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सभी जिला मुख्यालयों में आयोजित योगाभ्यास में शामिल होंगे नामांकित अतिथि
रायपुर : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जशपुर जिले के रणजीता स्टेडियम में सुबह योगाभ्यास करेंगे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े करेंगी। उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव मुंगेली तथा उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा कबीरधाम जिले में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
बिलासपुर में केन्द्रीय संघ राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, राजनांदगांव में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, बलरामपुर-रामानुजगंज में मंत्री श्री रामविचार नेताम, बेमेतरा में मंत्री श्री दयालदास बघेल, नारायणपुर में मंत्री श्री केदार कश्यप, कोरबा में मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में मंत्री श्री श्यामबिहारी जायसवाल, रायगढ़ में मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी, महासमुंद में मंत्री श्री टंकराम वर्मा, बलौदाबाजार-भाटापारा में सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, दुर्ग में सांसद श्री विजय बघेल, खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई में सांसद श्री संतोष पाण्डेय, सरगुजा में सांसद श्री चिन्तामणी महाराज, गरियाबंद में सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ में सांसद श्री राधेश्याम राठिया, जांजगीर-चांपा में सांसद श्री कमलेश जांगड़े, सुकमा में सांसद श्री महेश कश्यप, कांकेर में सांसद श्री भोजराज नाग, सक्ती में सांसद श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह, बीजापुर में विधायक सुश्री लता उसेंडी, धमतरी में विधायक श्री अजय चंद्राकर, बस्तर में विधायक श्री किरण सिंह देव, कोरिया में विधायक श्री भैयालाल राजवाड़े, सूरजपुर में विधायक श्रीमती गोमती साय, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में विधायक श्री गुरू खुशवंत साहेब, दंतेवाड़ा में विधायक श्री चैतराम अटामी, बालोद में विधायक श्री ललित चन्द्राकर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में विधायक श्री प्रणव कुमार मरपच्ची और कोण्डागांव में विधायक श्री नीलकंठ टेकाम मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहेंगे।
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रायपुर : छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) ने उच्च शिक्षा संचालनालय, नवा रायपुर के अंतर्गत प्रयोगशाला परिचारक (चतुर्थ श्रेणी) के रिक्त पदों पर भर्ती हेतु लिखित परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की घोषणा कर दी है। इच्छुक अभ्यर्थी व्यापम की आधिकारिक वेबसाइट vyapamcg.cgstate.gov.in पर 9 जून ऑनलाईन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और 30 जून 2025 शाम 5 बजे तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। लिखित परीक्षा 03 अगस्त 2025 (रविवार) को प्रदेश के 33 जिला मुख्यालयों में निर्धारित परीक्षा केंद्रों में आयोजित की जाएगी। परीक्षा की अवधि दो घंटे की होगी। परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र 28 जुलाई 2025 से व्यापम की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।
व्यापम के नियंत्रक से प्राप्त जानकारी के अनुसार आवेदन करते समय अभ्यर्थी को परीक्षा शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से करना होगा। छत्तीसगढ़ राज्य के स्थानीय निवासी अभ्यर्थियों को परीक्षा में सम्मिलित होने की स्थिति में परीक्षा शुल्क की राशि की वापसी की जाएगी। यह राशि उसी बैंक खाते में वापस की जाएगी, जिससे आवेदन शुल्क का भुगतान किया गया है।
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समितियों में खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण और किसानों की मांग के अनुरूप वितरण किया जाए
खाद-बीज की क्वालिटी को लेकर किसानों को करें जागरूक
अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता पर होगी कड़ी कार्रवाई
सुगंधित धान की खेती को दिया जाए बढ़ावा
मसालों, फूल और फलों की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास करें
आमदनी बढ़ाने फसल चक्र परिवर्तन के लिए किसानों को करें प्रोत्साहित
कृषि मंत्री ने विभागीय काम-काज की समीक्षा की
रायपुर : कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रामविचार नेताम ने आज छत्तीसगढ़ नवा रायपुर अटल नगर स्थित न्यू सर्किट हाउस में प्रदेशभर के कृषि अधिकारियों की मैराथन बैठक लेकर विभागीय काम-काज की समीक्षा की। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। हमारी सरकार की प्राथमिकता किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ ही उन्हें ज्यादा से ज्यादा सहूलियतें देना है। उन्होंने कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि किसानों को उनकी मांग के अनुरूप प्रमाणित खाद-बीज उपलब्ध कराना सुनिश्चित हों। उन्होंने समिति केन्द्रों में पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज के भण्डारण और वितरण भी सुनिश्चित करने के ही किसानों को उनकी मांग के आधार पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए।
मंत्री श्री नेताम ने बैठक में कहा कि राज्य के अलग-अलग स्थानों से नकली खाद-बीज की शिकायतें मिल रही है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि खाद-बीज की क्वालिटी और प्रमाणिकता को लेकर किसानों को जागरूक करें। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता का मामला पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्री श्री नेताम ने उद्यानिकी विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य में मसाला, फूल और फलों की खेती की काफी संभावनाएं हैं। अतः किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए जिलेवार वहां के वातावरण के अनुरूप अधिक उत्पादकता वाली उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। उन्होंने प्रदेश में सुगन्धित धान की खेती को बढ़ावा दिया जाए और इसे छत्तीसगढ़ के ब्रांड के रूप में विकसित किया जाए।
अधिकारियों ने बैठक में बताया कि खरीफ सीजन 2025 के लिए कृषि विभाग द्वारा व्यापक तैयारी की जा रही है। खरीफ के लिए खाद-बीज का पर्याप्त भण्डारण कराए जाने के साथ ही किसानों को इसका तेजी से वितरण भी किया जा रहा है। खरीफ सीजन 2025 के लिए रासायनिक उर्वरकों का लक्ष्य 14 लाख 62 हजार मेट्रिक टन निर्धारित किया गया है, जिसमें राज्य स्तर पर सरकारी क्षेत्र में 9.49 लाख मीट्रिक टन तथा निजी क्षेत्र में 5.13 लाख मीट्रिक टन है। इसमें 7 लाख 12 हजार यूरिया, डीएपी 3.10 लाख, एनपीके 1.80 लाख, पोटाश 60 हजार एवं सुपर फास्फेट 2 लाख मीट्रिक टन शामिल है। लक्ष्य के विरूद्ध 10.67 लाख मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भण्डारण कर किसानों को 5.23 लाख मीट्रिक टन खाद का वितरण किया जा चुका है।
मंत्री श्री नेताम ने कहा कि उर्वरक कंपनियों से विभिन्न प्रकार की खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभाग सतत् संपर्क एवं समन्वय करें, ताकि राज्य की डिमांड अनुरूप उर्वरकों की रैक निर्धारित सेड्यूल के अनुरूप उपलब्ध हो सके। आज की स्थिति में यूरिया 4.96 लाख मीट्रिक टन, डीएपी 1.13 लाख मीट्रिक टन, एनपीके 1.60 लाख मीट्रिक टन, पोटाश 72 हजार 879 एवं सुपर फास्फेट 2.26 लाख मीट्रिक टन का भण्डारण हो चुका है, जिसमें से यूरिया 2.52 लाख, डीएपी 74 हजार 575, एनपीके 86 हजार 280, पोटाश 31 हजार 152 एवं सुपर फास्फेट 79 हजार 408 मीट्रिक टन का वितरण किसानों को किया गया है।खरीफ सीजन की विभिन्न फसलों के लिए 4 लाख 95 हजार 58 क्विंटल बीज की डिमांड को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा 4 लाख 29 हजार 535 क्विंटल बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई हैै। समितियों के माध्यम से किसानों को अब तक 2 लाख 62 हजार 232 क्विंटल बीज का वितरण किया जा चुका है। राज्य में खाद एवं बीज का भण्डारण एवं उठाव की स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
कृषि मंत्री श्री नेताम ने केन्द्र और राज्य पोषित योजनाओं की भी समीक्षा की। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत पात्र हितग्राहियों को योजना से लाभान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने छुटे हुए किसानों का केव्हायसी पूरी सजगता के साथ कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सुशासन तिहार के तहत पात्र आवेदन पर संवेदनशीलता के साथ निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, स्वायल हेल्थ योजना आदि की भी प्रगति की समीक्षा की और इन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए।
