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 बेमेतरा : लॉकडाऊन के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र, बेेमेतरा ने दिया कृषकों को रोजगार व जीविकोपार्जन के अवसर

बेमेतरा 27 मई : छत्तीसगढ़ मंे बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से हमारी रबी फसले जैसे चना, गेंहॅू, तिवड़ा बुरी तरह से चैपट हो गई। अभी हमारे किसान भाई इस नुकसान से उबर भी नहीं पाये हैं कि, इसी बीच कोरोना वायरस कोविड-19 के नाम से नया खतरा उनके उपर मॅडराने लगा। कोविड-19 के लाकडाऊन के दौरान भी कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा ने किसान भाईयों का साथ नहीं छोड़ा। किसान मोबाईल संदेश व समाचार पत्रों के माध्यम से सतत संपर्क रखते हुए कोविड-19 के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जागरूक किया तथा अलग-अलग फसलों के आधार पर कृषकों का विभिन्न वाट्सअप समूह बनाकर उनको लाकडाऊन में हो रही परेशानियों की जानकारी लेकर उनका समाधान किया गया। साथ ही विभिन्न माध्यमों से उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया गया। जैसे- चना, तिवड़ा बर्बाद हो जाने के पर मूंग फसल का प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें लगभग 15 कृषक लाभान्वित हुए।

इसी तरह महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत् कृषि विज्ञान केन्द्र   बेमेतरा द्वारा विभिन्न कार्यों जैसे- तालाब खनन, गोदी खनन, तालाब गहरीकरण, नाली निर्माण, मातृवाटिका, पौध नर्सरी आदि कार्याे के माध्यम से 127 कृषकों/भूमिहीन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसी तारतम्य में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्वेश्य से ग्राम गौठान बिलई में महिला स्व-सहायता समूहों को केचुवा खाद, ट्राईकोडर्मा व सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरान्त 12 महिलाओं के समूह ने लगभग 5 क्विंटल केचुआ खाद बनाकर सब्जी उत्पादन किया जिससे उन्होने लगभग 9600/- रूपये का शुद्ध लाभ कमाया, अभी वर्तमान मंे समूह की महिलायें  अपनी उगाई सब्जियों को कोरेन्टाईन में रोके गए प्रवासी मजदूरों के लिए दान कर रही है जो कि एक सराहनीय पहल है जो कि कोविड-19 से लड़ने में देश के प्रति उनका बहुमूल्य योगदान है।         

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