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कोरबा  जिलों में कोरोना से लड़ाई में शामिल 27 महिला समूहों की दीदियां

 मास्क वाली दीदियों से आगे निकलकर अब हुईं सेनेटाईजर सिस्टर्स

साठ हजार मास्क और 100 लीटर से अधिक सेनेटाईजर बनाया, स्थानीय बाजार में अच्छी मांग
 
 
कोरबा 7 अपे्रल 2020/कोरोना से लड़ाई में प्रशासन, डाॅक्टर, मेडिकल स्टाॅफ और पुलिस सहित सभी लोग अपनी-अपनी तरह से अपना योगदान दे रहे हैं। इस लड़ाई में शामिल एक तबका ऐसा भी है, जो ईलाज से ज्यादा सावधानी और रोकथाम के तरीकों पर शासन-प्रशासन की मदद कर रहा है। कोरबा जिले के 27 स्व सहायता समूहों की ढाई सौ से अधिक महिला सदस्य मास्क और सेनेटाईजर बनाकर इस लड़ाई में कोरोना को हराने वाली महत्वपूर्ण सिपाही बनती जा रहीं हैं। स्व सहायता समूहों की इन कोरोना वारियर्स ने अब तक लगभग साठ हजार वाशेबल मास्क और 100 लीटर से अधिक सेनेटाईजर स्थानीय स्तर पर बनाकर उसकी आपूर्ति शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कर दी है। मास्क और सेनेटाईजर बनाने से समूह की इन महिलाओं को रोजगार तो मिला ही है परंतु कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किये गये इस काम से उन्हें आत्म संतुष्टि ज्यादा हुई है। पहले केवल मास्क बनाकर पूरे जिले सहित प्रदेश में भी मास्क वाली दीदियों के नाम से प्रसिद्ध हुईं यह सभी महिलाएं सेनेटाईजर उत्पादन कर अब सेनेटाईजर सिस्टर्स के नाम से अपनी पहचान बना रहीं हैं।
        कोरबा जिले में पांचों विकासखंडों के 27 स्व सहायता समूह मास्क बनाने के काम में लगे हैं। स्थानीय बाजार से सूती कपड़ा, धागा आदि लेकर सिंगल फोल्ड थ्री प्लाई और डबल फोल्ड थ्री प्लाई मास्क यह महिलाएं घर पर ही सिलाई मशीनों पर सिलकर बना रहीं हैं। सिंगल फोल्ड थ्री प्लाई मास्क स्थानीय बाजार में 15 रूपये प्रति नग और डबल फोल्ड थ्री प्लाई मास्क 20 रूपये प्रति नग की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी प्रकार कोरबा की केमिकल इंजीनियरिंग की छात्रा अलिशा जोशी के मार्गदर्शन में एकता स्वसहायता समूह करूमौहा की सदस्यों ने लगभग एक सौ लीटर सेनेटाईजर का भी उत्पादन किया है। सेनेटाईजर बनाने के लिए 99 प्रतिशत शुद्धता वाला स्प्रिट प्रशासन के सहयोग से मिला है साथ ही हाईड्रोजन पराक्साईड, ग्लिसरीन और डिस्टिल वाटर स्थानीय मार्केट से लिया गया है। स्व सहायता समूह ने  एक सौ-एक सौ मिलीलीटर की छोटी प्लास्टिक बोतलों में पैकिंग कर पचास रूपये प्रति बोतल की किफायती दर पर इस गुणवत्ता युक्त सेनेटाईजर की आपूर्ति स्थानीय बाजार में की है।
       मास्क और सेनेटाईजर बनाने के काम में लगे रजगामार के रानी दुर्गावती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष मंजुषा रानी बताती हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान बाजार में मास्क और सेनेटाईजर की कमी पड़ गई थी अचानक मांग बढ़ जाने से इनके दाम भी रोज बढ़ रहे थे। स्थानीय स्तर पर कोरोना का संक्रमण रोकने, गांवों तक इसे न फैलने देने और लोगों को किफायती दामों पर मास्क और सेनेटाईजर उपलब्ध कराने के लिए आजिविका मिशन के तहत यह काम शुरू किया गया। स्वसहायता समूहों ने मास्क और सेनेटाईजर बनाकर अब तक लगभग छः लाख रूपये की आमदनी एक माह में ही पा ली है। वन विभाग, जिले के ताप विद्युत घरों, कोयला खदानों से लेकर ग्राम पंचायतों तक इन मास्कों और सेनेटाईजरों की आपूर्ति की जा रही है।
 
 
 
 
 

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