मंत्री श्री नेताम ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को लक्ष्य के अनुरूप चिन्हांकित क्षेत्रों में पामआयल की खेती, बांस की खेती, फूलों की खेती, फलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। उन्होंने बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों में विशेषकर मिलेट्स फसलों के रकबा में बढ़ोत्तरी के लिए किसानों को जागरूक करने पर बल दिया।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त एवं सचिव श्रीमती शहला निगार, कृषि विभाग के संचालक श्री राहुल देव, उद्यानिकी विभाग के संचालक श्री एस. जगदीशन राव, मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री महेन्द्र सवन्नी सहित विभाग के सभी संभागों और जिलों के अधिकारी उपस्थित थे।
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एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में हुई 80 प्रतिशत की कमी
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था को मिली नई दिशा
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए एक नया आयाम स्थापित किया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीति के चलते आज प्रदेश का प्राथमिक से लेकर हायर सेकण्डरी तक कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं रह गया है। राज्य की एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी आई है। यह परिवर्तन युक्तियुक्तकरण के माध्यम से संभव हो सका है, जिसका उद्देश्य राज्य के शैक्षणिक संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग, शिक्षकों की तर्कसंगत पदस्थापना और शिक्षा के अधिकार अधिनियम व नई शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप शालाओं में आवश्यकता के अनुरुप शिक्षकों की पदस्थापना रहा है ।
गौरतलब है कि युक्ति -युक्त करण से पर्व प्रदेश में 453 विद्यालय शिक्षक विहीन और 5936 विद्यालयों में मात्र एक ही शिक्षक पदस्थ था। विशेषकर सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में यह समस्या अधिक थी।इस विसंगति को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने जिला, संभाग और राज्य स्तर पर तीन चरणों में शिक्षकों की काउंसलिंग की प्रक्रिया चलाई। इसके परिणामस्वरूप, आज प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है और सभी हाई स्कूलों में न्यूनतम आवश्यक शिक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने युक्ति- युक्तकरण के जरिये स्कूलों में शैक्षिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि हमने यह ठान लिया था कि छत्तीसगढ़ में अब कोई बच्चा शिक्षक के बिना नहीं पढ़ेगा। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से हम न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन कर रहे हैं, बल्कि एक मजबूत और समान शिक्षा प्रणाली की नींव भी रख रहे हैं। यह सिर्फ स्थानांतरण नहीं, यह शिक्षा में न्याय की पुनर्स्थापना है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि एकल शिक्षकीय शालाओं की स्थिति में सुधार सरकार की प्राथमिकताओं में है और आगामी महीनों में पदोन्नति और नई नियुक्तियों के माध्यम से इन विद्यालयों में अतिरिक्त शिक्षक भेजे जाएंगे।
राज्य सरकार अब उन 1207 प्राथमिक विद्यालयों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां अभी भी एक शिक्षक है। इसके समाधान हेतु प्राथमिक शाला प्रधान पाठकों की पदोन्नति, शिक्षकों की पदस्थापना तथा भर्ती प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की रणनीति बनाई गई है।राज्य में एकल शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालयों में बस्तर जिले में 283, बीजापुर 250,सुकमा 186,मोहला -मानपुर - चौकी 124,कोरबा 89, बलरामपुर 94,नारायणपुर 64,धमतरी 37,सूरजपुर 47,दंतेवाड़ा 11,अन्य जिले में मात्र 22 शालाएं है। इन शालाओं में जल्द ही आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों की तैनाती की जाएगी।छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास शिक्षा को समावेशी बनाने और हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर उपलब्ध कराना है। इस पूरी प्रक्रिया ने यह साबित किया है कि युक्तियुक्तकरण केवल प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक न्याय आधारित शिक्षा सुधार है, जिसके केंद्र में हर बच्चा, हर गांव, हर स्कूल है।
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रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित महिला सशक्तिकरण की योजनाएं अब धरातल पर सकारात्मक परिणाम देने लगी हैं। इसकी एक प्रेरणादायी मिसाल हैं जशपुर जिले के गम्हरिया ग्राम की श्रीमती लालमती, जिन्होंने शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभ लेकर आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से न सिर्फ स्वयं की पहचान बनाई, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है।
श्रीमती लालमती का जीवन एक साधारण मजदूर से सफल उद्यमी बनने की कहानी है। जब वे प्रजापति गौरी स्व-सहायता समूह से जुड़ीं, तब उन्हें बिहान योजना के माध्यम से शासन की योजनाओं का लाभ मिला। उन्होंने उद्योग विभाग से लोन प्राप्त कर शटरिंग प्लेट का व्यवसाय प्रारंभ किया और बाद में जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण लेकर अपने व्यवसाय को विस्तार दिया।
आज श्रीमती लालमती के पास 200 से अधिक शटरिंग प्लेट हैं, जो वे निजी भवनों एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्माणाधीन आवासों की छत ढलाई हेतु किराये पर उपलब्ध कराती हैं। फरवरी 2025 से अब तक इस व्यवसाय से उन्हें लगभग 35,000 से 40,000 रुपये की आय हुई है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में कई मकानों का निर्माण कार्य चल रहा है। श्रीमती लालमती ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि, यदि शासन की योजनाओं का साथ न होता, तो मैं आज इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती। शासन ने हमें हौसला दिया, साधन उपलब्ध कराए और नई राह दिखाई।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार का यह दृढ़ संकल्प है कि ग्रामीण अंचलों की महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और आर्थिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाएं। बिहान, मुद्रा योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से हम महिलाओं को न केवल वित्तीय सहयोग दे रहे हैं, बल्कि उन्हें प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और बाज़ार तक पहुँच भी प्रदान कर रहे हैं। श्रीमती लालमती जैसी महिलाएं छत्तीसगढ़ की नई सामाजिक-आर्थिक चेतना की प्रतीक हैं।छत्तीसगढ़ शासन की प्राथमिकता है कि हर महिला अपने पैरों पर खड़ी हो, सम्मान के साथ जीवन जिए और दूसरों के लिए प्रेरणा बने।
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रायपुर : बालोद जिला के दल्लीराजहरा की आवर्धन जलप्रदाय योजना हेतु 43 करोड़ 63 लाख 28 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर द्वारा प्रदान की गई है। योजना का वित्तीय ढांचा 70 प्रतिशत अनुदान एवं 30 प्रतिशत ऋण पर आधारित होगी।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि योजना को निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जाना आवश्यक है तथा योजना के कार्यों हेतु निविदा आमंत्रण के पूर्व कार्य विभाग मैन्युअल के संशोधित प्रावधानों के तहत विस्तृत प्राक्कलन बनाकर सक्षम अधिकारी से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किया जाना सुनिश्चित किया जाए। आवर्धन जलप्रदाय योजना पूर्ण होने के पश्चात संधारण एवं संचालन का उत्तरदायित्व, मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद, दल्लीराजहरा, जिला बालोद का होगा।
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सांसद, विधायक और पंचायतों के अध्यक्ष सलाहकार मंडल में शामिल
आदिम जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने जारी किया आदेश
रायपुर : राज्य शासन द्वारा एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना सलाहकार मंडल के अध्यक्ष पद पर सांसदों, विधायकों एवं जिला पंचायत तथा जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधियों का मनोनयन किया गया है। इस आशय का आदेश मंत्रालय महानदी भवन स्थित आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा द्वारा जारी कर दिया गया है। एकीकृत आदिवासी विकास परियोजनाओं में मनोनित हुए अध्यक्षों का नाम इस प्रकार है -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशानुरूप जल संसाधन विभाग के कार्याें में पारदर्शिता और क्रियान्वयन में तेजी लाने के उद्देश्य से नवीन दर अनुसूची (एसओआर) को एक मई 2025 से लागू कर दिया गया है। जल संसाधन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में सभी तकनीकी अधिकारियों को नवीन एसओआर को लेकर प्रशिक्षण दिए जाने हेतु कार्यशालाओं का आयोजन के साथ ही उप अभियंताओं को एसओआर बुकलेट की नवीन प्रति भी उपलब्ध करा दी गई है। जिसका उपयोग उप अभियंता निर्माण कार्यों के मूल्यांकन में कर रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि नवीन एसओआर की संरचना पूर्व एसओआर से काफी भिन्न है। इसको ध्यान में रखते हुए विभागीय सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो के मार्गदर्शन में तकनीकी कठिनाइयों के समाधान हेतु राज्यभर में कार्यशालाओं का आयोजन भी जल संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
