ब्रेकिंग न्यूज़

महासमुंद : जिले में गिरते भू-जल स्तर पर नियंत्रण हेतु जल संवर्धन

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 

No description available.
महासमुंद : दुर्लभ वस्तु की सुलभ प्राप्ति और सुलभ वस्तु की दुर्लभ प्राप्ति ही वस्तु का मूल्य तय करती है। यह युक्ति पानी पर बिल्कुल सही बैठती है। आज हम इसे सुलभ समझकर जिस तरह इसका दुरूपयोग दोहन कर रहे है। जब जल हमें इतनी सुलभता से नहीं मिलेगा तब शायद इसकी अहमियत का पता चलेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पानी के दुर्लभ प्राप्ति को समय रहते जान लिया। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा घुरवा, बाड़ी जैसी महत्वकांक्षी योजना लागू की। इससे ग्रामीण की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में पहले से और अधिक सुधार हो रहा है। महासमुन्द जिले में गिरते भू-जल स्तर हेतु जल संवर्धन का काम तेजी से हो रहा है। नरवा कार्यक्रम के तहत् पिछले दो साल में नदी-नालों के पुनर्रोद्धार के काम किए गए है। जिले में गौठानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वहीं नालों के बंधान का लक्ष्य भी दिया गया है। इस योजना के तहत मनरेगा से 2019-20 में 21 नरवा के उपचार से 1694 से अधिक हितग्राहियों को खरीफ फसल के साथ ही रबी फसलों के लिए पानी मिल रहा है। पहले बहुत मुश्किल सितम्बर माह तक बहने वाले नरवा के ड्रनेज ट्रीटमेंट और केंचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के बाद अब माह नवम्बर तक बह रहा है। नरवा के पुनर्जीवन के लिए किए गए योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है। खेती-किसानी को मजबूती मिल रही है। 
No description available.

महासमुन्द जिले के सरायपाली विकासखण्ड के अंतिम छोर में स्थित ग्राम पंचायत खोखेपुर के आश्रित ग्राम टिभूपाली में नरवा योजना का लाभ इस ग्राम के ग्रामवासी ले रहे है। टिभूपाली में नाला में पानी रोकने और ग्रामीणों के जरूरतों को देखते हुए प्रशासन द्वारा नाला बंधान का कार्य शुरू किया गया। वहीं सरकारी ईमारतों में रैन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए है। जहां जल संवर्धन में बारिश के जल को धरती के अन्दर सुरक्षित करने में मदद मिली है। गॉव में नालें के पानी रोकने से ग्रामीणों के जरूरत का पानी और मवेशियों के लिए भी पानी की व्यवस्था हुई है। वहीं नाला बंधान से पानी ठहरने के कारण गॉव के कुॅओं और हैण्ड पम्पों का जल स्तर भी बढ़ गया है।

प्रशासन द्वारा कुछ जगहों पर सामूहिक खेतीं पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही कम पानी के फसल लेने पर भी बल दिया जा रहा है। जिले के दूरस्थ वनांचल के लोगों पेयजल के लिए हैण्ड पम्प, ट्यब वेल, छोटे नरवा, तालाब का सहारा लेते है। सरकार इनके लिए शुद्ध जल पहुंचाने का भरपूर प्रयास कर रही हैं। हाल ही मेें जन जीवन मिशन के तहत् 56 ग्राम पंचायतों के 79 गांवों के स्कूल, ऑगनबाड़ी, उप स्वास्थ्य केन्द्र एवं सरकारी भवनों में रनिंग वाटर के माध्यम से शुद्ध पेयजल कराने प्रशासकीय स्वीकृति दी गयी है। इससे पहले भी गांव में इस योजना के तहत् 20 नवीन सिंगल विलेज योजना को भी अनुमोदित किया गया। हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम जल का उपयोग किस तरह करें, भविष्य में कैसे करना है तथा जल संकट हेतु क्या कदम उठाएं। 

प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिए बनाई गई यह योजना अब धरातल की हकीकत बनने लगी है। नरवा विकास योजना के माध्यम से जिले के ग्राम टिभूपाली में वर्षा जल का संचयन, भण्डारण, सिंचाई एवं ग्रामीण लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने से उनके आजीविका के साधनों में तेजी से विकास हो रहा है। इस योजना के तहत वर्ष 2019 में नाला व खेत के किनारे बने नहर को जगह-जगह स्ट्रक्चर बनाकर किसानों को अधिक से अधिक सिंचाई के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही साथ जल संरक्षण एवं संवर्धन हो रहा है। जिसके तहत यहां के किसानो को खेती में अधिक लाभ मिल रहा है। स्ट्रक्चर बनने से चौतराम, गोपी, निलाम्बर, सुखसागर, गुरूवारू, एवन, जघुवन, गेलाई, धनीराम आदि अन्य और किसानों को सिंचाई की समस्या से निदान मिल गया तथा इस वर्ष अधिक से अधिक धान उपज हुई।

नरवा योजना के क्रियान्वयन से यहां के किसान रबी के सीजन में मूंगफली, धान तथा साग सब्जी की खेती कर रहे हैं। जिसके तहत इन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है। शासन का यह योजना यहां के ग्रामवासियों को एक वरदान की तरह मिला है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को अधिक से अधिक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के साथ-साथ जल संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को लिए आजीविका का साधन उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत नाला की साफ-सफाईं एवं भूमि सुधार कर नाले के क्षेत्रफल को बढ़ाया गया। जिसके अन्तर्गत गाम टिभूपाली में नाला उपचार के लिए लूज बोल्डर चेकडेम निर्माण कार्य कराया गया।

खोखेपुर ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम टिभूपाली के किसानें ने बताया कि नरवा के पानी से बाडी का जल स्तर बढ़ गया है। जिससे सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है वे अपने खेतों में अभी भी फसल लेने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही नरवा के पानी से उनके बाड़ी में लगे हुए सब्जी-भाजी को इस मौसम में भी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो रहा है।
 

Related Post

Leave A Comment

छत्तीसगढ़

Facebook