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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने दृष्टिबाधित बच्चों के जीवन को सरल और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक नया कदम उठाते हुए ’एनी डिवाइस’ नामक विशेष उपकरण प्रदान किया है। यह डिवाइस बच्चों को ब्रेल लिपि को सीखने और पढ़ने में मददगार है। जिला प्रशासन द्वारा संचालित आवासीय विद्यालय ’सक्षम’ के दृष्टिबाधित बच्चों को यह डिवाईस दिया गया है। ’एनी डिवाइस’ एक स्मार्ट लर्निंग टूल है, जो बच्चों को ब्रेल अक्षरों को पहचानने और लिखने में मदद करता है। यह डिवाइस टच और ऑडियो फीचर्स से लैस है। बच्चे अपनी उंगलियों से डिवाइस पर ब्रेल अक्षरों को छूते हैं, और डिवाइस तुरंत ऑडियो में अक्षर का नाम और उसकी ध्वनि सुनाता है। इसमें इंटरएक्टिव गेम्स और क्विज भी शामिल हैं, जो बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाता है।
दंतेवाड़ा जिले के ’सक्षम’ विद्यालय में 16 दृष्टिबाधित बालिकाएं और 12 बालक पढ़ाई कर रहे हैं। इस नई डिवाइस के आने से न केवल उनकी पढ़ाई आसान हुई है, बल्कि आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है। शिक्षक श्री अमित यादव ने बताया कि ब्रेल लिपि पढ़ाने का अनुभव पहले भी था, लेकिन ’एनी डिवाइस’ ने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य डिजिटल सुविधाओं का अनुभव दिया है। ’एनी डिवाइस’ से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा है। यह उपकरण बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें गेम, गानों और अन्य गतिविधियों से भी जोड़ता है। डिवाइस वॉइस असिस्टेंस जैसी तकनीक से लैस है। दंतेवाड़ा प्रशासन का यह प्रयास दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा और तकनीक का समावेश करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 2013 में ’सक्षम’ विद्यालय की स्थापना से लेकर ’एनी डिवाइस’ के उपयोग तक, यह पहल दृष्टिबाधित बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह शिक्षा में समावेशिता और तकनीकी विकास का प्रतीक बनकर समाज के उन वर्गों के उत्थान है, जिन्हें विशेष सहयोग की आवश्यकता है। -
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रायपुर : गरियाबंद जिले की जनजातीय महिलाओं के जीवन में महतारी वंदन योजना ने नई उम्मीदें जगाई हैं। यह योजना न केवल आर्थिक मदद कर रही है, बल्कि परंपरागत बांसशिल्प कला को सशक्त करने और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कुरूद गांव की कंडरा जनजाति की श्रीमती श्यामा बाई इस योजना की सफलता की मिसाल बन चुकी हैं।
कभी मजदूरी कर मुश्किल से गुजारा करने वाली श्यामा बाई ने योजना से मिलने वाली आर्थिक सहायता का उपयोग अपने पारंपरिक बांसशिल्प व्यवसाय को बढ़ाने में किया। अब उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है, और उनकी मासिक आय 8,000 रुपए तक पहुंच चुकी है। श्रीमती श्यामा बाई ने बताया कि महतारी वंदन योजना से मिलने वाली प्रतिमाह 1,000 रुपए की राशि उनके व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है। इससे वह बांस जैसी कच्ची सामग्री समय पर खरीद पाती हैं, जिससे उनका काम तेजी से बढ़ा है।पहले उन्हें पैसे की कमी के कारण कम मात्रा में उत्पाद तैयार करने पड़ते थे, लेकिन अब वह टोकरी, बर्तन और सजावटी सामान के साथ-साथ छोटे उत्पाद जैसे सूपा, चुरकी और टोकनी भी बना पा रही हैं। उनके पति भी इस कार्य में सहयोग करते हैं। साथ मिलकर वे अपने उत्पादों को बिचौलियों के माध्यम से गांवों में बेचते हैं। शादी-विवाह के सीजन में बाजारों में दुकान लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं। इस मदद और मेहनत ने उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी है।
महतारी वंदन योजना के अंतर्गत मिल रही आर्थिक सहायता ने श्यामा बाई और उनके परिवार को आत्मनिर्भर बनाया है। अब उन्हें दूसरों से ऋण लेने की जरूरत नहीं पड़ती, और वह अपने व्यवसाय को कुशलता से चला रही हैं। उनकी सफलता से अन्य जनजातीय परिवार भी प्रेरित हो रहे हैं और बांसशिल्प जैसे परंपरागत व्यवसायों को नए सिरे से अपनाने की ओर अग्रसर हैं। गरियाबंद जिले में महतारी वंदन योजना जैसे प्रयासों ने यह साबित किया है कि यदि योजनाएं सही तरीके से लागू की जाएं, तो इससे न केवल आर्थिक विकास संभव है, बल्कि पारंपरिक कौशल को भी सहेजा जा सकता है।श्रीमती श्यामा बाई आज आत्मनिर्भरता और परिश्रम की एक मिसाल हैं। उनके प्रयास यह से यह प्रमाणित हुआ है कि कैसे सरकारी योजनाएं जनजातीय समुदायों को प्रगति की मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रही हैं। श्रीमती श्यामा बाई का कहना है कि महतारी वंदन योजना ने हमें आर्थिक मजबूती और आत्मविश्वास दिया है। अब हम अपने कौशल से अपने बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकते हैं। उनकी यह सफलता अन्य महिलाओं के लिए अनुकरणीय है। -
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रायपुर : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव विकासखंड में स्थित प्रसिद्ध सांकरदाहरा, आज न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है, बल्कि इसे छत्तीसगढ़ का दूसरा राजिम भी कहा जाने लगा है। शिवनाथ, डालाकस और कुर्रूनाला नदियों के संगम पर स्थित यह स्थान, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
सांकरदाहरा में शिवनाथ नदी के संगम के साथ डालाकस और कुर्रू नाला नदियां मिलती हैं। यहां नदी तीन धाराओं में बंट जाती है और फिर सांकरदाहरा के नीचे आपस में मिलती हैं। इस संगम पर स्थित मंदिर और नदी तट पर बनी भगवान शंकर की 32 फीट ऊंची विशालकाय मूर्ति हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर का रमणीय दृश्य और नौका विहार की सुविधा इस स्थल को और भी खास बनाती है।
सांकरदाहरा में हर वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय भव्य मेला लगता है। यहां न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों की अस्थि विसर्जन, मुण्डन और पिंडदान के लिए आते हैं। सांकरदाहरा के मंदिर परिसर में अनेक देवी-देवताओं के मंदिर हैं। नदी के बीचों-बीच शिवलिंग की स्थापना सांकरदाहरा विकास समिति द्वारा की गई है। इसके अलावा सातबहिनी महामाया देवी, अन्नपूर्णा देवी, संकट मोचन भगवान, मां भक्त कर्मा, मां शाकंभरी देवी, राधाकृष्ण, भगवान बुद्ध, दुर्गा माता और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था के केंद्र हैं। इन मंदिरों को ग्राम देवरी के ग्रामीणों के सहयोग से स्थापित किया गया है।
सांकरदाहरा के नामकरण के पीछे कई लोक कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि नदी के मध्य स्थित गुफा में शतबहनी देवी का निवास है। यह गुफा दो चट्टानों के बीच स्थित दाहरा (गहरा जलभराव) में है। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में लोहे के सांकर (लोहे का सामान) का बार-बार अदृश्य होना और चट्टान के पास पुनः प्रकट होना, इस स्थान के नामकरण का आधार बना।
यह स्थान कई अद्भुत घटनाओं का भी साक्षी है। वर्ष 1950 की एक घटना आज भी जनमानस के बीच प्रचलित है। कहा जाता है कि बरसात के मौसम में लकड़ी इकट्ठा करने गई एक गर्भवती महिला बाढ़ में फंस गई। उसे शतबहनी देवी का स्मरण करने का सुझाव दिया गया, और देवी की कृपा से वह सुरक्षित बच निकली। उस महिला ने बाद में एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम संकरु रखा गया। इस घटना ने इस स्थान की आध्यात्मिक महिमा को और भी बढ़ा दिया।
शासन द्वारा सांकरदाहरा में विकास कार्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यहां धार्मिक आयोजन के लिए दो बड़े भवनों का निर्माण किया गया है। यहां एनीकट के निर्माण से हमेशा जलभराव रहता है, जिससे मुण्डन और पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सुविधाएं बेहतर हुई हैं। पूजन सामग्री और अन्य दुकानों के संचालन से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
सांकरदाहरा न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि आसपास के राज्यों के लोगों के लिए भी एक प्रमुख आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल बन चुका है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और लोक कथाएं इसे अद्वितीय बनाती हैं। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने का माध्यम भी है। -
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कृषक उन्नति योजनारायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए संचालित कृषक उन्नति योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि और खुशहाली की नई मिसाल कायम की है। इस योजना के माध्यम से किसानों को न केवल उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल रहा है, बल्कि उनकी जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम रवेली के किसान श्री अगनुराम साहू इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
श्री अगनुराम साहू के पास 15 एकड़ जमीन है, जहां वे धान और अन्य फसलों की खेती करते हैं। इस वर्ष कृषक उन्नति योजना के तहत उन्हें 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान का मूल्य मिलने पर उन्हें 2 लाख 40 हजार रूपए का लाभ हुआ। इसके अलावा, उन्हें बकाया धान का बोनस के रूप में 60 हजार रूपए प्राप्त हुए। इस राशि ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, बल्कि उनके भविष्य की योजनाओं को भी साकार करने में मदद मिली है।
