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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
129.8 करोड़ रूपये के विकास कार्यों की सौगात
30 नग हाईमास्ट लाईट के लिए 1.61 करोड़ रूपये की घोषणा
भैना समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए पर्यटन मंत्री
रायपुर : पर्यटन मंत्री श्री राजेश अग्रवाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का चहुंमुखी विकास हो रहा है। समाज के अंतिम छोर तक योजनाओं का लाभ पहुंच रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से क्षेत्र के विकास के लिए कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। वे आज गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के ग्राम मटियाडांड में आयोजित अन्तर्राज्यीय भैना समाज के नवाखाई महोत्सव को सम्बोधित कर रहे थे।पर्यटन मंत्री श्री अग्रवाल ने इस अवसर पर गौरला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले को 129 करोड़ 8 लाख 26 हजार रूपये की लागत से विभिन्न विकास कार्यों की सौगात दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भैना समाज द्वारा जो भी मांग की गई है, उसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने इस मौके पर भैना समाज के लोगों द्वारा सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए शॉल और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया। कार्यक्रम में भैना समाज के नर्मदांचल पेण्ड्रा परिक्षेत्र के अध्यक्ष श्री सेमलाल रघुवंश ने सामाजिक मांगों के संबंध में जानकारी दी।
पर्यटन मंत्री श्री अग्रवाल ने कार्यक्रम में जिन नवनिर्मित कार्यों का लोकर्पण किया उनमें 54.78 करोड़ रूपये की लागत के 23 कार्यों और 74.29 करोड़ रूपये की लागत के 81 कार्यों का भूमिपूजन शामिल हैं। उन्होंने इस मौके पर चौक-चौराहों में समुचित प्रकाश व्यवस्था के लिए 30 नग हाईमास्ट लाईट के लिए 1 करोड़ 61 लाख रूपये स्वीकृत करने की घोषणा की। कार्यक्रम में किसान समृद्धि योजना के तहत नलकूप खनन एवं पम्प स्थापना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन-बिहान के तहत चक्रीय निधि और महिला कोष के अंतर्गत सक्षम योजना के तहत 22 हितग्राहियों को 23 लाख 35 हजार रूपये का चेक वितरित किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री समीरा पैकरा, भैना समाज के पदाधिकारीगण, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में सामाजिक बंधु उपस्थित थे।
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पहले दिन प्रदेश के 204 खिलाड़ियों ने शतरंज की बिसात पर दिखाया जौहररायपुर : छत्तीसगढ़ स्टेट लेवल ओपन चेस टूर्नामेंट का शुभारंभ आज जशपुर के बालाजी मंदिर के पास स्थित कम्युनिटी हॉल में जशपुर विधायक रायमुनी भगत की उपस्थिति में शुभारंभ किया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ में खेल संस्कृति विकसित करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। इसी कड़ी में जशपुर में तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ स्टेट चेस एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित इस टूर्नामेंट में पहले दिन 204 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।
विधायक रायमुनी भगत ने की शतरंज टूर्नामेंट की औपचारिक शुरुआत
विधायक श्रीमती भगत ने शतरंज में हाथ आजमाते हुए औपचारिक रूप से खेल की शुरुआत की और खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि शतरंज का खेल मस्तिष्क का एक व्यायाम है जो भारत में पुराने समय से ही खेला जा रहा है। खेल की इस परंपरा से नागरिकों का परिचय कराना और इस क्षेत्र में प्रतिभावान खिलाड़ियों को उचित मंच प्रदान करना छत्तीसगढ़ की सरकार का उद्देश्य है। इस प्रकार के टूर्नामेंट का आयोजन प्रत्येक वर्ष होना चाहिए।
कलेक्टर जशपुर ने कहा कि जिले में कि जशपुर में भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी है ,वे आने वाले समय में राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिले को नई पहचान दिलाएंगें और विश्व चौंपियन बनेंगे। पहले दिन दो राउंड में 204 खिलाड़ियों ने शतरंज खेला। इसमें इंटरनेशनल रेटिंग प्राप्त 38 खिलाड़ी भी शामिल है। स्विस लीग पद्धति से आयोजित इस टूर्नामेंट में 08 साउंड के खेल सभी प्रतिभागी खिलाड़ियों को खेलने होंगे। पूरे 08 राउंड के प्रदर्शन के अनुसार खिलाड़ियों की रैंकिंग तय की जाएगी ।
छत्तीसगढ़ स्टेट लेवल ओपन चेस टूर्नामेंट उद्घाटन अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष अरविंद भगत, जनपद अध्यक्ष गंगाराम भगत, नरेश नंदे, चेस एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी सरोज वैष्णव सहित उपस्थित जनप्रतिनिधियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर श्री व्यास संग जिला पंचायत सीईओ श्री अभिषेक कुमार ने भी शतरंज के खेल में हाथ आजमाया।
शतरंज आयोजन समिति के अध्यक्ष ने जिले में खेल को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों, भारत में शतरंज के गौरवशाली इतिहास, टूर्नामेंट की विस्तृत जानकारी के विषय में बताते हुए खिलाड़ियों को उत्साह और खेल भावना के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने को कहा। इस दौरान आयोजन समिति के सचिव एवं खेल अधिकारी सहित समिति के पदाधिकारी एवं छत्तीसगढ़ स्टेट लेवल ओपन चेस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के साथ ही उनके खेल अधिकारी उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सड़कों और पुल-पुलिया के निर्माण से बदल रही है प्रदेश की तस्वीररायपुर : सडकों के जाल बिछने से प्रगति और समृद्धि की नई राहें खुल रही हैं। अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा कही जाने वाली सड़कों और पुल-पुलिया के निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इससे प्रदेश की तस्वीर तेजी से बदल रही हैं जो कि आम नागरिकों के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन भी ला रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश में विकास कार्यों ने अभूतपूर्व गति पकड़ी है।
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत सड़कों का निर्माण कार्य लगातार चल रहा है, जिसका उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना है। अक्टूबर 2025 में, जिले में नई सड़कों की मंजूरी मिली है, जिससे कई गांवों को लाभ होगा। इसी कड़ी में प्रधामनंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत जशपुर जिले के दुलदुला विकासखंड में 3 करोड़ 81 लाख 13 हजार रुपये की लागत से 17.22 किलोमीटर लंबी जामपानी से दुलदुला सड़क का नवीनीकरण कार्य प्रगति पर है। वर्षा समाप्त होने के उपरांत शेष निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। सड़क निर्माण पूर्ण होने पर ग्रामीणों के लिए आवागमन और भी सुगम होगा, जिससे दैनिक जीवन, व्यापार और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच आसान बनेगी।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में तेजी से हो रहा अधोसंरचना विकास
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देशानुसार अधोसंरचना विकास की दिशा में हो रहे प्रयासों से जिले के दूरस्थ अंचलों तक विकास की रोशनी पहुंच रही है। सड़कों के निर्माण से शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और रोजगार के अवसरों तक ग्रामीणों की पहुंच सुलभ हो रही है। स्थानीय उत्पाद में तेजी आ रही है और क्षेत्रीय उत्पादों के विपणन को भी बढ़ावा मिल रहा है। सड़कों का यह व्यापक विस्तार न केवल आवागमन को सुगम बना रहा है, बल्कि नागरिकों के जीवन स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार ला रहा है। जिले के लोग इन विकास परियोजनाओं के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं।
जशपुर जिले में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत कई सड़कों के निर्माण और सुधार पर काम चल रहा है। कुल 13.63 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से आधा दर्जन से अधिक सड़कों को स्वीकृति मिली है, जिसमें फरसाटोली से करवाजोर, जुमाइकेला बाजारडांड से खेदाटोली और जड़ासर्वा से डूमर टोली जैसे महत्वपूर्ण मार्गों का निर्माण शामिल है। इन सड़कों से ग्रामीण इलाकों में आवागमन, कृषि उत्पादों की ढुलाई और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच बेहतर होगी।
