ब्रेकिंग न्यूज़

 संग्रहण केंद्र में बने पक्के चबूतरे धान को बचा रहे नमी, बारिश और चूहों से
WITH TNI NEWS SERVICE INPUTS
 
मनरेगा अभिसरण से बनाए गए हैं पक्के चबूतरे
No description available.

कोरिया : मनरेगा के अभिसरण से धान संग्रहण केंद्रों में बनाए गए पक्के चबूतरे इस साल धान को नमी, बारिश और चूहों से बचा रहे हैं। कोरिया जिले के दूरस्थ विकासखण्ड भरतपुर के गाँव कंजिया में भी मनरेगा और 14वें वित्त आयोग की राशि के अभिसरण से संग्रहण केंद्र में पक्के चबूतरे बनाए गए हैं। इन चबूतरों ने सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में उपार्जित धान की सुरक्षा को लेकर ग्राम पंचायत और सहकारी समिति के प्रबंधकों के माथे से चिंता की लकीरें खत्म कर दी हैं। वहीं दूसरी ओर अपना धान बेच चुके किसान भी अब पूरी तरह से निश्चिंत हैं कि स्थानीय सहकारी समिति द्वारा खरीदा गया उनका धान बेमौसम होने वाली बारिश, नमी तथा चूहों व कीड़ों के प्रकोप से सुरक्षित है।
No description available.

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के अभिसरण तथा ग्राम पंचायत और सहकारी समिति के संयुक्त प्रयास से यह संभव हो सका है। मनरेगा से स्वीकृत सात लाख 38 हजार रूपए और 14वें वित्त आयोग के 50 हजार रूपए के अभिसरण से कंजिया धान संग्रहण केंद्र में चार पक्के चबूतरों का निर्माण किया गया है। स्थानीय पंचायत एवं समिति को इससे जहां धान को सुरक्षित रखने में सहजता हो रही है, वहीं किसान भी अब खुश हैं। वनांचल भरतपुर की ग्राम पंचायत कंजिया की सरपंच श्रीमती विपुलता सिंह कहती हैं कि संग्रहण केन्द्र में चबूतरों के निर्माण से धान को सुरक्षित रखने में बड़ी मदद मिल रही है। इनके निर्माण के कुछ ही महीनों में उपार्जित धान के सुरक्षित रखरखाव से पक्के चबूतरों की उपयोगिता और सार्थकता दिख रही है। कंजिया में 18 जनवरी 2021 तक किसानों से उपार्जित 15 हजार 106 क्विंटल धान आ चुका है, जिसे इन चबूतरों के ऊपर सुरक्षित रखा गया है।
No description available.

  आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गढ़वार (कंजिया) के सहायक प्रबंधक श्री विक्रम सिंह बताते हैं कि इस सहकारी समिति से आसपास के 30 गाँव जुड़े हुए थे। इस साल एक और उपकेन्द्र कुंवारपुर में खुल जाने से कंजिया में लगभग 21 हजार क्विंटल धान की खरीदी का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पूर्व के वर्षों में यहाँ सुरक्षित भंडारण की सुविधा नहीं होने से उठाव होने तक हर साल लगभग 150 से 200 क्विंटल धान खराब हो जाता था। इसका सीधा नुकसान सहकारी साख समिति प्रबंधन और समिति से जुड़े किसानों को होता था। परंतु अब पक्के चबूतरे बन जाने से यह समस्या समाप्त हो गई है।

  श्री सिंह ने बताया कि हाल ही में अभी नए साल की शुरुआत में बेमौसम बारिश हुई थी। परंतु इस बार धान को सुरक्षित रखने में कोई परेशानी नहीं हुई। धान संग्रहण चबूतरों के बन जाने से अब किसानों के द्वारा दिन-रात की मेहनत से उपजाई गई पूँजी श्धानश् को ज्यादा अच्छे से रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन चबूतरों के निर्माण के समय गांव के 49 मनरेगा श्रमिकों को 393 मानव दिवस का सीधा रोजगार भी प्राप्त हुआ था।
 

 

Related Post

Leave A Comment

छत्तीसगढ़

Facebook