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बलरामपुर  राहत शिविरों में रूके 313 लोगों का प्रशासन रख रहा है पूरा ख्याल कलेक्टर ने किया राहत शिवरों का निरीक्षण

 

 

 बलरामपुर 16 अपै्रल 2020/  कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रसार को रोकने शासन ने महत्वपूर्ण और कड़े फैसले लिए है। इन फैसलों से जनजीवन प्रभावित तो हुआ लेकिन मानव स्वास्थ्य की रक्षा हेतु यह आवश्यक है। लॉकडाउन के दौरान राज्य के अन्य जिलों तथा राज्य से बाहर के श्रमिकों का पलायन प्रारम्भ हो गया था। जिले में बड़ी संख्या में मजदूर फंस गए थे जिसमें से कुछ अन्य राज्यो से तथा कुछ राज्य के अन्य जिलों से थे। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा ने कोरोना से बचाव तथा प्रसार को रोकने तत्काल सभी श्रमिकों के रहने की व्यवस्था की और उन्हें जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई। उन्होंने श्रमिकों को जिले का मेहमान बताते हुए उनकी सभी जरूरतें पूरी करने के निर्देश दिये। जिले में श्रमिकों के लिए 15 आश्रय स्थल बनाए गए हैं जिसमें 313 श्रमिक रुके हुए है। इन आश्रयो स्थलों में उनके लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है। खाने-पीने से लेकर उनकी सभी जरूरतों का भी ख्याल रखा जा रहा है। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा समय-समय पर आश्रय स्थलों में जाकर मजदूरों से उनको मिल रही सुविधाओं के बारे में पूछ रहे हैं तथा उनसे बात कर उन्हें पूरा भरोसा दिलाया है कि प्रशासन उनके साथ है। उन्हें समय पर नाश्ता एवं गर्म पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। उनको जरूरत के अनुसार दैनिक उपयोग की वस्तुएं, साबुन, मास्क आदि उपलब्ध करायी जा रही है। आश्रय स्थलों में साफ-सफाई एवं सोशल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखा जा रहा है तथा स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें जरूरी परामर्श के साथ कोरोना से बचाव की जानकारी भी दी जा रही है। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा ने अधिकारियों को आश्रय स्थलों/राहत शिविरों का सतत् निरीक्षण कर श्रमिको की सभी जरूरते पूर्ण करने का निर्देश दिए है।

सांप पकड़कर उसे लोगों को दिखाना और उससे हुई आमदनी से वे अपना और अपने पूरे परिवार का पेट पालते हैं। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में ऐसे ही सपेरे परिवार के 84 सदस्य लाॅकडाउन में फंसे हुये हैं। ये सभी लोग कोटा, बिलासपुर के रहने वाले हैं और पूरे परिवार के साथ सांप दिखाने के लिये विकासखण्ड राजपुर के बरियों में पहुंचे हुये थे। लाॅकडाउन होते ही ये यहां फंस गये और बरियों तथा ककना गांव के बीच खाली स्थान में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। लाॅकडाउन के कारण इनका सांप दिखाने का खेल भी बंद हो गया था लेकिन प्रशासन को जैसे ही इनके बारे में पता चला, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व राजपुर एवं तहसीलदार राजपुर की टीम ने इनसे मुलाकात की और लाॅकडाउन में इनके रहने-खाने का इंतजाम कर दिया है। प्रशासन एवं स्थानीय लोगों की मदद से इन्हें चावल मुहैया कराया गया है जिससे अब इनका कोई भी परिवार भूखा नहीं है। इस 84 लोगों के परिवार के मुखिया सोबिन राम ने बताया कि लगभग 05 महिना पहले वे लोग जिले में आए थे और घूम-घूमकर सांप दिखाने का काम कर रहे थे, लेकिन जब ये घर लौट रहे थे तभी अचानक लाॅकडाउन हो गया और फंस गए। ऐसे में प्रशासन की तरफ से इन्हें सारी चीजें मुहैया कराई जा रही हैं, जिससे ये काफी खुश हैं।
कोरोना महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार ने 21 दिनों के लाॅकडाउन का घोषणा किया और इस लाॅकडाउन में हजारों लोग पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पडे़। इस दौरान अगर सबसे ज्यादा परेशानी हुई तो मजदूर वर्ग के लोगों को हुई जो भूख से व्याकुल होकर पैदल अपने घर जा रहे थे लेकिन बलरामपुर जिले में ऐसे मजदूरों को प्रशासन ने सबसे अच्छा ख्याल रखा और आज वो प्रशासन का धन्यवाद दे रहे हैं। दरअसल कोरबा के एक कंपनी में झारखण्ड और बिहार के 37 लोग वाहन चालक का काम करते थे और सभी वहां सालों से रह रहेे थे। लाॅकडाउन होते ही कंपनी ने उन्हें निकाल दिया और फिर वाहनों के बंद होने से सभी लोग पैदल ही अपने घर झारखण्ड और बिहार के लिए निकल पड़े। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की सीमा में आते ही जिला प्रशासन ने जब एक साथ इतने लोगों को देखते हुए लाॅकडाउन होने के कारण उन्हें आसरा दिया। प्रशासन ने सभी वाहन चालकों को विकासखण्ड राजपुर के छात्रावास ग्राम पंचायत बघिमा और चारपारा में रखा है। यहाँ इन वाहन चालकों को भरपेट भोजन और दैनिक जीवन की हर वो सामग्री दी जा रही है जो जरुरी होती है। इन्हें न सिर्फ भरपेट भोजन दिया जा रहा है बल्कि समय-समय पर इनका चिकित्सकीय जांच भी कराया जा रहा है। वाहन चालकों ने बताया की वो इस मुसीबत की घडी में भले ही अपने घर से दूर हैं लेकिन यहां उन्हें जो सुविधा मिल रही है वो घर जैसा ही है। उन्होंने कहा की यहां उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हो रही हैं।
 

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