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 कोरिया : वनधन विकास योजना वन और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की खुशहाली की उम्मीद

वनोपज का उचित दाम प्रदान कर छत्तीसगढ़ शासन ने किया आर्थिक खुशहाली का मार्ग प्रशस्त

   कोरिया 31 मई : महुआ, हर्रा, बहेड़ा और चरौटा जैसे वनोपज सिर्फ वन और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन का हिस्सा ही नहीं, उनके आर्थिक लाभ के भी साधन हैं। वनों में जब महुआ या धवई फूल खिलते हैं तो वनवासियों के चेहरे भी उम्मीद से खिल उठते हैं कि इन वनोपज को शासन को बेचकर वे मिलने वाली राशि से अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सकेंगे। वन और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की इसी उम्मीद को बरकरार रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने भी वनधन विकास योजना के माध्यम से उन्हें वनोपज का उचित दाम प्रदान कर आर्थिक सुधार व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त किया है।

   वनधन विकास योजना के अंतर्गत जिले के ग्रामीणों एवं समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु उनके द्वारा संग्रहित वनोपज का शासन द्वारा उचित समर्थन मूल्य पर क्रय किया जा रहा है। इसके माध्यम से गैर लकड़ी के छोटे वन उत्पाद का उपयोग कर वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों एवं स्व सहायता समूहों को आजीविका प्रदान की जा रही है। कोरिया वनमंडल अधिकारी श्री राजेश चंदेले ने बताया कि जिले में 14 संग्रहण समितियों के द्वारा कार्य किया जा रहा है। अब तक 3298 संग्राहकों द्वारा लघु वनोपज का विक्रय समूह को किया गया है। शासन की इस योजना के जरिए वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण एवं स्व सहायता समूह आर्थिक रूप से लाभांवित हो रहे हैं।

    जिले में अब तक कुल 2070.20 क्विंटल वनोपज का संग्रहण किया जा चुका है जिसकी कुल कीमत 56 लाख 78 हजार 11 रूपये का भुगतान किया गया है। वनों से प्राप्त होने वाले इन वनोपज में चरौटा 330.47 क्विंटल, रंगीनी लाख 1.35 क्विंटल, हर्रा 9.12 क्विंटल, बहेड़ा 18.28 क्विंटल, नागरमोथा 76.83 क्विंटल, इमली 93.98 क्विंटल, धवई फूल 131.73 क्विंटल, माहुल पत्ता 141.50 क्विंटल एवं महुआ फूल 1266.94 क्विंटल शामिल हैं। जिले में संग्रहित वनोपज सामग्री की खरीदी के लिए 24 हाट बाजारों को चयनित किया गया है जहां पर शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर हाट बाजारों के जरिए समूहों से खरीदी की जा रही है।

   उन्होंने आगे बताया कि कोरिया वनमंडल बैकुण्ठपुर में कुल 5 वनधन केन्द्र हैं। वनोपज क्रय एवं प्रसंस्करण में ग्राम स्तर पर 24 स्व सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। इसी तरह हाट बाजार स्तर पर 16 एवं वनधन केन्द्र स्तर पर 5 स्व सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। वनधन विकास योजना शासन की महत्वांकाक्षी योजना है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को वनोपज का उचित दाम मिलने लगा है जिससे उनके जीवन में आर्थिक सुधार एवं खुशहाली आई है।        
                            

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