अब तक बिलासपुर, जांजगीर और दुर्ग जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। इसी क्रम में सोमवार को रायपुर में भी कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत महानदी परियोजना एवं महानदी गोदावरी कछार के अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसी कड़ी में 12 जून को विद्युत/यांत्रिकी विभाग के उप अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसी तरह सरगुजा और जगदलपुर क्षेत्रों के विभागीय अभियंताओं को नवीन एसओआर के प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग तिथियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन प्रशिक्षण कार्यशालाओं में दर अनुसूची के निर्माण, संकलन एवं विश्लेषण से जुड़ी तकनीकी टीम द्वारा नए और पुराने एसओआर का तुलनात्मक विश्लेषण संबंधी गहन जानकारी दी जा रही है। मैदानी अमले में कार्यरत अभियंताओं के प्रश्नों एवं शंकाओं का समाधान भी किया जा रहा है। सचिव श्री टोप्पो ने जल संसाधन विभाग के सभी अधिकारियों को नवीन एसओआर का गहन अध्ययन कर विभागीय कार्यों के मूल्यांकन में पूरी सजगता के साथ उसका उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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अब शिक्षक विहीन नहीं रहा राज्य का कोई भी प्राथमिक, माध्यमिक और हायर सेकेण्डरी स्कूल
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया बच्चों के भविष्य को संवारने का सफल प्रयास: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के बेहद सार्थक परिणाम सामने आए हैं। राज्य की कुल 453 शिक्षक विहीन शालाओं में से 447 स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। राज्य में 16 जून से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र से इन स्कूलों में घंटी बजेगी, क्लास लगेगी और बच्चों के पढ़ाई के स्वर गुंजेंगे। शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना से एक नई उम्मीद जगी है। गांवों में शिक्षक के आने की खबर से पालक और बच्चे बेहद खुश हैं। शासन-प्रशासन का आभार जताने के साथ ही पालकगण बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद फिर से संजोने लगे हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि शिक्षा हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य के कई स्कूल शिक्षक विहीन स्थिति में थे विशेष रूप से सुदूर अंचलों के। इसलिए हमनें युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से लागू किया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि जहां-जहां जरूरत हो वहां शिक्षकों की तैनाती हो। राज्य के शत-प्रतिशत शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना इस प्रक्रिया की सफलता का प्रमाण है। यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में किया गया सफल प्रयास है।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत शिक्षक विहीन 357 प्राथमिक शालाओं, 30 माध्यमिक शालाओं में नियमित शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है। राज्य के शिक्षक विहीन 66 हाई स्कूलों में से सुकमा जिले के 4 हाई स्कूल तथा नारायणपुर जिले के 2 हाई स्कूल में शिक्षकों की पदस्थापना के लिए अभी काउंसलिंग की प्रक्रिया जारी है, जबकि 60 शिक्षक विहीन हाईस्कूलों में शिक्षकों की तैनाती पूरी कर ली गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी नारायणपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के 3 शिक्षक विहीन हाई स्कूलों में से सुलेगा धौड़ाई हाई स्कूल में 3 शिक्षकों की नियुक्ति युक्तियुक्तकरण के माध्यम से पूरी कर ली गई है। हाईस्कूल कन्हारगांव एवं सोनपुर हाईस्कूल में शिक्षकों की तैनाती के लिए 12 जून को काउंसलिंग की जाएगी। इसी तरह सुकमा जिले के चिंतलनार, गुम्मा, गंजेनार एवं कांजीपानी हाई स्कूल जिला स्तर पर पूरी हो चुकी युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के बाद भी शिक्षक विहीन हैं। इन हाई स्कूलों में राज्य स्तर पर होने वाली काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकों की पदस्थापना की उम्मीद जिला प्रशासन को है। जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा ने बताया कि उक्त चारों हाई स्कूलों के कैम्पस में संचालित पूर्व माध्यमिक शालाओं एवं अतिथि शिक्षकों के माध्यम से यहां अध्ययन-अध्यापन का प्रबंध पूर्व से ही होता रहा है। अब तक की स्थिति में सुकमा जिले के 4 और बीजापुर जिले के मात्र 2 हाई स्कूलों को फिलहाल छोड़ भी दें, (जबकि इन 6 हाई स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती अभी प्रक्रियाधीन है) तो राज्य में प्राथमिक शाला से लेकर हायर सेकण्डरी स्कूल तक अब ऐसा कोई भी स्कूल है, जो शिक्षक विहीन हो।
यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य का कोई भी हायर सेकेण्डरी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं था। मात्र 4 हायर सेकेण्डरी स्कूल एकल शिक्षकीय थे, जिनमें युक्तियुक्तकरण के तहत एक से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति गई है। युक्तियुक्तकरण के तहत हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में विषयवार व्याख्याताओं की नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर की गई है, ताकि बच्चों को नियमित रूप से अध्ययन-अध्यापन का बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके।
राज्य में 5672 प्राथमिक स्कूल एकल शिक्षकीय थे, इनमें से युक्तियुक्तकरण के बाद 4465 स्कूलों में दो अथवा दो से अधिक शिक्षकों की तैनाती पूरी कर ली गई है। राज्य में मात्र 1207 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय रह गई हैं। इसी तरह 211 एकल शिक्षकीय पूर्व माध्यमिक शालाओं में से 204 शालाओं दो अथवा दो अधिक शिक्षकों की तैनाती की गई है, अब मात्र 7 माध्यमिक शालाएं ही राज्य में एकल शिक्षकीय रह गई हैं। इन शालाओं में भी और अधिक शिक्षकों की तैनाती को लेकर शिक्षा विभाग व्यवस्था बनाने में जुटा है। इसी तरह राज्य के 49 एकल शिक्षकीय हाई स्कूलों में से 48 हाई स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की पदस्थापना पूरी कर ली गई है। आज की स्थिति में राज्य में मात्र एक हाई स्कूल एकल शिक्षकीय बचा है।
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युक्तियुक्तकरण से अब नहीं है जिले का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन
रायपुर : शिक्षा के क्षेत्र में बीजापुर जिले के लिए यह एक ऐतिहासिक मोड़ है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत जिले के 78 शिक्षक विहीन स्कूलों में अब नियमित शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि वर्षों से बंद पड़े स्कूलों में फिर से पढ़ाई होगी।
जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन के निर्देशों के अनुरूप युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसके तहत जिले में चिन्हांकित 198 अतिशेष शिक्षकों में से 189 शिक्षकों की नई पदस्थापना की गई है। इनमें 104 सहायक शिक्षक, 13 प्रधान अध्यापक (प्राथमिक), 45 शिक्षक, 31 प्रधान अध्यापक (माध्यमिक) और 5 व्याख्याता शामिल हैं। नई पदस्थापना के तहत 82 शिक्षक पूरी तरह शिक्षकविहीन स्कूलों में, 44 शिक्षक एकल शिक्षक वाले स्कूलों में और 63 शिक्षक सामान्य जरूरत वाले स्कूलों में भेजे गए हैं। विशेष बात यह है कि जिले के 76 ऐसे स्कूल जो दो दशकों से बंद पड़े थे, वहां अब पहली बार नियमित शिक्षक तैनात किए गए हैं। इनमें गुंडापुर, मुदवेंडी, हिरमगुंडा, बोटेतोंग, गुंजेपरती, जीड़पल्ली और मुरकीपाड़ जैसे दुर्गम और अतिसंवेदनशील इलाके शामिल हैं। इन गांवों में अब शिक्षकों की नियमित आवाजाही शुरू होगी, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