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इंदर सिंह दत्ता ने लगाया 3 किलोवाट का सोलर रूफटॉपकेंद्र और राज्य सरकार की डबल सब्सिडी से मिला लाभ
रायपुर : प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana) ने आम नागरिकों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया है। अब पारंपरिक बिजली उपभोक्ता खुद ऊर्जा उत्पादक बन रहे हैं। बेमेतरा जिले के पंजाबी कॉलोनी निवासी श्री इंदर सिंह दत्ता ने अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता का सोलर रूफटॉप प्लांट स्थापित कर इस योजना का लाभ उठाया है। मात्र एक माह में उनके सोलर प्लांट ने 320 यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया है। श्री दत्ता ने बताया कि इस प्लांट से न केवल बिजली बिल में राहत मिली है, बल्कि अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर आय भी प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि यह योजना वास्तव में आम नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का माध्यम है।
डबल सब्सिडी से दोगुना लाभ
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के अंतर्गत 3 किलोवाट के सोलर प्लांट पर केंद्र सरकार से 78 हजार तथा राज्य सरकार से 30 हजार रूपए की सब्सिडी प्राप्त होती है। इस प्रकार उपभोक्ता को कुल एक लाख 8 हजार रूपए की आर्थिक सहायता शासन से मिलती है। योजना के अंतर्गत डबल सब्सिडी से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ कम हुआ है और उन्हें सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।
श्री इंदर सिंह दत्ता ने कहा कि यदि अधिक से अधिक नागरिक इस योजना को अपनाते हैं, तो आने वाले समय में न केवल शहर, बल्कि पूरा प्रदेश ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है। उन्होंने बताया कि यह योजना दोहरा लाभ प्रदान कर रही है । एक ओर बिजली बिल से राहत, तो वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त बिजली बेचकर आमदनी का अवसर मिल रहा है।
योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया सरल
योजना का लाभ लेने के लिए नागरिक https://pmsuryaghar.gov.in पोर्टल पर जाकर अपनी बिजली उपभोक्ता संख्या और मोबाइल नंबर के साथ पंजीकरण कर सकते हैं। इसके पश्चात अधिकृत वेंडर का चयन कर सोलर रूफटॉप प्लांट स्थापित कराया जा सकता है। यदि उपभोक्ता वेंडर की सेवा से असंतुष्ट हैं, तो वेंडर बदलने की सुविधा भी उपलब्ध है।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में सार्थक पहल
केंद्र एवं राज्य सरकार की यह संयुक्त पहल छत्तीसगढ़ को ऊर्जा आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।इस योजना के माध्यम से हर घर की छत बिजली उत्पादन का केंद्र बनेगी, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं को राहत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से ‘हर घर सौर, हर घर रोशन’ का लक्ष्य अब साकार होता दिखाई दे रहा है।
मुख्य बिंदु
केंद्र और राज्य सरकार से कुल एक लाख 8 हजार रूपए की सब्सिडी।
3 किलोवाट सोलर रूफटॉप से प्रति माह 300 से अधिक यूनिट उत्पादन।
बिजली बिल से राहत और अतिरिक्त आमदनी का अवसर।
योजना से ऊर्जा आत्मनिर्भरता एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा।
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रायपुर : किसानों और कृषि से जुड़े स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करने राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत, फल, सब्जी, फूल, मसाले, औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती के लिए केन्द्र सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना का लाभ लेकर जशपुर जिले के मनोरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत टेम्पू के किसान श्री सुनील भगत ने टमाटर की खेती की। किसान सुनील भगत ने कुल लागत राशि काटकर शुद्ध लाभ अर्जित किया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को किसानों को उन्नत खेती की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही किसानों को केन्द्र और राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए कहा है ताकि किसान आर्थिक रूप से मजबूत बन सके इसी कड़ी में राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना का लाभ लेकर किसान श्री सुनील भगत द्वारा टमाटर की खेती की गई।
उद्यानिकी विभाग से परामर्श बाद टमाटर का जीके देशी किस्म लगाया, जिसमें प्रति एकड़ 9 टन उत्पादन हुआ। उन्होंने बताया कि सीजन अनुसार सब्जी की खेती करते हैं। इस सीजन में लगभग 85 हजार 500 रूपए का टमाटर ब्रिकी किया। कुल लागत राशि राशि काटकर किसान भगत को 55 हजार 500 रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है। किसान द्वारा अन्य योजनाओं का लाभ लेकर खेती किया जा रहा है। अब वे ड्रीप, मिल्चिंग को लेकर खेती की उन्नत विधि से जुड़ने की ओर अग्रसर है।
अन्य किसानों पर कृषक की सफलता का प्रभाव
खेती की प्रक्रिया को आधुनिक बनाकर, राष्ट्रीय बागवानी मिशन का मुख्य लक्ष्य उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक, प्राकृतिक उर्वरकों, पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशकों और अन्य उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक है जो किसानों को अपना उत्पादन बढ़ाने में सक्षम बनाते हैं। किसान समूहों द्वारा किए जाने वाले प्राथमिक कार्यों में कृषि उत्पादों की खरीद, बाज़ारों से संपर्क स्थापित करना, इनपुट की आपूर्ति और प्रशिक्षण एवं जानकारी प्रदान करना शामिल है। ग्राम पंचायत टेम्पू एवं आस-पास के ग्राम पंचायत के किसान श्री सुनील भगत की खेती देख कर, उन्नत खेती करना शुरू कर दिया है। कृषि तकनीक हेतु विभागीय योजनाओं से निरंतर जुड़ रहे हैं,ताकि अधिक लाभ लें सके।
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रायपुर : “सूर्यघर मुफ़्त बिजली योजना” के चालू होने के एक वर्ष के भीतर ही शानदार परिणाम सामने आए हैं। जहाँ परिवार की औसत मासिक खपत लगभग 1200 यूनिट है, वहीं सोलर पैनल 850 यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन हर माह कर रहा है। यानी उनकी कुल खपत का करीब 70 प्रतिशत बिजली अब सूर्य से प्राप्त हो रही है। श्रीमती सिंह ने मुस्कराते हुए कहा कि “पहले हम सिर्फ बिजली जलाते थे, अब हम इसे बनाते भी हैं।”
प्रधानमंत्री “सूर्यघर मुफ़्त बिजली योजना” के तहत एक महिला उपभोक्ता ने ऊर्जा आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। खैरागढ़ के गंजीपारा निवासी श्रीमती भारती सिंह ने अपने घर की छत पर 10 किलोवाट क्षमता का सोलर रूफटॉप सिस्टम स्थापित कर अपने घर को एक मिनी पावरहाउस में बदल दिया है। समाचार माध्यमों के जरिए योजना की जानकारी मिलते ही श्रीमती सिंह ने तुरंत पहल की। लगभग 6 लाख रूपए की लागत से स्थापित यह प्रणाली उनके घर को न सिर्फ बिजली उपभोक्ता बल्कि उत्पादक भी बना रही है।
सरकारी सब्सिडी से मिला लाभ खर्च कम हुआ
इस परियोजना की वास्तविक लागत को कम करने में केंद्र सरकार की 78 हजार रूपए और राज्य सरकार 30 हजार रूपए की सब्सिडी 3 किलोवॉट की सौर संयंत्र की स्थापना पर दे रही है, इससे निवेश का बोझ काफी हल्का हुआ।
8 साल में लागत वसूली, 17 साल तक मुफ्त बिजली
श्रीमती सिंह का अनुमान है कि 8 से 9 वर्षों में निवेश की पूरी लागत वसूल हो जाएगी, जिसके बाद अगले 17 वर्षों तक उन्हें मुफ्त बिजली का लाभ मिलेगा। यह कदम न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक है, बल्कि देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्रीमती सिंह ने नागरिकों से अपील की कि वे भी इस ऐतिहासिक योजना का लाभ उठाएँ और “ऊर्जा उत्पादक” बनने की दिशा में कदम बढ़ाएँ।
