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कोरबा : गोखरू नाला का जीर्णोद्धार, ग्रामीणों को मिला रोजगार, सिंचाई रकबा भी 14 हेक्टेयर बढ़ा, अब हो रही खेती

 जल संरक्षण संवर्धन की दिशा में प्रभावी कदम

कोरबा : छत्तीसगढ़ शासन की महात्वाकांक्षी ग्राम सुराजी नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना ग्रामीणों की आजीविका संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
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कोरबा जिला जनपद पंचायत पाली से दुरस्थ ग्राम सोनईपुर के हाथीनाला से निकलने वाला गोखरू नाला प्राचीन एवं करीब 15 किमी. लंबा है, लेकिन यह धीरे-धीरे सूखता जा रहा था।
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नरवा योजना के तहत् गोखरू नाला का उपचार किया गया जिसमें जल व मिट्टी संरक्षण की संरचनाएं  ब्रशवुड, लूजबोल्डर, गलीप्लग, गेबियन, वृक्षारोपण, तालाब आदि का निर्माण करके नाला उपचार किया गया है। नाले पर जगह-जगह बनी विविध संरचनाओं का सीधा लाभ ग्रामीणों को नदी में पानी भराव एवं सिंचाई सुविधा के रूप में मिल रहा है।
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सिंचाई सुविधा, मिलने से 14.52 हेक्टेयर सिंचाई का रकबा बढ़ गया है जिससे सोनईपुर हाथीबाड़ी, पोटापानी, डूमरकछार, आदि ग्रामों के किसानों को लाभ मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर मनरेगा से तालाब निर्माण आदि कराये जाने से 350 से अधिक ग्रामीणों को रोजगार मिला है। 

नाला के समीपस्थ किसानों के खाली खेतों में नाला उपचार के उपरांत सिंचाई सुविधा मिलाने से फसलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें ग्रामवासियों का अजीविका संवर्धन हो रहा है।
 
श्री सहेत्तर पूर्व सरपंच, ग्राम पंचायत पोटापानी का कहना है कि नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी छ.ग. सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसमें नाला उपचार के तहत् किये गये कार्यों से नदी में पानी रूकेगा, भूमिगत जल स्तर में वृ़िद्ध होगी। इससे ग्रामीणों की आजिविका संवर्धन होने से ग्रामीण आत्मनिर्भर बनेंगे। इस योजना से ग्रामीण किसानों के जीवन में खुशहाली आयेगी। 

किसान श्री बिहारीलाल केंवट का कहना है कि नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना ग्रामीणों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास का अवसर लेकर आई है। जल और मृदा संरक्षण संरचनाएं जैसे-ब्रशवुड, लूज बोल्डर चेक, गलीप्लग, गेबियन आदि से जल प्रवाह और मिट्टी का कटाव कम होगा।

इससे नदी नाले पुनः जिवित हो रहें है। यह महत्वपूर्ण कार्य सहभागिता से किये जा रहें है। नदी नाले पुर्नजीवित होने से हम ग्रामीण आत्मनिर्भर हो सकेंगें तथा जल जंगल जमीन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन हो सकेगा।

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