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 मुख्यमंत्री राहत शिविर बना आजीविका केंद्र

सूरजपुर में राहत शिविरों में श्रमिकों द्वारा किया जा रहा आमदनी अर्जन

सूरजपुर : 22 अप्रैल 2020/कोविड-19 महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन के दौरान सूरजपुर जिले में दीगर राज्य एवं जिलो के कुल 631 श्रमिकों को 31 राहत केंद्रों में अतिथि की तरह ठहराया गया है।

यहां अतिथि के रूप में उनकी देखभाल करने के लिए जिले के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर श्री बजरंग वर्मा और श्रम अधिकारी श्री घनश्याम पाणिग्रही के साथ-साथ प्रत्येक शिविर के लिए विशेष टीम की ड्यूटी लगाई गई है। यहाँ रुके सभी श्रमिकों को मेन्यु के अनुसार भोजन, रहने के लिए पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ खेल सामग्री जैसे लूडो, कैरम, टीवी आदि प्रदान की गई है। सभी के द्वारा नियमित रूप से योग किया जा रहा है और बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था भी सुचारु रुप से चल रही है।

इसी कड़ी में हाल ही में जिले के एक शिविर में एक श्रमिक का पुत्र विकास का जन्मदिन जिला प्रशासन द्वारा मनाया गया जोकि सभी अतिथियों के लिए एक अमीट  यादगार पल बन गया। अब इन शिविरों में रुके हुए श्रमिकों को उनकी दैनिक मजदूरी की जो आर्थिक क्षति हो रही है उसकी पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने विशेष पहल करते हुए इन्हें दैनिक आजीविका के कार्य उपलब्ध कराए हैं। इसी कड़ी में कई शिविर में श्रमिक द्वारा बांस के ट्री गार्ड का निर्माण किया जा रहा है। जिसको कि वन विभाग द्वारा त्वरित क्रय किया जा रहा है। इसके लिए श्रमिकों को आवश्यक बांस की उपलब्धता वन विभाग द्वारा कराया जाने के साथ ही कार्य प्रारंभ होने से पूर्व मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसके बाद इनके द्वारा सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए ट्री गार्ड बनाने में शिद्दत के साथ जुट गए हैं इसके परिणाम स्वरूप मात्र दो दिवस में ही इन श्रमिकों को प्रशासन द्वारा कुल रूपये 30000 से अधिक का भुगतान किया गया है।

प्रत्येक श्रमिक द्वारा दिन में लगभग रूपये 350 से रूपये 400 तक की आमदनी अर्जित की जा रही है। इन कार्यो से मुख्यमंत्री राहत शिविर ना केवल राहत शिविर वरन् एक मुख्यमंत्री आजीविका केंद्र के रूप में तब्दील हो गया है। यहां ठहरे अतिथियों में अत्यंत खुशी का माहौल है और अब उन्हें अपनी उर्जा का सदुपयोग करते हुए और बेहतर तरीके से समय बिताने का अवसर प्राप्त हो गया है। इन्ही में शामील मध्य प्रदेश बालाघाट जिले के एक अतिथि श्री भोजलाल डोमार को जब उनकी मेहनत की कमाई हुई रकम हाथ में मिली तो उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन, जिला प्रशासन का धन्यवाद करते हुए लड़खड़ाते जुबाॅ से बोले कि लाॅकडाउन में जब हम षिविर में आयें तो यह सोंचा न था, एक सपना जो वास्तविकता में छत्तीसगढ़ शासन व जिलाप्रषासन ने तब्दील करते हुए हमारा व परिवार का न केवल सुरक्षा का ध्यान रखा वरन् हमारे आजीविका के लिए भी ध्यान रखते हुए काम का अवसर उपलब्ध कराया है, जिससे अब हम यहाॅ के खुषनुमा यादों के साथ कमायें हुए पैसों को लेकर अपने घर जायेंगें। उन्होनें इन शब्दों के साथ खुषियों भरे लफ्जों में जिला प्रशासन के अधिकारियों को अपने घर बालाघाट आने का आमंत्रण देते हुए आतिथ्य स्वीकार करने की बातें कहीं हैं। इस दौरान अन्य श्रमिकों ने भी कहा कि जब हम लाॅकडाउन के बाद जिले से अपने जिलों के लिए प्रवास करेंगे तब यह न केवल खुशनुमा यादें बल्कि अपने साथ अपनी कमाई हुई रकम भी साथ लेकर जाएंगे और बेहतर रूप से आर्थिक सुदृढ़ बनकर अपने घर पहुंचेंगे।

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