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लोगों की मदद कर मिलती है खुशी- बालेश्वरी, आर्थिक सशक्तिकरण के साथ मिली अलग पहचानरायपुर : बैंक सखी ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह की एक प्रशिक्षित महिला सदस्य होती है, जो सखी के रूप में काम करती है, वह बैंक के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करती है । सरगुजा जिले के विकासखण्ड लखनपुर के ग्राम पंचायत लोसंगी की रहने वाली बालेश्वरी यादव बैंक सखी के रूप में कार्य कर रहीं हैं। उनके द्वारा पांच पंचायतों लोसंगी, लोसगा, रेमहला, लब्जी, कटिन्दा में लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाई जा रहीं हैं, ग्रामीण उन्हें बैंक वाली दीदी कहते हैं। क्योंकि बैकिंग सम्बन्धी जिन कार्यों के लिए लोगों को पहले बैंक तक जाना पड़ता था, वो काम अब उनके गांव में ही हो जाते हैं। बैंक वाली दीदी गांव में आती हैं और लोगों के बैंकिंग लेन-देन के कार्य करके जाती हैं।
बालेश्वरी यादव ने बताया कि वे वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, मनरेगा मजदूरी भुगतान, स्व- सहायता समूह की राशि का लेनदेन सहित अन्य बैंकिंग कार्य कर रहीं हैं। विगत पांच वर्षों में उन्होंने लगभग 11 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का लेनदेन किया है। बालेश्वरी बताती हैं कि वे अपने पुत्र के साथ लोसंगी में रहती हैं, इससे पहले उनकी आय का जरिया मेहनत मजदूरी था, मजदूरी से प्राप्त पैसों से ही गुजर-बसर करना पड़ता था।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में जब गांव में स्व-सहायता समूह का गठन हुआ, तो मुझे भी उसमें सदस्य बनने की इच्छा हुई और मुझे रानी लक्ष्मी बाई स्व-सहायता समूह का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद मैंने ग्राम संगठन एवं क्लस्टर संगठन में भी अध्यक्ष के रूप में काम किया। इसके बाद सक्रिय महिला एवं आरवीके बुक कीपर का काम करने का भी मौका मिला। इसके बाद मुझे एनआरएलएम के द्वारा बैंक सखी के बारे में बताया गया, इस कार्य के लिए मुझे काफी उत्सुकता हुई। हमें आरसेटी के द्वारा बैंक सखी का प्रशिक्षण दिया गया।वर्ष 2021 से मैंने बैंक सखी का काम करना शुरू किया, उन्होंने कहा कि इस कार्य से मुझे प्रतिमाह लगभग 15 हजार रुपए तक कमीशन मिल जाता है। बैंक सखी के कार्य से आर्थिक सशक्तिकरण के साथ मुझे समाज में अलग पहचान मिली है, वहीं लोगों की मदद करके बहुत खुशी मिलती है। लोगों को जब जरूरत होती है, तो वे स्वयं मुझे बुलाते हैं। वहीं बुजुर्गों, दिव्यांगजनों एवं जरूरतमंदों के घर पर भी मैं बैंकिंग सेवा प्रदान करती हूं। उन्होंने बताया कि कियोस्क के माध्यम से अब तक लभगभ 513 ग्रामीणों के जनधन खाते खोले हैं। वहीं बीमा योजनाओं से भी हितग्राहियों को जोड़ा है, जिसमें प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना 713, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 556, अटल पेंशन योजना 600 हुए हैं।
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एग्रीस्टैक पोर्टल से संबंधित किसी भी जानकारी या सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 1800-233-1030 पर कर सकते हैं संपर्क
रायपुर : खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी हेतु किसानों का एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य किया गया है। एग्रीस्टैक पोर्टल से संबंधित किसी भी जानकारी या सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 1800-233-1030 पर संपर्क किया जा सकता है।
एग्रीस्टैक पोर्टल भारत सरकार द्वारा विकसित एक यूनिफाइड एग्रीकल्चर डेटाबेस है, जिसमें किसानों का भूमि एवं आधार लिंक्ड पंजीयन किया जाता है। पंजीकरण उपरांत किसानों को एक यूनिक फार्मर आईडी (Unique Farmer ID) प्राप्त होती है। यह आधार लिंक्ड डेटाबेस शासन की विभिन्न योजनाओं के लाभ केवल वास्तविक पात्र किसानों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के तहत किसानों को सीधे भुगतान किया जाता है। अतः शासन की मंशा है कि सभी पात्र किसान सुशासन एवं पारदर्शिता के साथ इस योजना का वास्तविक लाभ प्राप्त करें। एग्रीस्टैक में आधार-आधारित पंजीयन और ई-केवाईसी की व्यवस्था से संपूर्ण प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता, सटीकता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित होगा।
गत वर्ष राज्य के 25.49 लाख किसानों ने धान विक्रय किया था। वर्तमान वर्ष में अब तक 21.47 लाख किसानों ने एग्रीस्टैक पोर्टल पर पंजीकरण कर लिया है। शेष किसान अपने निकटतम सहकारी समिति या निर्धारित केंद्र में जाकर 31 अक्टूबर 2025 तक अपना पंजीयन करा सकते हैं। इस संबंध में सभी समितियों और जिला कलेक्टरों को पूर्व में आवश्यक निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि एग्रीस्टैक पोर्टल डिजिटल क्रांति की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो छत्तीसगढ़ में धान खरीदी व्यवस्था को पारदर्शी, सटीक और किसान हितैषी बनाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष राज्य के 20 हजार ग्रामों में से 13 हजार 879 ग्रामों में डिजिटल क्रॉप सर्वे किया गया है। इस डिजिटल क्रॉप सर्वे और मैनुअल गिरदावरी की रिपोर्टों का 2 से 14 अक्टूबर 2025 तक ग्राम सभाओं में पठन किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक पंचायत में मुनादी कर सूचना दी गई है और सर्वे सूची का पंचायत भवनों में प्रदर्शन (चस्पा) भी किया गया है।
इस कार्यवाही की सतत निगरानी जिला कलेक्टर, खाद्य अधिकारियों तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जा रही है। यह पहल “डिजिटल एग्रीकल्चर और गुड गवर्नेंस” की दिशा में राज्य का एक सशक्त और दूरदर्शी कदम है।
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इच्छुक कृषक चैम्प्स के पोर्टल पर पंजीयन कर अनुदान के साथ ले सकते हैं टैक्ट्रर
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में चैम्प्स प्रणाली अंतर्गत क्रियान्वित कृषि यांत्रिकीकरण सबमिशन के तहत अनुदान पर कृषकों को ट्रैक्टर प्रदाय करने हेतु ऑनलाईन आवेदन 9 अक्टूबर से प्रारंभ किया जा रहा है। योजना के तहत कृषकों को अनुदान पर ट्रैक्टर प्रदाय किया जाएगा। इच्छुक कृषक चैम्प्स के पोर्टल http://champs.cgstate.gov.in के माध्यम से 9 अक्टूबर से कार्यालयीन समय 10 बजे से आवेदन कर सकते हैं।
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ई-लिस मोबाईल एप्प पर होगी पशुधन की गणना
पशुपालन मंत्री ने दो दिवसीय प्रशिक्षण कॉन्फ्रेंस का किया शुभारंभ
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2047 में दूध उत्पादन 12209 हजार टन और
अण्डा उत्पादन 112351 लाख होने का अनुमानरायपुर : पशुधन विकास मंत्री मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि पशुपालन और डेयरी उद्योग के जरिए हम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विश्व के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश के रूप में भारत की पहचान है। यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
पशुधन विकास मंत्री श्री नेताम आज पशुधन गणना के लिए भारत सरकार इंटीग्रेटेड सिम्पल सर्वे के लिए तैयार किए गए ई-लिस मोबाईल एप्प एण्ड डाटाबेस पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। राजीव गांधी नेशनल भूमि जल प्रशिक्षण एवं अनुसंसाधन संस्थान में आयोजित इस प्रशिक्षण कॉन्फ्रेंस में उत्तरी जोनल स्तरीय इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार के पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही बिहार, ओड़िसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, अण्डमान एवं निकोबार द्वीप के प्रतिनिधियों तथा पशुधन विकास विभाग के अधिकारी शामिल हुए।
