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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
प्रति एकड़ 3 से 4 लाख तक कमाई
60 किसान कर रहे हैं खेतीरायपुर : छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में स्ट्राबेरी की खेती लोकप्रिय होे रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण यह बड़े स्वाद के खाया जाता है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी की अभी स्थानीय स्तर पर ही खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान आकर्षित हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती 3 से 4 लाख की आमदनी ली जा सकती है।जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की की शुरूआत की थी, अब 33 किसान 42 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। किसानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता अच्छी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के कारण व्यापारियों को ताजे फल मिल रहे हैं।जिसके कारण उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। नाबार्ड के एफएसपीएफ योजना के तहत रीड्स संस्था द्वारा बगीचा विकासखंड के ग्राम सन्ना, अकरीकाना, लोरो, कोपा, लरंगा और मैना गांव का चयन स्ट्रॉबेरी की खेती करवाई थी। साल 2023 में उत्पादन भी बेहतर हुआ था और उच्च क्वालिटी के स्ट्रॉबेरी निकले थे। इसे देखते हुए साल 2024 में उद्यान विभाग द्वारा किसानों को किसानों को स्ट्रॉबेरी के उत्पादन से जोड़ा गया और किसानों को विभाग द्वारा सहयोग भी दिया गया है। किसान रीड्स संस्था की देखरेख में लगभग 60 किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदास्ट्राबेरी की खेती धान के मुकाबले कई गुना फायदे का सौदा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाई में भी यह लगाया जा सकता है। धान की खेती में जहां देख-रेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ी है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्राबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है। स्ट्राबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र उपयुक्त है।जमीन का उपजाऊ होना आवश्यक नहींजशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम ने बताया कि पहले उनके पास कुछ जमीन थी जो अधिक उपजाऊ नहीं थी वह बंजर जैसी थी। मुश्किल से कुछ मात्रा में धान की फसल हो पाती थी। जब उन्हें विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर फलंों की खेती प्रारंभ की। नाबार्ड संस्था से सहयोग भी मिला। -
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दिल्ली के यशोभूमि में आयोजित हुआ साउथ एशिया ट्रेवल एंड टूरिज्म एक्सपो 2025रायपुर : दक्षिण एशिया के सबसे बड़े ट्रैवल एक्सपो SATTE ( साउथ एशिया ट्रेवल एंड टूरिज्म एक्सपो) 2025 में छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई है। 19 से 21 फरवरी 2025 तक आयोजित इस भव्य आयोजन में छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों को प्रमोट करने के लिए एक विशेष स्टॉल लगाया गया, जिसने देशभर के टूर ऑपरेटर्स, निवेशकों और पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया।
एक्सपो के दौरान छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक विवेक आचार्य ने विभिन्न राज्यों से आए पर्यटन विभाग के अधिकारियों और टूर ऑपरेटर्स से मुलाकात की। श्री आचार्य ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से चित्रकोट जलप्रपात, बारनवापारा अभयारण्य, बस्तर की गुफाएं, सिरपुर, मैनपाट सहित राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने छत्तीसगढ़ में पर्यटन विकास और निवेश के अवसरों पर भी प्रकाश डाला।
विवेक आचार्य ने कहा, "छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार की पर्यटन नीतियां इसे एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य के रूप में उभरने में मदद कर रही हैं।" उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पर्यटकों और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने हेतु कई नई योजनाओं पर कार्य कर रही है।
SATTE 2025 में छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड का स्टॉल एक्सपो के आकर्षण का केंद्र बना रहा, जहां बड़ी संख्या में टूर एंड ट्रैवल एजेंसियों, उद्योग विशेषज्ञों और पर्यटन प्रेमियों ने भाग लिया। एक्सपो में छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों और संभावनाओं को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली, जिससे यह साफ है कि राज्य जल्द ही देश के शीर्ष पर्यटन स्थलों में अपनी मजबूत पहचान बनाएगा।
विभिन्न राज्यों के टूर ऑपरेटरर्स और ट्रेवेल एजेंटस ने SATTE ( साउथ एशिया ट्रेवल एंड टूरिज्म एक्सपो) के स्टाल में छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के साथ अपना स्पॉट रजिस्ट्रेशन भी कराया ताकि टूरिज्म बोर्ड की नीतियों के तहत उन्हें टूरिज्म बुकिंग का लाभ मिल सके और दूसरे राज्यों के पर्यटक अधिक से अधिक संख्या में छत्तीसगढ़ के आकर्षक पर्यटन स्थलों का भ्रमण भी कर सकें। इस छोटी सी शुरूवात ने छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के लिए भविष्य की सार्थक संभावनाओं के द्वार खोले हैं।
दिल्ली के यशोभूमि में आयोजित इस अवसर पर छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के महाप्रबंधक श्री वेदव्रत सिरमौर, उप महाप्रबंधक श्री संदीप ठाकुर एवं विभिन्न अधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने टूर एंड ट्रैवल एजेंसियों, सरकारी अधिकारियों और निवेशकों से मुलाकात कर राज्य के पर्यटन स्थलों, योजनाओं और निवेश के अवसरों पर विस्तार से चर्चा की। -
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एम.के मधुबालापत्रकार
नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कल यहां तीस हाज़री अदालत में संगोष्ठी आयोजित की गयी। भारतीय भाषा अभियान तीस हजारी न्यायालय इकाई की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में तीस हजारी न्यायालय के जिला न्यायाधीश( कुटुम्ब न्यायालय, केंद्रीय जिला) श्री मुरारी प्रसाद सिंह एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ अनिल राय मौजूद थे।
इसके अलावा आचार्य,डॉ अजित पूरी, सहायक आचार्य विष्णु शर्मा एवं मुख्य वक्ता श्री जयदीप राय जी सहित कई विशिष्टगण मौजूद थे।इस कार्यक्रम का आयोजन अधिवक्ता श्रीमती सविता कसाना की अगुआई में किया गया था। संगोष्ठी में मातृभाषा के जरिए स्वाभिमान को जगाने और मानासिक दासता की बेड़ियों को तोड़ने का संकल्प दोहराया गया। एल.एस. -
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साइंस सिटी बनेगा वैज्ञानिक शोध और नवाचार का हब, छत्तीसगढ़ विज्ञान के क्षेत्र में रचेगा इतिहास- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव सायउपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक आयोजितरायपुर : छत्तीसगढ़ अब शिक्षा, विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में साइंस सिटी की स्थापना की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाए जा रहे हैं। नवा रायपुर के सेक्टर-13 में 30 एकड़ भूमि पर बनने वाली इस साइंस सिटी को आधुनिकतम तकनीकों से युक्त किया जाएगा, जो छत्तीसगढ़ को विज्ञान और तकनीक का नया केंद्र बनाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर आज उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के विजन के अनुरूप इस परियोजना को तेजी से और समयबद्ध रूप से पूरा करने की रणनीति पर चर्चा हुई।
बैठक में अपर मुख्य सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्रीमती रेणु जी पिल्ले, छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर के महानिदेशक डॉ. एस. कर्मकार सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का विजन: छत्तीसगढ़ बनेगा विज्ञान और नवाचार का अग्रणी राज्य
बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के विजन के अनुरूप छत्तीसगढ़ को केवल प्राकृतिक संसाधनों का राज्य नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों के केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाना है। उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने बैठक में निर्देशित किया कि साइंस सिटी को "एडुटेनमेंट" (शिक्षा + मनोरंजन) की अवधारणा पर विकसित किया जाए, जिससे छात्रों, शोधकर्ताओं और आम नागरिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि विकसित करने का अवसर मिले।
बैठक में बताया गया कि साइंस सिटी में कई अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी, जो इसे देश के अग्रणी विज्ञान केंद्रों में शामिल करेंगी। इसमें अंतरिक्ष एवं खगोल विज्ञान केंद्र, स्मार्ट सिटी एवं ग्रीन टेक्नोलॉजी सेक्शन, जलवायु परिवर्तन केंद्र, रोबोटिक्स एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब, एयरोस्पेस रिसर्च सेक्शन, वर्चुअल एक्सपेरिमेंट लैब, थ्रीडी थिएटर और इमर्सिव डिस्प्ले जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। इन नवाचारों के माध्यम से छात्रों, शोधकर्ताओं और आम नागरिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि विकसित करने का अवसर मिलेगा।
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि साइंस सिटी सिर्फ एक शैक्षिक संस्थान नहीं, बल्कि यह प्रदेश के युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक केंद्र बनेगा। उन्होंने निर्देश दिया कि इसमें छात्रों के लिए एक्सपेरिमेंटल लर्निंग ज़ोन बनाए जाएं, जहां वे वैज्ञानिक अवधारणाओं को व्यावहारिक रूप से समझ सकें।
बैठक में चर्चा हुई कि साइंस सिटी छत्तीसगढ़ के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह न केवल छत्तीसगढ़ में विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि यहां के युवाओं और वैज्ञानिकों को वैश्विक स्तर के अनुसंधान और नवाचार के अवसर उपलब्ध कराएगी।
साइंस सिटी का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व
साइंस सिटी न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए विज्ञान शिक्षा और नवाचार को नई दिशा देने वाली परियोजना होगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस केंद्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विज्ञान सम्मेलन और शोध कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा, जिससे यहां के विद्यार्थी और शोधकर्ता दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
समयबद्ध क्रियान्वयन और तकनीकी नवाचारों पर विशेष जोर
बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस परियोजना को निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा किया जाए और इसे भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाए। उन्होंने कहा कि साइंस सिटी को नवाचार और अनुसंधान का वैश्विक स्तर का केंद्र बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की यह साइंस सिटी देश की प्रमुख विज्ञान परियोजनाओं में से एक होगी और यह प्रदेश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में अभूतपूर्व योगदान देगी। बैठक में बताया गया कि साइंस सिटी के विभिन्न सेक्शनों को इस तरह डिज़ाइन किया जाए कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की विज्ञान प्रदर्शनियों, नवाचार प्रतियोगिताओं और शोध परियोजनाओं की मेजबानी कर सकें। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जल्द से जल्द मूर्त रूप देने के लिए राज्य सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और शिक्षाविदों के सहयोग से एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में एक नई पहचान बना सके।
छत्तीसगढ़ का भविष्य विज्ञान और नवाचार में - मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ को केवल पारंपरिक संसाधनों और कृषि राज्य तक सीमित नहीं रखा जाएगा। अब हमें आगे बढ़कर विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में देश और दुनिया के अग्रणी राज्यों में शामिल होना है। साइंस सिटी इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए नए अवसर खोलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना सिर्फ एक शैक्षिक केंद्र नहीं होगी, बल्कि यह प्रदेश के युवाओं और वैज्ञानिकों को वैश्विक मंच प्रदान करने का एक सशक्त प्रयास है। अब छत्तीसगढ़ सिर्फ धान का कटोरा नहीं, बल्कि विज्ञान और नवाचार की राजधानी बनने की ओर अग्रसर हो रहा है I -
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ग्रामोद्योग विभाग द्वारा लोगों को दी जा रही जानकारीरायपुर : राजिम कुंभ कल्प मेला में गरियाबंद जिले के विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में ग्रामोद्योग विभाग के रेशम प्रभाग का स्टाल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस स्टाल में किसानों, महिलाओं और आम नागरिकों को कोसा उत्पादन की प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है। अब तक हजारों लोग इस स्टाल पर पहुंचकर कोसा उत्पादन की जानकारी प्राप्त कर चुके हैं। कोसा उत्पादन किसानों के लिए न केवल आय का एक अतिरिक्त जरिया बन सकता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाने में मददगार होगा।
स्टाल प्रभारी राम गोपाल चौहान ने बताया कि कोसा उत्पादन वन एवं कृषि आधारित रोजगार का एक बेहतरीन जरिया है, जिससे गांवों में ही आजीविका प्राप्त की जा सकती है। छत्तीसगढ़, जो हरितिमा से आच्छादित राज्य है, में खेतों के किनारे अर्जुन के पेड़ लगाकर कोसा उत्पादन किया जा सकता है। अर्जुन पेड़ों की पत्तियों पर कोसा कीड़े तीस दिन में कोसा फल तैयार कर देते हैं, जिसे किसान आसानी से बाजार में बेच सकते हैं।
कोसा उत्पादन कृषि के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि इसका पालन खेतों में बायो-फर्टिलाइजर के रूप में भी उपयोगी होता है। प्रति अर्जुन वृक्ष 50 से 60 कोसा फल उत्पन्न होते हैं, जो बाजार में एक से दो रुपये प्रति फल की दर से बिकते हैं। इस प्रक्रिया में 70 प्रतिशत कोसा फल तोड़कर बेचा जाता है, जबकि 30 प्रतिशत को प्राकृतिक वंश वृद्धि के लिए पेड़ों पर ही छोड़ना आवश्यक होता है, जिससे आगे कोसा तितलियां विकसित होकर उत्पादन की श्रृंखला को बनाए रखें। -
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पूजा-अर्चना कर सर्वकल्याण की कामना की
रायपुर : महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने आज तीर्थराज प्रयाग के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया और विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेश और देशवासियों के सर्वकल्याण की कामना की। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुंभ सनातन परंपराओं का जीवंत प्रतीक है, जहां श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर आत्मशुद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति का संकल्प लेते हैं।उन्होंने कहा कि त्रिवेणी संगम का यह पुण्य स्नान न केवल आध्यात्मिक उन्नयन का अवसर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों की अद्वितीय छटा भी प्रस्तुत करता है। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने त्रिवेणी संगम में स्नान और पूजा-अर्चना के बाद कुंभ क्षेत्र में मौजूद श्रद्धालुओं से भेंट कर उनकी कुशलक्षेम पूछी। -
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विरल वन का 450 वर्ग किमी क्षेत्र हुआ सघन वन में तब्दीलरायपुर : बस्तर में वन आवरण घनत्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो हाल ही में प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट के आंकड़ों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। यह उपलब्धि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और वन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा किए गए सतत प्रयासों का परिणाम है। बस्तर में वन आवरण घनत्व में वृद्धि छत्तीसगढ़ की पर्यावरण संरक्षण नीति और सतत वन प्रबंधन का परिणाम है। वन घनत्व में वृद्धि जैव विविधता संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और जलवायु सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बस्तर, जो अपने घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है, वन संरक्षण और संवर्धन के लिए एक प्राथमिक फोकस क्षेत्र रहा है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई), देहरादून द्वारा उपग्रह-आधारित एलआईएसएस-तीन सेंसर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बस्तर के कई क्षेत्रों में वन आवरण की श्रेणी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
आईएसएफआर के अनुसार, 152 वर्ग किमी वन क्षेत्र मध्यम घने वन से बहुत घने वन में परिवर्तित हुआ है। इसके अलावा, 93 वर्ग किमी भूमि गैर-वन से खुले वन में बदली है, जबकि 156 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से मध्यम घने वन में परिवर्तित हुआ है। 19 वर्ग किमी क्षेत्र ओएफ सघन वन में और 18 वर्ग किमी क्षेत्र छोटे झाड़-झाड़ियों से खुले वन में अपग्रेड हुआ है।
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में भी वन आवरण में सकारात्मक परिवर्तन दर्ज किया गया है, जहां 23 वर्ग किमी मध्यम घने वन से बहुत घने वन में और 16 वर्ग किमी खुले वन से मध्यम घने वन में तब्दील हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, बीजापुर वन प्रभाग ने सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है, जहां 68 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से मध्यम घने वन में और 56 वर्ग किमी क्षेत्र मध्यम घने वन से बहुत घने वन में परिवर्तित हुआ है।
इस उपलब्धि पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री वी. श्रीनिवास राव ने कहा कि वन विभाग के वैज्ञानिक और सक्रिय प्रयासों के चलते वन आवरण में यह महत्वपूर्ण वृद्धि संभव हुई है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक भागीदारी और रणनीतिक संरक्षण उपायों ने बस्तर के हरित परिदृश्य को सुदृढ़ किया है।
वन आवरण घनत्व में यह सुधार निरंतर निगरानी, जल एवं मृदा संरक्षण, आक्रामक खरपतवार हटाने, वन-अग्नि रोकथाम रणनीतियों और समुदाय के नेतृत्व वाले वनीकरण अभियानों के कारण संभव हुआ है। संयुक्त वन प्रबंधन समितियों और बस्तर के आदिवासी समुदायों की भागीदारी ने भी इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। -
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विभिन्न स्टॉलों का अवलोकनअबूझमाड़ मैराथन के टी-शर्ट का विमोचनरायपुर : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में आज से शुरू हुए ऐतिहासिक माता मावली मेले में छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप शामिल हुए। उन्होंने माता मावली के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और जिलेवासियों को मेले की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि मावली माता का आशीर्वाद बस्तर की संस्कृति और परंपराओं को सहेजने की शक्ति प्रदान करता है। यह मेला सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। दूर-दूर से आए श्रद्धालु इस आयोजन को और अधिक भव्य बनाते हैं। उन्होंने कहा,यहां के आदिवासी जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, वे बधाई के पात्र हैं।
मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि बस्तर अंचल के मड़ई-मेले आदिवासी संस्कृति, लोककला और परंपराओं के संरक्षण के केंद्र हैं। माता मावली मेला भी नारायणपुर जिले का ऐतिहासिक और ख्याति प्राप्त आयोजन है, जहां हर वर्ष स्थानीय लोगों के साथ ही दूर-दराज के सगे-संबंधी आते हैं और इस सांस्कृतिक विरासत को नजदीक से अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय इस मेले में हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक देखने को मिलेगी। साथ ही, उन्होंने माता मावली के आशीर्वाद से जिले में चौतरफा विकास की कामना की।
अबूझमाड़ पीस हाफ मैराथन टी-शर्ट का विमोचन
मंत्री श्री कश्यप ने 02 मार्च को होने वाली अबूझमाड़ पीस हाफ मैराथन के आधिकारिक टी-शर्ट का विमोचन भी किया। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में इस मैराथन में भाग लेने का आग्रह किया और इसे शारीरिक फिटनेस और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बताया। मंत्री श्री कश्यप ने मेले में लगी विभिन्न सरकारी विभागों की स्टॉलों का निरीक्षण किया और विभिन्न दुकानों का अवलोकन किया। उन्होंने पूजा सामग्री भी खरीदी और स्थानीय व्यापारियों से संवाद किया।
इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष इंद्रप्रसाद बघेल, पार्षद कृति पोटाई, नेहा कश्यप, रमशीला नाग, संगीता जैन, हेमंत पात्र, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष रूपसाय सलाम, समाजसेवी गौतम एस. गोलछा, जैकी कश्यप, संदीप झा, कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं, एसपी प्रभात कुमार, जिला पंचायत सीईओ आकांक्षा शिक्षा खलखो सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन और श्रद्धालु उपस्थित रहे। -
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ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति से की देव विग्रहों की अगवानीरायपुर : छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, देव आस्था और परंपरा का प्रतीक नारायणपुर जिले के ओरछा क्षेत्र का ऐतिहासिक माता मावली मेला आज श्रद्धा और उल्लास के साथ शुरू हुआ। पांच दिवसीय मेले की शुरूआत माता मावली मंदिर में पारंपरिक पूजा-अर्चना और परघाव (देवताओं के स्वागत की परंपरा) के साथ हुई। आसपास के गांवों से आए स्थानीय देवी-देवताओं के प्रतीक स्वरूप डंगई, लाठ, डोली और छत्र के साथ भव्य जुलूस निकाला गया। मेला स्थल पर पहुँचकर ढाई परिक्रमा की रस्म पूरी की गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की।
मेला स्थल पर माता मावली, कोट गुड़ीन, शीतला माता, कोकोड़ी करीन, तेलवाड़ीन माता, कंकालीन माता, सोनकुंवर, भीमादेव सहित कई स्थानीय देवी-देवताओं का भव्य स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं ने गहरे भाव से सिरहा, पुजारियों और गायता (पारंपरिक पुजारी वर्ग) के साथ मिलकर अनुष्ठानिक पूजाएं कीं। पूरे मेले में आस्था और भक्ति का माहौल बना हुआ है।
इस ऐतिहासिक मेले में 19 से 23 फरवरी 2025 तक हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 20 फरवरी को बस्तर संस्कृति ग्रुप लोक रंग (सिद्धार्थ महाजन), 21 फरवरी को अनुराग शर्मा स्टार नाइट एंड ग्रुप, 22 फरवरी को रास परब एंड ग्रुप, जगदलपुर, 23 फरवरी को मल्लखंब डांस एकेडमी और नितिन दुबे सुपर स्टार नाइट का कार्यक्रम होगा।
मावली मेला इस क्षेत्र का सबसे बड़ा लोकोत्सव होने के कारण इस बार भी इसकी भव्यता देखते ही बन रही है। मेला स्थल पर मीना बाजार, विभिन्न प्रकार के झूले, दैनिक उपयोग की वस्तुओं की दुकानें, फैंसी बाजार, मिठाई की दुकानें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। भारी संख्या में ग्रामीण और पर्यटक मेले का आनंद ले रहे हैं।
मावली मेले में सुरक्षा, पेयजल, बिजली और पार्किंग की पुख्ता व्यवस्थाएं जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित की गई हैं। मेला स्थल पर पुलिस बल तैनात किया गया है। पर्याप्त संख्या में पेयजल टैंकर और अस्थायी शौचालयों की व्यवस्था की गई है। पूरे मेला क्षेत्र में हाई-पावर लाइट और जनरेटर लगाए गए हैं। सुचारू यातायात प्रबंधन और वाहनों के लिए विशेष पार्किंग जोन बनाए गए हैं।
आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में आयोजित होने वाला ऐतिहासिक मावली मेला आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यह मेला छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की गहरी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यह मेला माता मावली देवी के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें स्थानीय आदिवासी समुदाय अपनी कुल देवी मानते हैं। इस मेले की विशेषता यह है कि विभिन्न गांवों से श्रद्धालु अपने देवी-देवताओं को लकड़ी की पालकियों में लेकर आते हैं और भव्य शोभायात्रा (जात्रा) निकालते हैं। इस दौरान भक्तगण परिक्रमा कर देवी मावली की पूजा-अर्चना करते हैं।
माना जाता है कि यह मेला सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जिसमें गोंड, मुरिया और अन्य आदिवासी समुदायों के लोग सामूहिक रूप से अपनी परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर लोक नृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि, अनुष्ठानिक पूजा और मेल-मिलाप का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मेला सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी आदिवासी समाज को जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम है। -
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जल विजन 2047 पर राज्यों के जल मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलनछत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव ने राज्य में जल संरक्षण के प्रयासों पर दी जानकारीरायपुर : भारत सरकार के ‘जल विजन 2047’ के तहत राज्यों के जल मंत्रियों का द्वितीय राष्ट्रीय सम्मेलन उदयपुर में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों ने जल संरक्षण, जल प्रबंधन और भविष्य की जल नीति को लेकर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता ओड़िशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण मांझी ने की। सम्मेलन में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल, केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री चौधरी, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव सहित अन्य राज्यों के जल संसाधन मंत्रीगण मौजूद थे।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव ने छत्तीसगढ़ राज्य में जल संरक्षण के प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री श्री केदार कश्यप ने राज्य में जल प्रबंधन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को साझा करते हुए कहा कि जनभागीदारी जल संचय में छत्तीसगढ़ राज्य देश में अव्वल स्थान पर है। राज्य में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए दो लाख से अधिक संरचनाएं निर्मित की गई हैं। हम जिस राज्य छत्तीसगढ़ से हैं वह राज्य प्रभु श्रीराम का ननिहाल है। वनों से अच्छांदित दण्डकारण्य क्षेत्र छत्तीसगढ़ में हैं। प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास का सर्वाधिक 10 साल छत्तीसगढ़ में व्यतीत किए हैं।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न राज्य है, यहां 44 प्रतिशत से अधिक भू-भाग में वन हैं। छत्तीसगढ़ राज्य का उत्तरी और दक्षिणी भाग पठारी और वनों से अच्छांदित है। राज्य का मध्य हिस्सा मैदानी है। इस कारण राज्य में जल उपलब्धता असमान है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए जल संरक्षण और प्रबंधन को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ जल नीति 2022 के तहत जल संसाधनों का वैज्ञानिक और सतत विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा, भूजल अधिनियम 2022 लागू किया गया है और भूजल नियामक प्राधिकरण की स्थापना की प्रक्रिया जारी है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जल संकट से निपटने के लिए सरकार सूक्ष्म सिंचाई, पाइप सिंचाई नेटवर्क, जलग्रहण क्षेत्र विकास और जल-जगार अभियान को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में गंगरेल डेम रविशंकर जलाशय से रायपुर और धमतरी की जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है।
मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि ‘जल विजन 2047’ के तहत राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किए हैं। सिंचाई क्षमता 37.82 प्रतिशत से बढ़ाकर 56 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। जल भंडारण 7900 मिलियन घन मीटर से बढ़ाकर 16,000 मिलियन घन मीटर तक ले जाना तथा औद्योगिक जल उपयोग 2208 मिलियन घन मीटर से 6000 मिलियन घन मीटर तक बढ़ाना है। पेयजल आपूर्ति 584 मिलियन घन मीटर से 2094 मिलियन घन मीटर तथा भूजल निकासी 5757 मिलियन घन मीटर से 8000 मिलियन घन मीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि जल संसाधनों का सतत उपयोग आवश्यक है। उन्होंने राजस्थान के वाटर बैंक मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि जल संरक्षण को लेकर सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने अंत में सभी राज्यों से अपील की कि वे जल संसाधनों का सतत और वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में जल संकट को टाला जा सके। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक, महान विचारक और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक माधव सदाशिव गोलवलकर 'गुरु जी' की जयंती (19 फरवरी) पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि गोलवलकर जी ने राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और समाजिक समरसता के सिद्धांतों को मजबूत आधार प्रदान किया। उनका जीवन भारत की सनातन परंपरा, आध्यात्मिक मूल्यों और राष्ट्रीय चेतना को सशक्त करने के लिए समर्पित था। उनकी विचारधारा ने देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्र-सेवा और सामाजिक उत्थान के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गुरुजी का जीवन भारत की संस्कृति, परंपरा और अखंडता को मजबूत करने का एक प्रेरणादायी उदाहरण है। उन्होंने संगठन शक्ति के माध्यम से राष्ट्र के पुनर्निर्माण का जो संकल्प लिया, वह आज भी हमें प्रेरित करता है। उनकी दूरदर्शी सोच और विचारधारा देश को सशक्त बनाने में सदैव प्रासंगिक रहेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गोलवलकर जी का योगदान भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक पुनरुत्थान में अविस्मरणीय है। उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र प्रथम की भावना के प्रति समर्पित रहा। उनके आदर्श और मूल्य राष्ट्रवादी सोच, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करते हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि गोलवलकर जी के विचारों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के उत्थान और सामाजिक एकता को मजबूत करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि उनके आदर्शों को अपनाकर हम आत्मनिर्भर, समरस और सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
सौर ऊर्जा को बढ़ावा, तकनीकी नवाचार से बिजली बचत: मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में ऊर्जा विभाग की विस्तृत समीक्षा बैठक में प्रदेश में निरंतर और निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने, सौर ऊर्जा (Solar Energy) को बढ़ावा देने और नवीन तकनीकों के माध्यम से बिजली व्यय को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर, नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर और उपभोक्ताओं को अधिक सुविधाएं देकर हम राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाएंगे। साथ ही, ग्रामीण व शहरी विद्युतीकरण के कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाते हुए हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा करेंगे।
नक्सल प्रभावित इलाकों में विद्युतीकरण को मिली नई गति
मुख्यमंत्री श्री साय ने नियद नेल्लानार योजना के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हुए व्यापक विद्युतीकरण की सराहना की। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित सभी गाँवों को विद्युत सुविधा से जोड़ना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इससे ग्रामीणों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने और उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्युत सुविधाओं से वंचित शेष क्षेत्रों को जल्द से जल्द रोशन किया जाए।
उपभोक्ताओं को बिजली बिल भुगतान में राहत, ऑनलाइन भुगतान को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री श्री साय ने बिजली बिल के बकाया भुगतान को लेकर उपभोक्ताओं को विशेष राहत देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि बिजली बिल का समय पर भुगतान न होने से सरकार को राजस्व हानि होती है, वहीं उपभोक्ताओं को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसलिए बकाया बिल के एकमुश्त भुगतान की विशेष सुविधा दी जानी चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिले और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि उपभोक्ताओं को मोबाइल मैसेज और लिंक के माध्यम से उनके बिजली बिल की जानकारी उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे आसानी से ऑनलाइन भुगतान कर सकें।
ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को मिलेगा प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री श्री साय ने ग्रामीण और शहरी विद्युतीकरण से जुड़ी राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के उपयोग से न केवल बिजली की बचत होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता सुधारने, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस (T&D Loss) को कम करने, तथा तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों को रोकने के लिए ठोस रणनीति विकसित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री साय ने सौर ऊर्जा के उपयोग को अधिकतम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिसे घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक स्तर पर अपनाने के लिए नई योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू की जानी चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाए और अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़कर ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा जाए।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध सिंह, छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
जनता ने चुना विकास का मार्ग, हिंसा को दिखाया बाहर का रास्ता - मुख्यमंत्री श्री सायरायपुर : छत्तीसगढ़ में त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन के प्रथम चरण में लोकतंत्र ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बस्तर संभाग, जो दशकों तक नक्सलवाद के साए में रहा, अब लोकतंत्र के उजाले की ओर बढ़ रहा है। सुकमा और बीजापुर जिले के अनेक मतदान केंद्रों पर पहली बार अनेक दशकों के बाद ग्रामीण पंचायत चुनाव में मतदान कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि बस्तर में जनता ने विकास का मार्ग चुना है और हिंसा को बाहर का रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन राज्य और केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति, सतत विकास कार्यों और सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था का परिणाम है। यह केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोकतंत्र के प्रति बढ़ते विश्वास और भयमुक्त समाज की दिशा में बढ़ते कदमों का प्रमाण है।
बस्तर में पंचायत चुनावों का नक्सलियों द्वारा कोई विरोध नहीं किया जाना क्षेत्र में 40 से अधिक नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना और सरकार द्वारा ग्रामीणों में विश्वास बहाल करने की रणनीति का परिणाम है। उल्लेखनीय है कि बस्तर में नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूवर्ती में भी इस बार ग्रामीण मतदान के लिए उत्साहित हैं। यह एक ऐतिहासिक बदलाव है और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत को दर्शाता है। राज्य में मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, दंतेवाड़ा और गरियाबंद जिलों में भी मतदान को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। बीजापुर के पुसनार, गंगालूर, चेरपाल, रेड्डी, पालनार जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों ने निर्भीक होकर मतदान किया।
बस्तर में लोकतंत्र की मजबूत जड़ें, नक्सलवाद के अंत की ओर ऐतिहासिक कदम
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार बस्तर के नागरिकों को विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं से जोड़ने के लिए संकल्पित है। बस्तर में सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल और रोजगार परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे ग्रामीणों का शासन और लोकतंत्र पर विश्वास बढ़ा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर कहा कि बस्तर में गनतंत्र के ऊपर गणतंत्र की विजय हो रही है। यह उन सभी ग्रामीणों की जीत है, जिन्होंने भय को त्यागकर लोकतंत्र को अपनाया। यह सुरक्षाबलों के परिश्रम, सरकार की दूरदृष्टि और जनभागीदारी का प्रतिफल है।
लोकतंत्र की इस जीत में प्रत्येक नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी मतदान प्रक्रिया का सफल और शांतिपूर्ण आयोजन यह साबित करता है कि लोकतंत्र के प्रति आमजन की आस्था दिनों-दिन मजबूत हो रही है। लोकतंत्र की इस सफलता में हर नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण है, और राज्य के मतदाताओं ने यह दिखा दिया कि वे अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह जागरूक हैं। -
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भाजपा का कमल खिला सभी नगरीय निकायों में
कबीरधाम : जिला में भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के नेतृत्व में जिले के सभी नगरीय निकायों में भाजपा का परचम लहराया है। इस चुनाव में नगर पालिका कवर्धा, पंडरिया, नगर पंचायत पण्डतराई, बोड़ला, पिपरिया, सहसपुर लोहारा और इंदौरी में भाजपा के सभी प्रत्याशी विजय प्राप्त करने में सफल रहे। यह जीत भाजपा के लिए न केवल एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह पार्टी की मजबूत स्थिति और जनता के बीच बढ़ती लोकप्रियता का भी प्रतीक है।उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने इस शानदार जीत पर खुशी जताते हुए सभी विजयी प्रत्याशियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह जीत भाजपा के कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनता के विश्वास का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि इस जीत के बाद भाजपा और मजबूती से विकास कार्यों में अपना योगदान देती रहेगी।
यहाँ देखें विडियो :-भाजपा की कड़ी मेहनत और जनता का विश्वास
उपमुख्यमंत्री ने भाजपा के कार्यकर्ताओं को इस जीत के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि यह जीत भाजपा के समर्पण, मेहनत और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य हमेशा से जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है। इस जीत के बाद, हम और भी तेजी से विकास कार्यों में जुटेंगे।
जनता ने पार्टी के विकास कार्यों और नीतियों पर अपना विश्वास जताया
इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत से यह साफ हो गया है कि कबीरधाम जिले की जनता ने पार्टी के विकास कार्यों और नीतियों पर अपना विश्वास जताया है। भाजपा की यह ऐतिहासिक जीत न केवल पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, विजय शर्मा ने यह भी कहा कि यह जीत उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी लेकर आई है।उन्होंने आगे कहा की हमारे लिए यह केवल चुनावी जीत नहीं है, बल्कि यह जनता के विश्वास का प्रतीक है। हम हर कार्यकर्ता, नेता और जनता का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने हमें इस मुकाम तक पहुँचाया है। हम जल्द ही इस विश्वास को और भी मजबूत करेंगे।कबीरधाम जिले में भाजपा की ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि पार्टी न केवल छत्तीसगढ़ राज्य में, बल्कि जिले स्तर पर भी अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए है। आगामी समय में भाजपा को लेकर लोगों का विश्वास और भी बढ़ने की संभावना है, और यह जीत पार्टी के लिए भविष्य में और भी बड़ी सफलताओं का द्वार खोलेगी। -
Mahakumbh Road Accident : यूपी की प्रयागराज में महाकुंभ जा रहे श्रद्धालुओं की बोलेरो हादसे का शिकार हो गई। बोलेरो और बस की टक्कर में 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जबकि 19 श्रद्धालु घायल हुए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में बड़ा सड़क हादसा हुआ है। हादसे में दस श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। जबकि 19 घायल हो गए हैं। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शवों को कब्जे में ले लिया है। साथ ही घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार, मेजा में प्रयागराज-मिर्जापुर हाईवे पर शुक्रवार देर रात हुए भीषण सड़क हादसा हुआ। हादसे में 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। श्रद्धालुओं से भरी बोलेरो और बस में आमने-सामने की टक्कर हुई है। हादसे में बोलेरो सवार सभी 10 श्रद्धालुओं ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। यह सभी छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के रहने वाले थे। बोलेरो सवार सभी 10 श्रद्धालु संगम स्नान के लिए मेला क्षेत्र में आ रहे थे। हादसे में बस में सवार 19 श्रद्धालु भी जख्मी हुए हैं जो संगम स्नान के बाद वाराणसी जा रहे थे। सभी घायलों को सीएचसी रामनगर में भर्ती कराया गया है। बस में सवार सभी श्रद्धालु मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के रहने वाले हैं।
अपनी दिशा में आ रही थी बसबताया जा रहा है कि टूरिस्ट बस अपनी साइड से ही जा रही थी कि सामने से तेज गति में आ रही बोलेरो सीधे टकरा गई। बोलेरो में सवार चालक समेत 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। बस में सवार श्रद्धालु घायल रोडमल ने बताया दुर्घटना के समय बस में सवार ज्यादातर लोग सो रहे थे, अचानक भीषण टक्कर हुई। दुर्घटना के समय मैं जाग रहा था और बस के केबिन में बैठा था। बोलेरो तेज गति में आकर सामने से भिड़ गई।
हादसे में मृत श्रद्धालुओं की पहचानबोलेरो में सवार छत्तीसगढ़ कोरबा के रहने वाली ईश्वरी प्रसाद जायसवाल, संतोष सोनी, भागीरथी जायसवाल, सोमनाथ, अजय बंजारे, सौरभ कुमार सोनी, गंगा दास वर्मा, शिवा राजपूत, दीपक वर्मा, राजू साहू की मौत हो गई। सभी की मृतकों की शिनाख्त उनकी जेब में मिले आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से हो पाई। पुलिस ने मृतकों के परिजनों को घटना की जानकारी दे दी है। परिजन छत्तीसगढ़ से रवाना हो चुके हैं। बोलेरो में सवार सभी श्रद्धालु छत्तीसगढ़ से सीधे प्रयागराज महाकुंभ जा रहे थे।प्रयागराज हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि "उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मिर्जापुर हाईवे पर हुए सड़क हादसे में कई लोगों की मौत की खबर दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं। मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।" (एजेंसी) -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क ब्लॉकों की नीलामी हेतु ‘प्री-बिड कॉन्फ्रेंस’ का सफल आयोजनरायपुर : संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म, छत्तीसगढ़ द्वारा बस्तर के बैलाडीला क्षेत्र के लौह अयस्क ब्लॉकों की नीलामी को लेकर आज नवा रायपुर के न्यू सर्किट हाउस स्थित कन्वेंशन हॉल में ‘प्री-बिड कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन किया गया। इस बैठक में देशभर से आए खनन निवेशकों और बोलीदाताओं ने भाग लिया, जहां नीलामी प्रक्रिया, निवेश अवसरों, और खनिज संसाधनों पर विस्तृत चर्चा हुई। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित तीन विश्व स्तरीय लौह अयस्क ब्लॉक एवं उत्तर बस्तर कांकेर के एक ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया पर चर्चा की गई। खनिज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए और ई-नीलामी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।
खनिज विभाग के सचिव श्री पी. दयानंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज संसाधनों के मामले में अपार संभावनाओं वाला राज्य है, जो उद्योग, व्यापार, और रोजगार के क्षेत्र में व्यापक विकास का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने में छत्तीसगढ़ की भूमिका अहम होगी, क्योंकि यहां उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क के विशाल भंडार उपलब्ध हैं। उन्होंने बोलीदाताओं को छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए आश्वस्त किया कि सरकार उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि बैलाडीला क्षेत्र भारत के इस्पात उद्योग की रीढ़ है और इस क्षेत्र के विकास से स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार में व्यापक वृद्धि होगी।
जीएसआई (GSI) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्री अमित धारवड़कर ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का दूसरा सबसे समृद्ध खनिज संपन्न राज्य है। उन्होंने कहा कि बैलाडीला से दल्लीराजहरा तक फैला लौह अयस्क क्षेत्र विश्व के महत्वपूर्ण लौह अयस्क भंडारों में गिना जाता है, जो भारत के इस्पात उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म के संचालक श्री सुनील कुमार जैन ने नीलामी प्रक्रिया और लौह अयस्क ब्लॉकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2030 तक देश में स्टील उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है। संयुक्त संचालक एवं नोडल अधिकारी (ऑक्शन) श्री अनुराग दीवान ने कहा कि छत्तीसगढ़ औद्योगिक निवेश के लिए सबसे उपयुक्त राज्यों में से एक है और विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
नीलामी प्रक्रिया के तहत 27 फरवरी 2025 तक दोपहर 3 बजे तक ऑनलाइन टेंडर डॉक्युमेंट खरीदे जा सकते हैं। 28 फरवरी 2025 तक दोपहर 3 बजे तक टेंडर सबमिट करने की अंतिम तिथि है। इच्छुक बोलीदाता नवा रायपुर स्थित संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म, इंद्रावती भवन, ब्लॉक-4, द्वितीय तल पर जाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। प्री-बिड कॉन्फ्रेंस में देशभर के खनन कंपनियों, औद्योगिक समूहों और निवेशकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। छत्तीसगढ़ के बैलाडीला क्षेत्र में स्थित लौह अयस्क भंडारों की उच्च गुणवत्ता और निवेश के अनुकूल वातावरण को देखते हुए नीलामी प्रक्रिया को लेकर सकारात्मक रुझान देखने को मिला। यह आयोजन छत्तीसगढ़ को खनन और इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
संतों की उपस्थिति में राजिम कुंभ कल्प का भव्य शुभारंभरायपुर : छत्तीसगढ़ के पवित्र त्रिवेणी संगम, राजिम के तट पर आयोजित राजिम कुंभ कल्प का गत दिवस भव्य शुभारंभ हुआ। राजिम में आयोजित इस 15 दिवसीय आयोजन के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल श्री रमेन डेका मुख्य अतिथि थे। मेले के शुभारंभ पर राज्यपाल सहित साधु-संतों और अतिथियों ने भगवान राजीव लोचन की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की। इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल श्री रमेन डेका ने कहा कि महानदी, पैरी और सोंढूर के संगम पर स्थित यह पावन भूमि सदीयों से संतों और भक्तों का केंद्र रही है। राजिम कुंभ कल्प हमारी समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का जीवंत प्रतीक है, जो न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि समाज में एकता, समरसता और परंपराओं के संरक्षण का संदेश भी देता है।
राजिम का ऐतिहासिक महत्व बताते हुए राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि यह क्षेत्र भगवान राजीव लोचन मंदिर, कुलेश्वर महादेव, रामचंद्र पंचेश्वर महादेव, भूतेश्वर महादेव और सोमेश्वर महादेव जैसे प्राचीन मंदिरों का धाम है। पंचकोशी यात्रा में पटेश्वर, चंपेश्वर, ब्रह्मनेश्वर, फणीश्वर और कोपेश्वर महादेव शामिल हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का राजिम कुंभ कल्प इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह उसी समय आयोजित हो रहा है जब प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा है। प्रयागराज में जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है, वहीं राजिम में महानदी, पैरी और सोंढूर का संगम होता है। इसीलिए इसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है।
श्री डेका ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूमि सदियों से धार्मिक पर्यटन और मेलों की समृद्ध परंपरा को संजोए हुए है। महामाया मंदिर, बम्लेश्वरी माता, दंतेश्वरी माई और मदकू द्वीप जैसे तीर्थस्थल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि मेले केवल धार्मिक आयोजन नहीं होते, बल्कि समाज और समुदाय को जोड़ने का माध्यम भी होते हैं। ये परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। राज्यपाल श्री डेका ने साधु-संतों को नमन करते हुए कहा कि जहां संतों के चरण पड़ते हैं, वह भूमि स्वयं पवित्र हो जाती है। संतों का जीवन परोपकार और मानवता की सेवा के लिए समर्पित होता है। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां संतों की कृपा से जीवन का परिवर्तन संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ कल्प न केवल अध्यात्म का केंद्र है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी गति प्रदान करता है। लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आकर न केवल आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं, बल्कि इस आयोजन के माध्यम से समाज में भाईचारे और एकता का संदेश भी प्रसारित होता है। राज्यपाल ने कहा कि यह मेला प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने श्रद्धालुओं और आयोजन से जुड़े सभी लोगों से आग्रह किया कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को सहेजें और आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाएं, क्योंकि हमारी सांस्कृतिक विरासत ही हमारी असली पहचान है।
इस अवसर पर दंडी स्वामी डॉ. इंदुभवानंद जी महाराज, महंत साध्वी प्रज्ञा भारती जी महाराज, बालयोगेश्वर बालयोगी रामबालक दास जी महाराज, धर्मस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, रायपुर आयुक्त श्री महादेव कावरे, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के एमडी श्री विवेक आचार्य, गरियाबंद कलेक्टर श्री दीपक कुमार अग्रवाल, साधु-संत, गणमान्य अतिथि एवं नागरिक उपस्थित थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद ने प्रयागराज महाकुंभ में छत्तीसगढ़ पवेलियन का किया निरीक्षणरायपुर : मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद ने आज प्रयागराज महाकुंभ में छत्तीसगढ़ पवेलियन (मंडप) का दौरा किया और छत्तीसगढ़ से कुंभ स्नान हेतु जाने वाले श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की जानकारी ली। इस अवसर पर आयुक्त जनसंपर्क डॉ. रवि मित्तल और संचालक श्री अजय अग्रवाल भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद ने रायपुर के रावणभाठा से आए बच्चों, आर्यन और टकेश्वर से मुलाकात की और महाकुंभ में उनके अनुभवों के बारे में जाना। बच्चों ने भोजन और नाश्ते की गुणवत्ता की प्रशंसा की। उन्होंने कांकेर से आए श्रद्धालुओं से भी चर्चा की, जिन्होंने सुविधाओं को उत्तम बताते हुए मुख्यमंत्री की इस पहल की सराहना की।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय 13 फरवरी (गुरुवार) को महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे। इस दौरान राज्य के मंत्रीगण एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी उनके साथ रहेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद छत्तीसगढ़ पवेलियन पहुंचकर छत्तीसगढ़ से आए श्रद्धालुओं से संवाद करेंगे और वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे।
*छत्तीसगढ़ पवेलियन: श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं*मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर प्रयागराज महाकुंभ में छत्तीसगढ़ पवेलियन (मंडप) तैयार किया गया है। इस पहल का उद्देश्य श्रद्धालुओं को एक सुव्यवस्थित, सुरक्षित और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करना है, जिससे वे धार्मिक यात्रा को आत्मिक शांति और भक्ति भाव के साथ पूरा कर सकें। यहां राज्य से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग ठहरने की सुविधा उपलब्ध है।

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