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बलरामपुर:  सुपोषित बलरामपुर बनाने के लिए कार्य योजना तैयार
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से जिले में कुपोषण दर में आयी कमी
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बलरामपुर: कुपोषण को मानव समाज में गंभीर समस्या माना गया है, कुपोषण के कई कारण हैं जो स्वस्थ जीवन को विभिन्न रूपों में प्रभावित करती है। वर्तमान सरकार द्वारा 02 अक्टुबर 2019 को महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के अवसर पर राज्य को आगामी तीन वर्षों में पूर्ण रूप से कुपोषण मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया। जिले में भी कुपोषण को दूर करने का संकल्प लेते हुए इस अभियान का शुरूआत की गई थी। 02 अक्टुबर 2019 की स्थिति मेें जिले में 22535 कुपोषित बच्चों को लक्षित कर अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में उन्हें सप्ताह में पांच दिन अण्डा प्रदान किया जा रहा है। योजना के प्रगति के मुल्यांकन हेतु अगस्त 2020 में पांच वर्ष से कम आयु के 96181 बच्चों का वजन लिया गया। अक्टुबर 2019 की स्थिति में जिले में 25.60 प्रतिशत कुपोषित बच्चें थे तथा वजन त्यौहार से प्राप्त रिर्पोट के अनुसार 9370 बच्चें कुपोषण से मुक्त हो चुके है अर्थात कुपोषण की दर में 11.91 प्रतिशत कमी आई है एवं वर्तमान में जिले के 13.69 प्रतिशत अर्थात 13165 बच्चें कुपोषित हैं। जिले को कुपोषण मुक्त बनाने में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सकारात्मक परिणामों से जिला कुपोषण मुक्ति की ओर अग्रसर हो रहा है और निश्चित ही जिला आने वाले समय में पूर्ण रूप से कुपोषण मुक्त होगा।
 
कलेक्टर श्री श्याम धावडे़ के निर्देशन में मुख्यमंत्री कुपोषण अभियान के सफल क्रियान्वयन को आगे भी जारी रखने के लिए निगरानी एवं पर्यवेक्षण हेतु कार्ययोजना तैयार की गयी है। जिले के 468 ग्राम पंचायतों में समस्त योजनाओं के सतत निगरानी हेतु 8 से 10 पंचायतों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। जो समय-समय पर लक्षित ग्राम पंचायतों का भ्रमण कर योजना की समीक्षा के साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान भी अधिकारियों की प्राथमिकता सूची में हैं जिसका गहन निरीक्षण किया जा रहा है। इसके साथ परियोजना एवं सेक्टर स्तर पर भी अनुविभागीय अधिकारी तथा संबंधित क्षेत्र के परियोजना अधिकारी योजना के सफल क्रियान्वयन का मुल्यांकन एवं 15 दिवस में बैठक आहुत कर समीक्षा करेंगे। इसी प्रकार सेक्टर स्तर पर पर्यवेक्षक द्वारा सुपोषण अभियान की सफलता के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से लोगों को सुपोषण के प्रति जागरूक किया जायेगा। योजना के सफल क्रियान्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका आंगनबाडी केन्द्रों की है कार्यकर्ता द्वारा गांव का सतत भ्रमण कर कुपेाषित बच्चों के अभिभावकों को घर पर भी पौष्टिक आहार लेने हेतु प्रेरित करने तथा पोषण के पांच सूत्र जिसमें शिशु के प्रथम 1 हजार दिवस, एनीमिया, डायरिया, हाथ धुलाई व स्वच्छता तथा पौष्टिक आहार के महत्व के बारे मंे बताया जाए। उत्कृष्ट कार्य करने वाले सेक्टर पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को पुरस्कृत किया जायेगा। वहीं अभियान में किसी प्रकार की लापरवाही बरतने पर जिम्मेदारी तय कर कार्यवाही की जायेगी।

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