पशुपालन मंत्री श्री नेताम ने कहा कि पशुधन क्षेत्र की संभावनाओं का दोहन करने एवं आत्मनिर्भर भारत के विजन को आगे बढ़ाने में छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2047 तक के अनुमानित उत्पादन का आंकलन किया है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में दूध उत्पादन 2124 हजार टन है एवं वृद्धि दर 8.58 प्रतिशत है। वर्ष 2047 तक राज्य का दूध उत्पादन 12209 हजार टन और अण्डा उत्पादन 2023-24 में 23876 लाख से बढ़कर वर्ष 2047 में उत्पादन 112351 लाख होने का अनुमान है इसी प्रकार मांस उत्पादन जिससे पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी। श्री नेताम ने कहा कि आंकड़ों का उपयोग वैश्विक स्तर पर नियोजन, नीति निर्माण, अनुसंधान और शैक्षणिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण है जिसमें प्रमुख पशु उत्पादन एवं उत्पादकता को प्राप्त करने के लिए एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली से आए सांख्यिकीय सलाहकार एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री जगत हजारिका कहा कि भारत सरकार द्वारा पशुधन की गणना के लिए ई-लिस एप्प के माध्यम से करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ई-लिस से प्राप्त गणना सटीक व पारदर्शी परिणाम देते है। ये आकड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को दर्शाते हैं। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्राची साहू ने भी संबोधित किया। उन्होंने ई-लिस के सभी पहलुओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। छत्तीसगढ़ पशुधन विकास विभाग के संचालक श्री चंद्रकांत वर्मा ने प्रशिक्षण कॉन्फ्रेंस के उद्देश्य के संबंध में जानकारी दी। प्रशिक्षण कॉन्फ्रेंस में राजीव गांधी नेशनल भूमि जल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के अधिकारी श्री महेश सोन कुसरे, अपर संचालक श्री के.के. ध्रुव सहित जिले स्तर के अधिकारी शामिल थे।
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रायपुर : “प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना” आज देश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। यह योजना न केवल बिजली उपलब्ध कराने की पहल है, बल्कि “ऊर्जा क्रांति” का प्रतीक है, जिसने आम नागरिकों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाया है।
छत्तीसगढ़ इस दिशा में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। राज्य सरकार ने पात्र परिवारों को आवेदन से लेकर इंस्टॉलेशन तक हर चरण में सहयोग प्रदान किया है। सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में अंतरित की जा रही है, जिससे पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित हुआ है। साथ ही, डिजिटल पोर्टल और जनसहयोग केंद्रों के माध्यम से नागरिकों को समयबद्ध सहायता दी जा रही है।
कोरबा जिले के खरमोरा निवासी श्री सुकलाल सूर्यवंशी इस योजना की सफलता का उदाहरण हैं। भारतीय रेल में लोको पायलट के रूप में कार्यरत श्री सूर्यवंशी ने टीवी विज्ञापन के माध्यम से योजना की जानकारी प्राप्त कर इसे अपनाने का निर्णय लिया। योजना के तहत उन्हें 78,000 रूपए की केंद्रीय सब्सिडी प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल स्थापित कराया। आज उनका घर पूरी तरह सौर ऊर्जा पर निर्भर है। श्री सूर्यवंशी का कहना है कि अब मेरे घर की छत ही मेरी ऊर्जा का स्रोत बन गई है। यह स्वच्छ ऊर्जा आत्मनिर्भरता और गर्व का प्रतीक है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शी नीतियों के कारण आज आम नागरिक सशक्त हो रहे हैं। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना ने न केवल घरों को रोशन किया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक बचत को नई दिशा दी है।
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रायपुर : कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम कोदवारी, जो चारों ओर जंगल और पर्वतों से घिरा है, लंबे समय तक शैक्षणिक संसाधनों की कमी से जूझता रहा। बांगो बांध निर्माण के दौरान इस क्षेत्र के अनेक परिवारों की भूमि डूबान क्षेत्र में समा गई, जिससे आजीविका के सीमित साधन शेष रह गए। ऐसे हालात में गाँव के बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए शासन द्वारा यहाँ प्राथमिक शाला की स्थापना की गई।
वर्ष 2005 में प्राथमिक शाला का दर्जा प्राप्त इस विद्यालय में लंबे समय तक केवल एक शिक्षक कार्यरत रहे, जिससे कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को एक साथ पढ़ाना चुनौतीपूर्ण रहा। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देशानुसार जिले में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किए जाने से इस विद्यालय में एक अतिरिक्त शिक्षक की पदस्थापना की गई, जिससे यहाँ की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। प्रधानपाठक श्री दिवाकर सिंह के साथ अब श्री मानिक दास दीवान भी नियमित रूप से अध्यापन कर रहे हैं। विद्यार्थियों के अनुसार अब उन्हें प्रत्येक कक्षा के अनुसार बेहतर मार्गदर्शन मिल रहा है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि नए शिक्षक के आगमन से विद्यालय में शिक्षा का स्तर बढ़ा है और बच्चों की पढ़ाई बेहतर हुई है।
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रायपुर : राज्य शासन ने रायगढ़ जिले के विकासखंड सारंगढ़ स्थित परसदा-ताड़ीपार नहर मरम्मत कार्य हेतु 4.39 करोड़ रुपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति योजना की तकनीकी आवश्यकताओं और सिंचाई क्षमता में सुधार को ध्यान में रखते हुए दी गई है।
परसदा-ताड़ीपार नहर मरम्मत कार्य पूर्ण होने पर योजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता 2501.64 हेक्टेयर क्षेत्र में पुनर्स्थापित होगी, जिससे वर्तमान में हो रही 1012.80 हेक्टेयर की कमी की पूर्ति सुनिश्चित होगी। इससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई की सुविधा में सुधार होगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
राज्य शासन ने निर्देश दिए हैं कि कार्य स्वीकृत राशि और समयावधि में ही पूर्ण किया जाए। कार्य की तकनीकी स्वीकृति और ड्रॉइंग-डिज़ाइन सक्षम अधिकारी से अनुमोदित करने के बाद ही निविदा आमंत्रित की जाए। निविदा प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक रखी जाए तथा यह तभी प्रारंभ हो जब कम से कम 75 प्रतिशत बाधारहित भूमि उपलब्ध हो। कार्य की गुणवत्ता, वित्तीय अनुशासन और मितव्ययिता सुनिश्चित की जाए, तथा समय-सीमा का उल्लंघन होने पर नियमानुसार अर्थदंड अधिरोपित किया जाए।
यह योजना क्षेत्र के कृषकों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। इससे सिंचाई क्षमता में वृद्धि, जल प्रबंधन में सुधार तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ता प्राप्त होगी।
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रायपुर : राज्य शासन ने जशपुर जिले के विकासखंड बगीचा स्थित डोड़की व्यपवर्तन योजना के मरम्मत एवं जीर्णाेद्धार कार्य हेतु 14.21 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति दर अनुसूची में किए गए अद्यतन संशोधन के आधार पर दी गई है।
डोड़की व्यपवर्तन का कार्य पूर्ण होने पर योजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता 688 हेक्टेयर क्षेत्र तक पुनर्स्थापित की जाएगी, जिससे वर्तमान में हो रही 366 हेक्टेयर की कमी की पूर्ति सुनिश्चित होगी। इस योजना से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा में सुधार प्राप्त होगा तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
राज्य शासन ने निर्देश दिए हैं कि कार्य स्वीकृत राशि और निर्धारित समयावधि में ही पूर्ण किया जाए।
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रायपुर : राज्य शासन द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय में नए कुलसचिव की नियुक्ति के लिए पदस्थापना आदेश जारी कर दिया गया है। जारी आदेश के अनुसार सरगुजा संभाग में संयुक्त संचालक कृषि श्री यशवंत केराम को महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय पाटन दुर्ग का कुलसचिव बनाया गया है। वही कृषि संचालनालय इंद्रावती भवन अटल नगर, नवा रायपुर में पदस्थ श्री कपिल देव दीपक को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का कुलसचिव बनाया गया है। इसी प्रकार महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय पाटन दुर्ग में पदस्थ कुलसचिव श्री आर.एल. खरे को मूल विभाग में वापस लेते हुए छत्तीसगढ़ कृषक कल्याण परिषद् रायपुर में संयुक्त संचालक के पद पर नवीन पदस्थापना दी गई है।