इसी तरह एक उच्च माध्यमिक विद्यालय, जहां सभी व्याख्याता पद रिक्त थे, वहां अब हिंदी और सामाजिक अध्ययन विषयों के व्याख्याताओं की नियुक्ति कर दी गई है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी और स्कूल में विषयवार पढ़ाई सुनिश्चित की जा सकेगी। सरकार की इस पहल से शिक्षा व्यवस्था को मिली मजबूती एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। इस युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से यह साफ है कि सरकार बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में भी शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है। वर्षों से सुनसान पड़े स्कूलों में अब फिर से बच्चों की आवाजें गूंजेंगी और उनके उज्जवल भविष्य की नई इबारत लिखी जाएगी।
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बच्चों का भविष्य संवरने की राह हुई आसान, अब हमारे बच्चे बेकार नहीं बैठेंगे: मंगल सिंह पंडो
रायपुर : कोरबा शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा पंडोपारा गांव, जहां पंडो जनजाति के लोग रहते हैं। यहां जब पहली बार स्कूल खुला था, तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पालकों को उम्मीद थी कि उनके बच्चे अब शिक्षा से जुड़ेंगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे। लेकिन इस उम्मीद पर तब पानी फिरने लगा, जब स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही पदस्थ था। विद्यालय में एकमात्र शिक्षक होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा था। कभी शिक्षक छुट्टी पर होते, तो पूरी कक्षा बिना पढ़ाई के खाली बैठती थी। कई बार बच्चे सिर्फ स्कूल आकर दिनभर समय बिताकर लौट जाते थे। इस स्थिति से बच्चों के साथ-साथ पालक भी बेहद चिंतित रहते थे। गांव के ही मंगल सिंह पंडो ने बताया कि हमारे बच्चे स्कूल तो जाते थे, लेकिन पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती थी। एक ही गुरुजी थे, वो भी छुट्टी में होते तो पूरा स्कूल ठप पड़ जाता था। अब खबर मिली है कि नए शिक्षक आने वाले हैं। बहुत खुशी हो रही है कि अब हमारे बच्चे खाली नहीं बैठेंगे, हर कक्षा में पढ़ाई होगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से अब हालात बदल गए हैं। कोरबा जिले के 300 से ज्यादा एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन विद्यालयों में अब शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। इस प्रक्रिया के तहत जिले के 14 प्राथमिक शालाएं और 4 मिडिल स्कूल जो पहले शिक्षकविहीन थे, वहां अब पढ़ाई शुरू हो सकेगी। इसके अलावा 287 प्राथमिक और 20 मिडिल स्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। अब सभी मिडिल स्कूलों में कम से कम तीन शिक्षक और दूरस्थ क्षेत्रों की प्राथमिक शालाओं में दो शिक्षक पढ़ाएंगे। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और बच्चों को बेहतर माहौल मिलेगा। पाली विकासखंड के अंतिम छोर पर स्थित पंडोपारा गांव के बच्चे अब शिक्षकों की नई तैनाती से काफी उत्साहित हैं। कक्षा चौथी के छात्र जगदेश्वर पंडो, तीसरी कक्षा के राजेन्द्र और दूसरी कक्षा के मुकेश पंडो ने बताया कि वे बहुत खुश हैं कि अब उनके स्कूल में नए गुरुजी आ रहे हैं। राज्य सरकार की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा की रोशनी अब सबसे दूर बैठे बच्चों तक भी पहुंच रही है। युक्तियुक्तकरण ने पंडो समाज के बच्चों के भविष्य को एक नई दिशा दी है, जिससे वे भी मुख्यधारा से जुड़कर आगे बढ़ सकें।
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पालकों में खुशी की लहर बच्चों के उज्जवल भविष्य की जगी उम्मीद
रायपुर : रायगढ़ जिले के घरघोड़ा विकासखंड के दूरस्थ गांव बटुराकछार के बच्चों को अब बेहतर पढ़ाई का अवसर मिलने जा रहा है। यहां के प्राथमिक स्कूल में पहले सिर्फ एक शिक्षक ही थे, वह भी किसी दूसरे स्कूल से व्यवस्था के तहत पढ़ाने आते थे। लेकिन अब राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत इस स्कूल में 4 शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं।
इस स्कूल में 97 बच्चे पढ़ते हैं। शिक्षक की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। गांव के पालक इतवार दास महंत ने बताया कि उनका बेटा टिकेश्वर दूसरी कक्षा में पढ़ता है, लेकिन एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल चल रहा था। उन्होंने कहा कि बच्चों की शुरुआती पढ़ाई के साल बहुत जरूरी होते हैं और शिक्षक न होने से यह समय बर्बाद हो रहा था। अब शिक्षकों के आने से बच्चों की पढ़ाई सुधरेगी। गांव के ही शाखाराम राठिया ने भी शिक्षक मिलने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि उनका बेटा तुलेश तीसरी कक्षा में है और शिक्षक की अनुपस्थिति से पढ़ाई पर असर पड़ता था। पहले एक शिक्षक के छुट्टी पर जाने से पूरा स्कूल बंद करना पड़ता था, लेकिन अब यह समस्या नहीं रहेगी।
जिले के शिक्षा विभाग ने 3 और 4 जून को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी की है, जिससे जिले के 21 ऐसे स्कूलों में शिक्षक भेजे गए हैं, जहां पहले कोई शिक्षक नहीं था। अधिकतर स्कूल दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में हैं। अब यहां नियमित कक्षाएं लग सकेंगी और बच्चों की पढ़ाई फिर से पटरी पर लौटेगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में हो रही इस पहल से पालकों को अपने बच्चों के भविष्य को लेकर एक नई उम्मीद मिली है। शिक्षा विभाग की यह कोशिश ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रही है।
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रायपुर : वर्षों तक माओवाद की पीड़ा में सिसकते रहे बीजापुर जिले का छोटा सा गांव मुदवेंडी अब बदलाव की मिसाल बन गया है। जिला मुख्यालय से करीब 35-40 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव अब न केवल शुद्ध पेयजल और पक्की सड़क से जुड़ चुका है, बल्कि अब यहां बिजली की रोशनी ने भी दस्तक दे दी है। यह सब संभव हुआ है मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि और नियद नेल्लानार योजना की बदौलत। इस गांव में केवल 45 परिवार रहते हैं, पर इनके जीवन में हाल के दिनों में जो परिवर्तन आया है, वह अभूतपूर्व है। पहले जहां शाम होते ही अंधेरा छा जाता था और रात में एक कदम चलना भी जोखिम भरा होता था, वहीं अब बिजली आने से न केवल घरों में उजाला हुआ है, बल्कि ग्रामीणों के दिलों में भी उम्मीद की लौ जल उठी है।
माओवाद से सुशासन तक की यात्रा
लंबे समय तक माओवादी हिंसा की वजह से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे इस गांव में अब सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी हैं। यह बदलाव केवल सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर सामाजिक और शैक्षणिक जीवन पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।गांव के निवासी श्री हुंरा कुंजाम बताते हैं, हमारे गांव में वर्षों बाद बिजली पहुंची है। पहले जहां अंधेरे में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती थी, अब रात को भी बच्चे आराम से पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही सांप-बिच्छू और जंगली जानवरों के खतरे से भी अब राहत मिली है। हुंरा कुंजाम बताते हैं कि नियद नेल्लानार योजना के तहत वर्षों से बंद पड़ा स्कूल अब पुनः प्रारंभ हो चुका है। एक पीढ़ी के अंतराल के बाद गांव के बच्चों को अब अपने गांव में ही शिक्षा का अवसर मिल रहा है। ग्रामीणों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है।
खुशी का माहौल, उम्मीदों की नई सुबह
गांव के ही श्री लखमा कुंजाम का कहना है, बिजली आने से गांव में उत्सव का माहौल है। अब रात्रि में भी घर के काम आसानी से हो जाते हैं, बच्चे पढ़ते हैं और गांव पहले से कहीं अधिक सुरक्षित महसूस करता है।
नियद नेल्लानार योजना: उम्मीद की किरण
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए शुरू की गई नियद नेल्लानार योजना वास्तव में अब एक क्रांतिकारी बदलाव की वाहक बन चुकी है। इस योजना के तहत न केवल विकास के कार्य हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षा, विश्वास और आत्मनिर्भरता की नई राह भी मिल रही है। मुदवेंडी गांव की यह कहानी बताती है कि जब शासन की नीयत साफ हो और योजनाएं ज़मीन पर उतरें, तो दूरस्थ अंचलों में भी बदलाव की किरण पहुंच सकती है। अब अंधेरे की जगह उजाले की पहचान है मुदवेंडी। यह है सुशासन का सच और नई छत्तीसगढ़ की दिशा।
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वर्ष 2022, 2023 एवं 2025 में पदोन्नत हुए छात्रावास अधीक्षकों की काउंसिलिंग के माध्यम से पदस्थापना के लिए दिशा-निर्देश जारी
25 जून तक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग से जारी होगा पदस्थापना आदेश