श्री साहू ने बताया कि वे खेती में आधुनिक तकनीकों और नवीनतम यंत्रों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने धान की बिक्री से मिली राशि से ट्रैक्टर खरीदा है और अब वे उसकी किस्त चुकाने के साथ ही अपने खेत में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगाने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, वे अपने सपने का पक्का मकान बनाने की तैयारी भी कर रहे हैं। श्री साहू को न केवल कृषक उन्नति योजना का लाभ मिला है, बल्कि अन्य सरकारी योजनाओं से भी उनकी जिंदगी बेहतर हो रही है।पर्रीनाला एनीकट के माध्यम से सिंचाई के लिए मोटर पंप पर उन्हें 11 हजार रूपए का अनुदान मिला है। घर में नल-जल योजना से स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध हुई है। उनकी बहू को महतारी वंदन योजना का लाभ मिला है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति और बेहतर हुई है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कृषक उन्नति योजना ने हम किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त किया है। अब हमारे पास न केवल खेती के लिए बेहतर संसाधन हैं, बल्कि हमारी जीवनशैली में भी सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि शासन की योजनाएं उनके जैसे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं।कृषक उन्नति योजना के कारण श्री अगनुराम साहू जैसे किसान अब न केवल अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि अपने परिवार का बेहतर भविष्य गढ़ रहे है। श्री साहू जैसे किसान आज छत्तीसगढ़ की कृषि प्रगति की मिसाल बन गए हैं, और उनकी सफलता अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रही है। कृषक उन्नति योजना ने यह साबित कर दिया है, कि योजनाबद्ध तरीके से किसानों का सशक्तिकरण किया जाए, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी जा सकती है। -
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रायपुर : मुंगेली जिले के शुक्लाभाठा-विचारपुर गांव की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई मिसाल पेश की है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मंशानुरूप महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सखी सहेली स्व-सहायता समूह के प्रयासों में साफ झलकता है।
समूह की महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सेतगंगा ग्रामीण बैंक से छह लाख रुपए का ऋण लेकर मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया। इस व्यवसाय से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा बाई गबेल ने बताया कि पहले महिलाएं केवल खेती-बाड़ी पर निर्भर थीं। कम आमदनी के कारण घर की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं। समूह से जुड़ने और शासन की चक्रीय निधि के तहत 15,000 रुपए का रिवॉल्विंग फंड मिलने के बाद उन्होंने बैंक से ऋण लेकर मछली पालन व्यवसाय शुरू किया। धीरे-धीरे व्यवसाय को विस्तार देते हुए अब वे आर्थिक रूप से मजबूत हो गई हैं।
समूह की महिलाओं की इस सफलता ने न केवल उनकी जीवनशैली में सुधार किया है, बल्कि वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। समूह की अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सफलता शासन की योजनाओं और उनके सही क्रियान्वयन का परिणाम है। सखी सहेली समूह की यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने जीवन को बदलने की दिशा में प्रयासरत हैं। -
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लोगों को आवागमन में मिलेगी बड़ी राहतरायपुर : छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सनावल क्षेत्र को झारखंड से जोड़ने के लिए कन्हर नदी पर बन रहा उच्च स्तरीय पुल स्थानीय लोगों के आवागमन को आसान करेगा। लगभग 15.20 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे इस पुल का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। पुल के शुरू हो जाने से क्षेत्र के लगभग 20 गांवों की 40 हजार से अधिक आबादी को बारहों महीने निर्बाध आवागमन की सुविधा मिलेगी।
सनावल क्षेत्र के लोग रोजमर्रा की खरीदारी और इलाज के लिए झारखंड के गढ़वा, नगर उटारी और धुरकी शहरों पर निर्भर हैं। अभी इन शहरों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। पुल बनने के बाद यह दूरी आधी हो जाएगी। धौली से गढ़वा की वर्तमान दूरी 100 किलोमीटर से घटकर 55 किलोमीटर रह जाएगी। धौली से नगर उटारी की वर्तमान 70 किलोमीटर की दूरी घटकर 35 किलोमीटर हो जाएगी।
पुल के निर्माण से वाड्रफनगर और रामचंद्रपुर तहसील के गांव सीधे झारखंड से जुड़ जाएंगे। इससे न केवल व्यापारिक-व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी, बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच आवागमन भी सुगम होगा। लोक निर्माण विभाग द्वारा रामचंद्रपुर विकासखंड के धौली और झारखंड के बालचौरा के बीच इस पुल का निर्माण किया जा रहा है। 312 मीटर लंबाई और 8.4 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल का 50 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। अभी तक 12 पियर और दो अबटमेंट में से पांच पियर और एक अबटमेंट का काम पूर्ण हो गया है। शेष कार्य तेजी से पूर्णतः की ओर है, इसे जून 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
पुल के निर्माण से सनावल क्षेत्र के धौली, कामेश्वरनगर, झारा, कुशफर, सेमरवा, इंद्रावतीपुर, बरवाही, दोलंगी, ओरंगा, रेवतीपुर, सुंदरपुर, सुरंगपान, कुण्डपान, पिपरपान, डुगरु, पचावल, त्रिशूली, सिलाजू, उचरवा, आनंदपुर जैसे 20 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा। इसके अलावा, झारखंड के गढ़वा, नगर उटारी और धुरकी आने-जाने वाले यात्रियों को भी सुविधा होगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री श्री अरुण साव ने अधिकारियों को पुल निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और समय-सीमा के भीतर इसे पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यह पुल न केवल क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाएगा, बल्कि यह झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच व्यापारिक और सामाजिक रिश्तों को भी मजबूत करेगा। -
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दो फसली खेती और सब्जी उत्पादन से आत्मनिर्भरता की ओररायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे पर मिली भूमि से महासमुंद जिले के ग्राम बैहाडीह निवासी श्री शोभितराम बरिहा के जीवन में बदलाव दिखाई देने लगा है। बिंझवार जाति से ताल्लुक रखने वाले श्री बरिहा वर्षों तक अपने कब्जे की जमीन पर खेती करते रहे, लेकिन वर्षा पर निर्भरता और संसाधनों की कमी के चलते बेहतर फसल उत्पादन न कर पाना और अपनी मेहनत से उपजायी फसल को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर थे। उनकी सालाना आय मुश्किल से 25-30 हजार रुपये तक सीमित थी।
लेकिन वन अधिकार अधिनियम के तहत काबिज भूमि का पट्टा मिलने के बाद उनकी जिंदगी ने नई दिशा ली। पट्टा मिलने के बाद शोभितराम ने जमीन का शासन की मनरेगा योजना के तहत सुधार और समतलीकरण हुआ, जिससे उनकी खेती अधिक उत्पादक हो गई। अब वे अपनी उपज को सरकारी धान उपार्जन केंद्रों समर्थन मूल्य पर बेचने के साथ ही शासन की ओर से मिलने वाली आदान सहायता का लाभ भी पाने लगे हैं। उनकी वार्षिक आय अब 60-70 हजार रुपये तक पहुंच गई है, जो पहले की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।
वन अधिकार पट्टा ने शोभितराम को आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने का रास्ता दिखाया। ट्यूबवेल लगाकर उन्होंने सिंचाई की सुविधा सृजित की, जिससे अब वे साल में दोहरी फसल उपजा पा रहे हैं। ग्रीष्मकाल में गेहूं, सूरजमुखी और सब्जियों की खेती ने उनकी आय को और बढ़ा दिया। आर्थिक स्थिति सुधरने से उन्होंने अपने परिवार के लिए एक पक्का मकान बनवाया। इतना ही नहीं, उन्होंने एक नया ट्रैक्टर भी खरीदा, जो उनके कृषि कार्यों में सहायक होने के साथ-साथ किराये पर देकर आय का अतिरिक्त स्रोत बन गया है। वन अधिकार पट्टा मिलने से जीवन में आयी निश्चितता और स्थिरता ने न केवल शोभितराम की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया। उनके परिवार में अब खुशहाली है और वे अपने भविष्य को लेकर अधिक आशावान हैं।
शोभितराम कहते हैं, वन अधिकार पट्टा मिलने के बाद मैंने अपनी जमीन पर पूरी तरह से मेहनत की। सरकार की योजनाओं और तकनीकी मदद से अब मुझे खेती से अच्छी आय हो रही है। इससे मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने और अपने परिवार का जीवन बेहतर बनाने में सक्षम हुआ हूं। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल ग्रामीण समुदाय के जीवन में स्थिरता, आर्थिक सुधार और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार बन रही है। -
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दो फसली खेती और सब्जी उत्पादन से आत्मनिर्भरता की ओररायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे पर मिली भूमि से महासमुंद जिले के ग्राम बैहाडीह निवासी श्री शोभितराम बरिहा के जीवन में बदलाव दिखाई देने लगा है। बिंझवार जाति से ताल्लुक रखने वाले श्री बरिहा वर्षों तक अपने कब्जे की जमीन पर खेती करते रहे, लेकिन वर्षा पर निर्भरता और संसाधनों की कमी के चलते बेहतर फसल उत्पादन न कर पाना और अपनी मेहनत से उपजायी फसल को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर थे। उनकी सालाना आय मुश्किल से 25-30 हजार रुपये तक सीमित थी।