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में इन दिनों हो रही असमय बारिश के फलस्वरूप धान की फसल में झुलसा, शीथ ब्लाइट रोग और कीट प्रकोप से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सामयिक सलाह दी है।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि मौसम अनुकूल न होने के कारण धान की फसल पर विभिन्न प्रकार के रोग और कीट प्रकोप देखने को मिल रहे हैं, जिससे पैदावार प्रभावित हो सकती है। धान की फसल में झुलसा रोग के लक्षण पत्तियों पर नाव के आकार के धब्बों के रूप में दिखते हैं। इससे बचाव के लिए किसान ट्राईफ्लोक्सीस्ट्रोवीन, टेबुकोनाजोल, ट्राईसाइक्लाजोल एवं हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें।इसी प्रकार शीथ ब्लाइट रोग होने पर हैक्साकोनाजोल का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। वहीं जीवाणु जनित झुलसा रोग के प्रकोप पर खेत से अतिरिक्त पानी निकालकर 3-4 दिन तक खुला रखने एवं प्रति हेक्टेयर 25 किलो पोटाश डालने के साथ कासुगेमाइसीन, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, स्ट्रैप्टोसाइक्लिन या प्लान्टोमाइसिन का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। कीट नियंत्रण के लिए तनाछेदक कीट की निगरानी हेतु फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें। भूरा फुदका कीट के प्रकोप की स्थिति में पाईमेट्राजीन एवं डिनोटेफेरोन का छिड़काव प्रभावी रहेगा।
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे समय पर इन उपायों को अपनाकर धान की फसल को सुरक्षित रखें और बेहतर उत्पादन लें। गौरतलब इस खरीफ सीजन में प्रदेश इस में अच्छी बारिश हुई, जिससे अच्छी फसल की संभावना है। वर्तमान कुछ दिनों में प्रदेश में असमय बारिश से कीट प्रकोप व झुलसा रोग बढ़ गए है। बता दें कि खेतों में धान की फसल लहलहा रही है तथा कुछ जगहों पर धान फूटने की स्थिति में है।
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जंगल सत्याग्रह और झंडा सत्याग्रह के दृश्य भी होगा जीवंत
राज्योत्सव पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे संग्रहालय का उद्घाटन
आदिवासी गौरव, शौर्य एवं बलिदान का प्रतीक होगा संग्रहालय : मंत्री श्री नेताम
रायपुर : आदिम जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम ने आज नवा रायपुर में आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के समीप निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय-सह स्मारक के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया।
मंत्री श्री नेताम ने इस अवसर पर कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना का परिणाम है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ में जनजातीय वर्गों के ऐतिहासिक गौरव गाथा, शौर्य और बलिदान का प्रतीक संग्रहालय-सह स्मारक धरातल पर दिखाई देगा। यह निर्माणाधीन संग्रहालय सदियों के लिए नई पीढ़ियों को पुरखों की याद दिलाता रहेगा। यह न सिर्फ आदिवासी वर्गों के लिए बल्कि देश-विदेश के लोगों के लिए भी प्रेरणास्पद होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश का यह पहला संग्रहालय है, जो कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के उच्च शौर्य एवं बलिदान को समर्पित है अतः इसके निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
मंत्री श्री नेताम ने संग्रहालय के उद्घाटन के मद्देनजर सभी आवश्यक तैयारियां व निर्माण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में सुशासन और सभी वर्गों की बेहतरी के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। राज्य के जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के समन्वित प्रयास से कई अभिनव योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिससे जनजातीय वर्ग के जीवन स्तर में तेजी से बदलाव आ रहा है। मंत्री श्री नेताम ने इस मौके पर संग्रहालय में डिजीटलीकरण कार्य, दिव्यांगजनों हेतु पृथक पार्किंग व्यवस्था, सॉवेनियर शॉप, गार्डनिंग, वॉटर सप्लाई की स्थिति का भी निरीक्षण किया।
प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने कहा कि यह बहुत ही गर्व की बात है कि संग्रहालय का लोकार्पण देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से राज्योत्सव के समय किया जाना है। संग्रहालय के निर्माण कार्यों में लगने वाली मूर्तियां, कैनवास वर्क, डिजिटल वर्क का बारीकी के साथ परीक्षण किया जा रहा है। संग्रहालय का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं। मूर्तियों की स्थापना, लाईट, बिजली आदि का टेस्टिंग कार्य जारी है। प्रमुख सचिव श्री बोरा ने इस मौके पर संग्रहालय में प्रवेश से पूर्ण टिकट काउंटर पर लगे स्कैनिंग कार्य तथा प्रवेश द्वार में कुछ सुधार करने के संबंध में निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान उनके साथ छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी विकास निगम के संचालक डॉ. जगदीश सोनकर, आदिम जाति विकास विभाग संयुक्त सचिव श्री बीएस राजपूत, टीआरटीआई संचालक श्रीमती हिना अनिमेष नेताम, उपायुक्त श्रीमती गायत्री नेताम, निर्माण एजेंसी के अधिकारी, ठेकेदार, क्यूरेटर, इंजीनियर्स, आर्ट कलाकार एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
वीएफएक्स टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्शन वर्क से तैयार हो रहा है जीवंत संग्रहालय
संग्रहालय निर्माण में लगे क्यूरेटर श्री प्रबल घोष ने बताया कि यह संग्रहालय-सह स्मारक आदिवासियों स्वतंत्रता संग्र्राम सेनानियों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बारीकी के साथ अध्ययन व रिसर्च के बाद वीएफएक्स टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्शन वर्क के साथ तैयार किया रहा है। उन्होंने बताया कि संग्रहालय देखने वाले आगंतुकों को आदिवासी विद्रोह का वर्णन स्टैच्यू के पास ही लगे डिजिटल बोर्ड पर उपलब्ध रहेगा। आगंतुक संग्रहालय में आदिवासी विद्रोह को जीवंत महसूस कर सकेगा। वहीं आगंतुक प्रत्येक गैलरी में बनाई गई जीवंत झांकी के सामने स्कैनर लगाए गए स्कैनर से मोबाईल द्वारा स्कैन कर संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते है।
16 गैलेरियों में तैयार हो रहा है संग्रहालय
उल्लेखनीय है कि शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय में स्वतंत्रता आंदोलन के समय छत्तीसगढ़ में हुए विभिन्न आदिवासी विद्रोहों जैसे- हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रेाह, भोपालपट्टनम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मेरिया विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चौरिस विद्रोह, भूमकाल विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, झण्डा सत्याग्रह एवं जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष (1923, 1920) एवं शौर्य के दृश्य का जीवंत प्रदर्शन 14 गैलेरियों में किया जा रहा है। वहीं जंगल सत्याग्रह और झंडा सत्याग्रह पर एक-एक गैलेरियों का भी निर्माण किया जा रहा है। निश्चित ही यह संग्रहालय सभी वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र एवं प्रेरणास्रोत के रूप में बनकर उभरेगा।
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कैंसर के चौथे स्टेज पर था बुजुर्ग सिम्स के चिकित्सकों ने दिया नया जीवन
रायपुर : डराने के लिए कैंसर का नाम ही काफी है शुरूआती अवस्था में कोई तकलीफ दर्द नहीं होने के कारण मरीज इसे नजरअंदाज या लापरवाही के चलते ध्यान नहीं देता है, परन्तु जब तक कुछ तकलीफ हो तब तक मरीज का कैंसर बहुत आगे की चरण तक पहुंच चुका होता है तब यह जानलेवा और खतरनाक भी हो जाता है। कुछ ऐसी परिस्थिति से संघर्ष करते हुए बिलासपुर निवासी मरीज लक्ष्मण 61 वर्षीय मुंह में कैंसर के ग्रसित सिम्स बिलासपुर के दंत चिकित्सा विभाग में इलाज के लिए पहुंचा। तंबाकू के कई वर्षों का सेवन करने से उसके मुंह में कैंसर हो गया था, लेकिन सिम्स के दंत चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों ने जटिल इलाज व सर्जरी से मरीज की जान बचाने के सफल हुए है। चूंकि उम्र अधिक होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है। इस स्थिति में इलाज करना चुनौती पूर्ण हो जाता है।
मरीज का कैंसर इतना बढ़ गया था, कि गले में उपस्थित लिंफ नोड में सूजन काफी बड़ा हो गया था। जिसका साइज 7x6 सेमी बढ़ गया था। जांच में पाया गया की कैंसर की अंतिम स्टेज से ग्रसित होने की पुष्टि हो गई। दंत चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों ने सर्जरी का निर्णय लिया, इलाज के लिए आवश्यक खून जांच एक्स-रे और सिटी स्केन कराकर सुनियोजित तरीके से 7-8 घंटे की जटिल सर्जरी कर पूरा किया गया। इस सर्जरी को तीन भागों में किया गया। इसमें कैंसर के साथ संक्रमित जबड़े के हिस्से को निकाला गया। कैंसर जो गर्दन में फैल गया था, उसको निकाला गया और अंत में कैंसर को निकालने के बाद खाली जगह पर छाती से मांस जिसे पीएमएमसी फ्लैप कहते हैं, का टुकड़ा निकालकर लगाकर सर्जरी पूरी की गई।