रायपुर : आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा है कि वर्ष 2022, 2023 एवं 2025 में पदोन्नत हुए छात्रावास अधीक्षकों की पदस्थापना में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को काउंसलिग के माध्यम से संपन्न कराया जाए। मंत्री श्री नेताम ने यह निर्देश मंगलवार को आदिम जाति तथा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, नवा रायपुर में 19 जिलों के सहायक आयुक्त एवं परियोजना प्रशासकों के साथ विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संचालित 3357 छात्रावास-आश्रमों में छात्रावास अधीक्षक रीढ़ के समान है। इस पर संबंधित संस्था के सुचारू रूप से संचालन की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी होती है। अतः इनकी नियुक्ति, सेवा शर्तें, पदोन्नति एवं पदस्थापना संबंधी कार्यों पर प्रमुखता से ध्यान देने की जरूरत है।
आदिम जाति विकास मंत्री श्री नेताम ने कहा कि वर्ष 2022 में आयुक्त कार्यालय के आदेश द्वारा कुल 491 छात्रावास अधीक्षकों को श्रेणी “द ” से श्रेणी “स” के पद पर पदोन्नत किया गया है, परन्तु इनकी पदस्थापना अभी तक नहीं हो पाई, क्योंकि कुछ जिलों में स्वीकृत पद से अधिक अधीक्षक नियुक्त थे कई जगह पो.मैट्रिक संस्थाओं में रिक्त पदों की संख्या पर्याप्त नहीं थी। इसके साथ ही पदस्थापना के संबंध में कई प्रकार की अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं।
पदस्थापना नहीं होने से अधीक्षकों की सेवा शर्तों संबंधी समस्याएं आ रही थी। इसी प्रकार अप्रैल 2025 में कुल 486 छात्रावास अधीक्षकों को श्रेणी “द” से श्रेणी “स” के पद पर पदोन्नत किया गया है। अब इन सभी पदोन्नत अधीक्षकों की पदस्थापना पारदर्शी तरीके से एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत् काउंसिलिंग के माध्यम से किये जाने हेतु मंत्री श्री नेताम के निर्देश पर विभाग द्वारा निर्णय लिया गया है। इसके लिए जिला स्तरीय, संभाग स्तरीय एवं राज्य स्तरीय समिति का गठन किए जाने हेतु निर्देश जारी किए गए हैं। इनमें जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर, संभाग स्तरीय समिति के अध्यक्ष संभागायुक्त एवं राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास विभाग होंगे।
जिला स्तरीय समिति को 12-13 जून से प्रक्रिया प्रारंभ कर 16 जून तक संपन्न करने के निर्देश दिए गए हैं इसी प्रकार संभाग स्तरीय समिति 17-18 जून से 19-20 जून तक एवं राज्य स्तरीय समिति को 20-21 जून से लेकर 22-23 जून तक प्रक्रिया संपन्न करने हेतु निर्देशित किया गया है। जिला स्तरीय समिति एवं संभाग स्तरीय समिति द्वारा जारी पदस्थापना प्रस्ताव को जिला मुख्यालय में कलेक्टर एवं सहायक आयुक्त कार्यालय एवं संभाग मुख्यालय में संभागीय आयुक्त एवं सहायक आयुक्त संभाग मुख्यालय के कार्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करेंगे। उक्त प्रस्तावों पर किसी भी प्रकार की दावा-आपत्ति होने पर आवेदक राज्य स्तरीय समिति के समक्ष सूची प्रकाशन के 02 दिवस के भीतर अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है।राज्य स्तरीय समिति प्राप्त अभ्यावेदन का निराकरण 02 दिवस के भीतर कर आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, नवा रायपुर को पदस्थापना सूची जारी करने हेतु प्रतिवेदन देगी। राज्य स्तरीय समिति के द्वारा जारी अनुशंसित सूची में कोई त्रुटि या आपत्ति होने पर आवेदक विभाग के भारसाधक सचिव के समक्ष सूची जारी होने के 02 दिवस के भीतर अभ्यावेदन प्रस्तुत करेंगे, जिस पर भारसाधक सचिव द्वारा नियमानुसार अभ्यावेदन का निराकरण किया जाएगा। इस प्रकार प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता के साथ संपन्न होगी। प्रत्येक समिति के दायित्व एवं अन्य नियम-शर्तों का विस्तार से उल्लेख शासन द्वारा जारी आदेश में किया गया है। आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा 25 जून तक पदस्थापना आदेश भी जारी कर दिया जाएगा। काउंसलिंग प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो, इसके लिए प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा स्वयं पूरी प्रक्रिया की सतत मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
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आश्रम-छात्रावास के अधीक्षकों की पदस्थापना काउंसिलिंग के माध्यम से करें
सभी अधिकारी आश्रम-छात्रावासों का करें नियमित निरीक्षण
आदिम जाति विकास मंत्री ने की विभागीय काम-काज की समीक्षा
रायपुर : आदिम जाति मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा है कि आश्रम-छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराने के लिए नये शिक्षण सत्र के प्रारंभ होने से पहले राज्य के सभी आश्रम-छात्रावासों की मरम्मत, साफ-सफाई, पेयजल, रंग-रोगन आदि की व्यवस्था कर ली जाए। उन्होंने नवा रायपुर में विभागीय काम-काज की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को आश्रम-छात्रावासों के नियमित निरीक्षण और रख-रखाव कराने के निर्देश दिए।
आदिम जाति विकास मंत्री श्री नेताम ने कहा है कि आदिम जाति कल्याण विभाग में आश्रम-छात्रावासों के अधीक्षक के पद पर पदोन्नत होने वाले अधीक्षकों की पदस्थापना के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाए। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से एक दिन आश्रम-छात्रावास में समय बिताने और विद्यार्थियों के साथ भोजन करने को भी कहा। श्री नेताम ने बैठक में कहा कि आगामी दो वर्षों में सभी आश्रम छात्रावासों के लिए भवन निर्माण किया जाना है, इसलिए भवनविहिन आश्रम-छात्रावासों का चिन्हांकन कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जिन आश्रम-छात्रावासों में सीटों की संख्या बढ़ाई गई है वहां रहने वाले छात्रों के लिए अतिरिक्त भवन अथवा कमरों की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
श्री नेताम ने राज्य में प्रयास विद्यालयों की व्यवस्था और रख-रखाव के लिए भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों में छात्रों को अखिल भारतीय इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान के चयन के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कराने कहा।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि आगामी 15 जून से प्रधानमंत्री धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष कैंप लगाए जाएंगे। राष्ट्रीय स्तर पर 15 जून से शुरू होगी। राज्य में 16 और 17 जून को दो दिवसीय राज्य स्तरीय अभियान चलाया जाएगा, वहीं जिला स्तर पर 17 से 20 जून और विकासखण्ड स्तर पर 20 से 30 जून तक चलेगा। इस अभियान के तहत पीएम जनमन योजना से छुटे हुए जनजातीय परिवारों के आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, वनाधिकार पत्र जैसे दस्तावेज बनाए जाएंगे। शासकीय योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मंत्री श्री नेताम ने सिकलसेल और टीव्ही मुक्त भारत अभियान के प्रति भी बच्चों को जागरूक करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।मंत्री श्री नेताम ने बैठक में कहा कि निर्धारित मीनू के आधार पर आश्रम और छात्रावास के बच्चों को भोजन उपलब्ध कराया जाए। आश्रम-छात्रावासों की दीवारों पर महापुरूषों के संदेशों का लेखन किया जाए। साथ ही बच्चों में शैक्षणिक क्षमता को बढ़ाने के लिए भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता कराई जाए। उन्होंने आश्रम-छात्रावासों की विशिष्ट पहचान बनाने पर जोर दिया। मंत्री श्री नेताम ने विभाग में सुशासन तिहार के तहत प्राप्त आवेदनों के निराकरण की भी जानकारी ली। उन्होंने निराकरण के लिए शेष बचे आवेदनों को गंभीरता के साथ निराकरण करने के निर्देश दिए।
विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए 75 बहुउद्देशीय भवन
बैठक में जानकारी दी गई कि विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के समग्र विकास के लिए राज्य में 75 बहुउद्देशीय भवन का निर्माण किया जा रहा है। 31 भवनों का निर्माण लगभग पूर्णतः की ओर है। इन भवनों में सांस्कृतिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और सामाजिक गतिविधियां आयोजित की जा सकेगी। उन्होंने अधिकारियों को इन भवनों के तेजी से पूर्ण कराने के निर्देश भी दिए। बैठक में आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा, उप सचिव श्री बी.एस. राजपूत, अपर संचालक श्री संजय गौड़, श्री जितेन्द्र गुप्ता, कार्यपालन अभियंता श्री त्रिदीप चक्रवर्ती सहित जिलों के परियोजना प्रशासक और सहायक आयुक्त उपस्थित थे।
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रायपुर : आदिमजाति, अनुसुचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्या कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम कल 10 जून को सवेरे 11ः30 बजे से नया रायपुर स्थित आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सभा कक्ष में अधिकारीयों की बैठक लेकर विभागीय काम-काज की प्रगति की समीक्षा करेगें। बैठक में सभी जिलों के परियोजना प्रकाशक, एकिकृत आदिवासी विकास परियोजना तथा बस्तर, सरगुजा व दुर्ग संभाग के जिलो के सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास को आध्यतन जानकारी के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए गए।