लेकिन वन अधिकार अधिनियम के तहत काबिज भूमि का पट्टा मिलने के बाद उनकी जिंदगी ने नई दिशा ली। पट्टा मिलने के बाद शोभितराम ने जमीन का शासन की मनरेगा योजना के तहत सुधार और समतलीकरण हुआ, जिससे उनकी खेती अधिक उत्पादक हो गई। अब वे अपनी उपज को सरकारी धान उपार्जन केंद्रों समर्थन मूल्य पर बेचने के साथ ही शासन की ओर से मिलने वाली आदान सहायता का लाभ भी पाने लगे हैं। उनकी वार्षिक आय अब 60-70 हजार रुपये तक पहुंच गई है, जो पहले की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।
वन अधिकार पट्टा ने शोभितराम को आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने का रास्ता दिखाया। ट्यूबवेल लगाकर उन्होंने सिंचाई की सुविधा सृजित की, जिससे अब वे साल में दोहरी फसल उपजा पा रहे हैं। ग्रीष्मकाल में गेहूं, सूरजमुखी और सब्जियों की खेती ने उनकी आय को और बढ़ा दिया। आर्थिक स्थिति सुधरने से उन्होंने अपने परिवार के लिए एक पक्का मकान बनवाया। इतना ही नहीं, उन्होंने एक नया ट्रैक्टर भी खरीदा, जो उनके कृषि कार्यों में सहायक होने के साथ-साथ किराये पर देकर आय का अतिरिक्त स्रोत बन गया है। वन अधिकार पट्टा मिलने से जीवन में आयी निश्चितता और स्थिरता ने न केवल शोभितराम की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया। उनके परिवार में अब खुशहाली है और वे अपने भविष्य को लेकर अधिक आशावान हैं।
शोभितराम कहते हैं, वन अधिकार पट्टा मिलने के बाद मैंने अपनी जमीन पर पूरी तरह से मेहनत की। सरकार की योजनाओं और तकनीकी मदद से अब मुझे खेती से अच्छी आय हो रही है। इससे मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने और अपने परिवार का जीवन बेहतर बनाने में सक्षम हुआ हूं। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल ग्रामीण समुदाय के जीवन में स्थिरता, आर्थिक सुधार और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार बन रही है। -
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वन विभाग की बड़ी कार्रवाई: 43 किलो स्केल्स बरामदरायपुर : छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने एक बार फिर से वन्यजीव तस्करों के खिलाफ बड़ी सफलता हालिस की है। वनमंडल बस्तर, राज्यस्तरीय वन उड़नदस्ता रायपुर और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की संयुक्त टीम ने एक बड़ी कार्रवाई में 43 किलो पेंगोलिन स्केल्स (साल खपरी का छाल) जब्त किए हैं। वन्य तस्करों की धरपकड़ का यह अभियान वन मंत्री श्री केदार कश्यप और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री श्रीनिवास राव के मार्गदर्शन में संचालित किया गया।
गुप्त सूचना के आधार पर 7 जनवरी को किए गए छापों में तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से पहला आरोपी, जेम्स मैथ्यू, जगदलपुर रेंज के ग्राम तेली मारेंगा का निवासी है, जिसके घर से 32 किलोग्राम पेंगोलिन स्केल्स बरामद किए गए। प्रारंभिक जांच में पता चला कि आरोपी ने लॉकडाउन के दौरान बीजापुर के अंदरूनी इलाकों से इन स्केल्स को एकत्र किया था और खरीदार की तलाश में था। दूसरी कार्रवाई चित्रकोट रेंज के मारडूम-बारसूर मार्ग पर हुई, जहां चुन्नीलाल बघेल और राजकुमार कुशवाहा को 11 किलो पेंगोलिन स्केल्स के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया। हालांकि, इनके दो साथी जंगल का सहारा लेकर भागने में कामयाब रहे। फरार आरोपियों की तलाश जारी है। तस्करी में इस्तेमाल की गई एक मोटरसाइकिल भी बरामद की गई है। गिरफ्तार आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत कर कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उक्त कार्यवाही में उप वनमण्डलाधिकारी जगदलपुर श्री देवलाल दुग्गा, उप वनमण्डलाधिकारी चित्रकोट श्री योगेश कुमार रात्रे, वन परिक्षेत्र अधिकारी चित्रकोट श्री प्रकाश ठाकुर, वन परिक्षेत्र अधिकारी जगदलपुर श्री देवेन्द्र वर्मा, परिक्षेत्र अधिकारी कोलेंग श्री बुधराम साहू, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी चित्रकोट श्री बुधरू राम कश्यप, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी जगदलपुर (ग्रामीण) श्री लल्लन जी तिवारी, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी जगदलपुर (शहर) श्री श्रीधर नाथ स्नेही, परिसर रक्षक श्री चौतन सिंह कश्यप, कु. शारदा मण्डावी, श्री शंकर सिंह बघेल, श्री गोपाल नाग, श्री राम सिंह बघेल, श्री कैलाश नागेश, कु. कविता ठाकुर, श्रीमती कुन्ती कश्यप, श्रीमती जया नेताम, श्रीमती सोनमती, श्रीमती चंद्रीका राणा, श्रीमती दीपा पटेल, श्री उमर देव कोर्राम, श्री कमल ठाकुर आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। -
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रायपुर : भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के निर्देशानुसार प्रतिवर्ष 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस‘ सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाएगा। इस संबंध में आज छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर द्वारा परिपत्र जारी कर दी गई है। जारी परिपत्र के अनुसार 25 जनवरी 2025 को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस‘ के अवसर पर सभी शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों एवं शिक्षण संस्थानों में पूर्वान्ह 11ः00 बजे शपथ लेने की कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही सभी शासकीय व सार्वजनिक उपक्रम कार्यालय एवं शिक्षण संस्थानों में भारत निर्वाचन आयोग के लोगो, जो मतदान के महत्व की पुष्टि करता है का उपयोग आधिकारिक वेबसाइटों में भी किया जाएगा। जारी पत्र के अनुसार उक्त सभी गतिविधियों के फोटोग्राफ्स भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उपलब्ध करायी गई शासकीय सोशल मीडिया हैंडल पर अपलोड किए जाने का भी निर्देश दिया गया है। -
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नियद नेल्लानार, पीएम जनमन एवं धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान के लक्ष्यों को समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देशप्रमुख सचिव श्री बोरा ने की विभागीय काम-काज की समीक्षारायपुर : आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सानमणि बोरा ने विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर काम-काज की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आश्रम-छात्रावासों में साफ-सफाई के लिए ‘स्वच्छ परिसर स्वच्छ जीवन’ अभियान चलाया जाए। श्री बोरा ने सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नियद नेल्लानार, पीएम जनमन एवं धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान के लक्ष्यों को समय-सीमा में पूरा कर करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के तहत पात्र हितग्राही योजना का लाभ लेने से वंचित न रहे इसका भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। बैठक नवा रायपुर स्थित आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। समीक्षा बैठक में आयुक्त श्री पी.एस.एल्मा, अपर संचालक श्री संजय गौड़ सहित सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने कहा कि छात्रावास आश्रमों में प्राप्त सामग्री के उपयोग से पूर्व निर्माण एवं क्रय समिति से अनुमोदन के साथ ही सामग्री का भौतिक सत्यापन भी कराया जाए। उन्होंने सहायक आयुक्तों को अनुदान प्राप्त शासकीय संस्थाओं की हर चार माह में बैठक लेने के भी निर्देश दिए। इसके अलावा न्यायालयीन प्रकरणों की अद्यतन स्थिति की भी समीक्षा की और लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करने के संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने छात्रावास-आश्रमों की साफ-सफाई के संबंध में ष्स्वच्छ परिसर स्वच्छ जीवनष् अभियान चलाने के निर्देश भी दिए। इस अभियान के अंतर्गत छात्रावास-आश्रमों में स्वच्छ शौचालय, स्वच्छ रसोई घर, बच्चों की क्लासरूम एवं शयन कक्ष में साफ सफाई, परिसर में साफ सफाई, किचन गार्डन एवं परिसर में डी.डी.टी. का छिड़काव इत्यादि व्यवस्थाएं किया जाना है। इसके अलावा बच्चों को टीकाकरण, सिकलसेल जांच, मलेरिया जांच, एनीमिया जांच एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए।
उन्होंने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 हेतु भर्ती की प्रक्रिया को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में प्रवेश बढ़ाने के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। पीवीटीजी समुदाय का कोई भी बच्चा शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं रहना चाहिए, इसका पूर्ण ध्यान रखा जाए। उन्होंने निर्माण कार्यों में पूर्ण गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए और सहायक आयुक्त एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को नियमित रूप से निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच करने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव श्री बोरा द्वारा टीआरटीआई परिसर में निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का भी निरीक्षण किया गया उन्होंने कार्य की अपेक्षित प्रगति ना होने पर निर्माण एंजेसी के अधिकारियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कार्य को पूर्ण गुणवत्ता सहित समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। -