सर्जरी को डॉ. भूपेन्द्र कश्यप के मार्गदर्शन में किया गया। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. संदीप प्रकाश (ओरल एवं मैक्जिलोफेसियल सर्जन) विभागाध्यक्ष, डॉ. जण्डेल सिंह ठाकुर, डॉ. केतकी किनिकर, डॉ. हेमलता राजमणी, डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल, के अलावा निश्चेतना विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति, एवं मेजर ओटी के अन्य चिकित्सक, स्टाफ, वार्ड बॉय तथा रेडियोडायग्नोसिस की विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह एवं उनके अन्य स्टाफ सहित, सबके संगठित सहयोग से किया गया है। छ.ग. आयुर्विज्ञान सिम्स के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह के प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन से दंत चिकित्सा विभाग कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। समय समय पर दंत चिकित्सा विभाग श्रेष्ठता साबित कर रहा है।
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नसीम अहमद खान, उप संचालकरायपुर : खनिज संपदा से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य ने हाल के वर्षों में खनन क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी नवाचार को केंद्र में रखकर राज्य ने खनिज प्रशासन में अनेक संरचनात्मक सुधार किए हैं, जिनके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी खनन राज्यों में सम्मिलित हो गया है। राज्य में विश्वस्तरीय लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, बाक्साइट, टिन अयस्क सहित नवीन अन्वेषणों से क्रिटिकल, स्ट्रैटेजिक तथा रेयर अर्थ मिनरल्स की उपलब्धता प्रमाणित हुई है, जिससे राज्य की वैश्विक पहचान सुदृढ़ हुई है।छत्तीसगढ़ का खनन क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जबकि देश के कुल खनिज उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी लगभग 17 प्रतिशत है। राज्य के खनिज राजस्व में 25 सालों में 34 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। राज्य गठन के समय जहाँ खनिज राजस्व मात्र 429 करोड़ रुपये था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 14,592 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। यह उपलब्धि राज्य की सुदृढ़ खनिज नीति और सतत प्रशासनिक सुधारों का परिणाम है।
वर्ष 2015 में संशोधित खनन एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत गठित खनिज नीलामी नियम 2015 के तहत अब तक राज्य में 60 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी की जा चुकी है। इनमें 15 लौह अयस्क, 14 बाक्साइट, 18 चूना पत्थर तथा 13 क्रिटिकल व स्ट्रैटेजिक खनिज ब्लॉक सम्मिलित हैं। साथ ही, 05 नए ब्लॉकों (02 चूना पत्थर, 01 लौह अयस्क, 01 स्वर्ण और 01 बेस मेटल ब्लॉक) की नीलामी प्रक्रिया भी प्रारंभ की जा चुकी है।
संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म, छत्तीसगढ़ ने खनन अनुसंधान एवं अन्वेषण के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग के लिए आईआईटी मुंबई, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद तथा कोल इंडिया लिमिटेड के साथ एमओयू संपादित किए हैं। इस साझेदारी के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रैटेजिक मिनरल्स की खोज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गति प्राप्त हुई है।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के गाइडलाइन-2024 के अनुरूप राज्य में जिला खनिज संस्थान न्यास नियम, 2025 अधिसूचित किए गए हैं। राज्य में अब तक 16,119 करोड़ रूपए का अंशदान प्राप्त हुआ है, जिसके अंतर्गत 1,05,653 कार्यों को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 74,454 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं। वित्तीय स्वीकृति, निगरानी और प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु डीएमएफ पोर्टल 2.0 को क्रियान्वित किया गया है।
खनिज विभाग द्वारा विकसित खनिज ऑनलाइन 2.0 पोर्टल ने राज्य के खनिज प्रशासन को पूर्णतः डिजिटल स्वरूप प्रदान किया है। यह प्रणाली सुरक्षित, बहुआयामी और उपयोगकर्ता-मित्र है, जो पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देती है। यह पहल छत्तीसगढ़ को खनन प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित कर रही है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के सिद्धांतों के अनुरूप राज्य में रेत खदानों का आबंटन अब पूर्णतः ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से किया जा रहा है। इस हेतु एमएसटीसी के साथ एमओयू किया गया है। नई व्यवस्था में मानव हस्तक्षेप समाप्त कर संपूर्ण प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष एवं सुरक्षित बनाई गई है।
गौण खनिज नियम, 2015 के अंतर्गत लागू की गई स्टार रेटिंग प्रणाली के तहत खनन, पर्यावरण प्रबंधन, सुरक्षा उपाय और सतत विकास के मानकों पर खदानों का मूल्यांकन किया जा रहा है। इस व्यवस्था के अंतर्गत 03 खदानों को 5-स्टार तथा 32 खदानों को 4-स्टार रेटिंग से सम्मानित किया गया है, जो वैज्ञानिक एवं जिम्मेदार खनन की दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का कहना है कि खनिज संपदा केवल आर्थिक स्रोत नहीं, बल्कि राज्य के सर्वांगीण विकास का आधार है। छत्तीसगढ़ ने खनन क्षेत्र में नीतिगत सुधार, डिजिटल पारदर्शिता और सतत विकास के समन्वित प्रयासों से एक आदर्श प्रशासनिक मॉडल प्रस्तुत किया है। राज्य की यह प्रगति न केवल आर्थिक सुदृढ़ता का संकेत है, बल्कि यह जनहित आधारित विकास की दिशा में एक स्थायी कदम भी है।
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पिंकी मुद्रा लोन से बनी आत्मनिर्भर
रायपुर : पिंकी ने अपने किराना व्यवसाय को आगे बढ़ाने का सपना देखा। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने पीएम मुद्रा लोन के तहत 70 हजार रुपये का स्वयंसिद्धा लोन लिया और अपनी दुकान का विस्तार किया। दुकान बड़ी होने से न केवल उनकी आय बढ़ी, बल्कि ग्राहकों का विश्वास और पहुँच भी मजबूत हुई और वह आर्थिक विकास करने साथ ही आत्मनिर्भर बन गई।
प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। इस योजना के जरिए महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे वे अपने व्यवसाय की शुरुआत कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड की ग्राम पंचायत मनोरा की रहने वाली श्रीमती पिंकी सोनी बिहान महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। समूह से जुड़ने के बाद उन्हें शासन की योजनाओं की जानकारी मिली और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ।
कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध
पिंकी सोनी कहती हैं “समूह से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं की जानकारी मिली और आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास भी हासिल हुआ।” प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना का उद्देश्य स्वयं .सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना स्वयं .सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर सक्षम बनाना है।
बिहान महिला स्व सहायता समूह से मिली मदद
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लक्ष्य छोटे व्यवसायों और उद्यमियों के बीच उद्यमशीलता गतिविधियों को बढ़ावा देना है। यह योजना विभिन्न चरणों में व्यवसायों को पूरा करने और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इस योजना का लाभ लेकर आज पिंकी जी अपने परिवार की मजबूत आर्थिक सहारा बनी हैं। उनकी मेहनत और बिहान महिला स्व-सहायता समूह से मिली मदद ने उन्हें आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को धन्यवाद भी दिया हैं।
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संग्रहालय-सह स्मारक के निर्माण कार्यों का किया निरीक्षण