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कृषि विश्वविद्यालय में चार दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का समापन
रायपुर : कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राम विचार नेताम ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मंडपम में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव के समापन समारोह मे शामिल हुए। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन तथा प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का आज यहा समापन हुआ।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रामविचार नेताम थे। वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री केदार कश्यप, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजस्व तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंकराम वर्मा, महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष श्री चन्द्रहास चन्द्राकर, छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के अध्यक्ष श्री राम प्रताप सिंह तथा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री आर.एस. विश्वकर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
समारोह की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस अवसर पर राष्ट्रीय आम महोत्सव में लगाई गई आम प्रदर्शनी के अंतर्गत विभिन्न आम प्रजातियों में पुरस्कार प्राप्त करने वाले आम उत्पादक किसानों तथा संस्थाओं को पुरस्कृत किया गया। छत्तीसगढ़ में आम उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रगतिशील कृषकों को भी सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय आम महोत्सव का समापन करते हुए कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित इस वृहद एवं भव्य राष्ट्रीय आम महोत्सव में छत्तीसगढ़ के किसानों एवं आम नागरिकों को 1600 से अधिक आमों को देखने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तथा राज्य शासन का संचालनालय उद्यानिकी धन्यवाद का पात्र है। उन्होंने कहा कि यहां आकर अनेक नई-नई किस्मों को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों को भी आम की नई-नई उन्नत एवं विभिन्न गुणों से परिपूर्ण प्रजातियों के बारे में जानने का मौका मिला। इसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ के किसान आम की नई प्रजातियों के उत्पादन के लिए प्रेरित होंगे। श्री नेताम ने आम की नवीन उन्नत किस्मों के विकास के लिए देश के कृषि वैज्ञानिकों को बधाई दी। श्री नेताम ने कहा कि इस तरह के आयोजन राजधानी रायपुर के अलावा बस्तर एवं सरगुजा जैसे आदिवासी बहुल संभागों में भी आयोजित किये जाने चाहिए जिससे इन आदिवासी अंचलों के किसानों को भी लाभ मिल सके। श्री नेताम ने कहा कि आम महोत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों की लोकप्रिय आम प्रजातियों के साथ ही बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों से 120 आम प्रजातियां शामिल की गई हैं जो छत्तीसगढ़ में आम की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय तथा उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को छत्तीसगढ़ में आम उत्पादन को और अधिक प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने राष्ट्रीय आम महोत्सव के बारे में मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों को जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की 427 से अधिक किस्मों के 1200 से अधिक प्रादर्श एवं आम से बने 56 तरह के व्यंजनों का प्रदर्शन किया गया। विगत तीन दिनों में राष्ट्रीय आम महोत्सव में 10 हजार से अधिक लोगों ने मेले एवं प्रदर्शनी का अवलोकन किया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए आम उत्पादकों द्वारा आम के विभिन्न किस्मों के फलों तथा पौधों का विक्रय भी किया गया जहां किसानों एवं आम नागरिकों द्वारा लगभग 50 हजार पौधे क्रय किये गये। मेले में बड़ी संख्या मात्रा में विभिन्न आम प्रजातियों के फलों का विक्रय भी किया गया। डॉ. चंदेल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय परिसर में लगातार दूसरी बार आयोजित यह राष्ट्रीय आम महोत्सव सभी मायनों में काफी सफल रहा।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा छत्तीसगढ़ में आम के उत्पादन हेतु विशिष्ट योगदान देने वाले प्रगतिशील कृषकों - श्री सुरेश गुप्ता ग्राम सिलफिली, जिला अम्बिकापुर, श्री तोरन लाल धु्रव ग्राम बारूका जिला गरियाबंद और श्री सुरेश ठाकुर ग्राम चंदनीडीह जिला रायपुर को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विभाग तथा उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कृषि वैज्ञानिक तथा बड़ी संख्या में आम उत्पादक किसान उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का किया शुभारंभ
आम महोत्सव के आयोजन से फलों और उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए किसान होंगे प्रोत्साहित
9 जून तक चलेगा राष्ट्रीय आम महोत्सव
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि आम की खेती किसानों की आय बढ़ाने की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। किसान जितने ज्यादा आम के पौधे लगाएंगे, उतना ज्यादा फायदा होगा। आम और उद्यानिकी फसलों की खेती से हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने में मदद मिलेेगी।
मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मण्डपम् में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ऐेसे उत्सवों से फलों और उद्यानिकी फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर तथा संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन तथा प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय आम महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की।
इस अवसर पर विधायक पद्मश्री श्री अनुज शर्मा, छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, कृषि वैज्ञानिक, छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों से आये आम उत्पादक किसान और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री सहित अतिथियों ने इस अवसर पर प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के ‘न्यूज लेटर‘ का विमोचन किया। आयोजकों द्वारा अतिथियों का उन्नत किस्म के आम के ग्राफ्टेड पौधे देकर सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति और विशेषकर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं में आम का विशेष महत्व है। छत्तीसगढ़ में सभी मांगलिक एवं धार्मिक कार्यां में आम के पत्तों, फलों एवं अन्य अंगों का उपयोग किया जाता है तथा आम के पेड़ को बहुत ही शुभ माना जाता है। श्री साय ने कहा कि भारत में आम की समृद्ध जैवविविधता देखने को मिलती है और यहां आम की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं जो अपने विशिष्ट स्वाद, सुगंध और गुणों के कारण दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय हैं। आम के इन्ही विशिष्ट गुणों के कारण इसे फलों का राजा भी कहा जाता है।
श्री साय ने कहा कि इस भव्य और वृहद आम महोत्सव में छत्तीसगढ़ वासियों को आम की सैकड़ों विशिष्ट एवं दुर्लभ प्रजातियां देखने का अवसर प्राप्त हुआ। श्री साय ने कहा कि आज यहां उन्हें स्वयं आम की अनेकों दुर्लभ किस्में देखने को मिली जो उन्होंने अपने जीवन में इससे पूर्व नहीं देखी थी। इनमें से एक प्रजाति बीजापुर की हाथीझुल किस्म है जिसका एक-एक फल दो किलो से लेकर चार किलो तक वजन का होता है। श्री साय ने आशा व्यक्त की कि आगामी वर्षों में यहां आम महोत्सव और भी भव्य एवं वृहद स्तर पर आयोजित किया जाएगा जिससे रायपुर को एक नई पहचान मिलेगी।
शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए धरसींवा विधायक श्री अनुज शर्मा ने कहा कि आम महोत्सव में लगी आम प्रदर्शनी में 2 इंच से लेकर 15 इंच आकार तक के आम के फल देखने को मिल रहे हैं जो रायपुर वासियां के लिए एक सुखद एवं अनोखा अनुभव है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास करना होना चाहिए की रायपुर शहर से अधिक से अधिक लोग आम महोत्सव में पहुंच कर आम की इन किस्मों को देख सकें।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने राष्ट्रीय आम महोत्सव के बारे में मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों को जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की 200 से अधिक किस्मों एवं आम से बने 56 व्यंजनों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इस आम महोत्सव में छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों के 450 से अधिक किसानों द्वारा विभिन्न किस्मों के 1200 से अधिक आमों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके साथ ही आमों से बने 56 उत्पादों का प्रदर्शन भी किया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों से आए आम उत्पादकों द्वारा आम के विभिन्न किस्मों के फलों तथा पौधों का विक्रय भी किया जा रहा है।