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वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने पुसौर विकासखण्ड में विभिन्न विकास कार्यों का किया लोकार्पणरायपुर : वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने आज रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड अंतर्गत बाघाडोला, नवापारा-अ एवं छपोरा में 70 लाख रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी सरकार गांव, गरीब, किसानों सहित सभी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। ग्रामीण अंचलों में जनसुविधाओं के विस्तार हेतु लगातार कार्य किया जा रहा है। अधोसंरचना विकास के कार्य तेजी से आगे बढ़ाएं जा रहे है। वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने कहा कि सरकार गठन के उपरांत 18 लाख आवास निर्माण को स्वीकृति दी गई।इन आवासों का निर्माण पूरी तेजी से करवाया जा रहा है। पीएम आवास योजना से गरीबों के पक्के मकान का सपना पूरा हो रहा है। महतारी वंदन योजना से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। उन्हें प्रतिमाह एक-एक हजार रूपये राशि उनके खाते में भेजी जा रही है। जिससे महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि अपने घर-परिवार में भी निर्णय लेने में बराबरी का हक महसूस कर रही हैं। इसके साथ ही विभिन्न जनहितैषी योजनाओं के माध्यम से किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए कृषक उन्नति योजना के माध्यम से दो साल का बोनस दिया गया। इसी तरह किसानों से 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल के मान से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदा जा रहा है। रामलला दर्शन योजना के माध्यम से बुजुर्गाे को अयोध्या धाम के दर्शन कराए जा रहे है।
वित्त मंत्री श्री चौधरी ने अधिकारियों से कहा कि सभी निर्माण कार्य पूरी गुणवत्ता के साथ किए जाए। इसमें समय-सीमा का भी विशेष ध्यान रखें। हमारा उद्देश्य लोगों को जनोपयोगी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसके लिए सभी अपने दायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन करें। वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने पुसौर विकासखण्ड के बाघाडोला, नावापारा-अ एवं छपोरा में 70 लाख रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण किया। इनमें बाघाडोला में 25 लाख 40 हजार रुपये की लागत से 3 सीसी रोड निर्माण, 1 लाख 50 हजार रुपये की लागत से दर्री तालाब में पचरी निर्माण, 10 लाख रुपये की लागत से सामुदायिक भवन के पास शेड निर्माण शामिल है। इसी तरह नावापारा-अ में 10 लाख रुपये की लागत से सीसी रोड निर्माण तथा छपोरा में 12 लाख 90 हजार रुपये की लागत से आंगनबाड़ी भवन निर्माण तथा 10 लाख 35 हजार रुपये की लागत से मुक्तिधाम सह प्रतिक्षालय निर्माण शामिल है। -
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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने दी अकादमियों की मंजूरीरायपुर में टेनिस अकादमी और राजनांदगांव में हॉकी अकादमी होगी शुरूरायपुर : छत्तीसगढ़ में खेल अधोसंरचनाओं को तेजी से विकसित किया जा रहा है। नए साल में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने खेल प्रेमियों और खिलाड़ियों को बड़ी सौगात दी हैं। उन्होंने राजधानी रायपुर में टेनिस अकादमी और राजनांदगांव में हॉकी अकादमी का प्रारंभ करने के लिए मंजूरी दी है। इन दो नई अकादमी के प्रारंभ होने से यहां के खिलाड़ी टेनिस और हॉकी के क्षेत्र में देश में छत्तीसगढ़ की नई पहचान बना सकेंगे। टेनिस और हॉकी अकादमियों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक खेल सुविधाओं के साथ ही उत्कृष्ट कोच भी उपलब्ध होंगे।जहां खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिलेगा, वहीं हॉकी और टेनिस के खिलाड़ियों को अपने हुनर को संवारने और निखारने में मदद मिलेगी। इन खेल अकादमियों की स्थापना से राज्य में खेलों के विकास के लिए एक नया वातावरण बनेगा। छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश और देश का नाम रौशन कर सकेंगे। गौरतलब है कि वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने रायपुर में स्थापित होने वाले टेनिस अकादमी के लिए 13 नए पदों तथा राजनांदगांव की हॉकी अकादमी के लिए 14 नए पदों के सृजन की स्वीकृति दी हैं। -
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जिला चिकित्सालय के बिस्तरों की क्षमता बढ़कर हो जाएगी 650वर्तमान अस्पताल भवन के विकास कार्यों के लिए भी मिली स्वीकृतिरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर कोरबा मेडिकल अस्पताल में 200 बेड की क्षमता के नया भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के क्रम में वाणिज्य उद्योग और श्रम मंत्री श्री लखन लाल देवांगन का प्रयास रंग लाया है। मेडिकल अस्पताल कोरबा में अब 200 बेड क्षमता के नये भवन के निर्माण के लिए कुल 43.70 करोड़ की राशि की स्वीकृति मिली है। इस भवन के बन जाने से मेडिकल चिकित्सालय में बिस्तरों की क्षमता बढ़कर 650 हो जाएगी। इसके अलावा वर्तमान अस्पताल भवन के अन्य विकास कार्यों के लिए भी राशि की स्वीकृति मिली है।गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज कोरबा के लिए जब जिला अस्पताल का अधिग्रहण कर संबद्ध किया गया था तब अस्पताल में 100 बिस्तरों की सुविधा थी। प्रबंधन ने एनएमसी की गाइड लाइन के तहत बिस्तरों की क्षमता 300 तक बढ़ाई गई थी। इसके लिए अस्पताल के पुराने भवन, कैजुअल्टी भवन और ट्रामा सेंटर में अतिरिक्त बिस्तर लगाए गए थे। लंबे समय से अस्पताल परिसर में 200 बेड के बिस्तरों के अस्पताल भवन के निर्माण की मांग की जा रही थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसके लिए मांग पत्र भी भेजा गया था। मरीजों की बढ़ती संख्या और हो रही परेशानियों को संज्ञान में लेकर उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने बजट में इसकी स्वीकृति के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा था। मंत्री श्री देवांगन के प्रयासों से 200 बिस्तर क्षमता वाले अस्पताल भवन के निर्माण और अन्य सुविधाओं के लिए कुल 43 करोड़ 70 लाख की स्वीकृति राज्य शासन द्वारा दी गई।
क्रिटिकल केयर यूनिट में होंगे 50 बिस्तरगंभीर मरीज के इलाज के लिए जिला चिकित्सालय परिसर में 50 बिस्तर का क्रिटिकल केयर यूनिट का भी निर्माण होगा। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इसके अलावा 100 बिस्तर क्षमता सीएसआर मद से 3.5 करोड़ की लागत से भी निर्माण होगा। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल को इसके लिए क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया है। वही एसईसीएल के माध्यम से परिजनों के रुकने के लिए 60 बिस्तर का रैन बसेरा का निर्माण होगा।
ऑर्थाेपेडिक विभाग में प्रारम्भ होंगे दो ओटी रूममेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑर्थाेपेडिक डिपार्मेंट का बहुत जल्द विस्तार होने वाले है। मंत्री श्री देवांगन के निर्देश पर ट्रामा सेंटर बिल्डिंग के दूसरे तल में दो ऑपरेशन थिएटर कक्ष में जल्द ही उपकरण इंस्टॉलेशन होंगे। इसके पश्चात दोनों ऑपरेशन थिएटर में एक साथ ऑपरेशन हो सकेंगे। वर्तमान में पुराने भवन में ही एकमात्र ऑपरेशन थिएटर पर लोड ज्यादा है।
अस्पताल के सभी डिपार्टमेंट होंगे सर्व सुविधा युक्त -मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के हर डिपार्टमेंट को सर्व सुविधा युक्त करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। बिस्तरों की क्षमता बढ़ाने के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों के आने से जिलेवासियों को बेहतर सुविधा मिलेगी। जिलेवासियों ने 43 करोड़ की स्वीकृति के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का बहुत-बहुत आभार प्रकट किया है। -
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दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्तीरायपुर : कहते हैं भगवान ने आंखों को रोशनी न दी तो क्या, ज्ञान का प्रकाश ही काफी है, जीवन में उजाले के लिए। कुछ इसी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद बच्चों के बीच शिक्षा का दीप जला कर समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं प्रधान पाठक जसवंत कुमार आदिले और उनके सहयोगी। छत्तीसगढ़ सर्व दिव्यांग कल्याण संघ के सहयोग से दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। यह विद्यालय आंखों की रोशनी न रखने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती के संस्थापक श्री जसवंत कुमार आदिले ने बताया छ.ग. सर्व दिव्यांग कल्याण संघ की मदद से 2017 से दृष्टिबाधित विशेष विद्यालय का संचालन सक्ती में कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सर्व दिव्यांग कल्याण संघ के सहयोग से दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती में वर्तमान में कक्षा एक से 10 वीं तक 60 छात्र एवं छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिन्हें ब्रेल लिपि के सामान्य शिक्षा के अलावा दृष्टि बाधित बच्चों को चलने-फिरने, घरेलू कार्याे की जानकारी, पहचानने की विधि, उनके पुनर्वास और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जाते हैं।सक्ती के कसेरपारा वार्ड क्रमांक 01 के सामुदायिक भवन पर विद्यालय संचालित है। इस संस्था में झारखण्ड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ के सभी जिले से दृष्टि बाधित बच्चे यहां शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। दृष्टि बाधित बच्चों को भगवान भले ही दृष्टि हीन बना दिया है, लेकिन इनका जज्बा बताता है कि हम किसी से कम नहीं।
