फसल के भरोसे पूरे साल रहते थे। जिससे उन्हें आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ता था। कुंए के निर्माण ने उन्हें एक नई राह दी है। जिससे वह आने वाले समस्त सीजन में साग-सब्जी उगाकर उन्हें बाजार में विभिन्न मूल्यों में बेचकर प्राप्त आमदनी से अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। मनरेगा के तहत् मिली इस मदद के लिए सहदेव ने जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया है। इसी प्रकार विभिन्न क्षेत्रों के ऐसे किसान जिन्हें सिंचाई की सुविधा नहीं मिल रही थी। उन्हें मनेरगा ने नई राह प्रशस्त की है।
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