डॉ. चंदेल ने मुख्यमंत्री श्री साय को प्राकृतिक रूप से पके आमों की विभिन्न प्रजातियों से भरी टोकरी भेंट की। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मास मीडिया एवं पब्लिकेशन सेल द्वारा प्रकाशित न्यूज लेटर का विमोचन भी किया गया। कुलपति डॉ. चंदेल ने इस अवसर पर घोषणा की कि आम महोत्सव में नागरिकों के उत्साह एवं मांग को देखते हुए राष्ट्रीय आम महोत्सव की अवधि एक दिन और बढ़ायी जा रही है अब आम महोत्सव का समापन सोमवार 9 जून, 2025 को होगा। कार्यक्रम के अंत में कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी द्वारा अतिथियों के प्रति आभार प्रदर्शन किया गया।
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विदेशी कलाकारों द्वारा प्रवेश हेतु बढ़-चढ़कर किया जाता है आवेदन
रचनात्मक प्रतिभा को उजागर कर, कला के क्षेत्र में रच रहा नया इतिहास
प्रवेश हेतु पंजीयन की अंतिम तिथि 16 जून
रायपुर : छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ नृत्य, संगीत एवं ललित कला के क्षेत्र में एशिया का एकमात्र विशिष्ट विश्वविद्यालय है। यह संस्थान विद्यार्थियों के लिए एक समग्र, शोधोन्मुख एवं विद्यार्थी-केंद्रित वातावरण तैयार कर उनकी रचनात्मक क्षमता को जागृत करने और कला की गहराइयों से परिचित कराने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। संगीत विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया गया है। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया का पंजीयन 16 जून तक होगी। प्रवेश के लिए प्रथम अभिरुचि परीक्षा 24 से 27 जून तक आयोजित होगा, 30 जून तक इसका परिणाम जारी किया जाएगा। इसी तरह द्वितीय अभिरुचि परीक्षा 22 से 24 जुलाई तक आयोजित होगी, इसकी चयन सूची 25 जुलाई को जारी की जाएगी।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों के विदेशी विद्यार्थियों द्वारा भी इस विश्वविद्यालय में प्रवेश हेतु बढ़-चढ़कर आवेदन किए जा रहें है। इस विश्विद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर हिन्दुस्तानी गायन, हिन्दुस्तानी वायलिन, सितार, सरोद, तबला, कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी, लोक संगीत, नाटक, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, टेक्सटाइल्स डिज़ाइन जैसे पाठ्यक्रमों में डिप्लोमा और डिग्री दी जाती है। इस विस्तृत पाठ्यक्रम संरचना से न केवल कला की विविध धाराओं में पारंगत होने का अवसर मिलेगा, बल्कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा। इसके साथ-साथ विश्वविद्यालय में शोधात्मक गतिविधियों के विस्तार हेतु विभिन्न विषयों में पीएच.डी. एवं डी.लिट् की सुविधा प्रदान करने वाला संभवतः भारत का एकमात्र विश्वविद्यालय है।
विश्वविद्यालय की अनोखी विशेषताएँ
इंदिरा गांधी कला विश्वविद्यालय रचनात्मकता का मुक्त मंच- यहां छात्रों को अनुभवी शिक्षकों द्वारा मनोहारी प्राकृतिक वातावरण में तनावरहित शिक्षण एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे उनकी कला में गहराई एवं शोध का समागम होता है। नृत्य, संगीत, ड्रामा एवं ललित कला के साथ-साथ अन्य विषयों की भी व्यापक जानकारी दी जा रही है, जिससे छात्रों का बौद्धिक विकास सुनिश्चित हो रहा है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य शुद्ध अंतःकरण एवं बाधा रहित प्रशिक्षण व्यवस्था के साथ कला साधकों को ज्ञान के नए आयामों तथा कला की सच्ची भावना से परिचित कराना है। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय न केवल एक शिक्षण संस्थान है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ विद्यार्थी अपनी रचनात्मक प्रतिभा को उजागर कर, कला के क्षेत्र में नया इतिहास रच रहे हैं। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा लगातार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 700 से अधिक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। हाल ही में यूथ-फेस्टिवल में संगीत विश्वविद्यालय द्वारा चौंपियनशिप ट्राफी प्राप्त किया है। इस विश्वविद्यालय को सभी कला साधकों एवं समुदाय के लिए एक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित किया गया है, जहाँ परंपरा एवं नवाचार साथ-साथ प्रगति कर रहें हैं। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2025-26 के प्रवेश हेतु विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाईट www.iksv.ac.in पर विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
लोगों से “एक पेड़ मां के नाम” अभियान से जुड़ने की अपील
रायपुर : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज कांकेर जिले के संबलपुर स्थित हाई स्कूल मैदान परिसर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत बादाम का पौधा रोपित किया। यह कार्यक्रम राज्य में पर्यावरण संरक्षण को जनआंदोलन बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ कांकेर सांसद श्री भोजराज नाग, अंतागढ़ विधायक श्री विक्रमदेव उसेंडी, विधायक श्री आशाराम नेताम सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं आम नागरिकों ने भी उत्साहपूर्वक वृक्षारोपण किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि एक पेड़ मां के नाम अभियान केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, यह माता के प्रति श्रद्धा, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य की संकल्पना है। जब हम अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाते हैं, तो उसमें भावनात्मक जुड़ाव आता है और हम उसकी देखभाल भी पूरे मन से करते हैं। उन्होंने आम नागरिकों से अपील की कि वे इस अभियान में सहभागी बनें और अपनी माता, आराध्य देवी-देव के नाम पर कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल छत्तीसगढ़ को हरित प्रदेश बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। एक पेड़ मां के नाम अभियान एक अभिनव पहल है, जिसका उद्देश्य पर्यावरणीय जागरूकता के साथ सामाजिक और भावनात्मक सरोकार को जोड़ना है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
भानुप्रतापपुर और दुर्गकोंदल में गोंडवाना सामाजिक भवन के लिए 25-25 लाख रूपए की घोषणा
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान में सहभागिता की अपीलरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज कांकेर जिले के संबलपुर हाई स्कूल कराठी में आयोजित दो दिवसीय बुढालपेन करसाड़ एवं मांदरी महोत्सव 2025 के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। यह महोत्सव क्षेत्र की पारंपरिक आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को सहेजने का महत्वपूर्ण आयोजन है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर आदिवासी समाज के आराध्य देव बूढ़ादेव की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि यह उत्सव हमारे पूर्वजों की परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है, जो नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम है। मुख्यमंत्री ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आज विश्व पर्यावरण दिवस भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत उन्होंने सभी लोगों से अपनी माता के नाम पर एक पेड़ लगाने की अपील की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम में भानुप्रतापपुर और दुर्गुकोंदल में गोंडवाना समाज के भवन निर्माण के लिए 25-25 लाख रुपये, गोंडवाना समाज के 12 परगना में शेड निर्माण के लिए 10-10 लाख रुपये, 5 सर्कल में शेड निर्माण के लिए 5-5 लाख रुपये, ग्राम पंचायत संबलपुर के भवन निर्माण की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख आवासों की स्वीकृति दी गई, जिनमें से 3 लाख लोगों को प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा गृह प्रवेश भी कराया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण हेतु महतारी वंदन योजना, मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना, तेंदूपत्ता बोनस योजना, सुशासन तिहार, धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना, पीएम जनमन योजना तथा होम स्टे योजना जैसे अनेक नवाचारों को लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि गांवों में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अब तक 1460 ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सेवा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) खोले जा चुके हैं। आगामी समय में हर पंचायत में अटल डिजिटल सेवा केंद्र प्रारंभ किए जाएंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने नीति आयोग द्वारा आकांक्षी विकासखंडों को प्रोत्साहन स्वरूप 75 लाख रुपये की राशि का चेक कलेक्टर श्री निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर को सौंपा। इस माके पर मुख्यमंत्री ने प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित किया और मावा मोदोल मंथन योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के माध्यम से युवाओं की रुचि के अनुसार उन्हें रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जिले के पांच टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों को भी सम्मानित किया।