जंगल सत्याग्रह और झंडा सत्याग्रह के दृश्य भी होगा जीवंत
राज्योत्सव पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे संग्रहालय का उद्घाटन
आदिवासी गौरव, शौर्य एवं बलिदान का प्रतीक होगा संग्रहालय : मंत्री श्री नेताम
रायपुर : आदिम जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम ने आज नवा रायपुर में आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के समीप निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय-सह स्मारक के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया।
मंत्री श्री नेताम ने इस अवसर पर कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना का परिणाम है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ में जनजातीय वर्गों के ऐतिहासिक गौरव गाथा, शौर्य और बलिदान का प्रतीक संग्रहालय-सह स्मारक धरातल पर दिखाई देगा। यह निर्माणाधीन संग्रहालय सदियों के लिए नई पीढ़ियों को पुरखों की याद दिलाता रहेगा। यह न सिर्फ आदिवासी वर्गों के लिए बल्कि देश-विदेश के लोगों के लिए भी प्रेरणास्पद होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश का यह पहला संग्रहालय है, जो कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के उच्च शौर्य एवं बलिदान को समर्पित है अतः इसके निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
मंत्री श्री नेताम ने संग्रहालय के उद्घाटन के मद्देनजर सभी आवश्यक तैयारियां व निर्माण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में सुशासन और सभी वर्गों की बेहतरी के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। राज्य के जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के समन्वित प्रयास से कई अभिनव योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिससे जनजातीय वर्ग के जीवन स्तर में तेजी से बदलाव आ रहा है। मंत्री श्री नेताम ने इस मौके पर संग्रहालय में डिजीटलीकरण कार्य, दिव्यांगजनों हेतु पृथक पार्किंग व्यवस्था, सॉवेनियर शॉप, गार्डनिंग, वॉटर सप्लाई की स्थिति का भी निरीक्षण किया।
प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने कहा कि यह बहुत ही गर्व की बात है कि संग्रहालय का लोकार्पण देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से राज्योत्सव के समय किया जाना है। संग्रहालय के निर्माण कार्यों में लगने वाली मूर्तियां, कैनवास वर्क, डिजिटल वर्क का बारीकी के साथ परीक्षण किया जा रहा है। संग्रहालय का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं। मूर्तियों की स्थापना, लाईट, बिजली आदि का टेस्टिंग कार्य जारी है। प्रमुख सचिव श्री बोरा ने इस मौके पर संग्रहालय में प्रवेश से पूर्ण टिकट काउंटर पर लगे स्कैनिंग कार्य तथा प्रवेश द्वार में कुछ सुधार करने के संबंध में निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान उनके साथ छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी विकास निगम के संचालक डॉ. जगदीश सोनकर, आदिम जाति विकास विभाग संयुक्त सचिव श्री बीएस राजपूत, टीआरटीआई संचालक श्रीमती हिना अनिमेष नेताम, उपायुक्त श्रीमती गायत्री नेताम, निर्माण एजेंसी के अधिकारी, ठेकेदार, क्यूरेटर, इंजीनियर्स, आर्ट कलाकार एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
वीएफएक्स टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्शन वर्क से तैयार हो रहा है जीवंत संग्रहालय
संग्रहालय निर्माण में लगे क्यूरेटर श्री प्रबल घोष ने बताया कि यह संग्रहालय-सह स्मारक आदिवासियों स्वतंत्रता संग्र्राम सेनानियों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बारीकी के साथ अध्ययन व रिसर्च के बाद वीएफएक्स टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्शन वर्क के साथ तैयार किया रहा है। उन्होंने बताया कि संग्रहालय देखने वाले आगंतुकों को आदिवासी विद्रोह का वर्णन स्टैच्यू के पास ही लगे डिजिटल बोर्ड पर उपलब्ध रहेगा। आगंतुक संग्रहालय में आदिवासी विद्रोह को जीवंत महसूस कर सकेगा। वहीं आगंतुक प्रत्येक गैलरी में बनाई गई जीवंत झांकी के सामने स्कैनर लगाए गए स्कैनर से मोबाईल द्वारा स्कैन कर संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते है।
16 गैलेरियों में तैयार हो रहा है संग्रहालय
उल्लेखनीय है कि शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय में स्वतंत्रता आंदोलन के समय छत्तीसगढ़ में हुए विभिन्न आदिवासी विद्रोहों जैसे- हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रेाह, भोपालपट्टनम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मेरिया विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चौरिस विद्रोह, भूमकाल विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, झण्डा सत्याग्रह एवं जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष (1923, 1920) एवं शौर्य के दृश्य का जीवंत प्रदर्शन 14 गैलेरियों में किया जा रहा है। वहीं जंगल सत्याग्रह और झंडा सत्याग्रह पर एक-एक गैलेरियों का भी निर्माण किया जा रहा है। निश्चित ही यह संग्रहालय सभी वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र एवं प्रेरणास्रोत के रूप में बनकर उभरेगा।
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हर हाल में रात बारह बजे के भीतर बार बंद करने के निर्देश
होटल एवं बार में कार्यरत कर्मचारियों का 10 दिन के भीतरपुलिस व्हेरीफिकेशन कराने के निर्देश दिए
21 वर्ष से कम आयु उम्र वाले को बार में प्रवेश नहीं दिया जाए
ड्रग्स, कोकीन आदि मादक पदार्थों की जानकारी पर पुलिस को सूचित करें
आबकारी सचिव ने बार एवं होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों और संचालकों के साथ की बैठक
रायपुर : आबकारी आयुक्त सह सचिव, वाणिज्यिक कर (आबकारी) श्रीमती आर. शंगीता ने बार एवं होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों और संचालकों की बैठक लेकर आबकारी नियम/निर्देशों के विपरीत बार संचालन न करने की सख्त हिदायत दी। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में नियम और कानून में ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सचिव श्रीमती शंगीता ने कहा कि हर हाल में रात बारह बजे के भीतर बार का संचालन बंद हो जाना चाहिए एवं रात्रि 11ः30 के पश्चात् नये ग्राहकों को बार में प्रवेश नहीं दिया जाए। उन्होंने बैठक में 10 दिन के भीतर बार और होटल में कार्यरत कर्मचारियों का पुलिस व्हेरीफिकेशन कराने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने 21 वर्ष से कम उम्र वाले युवाओं को बार में प्रवेश नहीं देने की भी चेतावनी दी। इसी प्रकार पूर्व से ही नशे की हालत में पाये गये व्यक्तियों को बार में प्रवेश नहीं देने बाबत निर्देशित किया गया।
सचिव,वाणिज्यिक कर (आबकारी) श्रीमती शंगीता ने कहा कि बार व होटल संचालक यह जान लेवें कि बार संचालन में पाए गए त्रुटियों के लिए कर्मचारियों की गलती बताकर नहीं बच सकते, जिनके नाम से विभाग द्वारा अनुज्ञप्ति जारी की गई है, उनके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बार संचालकों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में वे राज्य में अवैध अथवा अपंजीकृत शराब का विक्रय बार व होटल में न करें अन्यथा सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसी प्रकार बार में बाहर से मदिरा लेकर आने वालों को प्रवेश नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा कि नियम और कानून के हिसाब से सात्विक तरीके से बार व होटल का संचालन होना चाहिए। उन्होंने ड्रग्स, कोकीन, एम.डी. जैसे मादक पदार्थो के विक्रय से दूर रहने की चेतावनी दी। ऐसे मादक पदार्थों का बार परिसर में विक्रय/सेवन आदि की जानकारी मिलने पर तत्काल पुलिस/आबकारी विभाग को सूचित करने की सलाह दी।
सचिव, वाणिज्यिक कर (आबकारी) श्रीमती आर.शंगीता ने कहा कि नियम व शर्तों के साथ बार व होटल संचालन के दौरान यदि अनावश्यक रूप से कोई अधिकारी परेशान करता है तो ऐसे अधिकारियों पर नियमानुसार कार्यवाही करने के लिए विभाग तत्पर रहेगा। इस संबंध में बार संचालकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, यदि बार संचालकों को कोई भी परेशानी हो तो वे सीधे उनसे संपर्क कर सकते है। इस संबंध में नियमानुसार हर संभव मदद किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आवश्यकतानुसार बारों में नियमानुसार एफ.एल. 5, एफ.एल. 5 क प्रासंगिक अनुज्ञप्ति लेकर ही विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जावे, इस संबंध में पुलिस विभाग से अनिवार्यतः अनुशंसा लिया जाए, उन्होने कहा कि बार व होटलों में अनिवार्य रूप से सी.सी.टी.वी. स्थापित करने के निर्देश दिए। जिसमें एक माह का बैकअप एवं नाईट विजन कैमरा भी स्थापित करने के निर्देश दिए।
