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दंतेवाड़ा में एडवेंचर स्पोर्ट्स होगा आकर्षण का केन्द्र

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा -जय प्रकाश ठाकुर 

 
साहसिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा दंतेवाड़ा का सातधार
 
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दंतेवाड़ा : अपने चारों ओर पहाड़ों से घिरा हरे-भरे वादियो के बीच प्रशासनिक तथा धार्मिक महत्व के स्थल दंतेवाड़ा में डंकिनी नदी के तट पर विकसित हो रहे एडवेंचर स्पो-र्ट्स शीघ्र आकर्षण के केन्द्र बनेंगे। यहां साहसिक खेलों और मनोरंजन को बढ़ावा देने के लिए बस्तर संभाग के प्रथम एडवेंचर पार्क की स्थापना जिला खनिज संस्थान न्यास निधि (डी.एम.एफ.) मद के तहत जिला प्रशासन एवं वन विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। 
 
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एडवेंचर पार्क में संचालित होने वाली साहसिक खेल गतिविधियों और प्रशिक्षण से पर्यटकों तथा नागरिकों को अपने स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने का महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में शासन-प्रशासन की पहल से विकसित किए जा रहे यह पार्क दंतेवाड़ा जिले के पर्यटन विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। इसके तहत सायकल जिप लाइन के निर्माण सहित सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा दंतेवाड़ा और इसके आसपास ढोलकल तथा सातधार आदि महत्वपूर्ण स्थानों तक पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है।  

एडवेंचर पार्क एक आधुनिक व्यायाम प्रक्रिया साधन है, जिसमें जिप लाइन, साइकिल जिप लाइन, किड एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे रस्सी द्वारा निर्मित पुल, हवा में ऊपर छलांग लगाने वाला कमरबंद झूला इत्यादि साहसिक खेल प्रदर्शन के माध्यम से नई विधियों और तकनीकों से परिचय कराना है। इसे ध्यान में रखते हुए खेल प्रशिक्षकों एवं खेल वैज्ञानिकों द्वारा पार्क के माध्यम से नवीनतम और प्रभावी जानकारी कुशलता से प्रदान की जाएगी। साथ ही यह पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटकों की रुचि का केन्द्र और दंतेवाड़ा जिले की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा। 

इस कड़ी में जिले के अंतर्गत पर्यटन के क्षेत्र में ढोलकल पहाड़ी में प्राचीन भगवान गणेश जी की प्रतिमा विश्व-विख्यात है। यहां देश और विदेश से पर्यटक दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ढोलकल में बस्तर तथा छत्तीसगढ़ की पारंपरिक शैली अनुसार पर्यटकों के रुकने की उत्तम व्यवस्था तथा पारंपरिक खान-पान से संबंधित गढ़कलेवा को स्थानीय रोजगार से जोड़ने की महत्वपूर्ण योजना भी बनाई जा रही है। इस तरह परंपरागत बस्तर तथा छत्तीसग‍ढ़ि‍या खान-पान को समाहित करते हुए अत्याधुनिक कॉटेज हट अपने आप में आधुनिकता को पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण और लोकप्रियता के साथ प्रदर्शित करेंगे।
 

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