कार्यक्रम को कांकेर सांसद श्री भोजराज नाग, अंतागढ़ विधायक श्री विक्रमदेव उसेंडी, भानुप्रतापपुर विधायक श्रीमती सावित्री मंडावी और कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम ने भी संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने इस आयोजन को आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास बताया। महोत्सव में गोंडवाना समाज समन्वय समिति भानुप्रतापपुर के अध्यक्ष श्री हरीश चंद्र कावड़े की अध्यक्षता में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। पारंपरिक वेशभूषा में सजे युवक-युवतियों ने लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दीं, जिससे पूरा परिसर उत्सव के रंग में रंग गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण नरेटी, मत्स्य कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री भरत मटियारा, पूर्व सांसद श्री मोहन मंडावी, पूर्व विधायक श्री देवलाल दुग्गा एवं श्रीमती सुमित्रा मारकोले, वरिष्ठ अधिकारीगण, बड़ी संख्या में ग्रामीणजन, जनप्रतिनिधिगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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विश्व पर्यावरण दिवस पर हरियाली का लिया संकल्प
अंबिकापुर के राज मोहिनी देवी कन्या महाविद्यालय परिसर में किया वृक्षारोपण
रायपुर : कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम आज अंबिकापुर (सरगुजा) जिले के प्रवास के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस पर आज स्थानीय राज मोहिनी देवी कन्या महाविद्यालय में आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण कर आम नागरिकों के साथ हरियाली का संकल्प लिया। मंत्री श्री नेताम ने कहा कि वृक्षारोपण प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे न केवल धरती का श्रृंगार हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण का उपहार भी हैं। उन्होंने लोगों को आह्वान करते हुए कहा कि आइए विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सब एकजुट होकर हरियाली बढ़ाने और धरती को हरा-भरा बनाने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि आज का एक पौधा कल के भविष्य को सुरक्षित करता है। इस अवसर पर अंबिकापुर नगर निगम की महापौर श्रीमती मंजूषा भगत, वरिष्ठ समाजसेवी श्री भरत सिंह सिसोदिया सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थी।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शालाओं के युक्तियुक्तकरण की दिशा में एक सार्थक पहल की जा रही है। इस पहल के तहत बस्तर संभाग के सात जिलों में कुल 1611 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे विद्यालयों की गुणवत्ता, संसाधनों की उपलब्धता और शैक्षणिक वातावरण में व्यापक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा से प्राप्त जानकारी के अनुसार बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर और सुकमा जिलों में ऐसी शालाओं को चिन्हित किया गया, जहाँ या तो छात्र संख्या बहुत कम थी या एक ही परिसर में अथवा निकट में दो से अधिक शालाएं संचालित हो रही हैं, इन शालाओं को एकीकृत कर उन्हें बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। संयुक्त संचालक शिक्षा ने बताया कि बस्तर संभाग के बस्तर जिले में 274, बीजापुर जिले की 65, कोण्डागांव जिले की 394, नारायणपुर की 80, दंतेवाड़ा जिले की 76, कांकेर जिले की 584 तथा सुकमा जिले की 138 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे शिक्षक विहीन एकल शिक्षकीय एवं आवश्यकता वाली अन्य शालाओं मेें अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना हो सकेगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही बच्चों को बेहतर शैक्षणिक संसाधन जैसे पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब और खेल सामग्री भी उपलब्ध हो सकेंगी।
संयुक्त संचालक, शिक्षा, बस्तर संभाग, जगदलपुर ने बताया कि एकीकृत शालाओं में एक ही परिसर में पढ़ाई होने से बच्चों को नियमित स्कूल आना आसान होगा, जिससे छात्रों की उपस्थिति दर में वृद्धि और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। इसके अलावा, प्रशासनिक खर्च में भी कमी आएगी और बचत को शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने में उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया नियोजित और चरणबद्ध रूप से संपन्न की जा रही है, जिसका उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और विद्यालय परिसरों को संसाधनयुक्त बनाना है। इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जिससे बस्तर संभाग के हजारों बच्चों को लाभ मिलेगा और छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान बना सकेगा।
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रायपुर : मेसर्स अरिहंत स्टील नारायणपुर जिला नारायणपुर के व्यवसाय स्थल पर स्टेट जीएसटी विभाग जगदलपुर द्वारा 31 मई को जांच की कार्यवाही की गई है। जब मौके पर जांच टीम पहुंची तो, देखा कि उनके व्यवसाय स्थल पर व्यवसाय से संबंधित कोई भी लेखा पुस्तक या सॉफ्टवेयर जैसे कि टैली का संधारण नहीं पाया गया, जबकि जीएसटी के प्रावधानों के अनुरूप व्यवसाय स्थल पर समस्त लेखा पुस्तकें रखा जाना अनिवार्य है। व्यवसायी ने बताया कि समस्त बिल, कर सलाहकार द्वारा जारी किया जाता है। इस कारण कर अपवंचन की संभावना और भी प्रबल हो गई। आगे जांच में पाया गया कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक कुल टर्न ओव्हर लगभग 16 करोड़ रुपये से अधिक किन्तु उस पर कर का नगद भुगतान मात्र 43 हजार रुपये का वर्तमान अवधि तक किया गया है।
साथ ही साथ जब ई-वे बिल की जांच की गई तो पता चला कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक माल की खरीदी 8.21 करोड़ रुपये की गई किंतु माल की सप्लाई के लिए कोई ई-वे बिल जारी नही किया गया। जिससे यह पता चलता है कि माल का विक्रय आम उपभोक्ता को किया गया है किन्तु बिल को अन्य व्यवसायियों को बेचकर बोगस इनपुट टैक्स का लाभ दिया गया है, जिससे कि केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार को कर राजस्व की अत्यधिक हानि हुई है। जांच के दौरान व्यवसायी के द्वारा अपनी गलती/त्रुटि स्वीकार करते हुए स्वैच्छिक रूप से 10 लाख रुपये का कर भुगतान करने की मंशा जाहिर की, किंतु जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने व्यवसाय स्थल पर उपलब्ध स्टॉक की मात्रा (अनुमानित कीमत 90 लाख रुपये ) के समर्थन में व्यवसायी से लेखा पुस्तकें एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग की। व्यवसायी की ओर से कोई भी जानकारी एवं दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। व्यवसायी द्वारा अपने परिचित कुछ मीडियाकर्मियों एवं व्यवसायियों को एकत्रित कर जांच टीम पर दबाव डालने का प्रयास किया गया। व्यवसायी के असहयोगात्मक रवैये एवं कर अपवंचन की विस्तृत जांच हेतु स्थानीय पुलिस की उपस्थिति में आगामी कार्यवाही तक व्यवसाय स्थल सील बंद किया गया है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय होंगे मुख्य अतिथि
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कल 3 जून को राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड की नवनियुक्त अध्यक्ष श्रीमती शालिनी राजपूत के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
इस गरिमामय कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री द्वय श्री अरूण साव एवं श्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, खाद्यमंत्री श्री दयालदास बघेल, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, श्रम एवं उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, खेल मंत्री श्री टंकराम वर्मा, सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, श्री भोजराज नाग, विधायक श्री किरण सिंह देव, श्री राजेश मूणत, श्री विक्रम उसेण्डी, श्री सुनील सोनी, श्री पुरंदर मिश्रा, श्री मोतीलाल साहू, श्री आशाराम नेताम एवं महापौर, नगर निगम रायपुर श्रीमती मीनल चौबे विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगी।