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महासमुन्द : ग्रामीण आदिवासी महिलाएं जल्द बनायंेगी टसर कोसा धागा, बढ़ेगी आमदनी
'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा'

महिलाओं को विद्युत चलित स्पिनिंग मशीन टसर कोसा धागाकरण का दस दिवसीय प्रशिक्षण

महासमुन्द : जिले में टसर रेशम विकास में नई गति देने के लिए 41 ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं को टसर कोसा धागाकरण का बुनियाद रीलिंग एवं विद्युत चलित स्पिनिंग मशीन  का दस दिवसीय प्रशिक्षण रेशम विभाग द्वारा दिया जा रहा है। आज से शुरू यह प्रशिक्षण 05 मार्च तक चलेगा।
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इन प्रशिक्षण महिलाओं में महामसुन्द विकासखण्ड के ग्राम लहंगर की 25 और बागबाहरा विकासखण्ड के ग्राम भालूचुंवा के 16 आदिवासी महिलाएं शामिल है।
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प्रशिक्षण का शुभारम्भ करते हुए डाॅ. राकेश कुमार गुप्ता जिला रेशम अधिकारी ने प्रशिक्षण का उद्देश्य बतातें हुए कहा कि रेशम आधारित जीविकोपार्जन के माध्यम से ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाना है।

ताकि वे प्रशिक्षण के बाद आत्मनिर्भर बनते हुए अपनी आय में वृद्धि कर सकें। उन्होंने कहा कि ये महिलाएं प्रशिक्षण के बाद अपने घर पर धागाकरण का कार्य कर प्रतिदिन 200 से 250 रूपए की आय प्राप्त कर सकेंगी।
 
जिले में ग्रामीण महिलाओं को अलग-अलग व्यवसाय में स्वावलंबी बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनानें के लिए कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहें हैं।

मालूम हो कि कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने विगत माह रेशम विभाग का निरीक्षण के दौरान ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को टसर कोसा धागाकरण प्रशिक्षण देने की बात कही थी। इसके लिए उन्होंने जिला खनिज न्यास निधि से राशि भी स्वीकृत की है।

प्रशिक्षण में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डाॅ. रवि मित्तल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इन महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद बुनियादी मिलिंग मशीन एवं स्पिनिंग मशीन शत्-प्रतिशत् अनुदान पर प्रदाय की जाएगी। जिस पर धागाकरण का कार्य कर महिला अपनी आमदनी कर आत्मनिर्भर बनेगी।

केन्द्र प्रभारी रेशम श्री आर.एस. राठौरा द्वारा महिलाओं को तकनीकी जानकारी दी गई। नोडल अधिकारी रेशम श्री एस.के. टिकरिहा ने विद्युत चलित स्पिनिंग मशीन के बारें में बताया।

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