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बेमेतरा:  कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दिये मौसम आधारित कृषि सलाह
बेमेतरा: रबी मौसम में होने वाली प्रमुख फसल गेंहू, अरहर, चना, सरसों, अलसी और सूरजमुखी फसलों में कीटों से बचाव, उचित देखभाल और भरपूर पैदावार के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने समसामयिक सलाह दी है।
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     कृषि संचालनालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार रबी मौसम में गंेहू फसल की बुआई के 20 से 25 दिन के बाद पहली सिंचाई करें। पहली सिंचाई के समय में नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा का टापड्रेसिंग करें। गेंहू फसल में दूसरी सिंचाई कल्ले निकलने की अवस्था में बुआई के लगभग 40 से 50 दिन के बाद करें और इस समय नाइट्रोजन की तीसरी मात्रा का टाप ड्रेसिंग करें। अरहर में फल बनने की अवस्था में फलभेदक कीटों के नियंत्रण के लिए इंडोंक्साकार्ब दवाई 300 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। चना की फसल जब 15 से 20 सेंटिमीटर की ऊचाई होने पर खुटाई करें। चना फसल में बुआई के 40 से 45 दिन के बाद में पहला सिंचाई करें। फसल में यदि कालरराट रोग दिखाई दे तो सिचाई स्प्रिंकलर से करने की सलाह दी गई है। सरसों की फसल में पहली सिचाई बुआई के 25 से 30 दिनों के बाद 4 से 6 पत्ती होने की अवस्था में करना चाहिए। पहली सिंचाई के समय नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा का पाटड्रेसिंग करना चाहिए। सरसों में दूसरी सिंचाई फूल आते समय करें। निचली पत्तियों पर रोक के लक्षण दिखाई देने पर मेटालेकिसल का छिड़काव करना चाहिए।
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          अलसी फसल में पहली सिंचाई फसल बोने के 30 से 40 दिन के बाद देना चाहिए एवं पहली सिंचाई के समय नत्रजन के शेष मात्रा का छिड़काव करना चाहिए। सूरजमुखी फसल का भरपूर पैदावार के लिए उन्नत किस्म के बीज मॉडर्न यू. ए. एन. टीएस., 7-एफ.यू. बी., 1-एच.एस.बी. ज्वालामुखी, सूर्या आदि की बुआई करें। धब्बा रोग दिखने पर 3 ग्राम तामरयुक्त फफूदांनाशी प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है।

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