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कोरबा : ससुराल गेंदा फूल पर झूमे दर्शक,पाली महोत्सव समापन दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा शमां

 'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा'

कोरबा : आज पाली महोत्सव के दूसरे दिवस यानी समापन अवसर पर एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखने को मिली. नृत्य, गायन से लेकर हास्य नाटकों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया. पाली महोत्सव के समापन का आनन्द लेने पहुंचे लोगो ने देर रात तक पूरे कार्यक्रम के लुत्फ़ उठाया. कार्यक्रमो की प्रस्तुति की शुरुआत सर्वप्रथम बालको नगर के द्वारा किया गया. संस्कृति मण्डल की तरफ से स्कूली बालिकाओं ने छत्तीसगढ़ी गानों में अपनी रंगारंग प्रस्तुति पेश की और जमकर तालियां भी बटोरी. इसी क्रम में पाली शासकीय स्कूल की बालिकाओं के प्रस्तुति ने सभी के मन मोह लिया. इन्होंने भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परम्पराओं पर आधारित गीतों में मनमोहक सामूहिक नृत्य पेश किया. साथ ही सुरीले गायन से भी उन्होंने खूब वाहवाही बटोरी.
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इसके पश्चात लोककला मंच के कलाकार थिरमन दास महंत के समूह ने हास्य नाटक की जोरदार प्रस्तुति दी. नाट्य कलाकारों ने दर्शकों को अपने हास्य नाचा से खूब हंसाया. इसके साथ ही विभिन्न पारम्परिक लोकगीतों में स्कूली बच्चों और युवतियों की प्रस्तुति को खूब सराहा गया.
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स्थानीय कलाकारों के इन प्रस्तुतिकरण के बाद प्रदेश की सबसे प्रमुख लोकगायिका पद्मश्री सम्मानित ममता चंद्राकर व प्रेम चंद्राकर के टीम ने आज इस पूरे समापन को यादगार बनाया. शुरुआत मातृभक्ति से ओतप्रोत जसगीत "हम आएन तोरे शरण मे हो" से हुई. मांदर की मधुरतम थाप पर इस गीत और प्रस्तुति ने मानो पूरे वातावरण को भक्ति-शक्तिमय कर दिया. 
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ततपश्चात लोकगायन के इस कड़ी में ममता चंद्राकर ने कर्मा, ददरिया जैसी प्रस्तुतियों में लोग खुद को झूमने से रोक नही पाए. राज्यगीत अरपा पैरी के धार के बाद ममता चन्द्राकर ने भड़ौनी गीत के रूप में "नरवा तीर के पटवा कइसे पटपट-पटपट करथे रे.. आएन हे बरतियन कइसे मटमट-मटमट करथे रे" की जानदार प्रस्तुति से लोग मंत्रमुग्ध नजर आए. उन्होंने "डारा लोर गे हे" गीत के ठीक पश्चात "गोल गोल बोहा गए मोर आँखी के कजरा" को लोगो ने खूब भाया. ममता चंद्राकर का बखूबी साथ देने के लिए उनकी युवा गायिकाएं मौजूद थी. सभी ने उनके प्रस्तुतिकरण की जमकर सराहना की.

ममता चंद्राकर और उनकी टीम के इस रंगारंग परफॉर्मेंस के बाद प्रदेश के सबसे लोकप्रिय जसगीत गायन दिलीप षड़ंगी के शानदार प्रस्तुति को निहारने दर्शकों की नजर मंच पर टिकी रही. उन्होंने भी एक से बढ़कर सेवा गीत, जसगीत और अन्य छत्तीसगढ़ी गीतों से शमां बांधा. दिलीप षड़ंगी ने इस दौरान पाली और समूचे प्रदेश के साझा संस्कृति का भी बखान किया. उन्होंने बताया कि हमारी छत्तीसगढ़ी विरासत और परम्परा से समृद्ध शायद कुछ और नही. उन्होंने प्रदेश के मुखिया श्री भुपेश बघेल का आभार व्यक्त करते हुए राज्य के पहचान को वापिस राष्ट्रीय पटल पर चमत्कृत करने, युवा कलाकारो को सशक्त मंच उपलब्ध कराने और ऐतिहासिक पहचान को संजोने के लिए धन्यवाद भी प्रेषित किया.

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