बैठक दौरान सचिव, वाणिज्यिक कर (आबकारी) श्रीमती आर. शंगीता ने बताया कि अब तक विभाग द्वारा प्राप्त शिकायत होने पर 15 दिवस के भीतर 10 बारों का निरीक्षण कर, शिकायत सही पाए जाने पर 7 बारों का लाइसेंस निलंबित किया गया है, एवं अनियमितता पाई गई बारों के विरुद्ध कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने सभी बार संचालकों को आबकारी नियमों/निर्देशों व शर्तों के अनुसार बार का संचालन करने को कहा। उन्होंने बताया कि आगामी समय में ब्लैक लिस्टेड बार संचालकों का नाम विभाग के वेबसाइट में अपलोड करने का प्रावधान किया जा रहा है।
बैठक में आबकारी विभाग के अपर आयुक्त श्री पी. एल. साहू एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, इसके अलावा छत्तीसगढ़ बार एवं होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री तरनजीत सिंह सहित एसोसिएशन के पदाधिकारी व संचालकगण उपस्थित थे।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवारायपुऱ : पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य देश के नागरिकों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना और आवश्यक सरकारी सब्सिडी उपलब्ध कराना है। श्री श्रीवास ने इस अवसर का लाभ उठाने का फैसला किया। सरकारी सब्सिडी और सोलर पैनल लगाने वाली कंपनी की मदद से पूरी प्रक्रिया उनके लिए बेहद आसान हो गई। कुछ ही हफ्तों के भीतर, उनके घर की छत पर सोलर पैनल स्थापित हो गए और उनका घर अब सूरज की रोशनी से अपनी बिजली खुद बनाने लगा है।
रायगढ़ के कृष्णा वैली में रहने वाले श्री दिलीप कुमार श्रीवास के लिए बिजली का बढ़ता खर्च कभी एक बड़ी चिंता का विषय था। एक मध्यवर्गीय परिवार के लिए हर महीने आने वाला भारी-भरकम बिजली बिल, खासकर गर्मियों में पंखों और कुलर के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण, घरेलू बजट पर भारी दबाव डालता था। उनका मासिक बिजली बिल अक्सर 3,000 रुपए तक पहुँच जाता था। इसी दौरान श्री श्रीवास को शासन की महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के बारे में पता चला।
सौर ऊर्जा अपनाने का सबसे बड़ा और तत्काल लाभ उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ा है। जहाँ पहले हर महीने उन्हें 3,000 रुपए का बिल भरना पड़ता था, वहीं अब उनका बिजली बिल लगभग समाप्त हो चुका है। पूरे घर की बिजली की जरूरतें अब स्वच्छ और हरित सौर ऊर्जा से पूरी हो रही हैं। श्री श्रीवास इस बदलाव से बेहद संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा सौर ऊर्जा अपनाना हमारे लिए जीवन बदल देने वाला फैसला साबित हुआ। यह कदम केवल आर्थिक बचत का ही जरिया नहीं बना है, बल्कि यह भविष्य की पीढिय़ों के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान भी है।
बता दें कि योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को https://pmsuryaghar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात आवेदक को स्वीकृति प्रदान की जाती है। तत्पश्चात दस्तावेजों के सत्यापन और मूल्यांकन के उपरांत अंतिम मंजूरी जारी की जाती है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
लक्ष्य का शत प्रतिशत खाद का हो चुका वितरणरायपुर : प्रदेश में चालू खरीफ सीजन के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण जारी है। 29 सितंबर 2025 की स्थिति में किसानों को 14 लाख 59 हजार मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया जा चुका हैं, जो लक्ष्य का शत प्रतिशत है। वितरित किए गए उर्वरक में 07 लाख 22 हजार 552 मीट्रिक टन यूरिया, 02 लाख 12 हजार 901 मीट्रिक टन डीएपी, 02 लाख 18 हजार 721 मीट्रिक टन एनपीके, 67 हजार 990 मीट्रिक टन पोटाश तथा 2 लाख 36 हजार 393 मीट्रिक टन सुपर फास्फेट का वितरण किया गया हैं।
गौरतलब है कि इस खरीफ सीजन में राज्य में सहकारिता एवं निजी क्षेत्र के माध्यम से किसानों को 14.62 लाख मीट्रिक टन रासायनिक खाद वितरण का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरूद्ध अब तक 16 लाख 71 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भण्डारण करा लिया गया है। भण्डारण के विरूद्ध 14 लाख 59 हजार मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किसानों को किया जा चुका है। किसानों को सुगमता पूर्वक खाद का वितरण सोसायटी और निजी विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है। किसानों को किसी प्रकार से परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खाद बीज वितरण पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : प्रदेश में ”महिला कृषकों के लिये उपयुक्त सहयोगी कृषि उपकरण विषय पर आयोजित तीन दिसवीय प्रशिक्षण कार्यक्रम“ सम्पन्न हुई। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विकासखंड धरसीवां के ग्राम सिलतरा में किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान, ट्रैक्टर नगर, बुदनी मध्यप्रदेश, राज्य स्तरीय कृषि यंत्र परीक्षण प्रयोगशाला रायपुर, कृषि विज्ञान केन्द्र रायपुर, एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई थी।
प्रशिक्षण कार्यशाला के पहले दिन पंजीयन उपरांत प्रशिक्षण के रूपरेखा से अवगत कराया गया तथा बुदनी में वर्ष भर होने वाले आवासीय प्रशिक्षणों के संबंध में जानकारी दी गयी। कार्यशाला में बताया गया कि प्रशिक्षण प्राप्त करके ना सिर्फ महिलायें बल्कि गांव के युवा वर्ग ग्रामीण आजीविका का एक नया साधन स्वयं के लिये बना सकते हैं। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम निशुल्क रहते हैं तथा तिथिवार प्रशिक्षण कैलेंडर संस्थान की वेबसाईट fmttibudni.gov.in में उपलब्ध रहता है। यह संस्थान भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि वर्ष 1955 से किसानों के हित व कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने का कार्य इस संस्थान द्वारा किया जा रहा है। महिलाओं हेतु उपयोगी कृषि उपकरणों की भी जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के दूसरे दिन निंदाई-गुड़ाई एवं उद्यानिकी फसलों के लिए उपयोग किये जाने वाले उपकरणों जैसे खुरपी, सेरेटेड हंसिया, हैण्ड हो, सिकेटियर, ट्री प्र्रुनर, हेज सियर (कैंची) आदि के संबंध में विस्तार से बताया गया। साथ ही छिड़काव के लिये उपयोग होने वाले सभी प्रकार के स्प्रेयर जैसे कि हैण्ड स्प्रेयर, हस्तचलित नैपसेक स्प्रेयर, बैटरी चलित नैपसेक स्प्रेयर, इंजन चलित नैपसेक स्प्रेयर के विषय में भी प्रदर्शन कर जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के तीसरे दिन महिलाओं को इंजिन चलित वीडर जिसका उपयोग निंदाई के लिए, ब्रश कटर जिसका उपयोग झाड़ियों की कटाई-छंटाई के लिए, डिबलर जिसका उपयोग बीजों को उचित दूरी पर बोने की जानकारी दी गई। वहीं चाफ कटर, मिनी राईस मिल मसाला मशीन के विषय में बताया गया। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं द्वारा पुछे गये प्रश्नों का समाधान भी किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिलतरा एवं आसपास के गांव मटिया, बरबंदा, टांडा, नेउरडीह आदि की कृषक उत्पादक संगठन एवं समूह से जुड़ी लगभग 250 महिलाओं ने भाग लिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान, बुदनी से श्री रॉय सिंह गुर्जर, तकनीकी सहायक, श्री कोमल सिंह, वरिष्ठ तकनीशियन, राज्य स्तरीय कृषि यंत्र परीक्षण प्रयोगशाला, रायपुर से श्री आलोक पाल, सहायक अभियंता, श्री प्रवीण वर्मा, यांत्रिक सहायक, कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर से डॉ. राजेश कुमार अग्रवाल, विषय वस्तु विशेषज्ञ सहित कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) सत्य सांई महिला बहुउद्देशीय सहकारी समिति, टेकारी की अध्यक्ष सुश्री गिरिजा बंजारी शामिल थी।

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