दृष्टि बाधित श्री जसवंत कुमार आदिले स्वयं शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय महामाया पामगढ जिला जांजगीर-चाम्पा में प्रधान पाठक के रूप में पदस्थ है। उन्होंने बताया कि सभी बच्चे एक सभ्य नागरिक बन देश और समाज के लिए कुछ करने की तमन्ना मन में रखे हुए हैं। इनके लिए ब्रेल लिपि से अक्षर के ज्ञान से फर्राटे से हिन्दी की किताब पढ़ना, निबंध लिखना आम बात है। इन दृष्टि बाधित बच्चों के पढने की शैली से कोई आम बच्चों से अंतर नहीं कर सकता है। बच्चों की एक ही ललक है कि हम भी पढ़-लिखकर समाज में अपनी पहचान बनाए। यहां पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि वह पढ़कर शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई एक संगीतकार बनने की लालसा मन में रखे हुए हैं।दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती के संरक्षक श्री जसबंत चावला ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जन सहयोग से इस विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। पढ़ाने के लिये शिक्षक पदस्थ हैं, जिन्हें विद्यालय द्वारा वेतन दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों को निःशुल्क आवास एवं भोजन दिया जाता है, जिसे पूरा करने में आर्थिक बोझ ज्यादा हो जाता है। लेकिन बच्चों के भविष्य को अपना भविष्य समझ इनके शिक्षा में कोई व्यवधान न हो। इसके लिए निरंतर प्रयास में जुटे रहते हैं। दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय सक्ती के संस्थापक श्री जसवंत कुमार आदिले की पत्नी श्रीमती विन्धेष्वरी, दृष्टि बाधित सहायक शिक्षक कमलेश साहू, श्री नरेन्द्र पांडेय मिल जुलकर सहयोग से चला रहे हैं। -
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लगभग 6 हजार पर्यटकों ने जंगल सफारी में उठाया आनंदरायपुर : राजधानी रायपुर स्थित नंदनवन जंगल सफारी नए वर्ष में लोगों के लिए रोमांच भरा पल लेकर आया। नववर्ष के जश्न में नंदनवन जंगल सफारी ने 5 हजार 762 पर्यटकों का स्वागत कर अपनी लोकप्रियता में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस अवसर पर सफारी और चिड़ियाघर के रोमांचक अनुभवों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
जागरूकता और रचनात्मकता का संगम सफारी में पर्यटकों के लिए नुक्कड़ नाटक, प्रकृति आधारित ड्राइंग कार्यशाला, वन्यजीवों पर आधारित माटीकला कार्यशाला और जैव विविधता पर प्रश्नोत्तरी जैसे रोचक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन गतिविधियों ने पर्यटकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया बल्कि उन्हें वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति के महत्व को जानने-समझने का भी मौका दिया।
बिलासपुर से आए पर्यटक श्री मुकेश यादव ने अपना सुखद अनुभव को साझा करते हुए बताया कि हमने जंगल सफारी में हिरण, नीलगाय, भालू, बाघ और शेर सहित अन्य वन्य प्राणियों को स्वच्छंद विचरण करते देखा। चिड़ियाघर में विभिन्न वन्य प्राणियों की प्रजातियों का अनुभव अविस्मरणीय रहा। यहां आकर बच्चों ने माटीकला कार्यशाला में अपनी कल्पनाओं को आकार दिया। यह स्थान सपरिवार नववर्ष में समय बिताने के साथ-साथ हम सबके लिए शानदार और यादगार बन गया है।
संचालक, जंगल सफारी श्री धम्मशील गणवीर ने कहा कि हम पर्यटकों को न केवल आनंददायक अनुभव देना चाहते हैं, बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाना भी हमारा उद्देश्य है। हम ‘प्रकृति दर्शन‘ और ‘नेचर ट्रेल‘ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में वन्य प्राणियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रयासरत हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और शिक्षाप्रद अनुभव का संगम नंदनवन जंगल सफारी ने नववर्ष पर आगंतुक पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान किया, जहां मनोरंजन के साथ ज्ञान और जागरूकता का मिश्रण था। यह प्रयास वन्यजीव संरक्षण एवं पर्यावरण के प्रति लोगों की सोच को बदलने और जागरुकता लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो रहा है। -
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अब तक 93.44 लाख मीट्रिक टन धान की हो चुकी है खरीदी18.69 लाख किसानों को धान खरीदी के एवज में 21 हजार करोड़ रूपए से अधिक का भुगतानपंजीकृत किसानों के धान विक्रय हेतु 25 जनवरी तक के लिएऑनलाईन एवं ऑफलाईन टोकन उपलब्धकिसान सुविधानुसार तिथि का चयन कर धान विक्रय कर सकते हैधान खरीदी के साथ-साथ तेजी से हो रहा धान का उठावअब तक 62.72 लाख मीट्रिक टन धान के उठाव के लिएडीओ और टीओ जारी36.38 लाख मीट्रिक टन धान का हो चुका है उठावरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में प्रदेश के किसानों से सुगमता पूर्वक धान की खरीदी की जा रही है। वहीं धान खरीदी व्यवस्था पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। राज्य में 14 नवम्बर से शुरू हुए धान खरीदी का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। अब तक लगभग 93.44 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। धान खरीदी के एवज में 18.69 लाख किसानों को बैंक लिकिंग व्यवस्था के तहत 21 हजार 040 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। धान खरीदी का यह अभियान 31 जनवरी 2025 तक चलेगी। प्रदेश के समस्त पंजीकृत कृषकों को खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में धान विक्रय हेतु टोकन की सुविधा ऑनलाईन एप्प (टोकन तुंहर हांथ) एवं उपार्जन केन्द्रों में 25 जनवरी 2025 तक के लिए उपलब्ध कराया गया है। किसान सुविधा अनुसार तिथी का चयन कर नियमानुसार धान विक्रय कर सकते है।
धान खरीदी के साथ-साथ मिलर्स द्वारा धान का उठाव भी तेजी से हो रहा है। धान उठाव के लिए लगभग 62.72 लाख मीट्रिक टन धान के लिए डीओ और टीओ जारी किया गया है, जिसके विरूद्ध अब तक 36.38 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया गया है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस खरीफ वर्ष के लिए 27.78 लाख किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया है। इसमें 1.59 लाख नए किसान शामिल है। इस वर्ष 2739 उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी अनुमानित है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आज 02 जनवरी 2025 को 62494 किसानों से 2.90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई है। इसके लिए 81 हजार 926 टोकन जारी किए गए थे। आगामी दिवस के लिए 83 हजार 303 टोकन जारी किए गए हैं। -
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कर पर्यटन स्थल के रूप में कर रहे हैं विकसितरोमांच से भरपूर सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत नएपर्यटन स्थल के रूप में उभर कर आया सामनेमकर संक्रांति और महाशिवरात्रि परलगता है विशाल मेलाऐतिहासिक लोककथाओं से जुड़ाहै पर्वत का नामसमुद्र तल से 900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह पर्वत, वर्षा ऋतु केदौरान पानी 1100 फीट नीचे गिरकर बनाता है घोड़ाधार जलप्रपातट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन युवाओं के लिए है शानदार डेस्टिनेशन• पोषण साहू, सहायक संचालक• ओ.पी. डहरिया, सहायक जनसंपर्क अधिकारीरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार पर्यटन और ऐतिहासिक, धार्मिक व पौराणिक महत्व के स्थलों को चिन्हांकित कर धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के अंतर्गत पर्यटन और रोमांच से भरपूर सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत नए पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में उभर कर सामने आया है। इस पर्वत का ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है। मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल मेला का आयोजन भी होता है। महासमुंद जिले के सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन युवाओं के लिए एक शानदान डेस्टिनेशन है। यह स्थान अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए जाना जाता है। राजधानी रायपुर से 157 किमी और सरायपाली से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित यह पर्वत पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
शिशुपाल पर्वत (बूढ़ा डोंगर) समुद्र तल से 900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए रोमांचक ट्रैकिंग मार्ग है, जो रोमांचक ट्रैकिंग का नया अनुभव कराता है। यह पर्यटन स्थल साहसिक गतिविधियों के प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ट्रैकिंग मार्ग घने जंगलों, चट्टानों और प्राकृतिक पगडंडियों से होकर गुजरता है। पहाड़ के ऊपर एक विशाल मैदान है, जहां से वर्षा ऋतु के दौरान पानी 1100 फीट नीचे गिरकर घोड़ाधार जलप्रपात का निर्माण करता है। यह झरना और उसके चारों ओर हरियाली एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करता है। पर्यटन की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए, दो साल पहले पर्यटन मंडल ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की। यहां पहुंचने वाले सैलानियों के लिए आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया, जिससे उनकी यात्रा सुखद और आरामदायक हो सके।
शिशुपाल पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं। यहां का वातावरण, झरने की आवाज, ठंडी हवा एवं प्राकृतिक सुंदरता व शांति का संगम पर्यटकों को मानसिक शांति और सुकून का अनुभव कराती है। यह स्थान फोटोग्राफी और प्रकृति के अद्भुत दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। शिशुपाल पर्वत न केवल रोमांचक ट्रैकिंग स्थल है, बल्कि इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम भी है। यह स्थान ट्रैकिंग, फोटोग्राफी और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यदि आप प्राकृतिक सुंदरता, रोमांच और इतिहास का अनुभव करना चाहते हैं, तो शिशुपाल पर्वत आपकी सूची में होना चाहिए। अपनी ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक आकर्षण के साथ, शिशुपाल पर्वत आज के दौर में पर्यटन का नया केंद्र बनता जा रहा है।
शिशुपाल पर्वत पर्यटन स्थल में हर वर्ष मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के अवसर पर भारी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। इस दौरान मंदिर के आसपास भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ मेले की चहल-पहल का आनंद लेते हैं। मकर संक्रांति पर लगने वाला यह मेला इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। धार्मिक आस्था, ऐतिहासिकता, साहसिक पर्यटन का अद्भुत अनुभव इसे एक संपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है। यह मेला न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो रहा है।
शिशुपाल पर्वत का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व है। इसे लेकर स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शिशुपाल पर्वत (बूढ़ा डोंगर) का नाम स्थानीय लोककथाओं से जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ में किंवदंती है कि इस पहाड़ पर कभी राजा शिशुपाल का महल हुआ करता था। यहां का गौरवशाली इतिहास रहा है पर्वत के उपर ही अभेद्य दुर्ग, सुरंग एवं शिवमंदिर का निर्माण किया गया है, जिसका भग्नावशेष आज भी अतीत की गौरवगाथा सुनाती है। जब अंग्रेजों ने राजा को घेर लिया, तो उन्होंने वीरता का प्रदर्शन करते हुए अपने घोड़े की आंखों पर पट्टी बांधकर पहाड़ से छलांग लगा दी। इस घटना के कारण इस पर्वत का नाम शिशुपाल पर्वत और यहां स्थित झरने का नाम घोड़ाधार जलप्रपात पड़ा। यह बारहमासी झरना अत्यधिक ऊँचाई से गिरने के कारण अद्भुत सौंदर्य का अप्रतिम उदाहरण है।
इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की पहल शासन द्वारा विश्ेाष प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनों वन विभाग द्वारा पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए स्थल का निरीक्षण किया गया। चूंकि आसपास के क्षेत्र में बंसोड़ जाति बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं, जो बांस की कलाकृति बनाते हैं। उन्हें भी रोजगार से जोड़ा जा सके। साथ ही एक पर्यटन परिपथ के रूप में भी विकसित किया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि यहां से चंद्रहासिनी देवी मंदिर, गोमर्डा अभ्यारण, सिंघोड़ा मंदिर, देवदरहा जलप्रपात एवं पर्यटन स्थल नरसिंहनाथ को जोड़ा जा सकता है। -
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अधिकारों की मान्यता, वनों का प्रबंधन एवं संरक्षण तथा अभिसरण सेआजीविका संवर्धन सहित विभिन्न विषयों पर परिचर्चारायपुर : आदिम जाति विकास विभाग द्वारा ’धरती आबा - जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत वन अधिकार अधिनियम 2006 के बेहतर क्रियान्वयन विषय पर संबंधित विभागों एवं अशासकीय संस्थानों के मध्य परिचर्चा-परामर्श हेतु एफईएस एवं एटीआरईई संस्था के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। कार्यशाला न्यू सर्किट हाऊस, सिविल लाईन्स, रायपुर में होगा। आदिम जाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने पत्र जारी कर सभी जिलों के सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग जिला परियोजना समन्वयक के साथ कार्यशाला में उपस्थित रहने को कहा है।गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 02 अक्टूबर 2024 को धरती आवा- जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया गया। अभियान अंतर्गत 17 मंत्रालयों के सहयोग से भारत सरकार की 25 योजनाओं को सुसंगत तरीके से धरातल पर उतारना है जिसमें वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन अंतर्गत मुख्य रूप से निश्चित समयावधि में वन अधिकारों की मान्यता की प्रकिया को पूर्ण किया जाना है। विभिन्न मंत्रालयों (जनजातीय कार्य मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मतस्य विभाग, पशुपालन विभाग इत्यादि) के योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से वननिवासी जनजातीय परिवारों के सतत आजीविका की सुरक्षा, परस्थितिकीय संतुलन हेतु वनों की सुरक्षा, संवर्धन, संरक्षण एवं प्रबंधन इत्यादि जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति शामिल है।
वन अधिकार अधिनियम, 2006 के क्रियान्वयन में हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। राज्य में अब तक 4 लाख 79 हजार 502 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र एवं सामुदायिक वन संसाधन के अंतर्गत 4377 वन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्य ग्रामसभाओं में सामुदायिक वन संसाधनों के प्रबंधन हेतु सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के गठन की कार्यवाही की जा रही है। अब तक 2081 सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति का गठन किया जा चुका है। वन अधिकार अधिनियम, 2006 अंतर्गत अधिकारों की मान्यता, वनों का प्रबंधन एवं संरक्षण, अभिसरण से आजीविका संवर्धन आदि संपूर्ण कार्यों के बेहतर कियान्वयन हेतु संबंधित शासकीय विभागों तथा अशासकीय संस्थानों की सतत् भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है। -
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राजनांदगांव जिले में 9.72 करोड़ से 324 केज इकाइयां स्थापित150 युवाओं और महिलाओं को मिला रोजगाररायपुर : राजनांदगांव जिले के बंद पड़ी खदानों को आजीविका के लिए उपयोगी बनाते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केज कल्चर तकनीक से मछली पालन का कार्य तेजी से लोकप्रिय और फायदेमंद साबित हो रहा है। यह नवाचार न केवल मत्स्य पालकों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ है, बल्कि 150 से अधिक स्थानीय बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार का नया जरिया भी बन गया है। जिले के ग्राम जोरातराई में बंद पड़ी खदानों को जलस्रोत के रूप में उपयोग करते हुए 9.72 करोड़ रुपए की लागत से 18 इकाइयों में कुल 324 केज लगाए गए हैं।प्रत्येक केज इकाई की लागत 3 लाख रुपए है, जिसमें से 60 प्रतिशत अनुदान के रूप में 5.83 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। केज कल्चर, जिसे नेट पेन कल्चर भी कहा जाता है, जलाशय में फ्लोटिंग केज यूनिट स्थापित करने की एक आधुनिक तकनीक है। इसमें एक केज यूनिट में चार बाड़े होते हैं, जहां उंगली के आकार की मछलियों को पाला जाता है, जो पांच माह में लगभग एक से सवा किलो वजन की हो जाती है। इस तकनीक में तिलापिया और पंगेसियस जैसी मछलियों का पालन किया जा रहा है। प्रत्येक केज से 2.5 से 3 टन तक मछली उत्पादन होता है, जिससे 6 से 8 हजार रुपए की मासिक आमदनी होती है।
ग्राम मुढ़ीपार स्टेशन पारा की श्रीमती पूर्णिमा साहू ने बताया कि जय मां संतोष महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से केज कल्चर तकनीक से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। समूह की महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आभार प्रकट किया है। जोरातराई की खदानों में 8 लाख से अधिक मछलियां पाली जा रही हैं। यह तकनीक न केवल मछलियों की तेज वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है, बल्कि संक्रमण का खतरा भी कम रहता है।मत्स्यपालक अपनी जरूरत के अनुसार केज से मछलियां निकाल सकते हैं। राज्य सरकार की इस पहल ने बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराए हैं। मत्स्य पालन की इस नवीन तकनीक से अब ताजी और स्थानीय मछलियां बाजार में उपलब्ध हो रही हैं। केज कल्चर तकनीक ने जिले में मछली उत्पादन के नए आयाम स्थापित किए हैं। जलाशयों और बंद खदानों के जलस्रोतों का यह उपयोग स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। -
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वनोपज राजकीय व्यापार अंतर्विभागीय समिति की बैठक संपन्नरायपुर : राज्य में तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस साल से ऑनलाइन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से निगरानी की जाएगी। यह जानकारी आज छत्तीसगढ़ के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित वनोपज राजकीय व्यापार अंतर्विभागीय समिति की बैठक दी गई। नवा रायपुर स्थित मंत्री निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में तेन्दूपत्ता संग्रहण, बांस की बहुउद्देशीय उपयोगिता और वनवासियों की आय बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। राज्य में वर्तमान में तेन्दूपत्ता संग्राहकों से 5500 रूपए प्रति मानक बोरा की दर से क्रय किया जा रहा है। निजी क्रेताओं को प्रतिभूति राशि जमा करने की अवधि में 15 दिन का अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही निजी गोदामों में भंडारण हेतु जमा सुरक्षा निधि की 100 प्रतिशत वापसी की सहमति भी दी गई।
बैठक में प्रबंध संचालक, वन विकास निगम द्वारा सरगुजा, जशपुर, सूरजपुर, और बैंकुठपुर में पाई जाने वाली पांच प्रजातियों के बांस का प्रत्यक्ष प्रस्तुतीकरण किया गया। इनमें रोपा, चांई, झींगी, कटंग और पहाड़ी बांस शामिल हैं। इन बांसों का उपयोग कागज, फर्नीचर, सजावटी सामान, टेंट, सेंट्रिंग, और सब्जी उत्पादन जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। प्रारंभिक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 500 करोड़ रूपए मूल्य का बांस राज्य के कृषकों की भूमि पर उपलब्ध है। सब्जी उत्पादक कृषकों द्वारा प्रति वर्ष लगभग दस करोड़ रूपए के बांस का उपयोग किया जा रहा है। बैठक में जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय सड़क प्राधिकरण और रेलवे द्वारा बांस का उपयोग क्रेश बैरियर और फेसिंग में किया जा रहा है, जिससे यह काष्ठ, एल्युमिनियम और लौह का महत्वपूर्ण विकल्प बनता जा रहा है।
मंत्री श्री केदार कश्यप ने बांस बाजार का विस्तृत सर्वेक्षण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने वनांचल में निवासरत परिवारों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए समर्थन मूल्य पर अधिक लघु वनोपज के संग्रहण को बढ़ावा देने के निर्देश भी दिए। बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री वी. श्रीनिवास राव, राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री अनिल साहू, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध संचालक श्री बी. आनंद बाबू, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीमती संजीता गुप्ता और उप सचिव श्री मयंक पाण्डेय उपस्थित रहे। -
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निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण का कार्यक्रम जारीमतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 15 जनवरी 2025 कोरायपुर : नगरपालिकाओं और त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन 2024-25 में मतदाता बनाने के लिए कार्यक्रमों में संषोधन किया गया है। नगरपालिकाओं और त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन के लिए लोगों को मतदाता बनने का एक और अवसर प्राप्त हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण का कार्यक्रम जारी कर दिया है। नगरीय निकायों और त्रि-स्तरीय पंचायतों के मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 15 जनवरी 2025 को की जाएगी।छत्तीसगढ राज्य निर्वाचन आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगरीय निकायों और पंचायतों के मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन 31 दिसंबर को किया जाएगा। निर्वाचक नामावली उपलब्ध कराना, दावे/आपत्तियां प्राप्त करने की अंतिम तारीख 06 जनवरी 2025 सोमवार 3 बजे तक दावे/आपत्तियों का निपटारा 09 जनवरी 2025 गुरूवार किया जाएगा। नगरीय निकायों और पंचायतों के मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 15 जनवरी तय की गई है। ऐसे युवा मतदाता जिन्होंने 1 जनवरी 2025 की स्थिति में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो, वह भी मतदाता बनने के लिए निर्धारित प्रारूप में आवेदन जमा कर सकेंगे। इस तरह नई मतदाता सूची तैयार होने के बाद ही नगरीय निकाय के चुनाव होंगे।
नगरपालिकाओं और त्रि-स्तरीय पंचायतों के लिए निर्वाचक नामावली प्रारूप क-1 रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक रजिष्ट्रीकरण अधिकारी का दावा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 10 जनवरी 2025 तक और प्रारूप क-1 में प्राप्त आवेदनों का निराकरण की अंतिम तिथि 11 जनवरी 2025 निधारित की गई है। नगरीय निकायों और त्रि-स्तरीय पंचायतों के मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 15 जनवरी 2025 को की जाएगी। -
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रायपुर : महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने सचिव छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के प्रसाद योजना में शामिल सूरजपुर जिले के कुदरगढ़ स्थित माँ बागेश्वरी मंदिर के कायाकल्प और सर्वांगीण विकास के लिए भारत सरकार को पुनः स्मरण पत्र जारी की है।
गौरतलब है कि प्रसाद योजना, भारत सरकार की एक योजना है जिसका मकसद धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान योजना के तहत, तीर्थ स्थलों को विकसित करने और उन्हें पहचान दिलाने पर ध्यान दिया जाता है। प्रसाद योजना के तहत पर्यटन स्थलों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसमें सूरजपुर जिले के धार्मिक स्थल कुदरगढ़ मंदिर के कायाकल्प के लिए इसे ’प्रसाद’ योजना में शामिल किया गया है।
योजना के क्रियान्वयन में विधानसभा भटगावँ में माँ बागेश्वरी धाम में रोप वे, हेलीपेड, यज्ञ शाला, ज्योति कक्ष, सीढ़ी निर्माण, यात्री शेड, हाई मास्क लाइट, सी.सी.टी.वी., पेयजल, सेस्क्युरिटी चेक पॉइन्ट, शौचालय, हर्बल गार्डन, हाट-बाजार, अपशिष्ट प्रबंधन, यात्रियों की सुविधा हेतु बैटरी चलित वाहन, स्टॉप डेम विकास, प्रसाद किचन, प्रतीक्षालय आदि विकास कार्यों को सम्पन्न किये जा सकेंगे। -
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श्रम मंत्री ने किया 66 हजार से अधिक श्रमिकों के खाते में48.82 करोड़ की राशि का अंतरणरायपुर : श्रम मंत्री श्री लखन लाल देवांगन आज सवेरे रायपुर के शंकर नगर स्थित अपने निवास कार्यालय में प्रदेश के 66 हज़ार 952 श्रमवीरों और उनके परिवार जनों के सीधे खाते में 48.82 करोड़ की राशि डीबीटी के जरिए ऑनलाईन अंतरित की। इस अवसर पर सचिव सह श्रमायुक्त श्रीमती अलरमेलमंगई डी., अपर आयुक्त श्रम श्री एस.एल. जांगड़े सहित श्रमिक उपस्थित थे। श्रम मंत्री श्री देवांगन ने कहा कि विष्णुदेव की सरकार में प्रदेश के श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को लगातार योजनाओं का लाभ तेजी से मिल रहा है।श्रम विभाग के तीनों मंडल छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सनिर्माण कर्मकार मंडल, संगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल व श्रम कल्याण मंडल के माध्यम से योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो रहा है। इसी का परिणाम है की जनवरी से नवम्बर 2024 तक 46.59 लाख श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 334.28 करोड़ रूपए अंतरित किए जा चुके हैं। श्रम मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने नई दिल्ली में कल आयोजित इन्वेस्टर्स कनेक्ट मीट में देश के प्रमुख उद्योगपतियों और निवेशकों को छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आमंत्रित किया।श्रम मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा 01 जनवरी 2024 से 23 दिसंबर 2024 तक कुल 10 लाख 88 हजार श्रमिकों को 252 करोड़ से अधिक राशि वितरीत की गई व आज दिनांक 24 दिसंबर को 59 हजार 738 श्रमिकों को 37 करोड़ से अधिक की राशि वितरीत की जा रही है। असंगठित कर्मकार मण्डल द्वारा 01 जनवरी 2024 से 23 दिसंबर 2024 तक कुल 43 हजार 703 श्रमिकों को 75 करोड़ से अधिक राशि वितरीत की गई व आज दिनांक 24 दिसंबर को 5165 श्रमिकों को 7 करोड़ 90 लाख से अधिक की राशि वितरित की जा रही है। छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कार्ड योजना के तहत कुल 3 लाख 88 हजार 238 निर्माण श्रमिकों का निःशुल्क पंजीयन कार्ड उपलब्ध किया गया है।
मंत्री श्री देवांगन ने कहा कि छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल द्वारा 01 जनवरी 2024 से 23 दिसंबर 2024 तक कुल 4 हजार 916 श्रमिकों को 2 करोड़ 38 लाख से अधिक राशि वितरीत की गई। आज 24 दिसंबर को 2 हजार 49 श्रमिकों को 1 करोड़ 01 लाख से अधिक की राशि वितरित जा रही है। इस प्रकार आज 66 हजार 952 श्रमिकों को 48 करोड़ 82 लाख रूपया जारी किया जा रहा है। इस प्रकार 01 जनवरी 2024 से 24 दिसंबर तक तीनों मण्डलों में पंजीकृत श्रमिकों में से कुल 12 लाख 4 हजार से अधिक श्रमिकों को 375 करोड़ से अधिक राशि का वितरण किया जा चुका है।
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत 27 लाख 72 हजार श्रमिक असंगठित कर्मकार मण्डल 18 लाख 47 हजार छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल 5 लाख 10 हजार इस प्रकार कुल पंजीकृत हितग्राही श्रमिक 51 लाख 29 हजार से अधिक है। सचिव श्रम श्रीमती अलरमेल मंगई ने स्वागत भाषण के दौरान बताया कि प्रदेश में श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। इनका लाभ श्रमिकों और उनके परिजनों को मिल रहा है। पंजीकृत श्रमिकों के बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान किया गया है। श्रमिकों को किफायतीदर पर भोजन उपलब्ध कराने शहीद वीर नारायण सिंह अन्नपूर्णा अन्न योजना संचालित की जा रही है। -
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रायपुर : विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को राष्ट्रपति जी के दत्तक पुत्र-पुत्रियां कहा जाता था लेकिन आजादी के कई साल बाद तक भी इनकी बस्तियों में शुद्ध पेयजल भी नहीं था। घास फूस के घरों में बिजली कहां से पहुंच पाती और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाएं तो इनके लिए लक्जरी ही समझिये। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस परिस्थिति को पूरी संवेदनशीलता से समझा और उन्हें लगा कि इस परिस्थति को ठीक करने के लिए मामूली प्रयत्नों से कुछ नहीं होगा जब तक एक लक्ष्योन्मुखी वृहत योजना विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए नहीं बनेगी तब तक इनके कल्याण की सूरत नहीं बनेगी।फिर उन्होंने पीएम जनमन योजना लाई और इस एक योजना से उजाले की किरण इन बस्तियों में फैल गई है। पक्के घरों में बिजली पहुंच रही है। बच्चों के लिए स्कूल खोले गये हैं और इन तक पहुंचने के लिए सड़कें भी बनाई जा रही हैं। इस योजना को शुरू हुए अभी एक साल का अरसा भी नहीं बीता है कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से विशेष पिछड़ी जनजातियों के रहवासी इलाकों में विकास का उजियारा साफ-साफ दिखाई देने लगा है। इस उजियारे से जनजातीय समुदाय के लोगों में शासन के प्रति एक नया विश्वास जगा है और उनके चेहरे पर एक चमक दिखाई देने लगी है।पीएम जनमन योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के बीच विकास, समावेशिता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार जनजातीय समुदाय के लोगों की स्थिति को बेहतर बनाने और उनके रहवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी शिद्दत से जुटी हुई है। छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है।इसके चलते पीएम जनमन के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। शासन की विभिन्न योजनाओं के कन्वर्जेस के चलते छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदायों की जीवन स्तर और उनके रहवासी क्षेत्रों में तेजी से बदलाव दिखाई देने लगा है। पीएम जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की स्वीकृति एवं निर्माण का काम तेजी से शुरू कर दिया गया हैं।
छत्तीसगढ़ में 42 जनजातियां और इसके 161 उपजातियां है। इस वर्ग में बिंझवार, सावरा, गोंड, मुरिया, हलबा, भतरा, भुंजिया, भूमिया (भूइया), बियार, कंवर, मझवार, माझी, मुण्डा, भैना, नगेसिया आदि विभिन्न जनजातियां आते है। इस वर्ग की जनजातियां जंगली उपज संग्रह, िशकार, आदिम कृषि के साथ-साथ बांस से टोकरी आदि बनाते है। इस समूह में कमार, कंडरा, धनवार, सोता, बैगा, माझी आदि आते है। भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए पांच जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया है, जिसमें बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, अबूझमाड़ियां जनजाती आते हैं।छत्तीसगढ़ में पिछड़ी जनजाति की कुल जनसंख्या 3,10,625 है. इनमें से पहाड़ी कोरवा जनजाति की कुल जनसंख्या 1,29,429 है. छत्तीसगढ़ में पहाड़ी कोरवा जनजाति मुख्य रूप से जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, कोरबा, और रायगढ़ ज़िलों में पाई जाती है। पहाड़ी कोरवा प्राचीन समय में बेबर कृषि करते थे अर्थात जंगल में आग लगाकर ज़मीन साफ़ करते थे तथा बरसात के समय बीज छिड़क देते थे। पहाड़ी कोरवा स्त्री-पुरुष दैनिक मजदूरी हेतु ग्राम के अन्य जनजातियों के यहाँ कार्य करते हैं। ये मुख्यतः कृषि-मजदूरी एवं गड्ढे खोदने हेतु मजदूरी का कार्य करते हैं।
इसी प्रकार बैगा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। वर्ष 2015 में किए गए आधारभूत सर्वेक्षण के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में इनकी कुल जनसँख्या 88317 है जिसमें 44402 पुरुष तथा 43915 महिलाएं हैं। इनमें स्त्री पुरुष लिंगानुपात 989 है। सर्वेक्षण अनुसार इनकी साक्षरता प्रतिशत 53.97 है। राज्य में बैगा जनजाति के लोग मुख्य रूप से कवर्धा और बिलासपुर जिलों में पाए जाते हैं। बैगा जनजाति का मुख्या व्यवसाय वनोपज संग्रह, पशुपालन, खेती तथा ओझा का कार्य करना है। छत्तीसगढ़ में कमार जनजाति भी विशेष पिछड़ी जनजातीय समुदाय के अंतर्गत आते हैं।इनका मुख्य व्यवसाय बांस से टोकरी, झांपी, पर्रा वगैरह बनाना है. इसके अलावा, पक्षियों और छोटे जानवरों का शिकार करना भी इनका जीविकोपार्जन का साधन है। कमार जनजाति के लोग आपसी संवाद के लिए कमारी बोली और स्थानीय रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। महिलाएं विवाह से पहले या छोटी उम्र में गोदना करवाती है। कमार जनजाति के लोग पितृसत्तात्मक समुदाय हैं। कमार जनजाति के लोग आपसी विवाद का निपटारा पंचायत के ज़रिए करते हैं। कमार जनजाति की सर्वाधिक जनसंख्या गरियाबंद, मैनपुर, छुरा, नगरी. मगरलोड, महासमुंद एवं बागबाहरा विकासखंडो के छोटे-छोटे ग्रामों में निवासरत हैं। संस्थान की आधार भूत सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में कमार विशेष पिछड़ी जनजाति की जनसंख्या 26,622 है। जिसमें पुरुष जनसंख्या 13328 एवं स्त्री जनसंख्या 13294 हैं।
इसी प्रकार बिरहोर जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। देश में उनकी अधिकांश आबादी झारखंड से सटे हुए सीमावर्ती जिलों में रहती है। संस्थान के आधाभूत सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार इनकी जनसँख्या 3490 है। इनमें पुरुष 1726 तथा महिला 1764 हैं। प्रदेश में रायगढ़ जिले के लैलुंगा, तमनार व धरमजयगढ़, कोरबा जिला के पोंडी, पाली व उपरोड़ा, बिलासपुर जिला के मस्तूरी व कोटा, जशपुर जिला के बगीचा, दुलदुला, पत्थलगाँव व कंसाबेल में ज्यादातर निवास करते हैं। इन लोगों ने स्थायी रूप से कार्य करते हैं। इनमें अधिकतर भूमिहीन हैं, जो शिकार करके तथा रस्सियाँ बेच कर अपनी आजीविका चलाते हैं ये लोग स्थान बदल-बदल कर खेती भी करते हैं तथा कुछ मात्रा में मक्का और बीन उपजा लेते हैं।
अबूझमाड़िया जनजाति का निवास क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में है। जिसके कारण इन्हें स्थानीय बोली में अबूझमाड़िया कहा जाता है । अबूझमाड़िया जनजाति शहरी व ग्रामीण समाज से पृथक अबूझमाड़ क्षेत्र के गहन वन एवं पहाड़ों से परिपूर्ण प्राकृतिक परिवेश में निवास करती है। सर्वेक्षण के अनुसार अबूझमाड़िया जनजाति की जनसँख्या 23,330 है। जिनमें 11456 पुरुष व 11874 महिलाएं तथा लिंगानुपात 1036 है।अबूझमाड़िया जनजाति के कुल 4786 परिवार हैं। इसकी साक्षरता दर 29.88 प्रतिशत है। पीएम जनमन पहल ने विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में कई प्रभावशाली गतिविधियाँ शुरू की हैं। कार्यक्रम ने PVTG समुदाय के लिए कुल 24,079 घरों को मंज़ूरी दी है, जिनमें से 1,108 घर पूरे हो चुके हैं। 21,553 घरों के लिए पहली किस्त जारी की गई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इन परिवारों को सुरक्षित और स्थायी आश्रय मिल सके।
बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता को समझते हुए, 1,044.78 करोड़ रूपए के बजट के साथ 398 सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। वर्तमान में, इनमें से 328 सड़कें निर्माणाधीन हैं, जो आदिवासी समुदायों के लिए आवश्यक सेवाओं और बाजारों तक पहुँच को बढ़ाएँगी। प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा में सुधार के लिए, वर्तमान में 80 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें से 54 को निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई है, जिसके लिए 8.48 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं। 10 भवनों का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है। 16 वन धन केंद्रों की स्थापना की गई है, इन केंद्रों का उद्देश्य वन उपज के संग्रह और प्रसंस्करण के माध्यम से स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है।इस पहल में 43.80 करोड़ रूपए के बजट के साथ 73 बहुउद्देश्यीय केंद्रों की मंजूरी शामिल है। इनमें से 9 केंद्रों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जो विभिन्न सेवाओं के लिए सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करेंगे। बिजली की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए, 7,067 पीवीटीजी घरों के विद्युतीकरण के लिए स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 3,693 घरों में पहले ही बिजली पहुँच चुकी है। इन समुदायों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम ने आदिवासी बस्तियों के लिए 31 छात्रावासों को मंजूरी दी है, जिसमें कुल 68.24 करोड़ रूपए का निवेश किया गया है। इन सुविधाओं का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों के लिए आवास उपलब्ध कराना है।
जल जीवन मिशन के तहत, 17,372 घरों में पाइप से जलापूर्ति शुरू की गई है, जबकि 9,473 और घरों के लिए स्वीकृति दी गई है। स्वच्छ पेयजल तक यह पहुँच स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ाने के लिए, 57 मोबाइल मेडिकल इकाइयों को मंजूरी दी गई है, जिनकी परिचालन लागत 33.88 लाख रूपए प्रति इकाई है। ये इकाइयाँ दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं। इस पहल ने विभिन्न व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों में पीवीटीजी समुदाय के 199 युवाओं को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़े हैं। पीएम जनमन अभियान ने आदिवासी क्षेत्रों में आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान कार्ड और जाति प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के वितरण पर भी ध्यान केंद्रित किया है। कुल 976 शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 107,649 से अधिक प्रतिभागियों को लाभ मिला है।
पीएम जनमन योजना भारत में आदिवासी समुदायों की सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका को संबोधित करने वाले अपने व्यापक दृष्टिकोण के साथ, यह पहल समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जैसे-जैसे यह योजना लोगों तक पहुंच रही है, वैसे-वैसे वे समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य का वादा करती हैं, जो अधिक समावेशी भारत का मार्ग प्रशस्त करती हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत किए गए प्रयासों से छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में एक नई रोशनी आई है। यह योजना न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि विकास के उन सपनों को साकार करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो अब तक अधूरे थे। इस तरह की पहलों से हमें उम्मीद है कि हमारा प्रदेश और देश समृद्धि की नई ऊँचाइयों को छूएगा।
प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह योजना जनजातीय समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही है, जो उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ और देश के जनजाति बाहुल्य गांवों तथा वहां निवासरत परिवारों के शत् प्रतिशत विकास के दृष्टिकोण से हाल ही मेें भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती के अवसर पर बिहार केे जमुई में आयोजित समारोह से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरूआत की है। यह अभियान निश्चित ही इन वर्गों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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