- कोरबा : कोरबा जिले के पाली तानाखार क्षेत्र में सासिन और बर्रा के बीच टेटी नदी पर पिछले साल पुल का निर्माण पूरा हो जाने से आसपास के दस से अधिक गांवो तक अब पहुंच आसान हो गई है। यह पुल पिछले आठ सालों से अपने निर्माण के पूरा होने के इंतजार में था।कभी तकनीकी कारणों से तो कभी प्रशासकीय स्वीकृति में देरी से इस पुल का निर्माण लंबे समय तक नहीं हो सका था। राज्य में नई सरकार के पदभार ग्रहण करने के बाद इस पुल का काम पूरा करने के लिए तत्परता दिखी और तकनीकी रूकावटों को निराकृत करते हुए पिछले साल मई माह में इस पुल का निर्माण पूरा हो गया।
टेटी नदी पर पहले बरसात के मौसम में जलभराव के कारण इस पूरे क्षेत्र का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाता था। ग्राम पंचायत के मातिन के लोधीपारा में रहने वाले श्री पदुमदास महंत बताते हैं कि पुल बन जाने से सबसे ज्यादा सुविधा क्षेत्र के बच्चों को हुई है। पढ़ाई के लिए मातिन हाई स्कूल आने वाले क्षेत्र के बच्चों को बरसात के मौसम में बड़ी परेशानी होती थी।
लगातार नदी में पानी रहने से कई बार बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते थे जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती थी। श्री महंत बताते हैं कि अब पुल बन जाने से बारह मासी आने-जाने की सुविधा मिल गई है। गांव के बाजार में भी रौनक रहती है। इसके साथ ही और भी कई सुविधाएं आसपास के गांवो को इस पुल के बन जाने से मिल रहीं हैं।
टेटी पहाड़ी नदी है और पानी का बहाव भी काफी तेज होता है। ऐसे में पूरे बरसात के सीजन में नदी के पार रहने वाले लगभग दस गांवो के लोगों को कोरबा जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए काफी परेशानी होती थी। टेटी नदी पर उच्च स्तरीय पुल दो करोड़ 25 लाख रूपए की लागत से बनाया गया है। 75 मीटर लंबे इस पुल पर 25-25 मीटर की दूरी पर तीन स्पान खड़े किए गए हैं।
पुल की चैड़ाई लगभग साढे आठ मीटर है और पुल से आमने-सामने से दो भारी वाहन आसानी से पार हो जाते हैं। पुल के साथ लगभग 500 मीटर की एप्रोच रोड भी बनाई गई है। इस पुल के बन जाने से अब कोदवारी, पुटीपखना, बगनखा, मातिन, कुदरी, कुकरीबहरा और भवलपुर जैसे लगभग दस गांवो के छह हजार लोगों को बरसात में ही नहीं बल्कि पूरे साल आने-जाने की बेहतर सुविधा मिलने लगी है। बड़े बाजार तक पहुंचना हो या ईलाज के लिए बड़े अस्पताल तक, अब सभी कुछ आसान हो गया है। - कोरबा : अत्यंत दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि क्षेत्रीय विधायक श्री मोहित राम केरकेट्टा की माताजी श्रीमती जुगरी बाई का आज तड़के स्वर्गवास हो गया है। जिनका अंतिम संस्कार आज गृहग्राम पोलमी के मुक्तिधाम में आज दोपहर 12 बजे किया जाएगा।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं शोक संतप्त परिवार को उक्त दुख से लड़ने संबल प्रदान करें।
विनम्र श्रद्धांजलिओम शांति शांति शांति - करतला के तरदा में लगाई गई योजनाओं की विकास फोटो प्रदर्शनी
कोरबा : छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जनसंपर्क विभाग द्वारा शासन के जन कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियों की विकास फोटो प्रदर्शनी विकासखण्डवार लगाई जा रही है। इसी कड़ी में आज विकासखण्ड करतला के ग्राम पंचायत तरदा के साप्ताहिक हाट-बाजार में एक दिवसीय विकास फोटो प्रदर्शनी लगाई गई।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से तरदा के ग्रामीण सहित आसपास के गांव में रहने वाले लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर विकास फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया।प्रदर्शनी में ग्रामीण-युवाओं ने पहुंचकर शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी ली तथा उनसे होने वाले लाभ के बारे में जाना। ग्राम पंचायत तरदा के सरपंच श्रीमती सुनीता मांझी ने विकास फोटो प्रदर्शनी को बहुत ही लाभकारी बताया।
उन्होंने कहा कि विकास प्रदर्शनी के आयोजन से हमारे गांव के लोगों सहित आसपास के गांव के लोग भी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं तथा योजनाओं का लाभ उठाने जागरूक भी हो रहे हैं।ग्राम तरदा के रहने वाले ग्रामीण श्री मनोहर ने महिलाओं के स्वावलंबन के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत दिए जाने वाले 25 हजार रूपए की सहायता की जानकारी ली।
उन्होंने कहा कि यह योजना गरीब लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है तथा इनका लाभ जरूरतमंद सभी लोगों को मिलेगा। किसान श्री नोहर साय ने किसानों के लिए शासन द्वारा लागू जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित प्रकाशित पुस्तकों और पाम्प्लेटों को पूरी जानकारी हासिल करने के लिए उत्साह के साथ अपने पास रखे और कहा कि इसे घर ले जाकर विस्तार से पढुंगा और लोगों को भी योजनाओं के बारे में बताउंगा।
प्रदर्शनी के माध्यम से शासन के दो वर्षों के कार्यो को फोटो के माध्यम से लोगों को बताया गया। इस विकास फोटो प्रदर्शनी का ग्रामीण और युवाओं ने अधिक संख्या में आकर अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित पुस्तकों, पाम्पलेट का भी वितरण किया गया।
ग्राम तरदा में लगाए गए विकास फोटो प्रदर्शनी में छत्तीगसढ़ शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, 23 नये तहसीलों का गठन, महिला उत्थान के लिए संचालित योजनाएं, लघु वनोपज की खरीदी, तेंदुपत्ता संग्रहण, गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर की खरीदी, डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजनाएॅ, किसानों को न्याय योजना के माध्यम से धान का दो हजार पांच सौ रूपए प्रति क्विंटल भुगतान, लाॅकडाऊन में मनरेगा बना रोजगार का सबसे बड़ा साधन, नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजनाओं और उससे राज्य में लाभान्वित हितग्राहियों की जानकारी और लोगों को इन योजनाओं से मिलने वाले लाभों के बारे में बताया गया। 29 दिसंबर को विकास फोटो प्रदर्शनी विकासखण्ड पोड़ी-उपरोड़ा में लगाई जाएगी। -
जल संरक्षण संवर्धन की दिशा में प्रभावी कदम
कोरबा : छत्तीसगढ़ शासन की महात्वाकांक्षी ग्राम सुराजी नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना ग्रामीणों की आजीविका संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।कोरबा जिला जनपद पंचायत पाली से दुरस्थ ग्राम सोनईपुर के हाथीनाला से निकलने वाला गोखरू नाला प्राचीन एवं करीब 15 किमी. लंबा है, लेकिन यह धीरे-धीरे सूखता जा रहा था।
नरवा योजना के तहत् गोखरू नाला का उपचार किया गया जिसमें जल व मिट्टी संरक्षण की संरचनाएं ब्रशवुड, लूजबोल्डर, गलीप्लग, गेबियन, वृक्षारोपण, तालाब आदि का निर्माण करके नाला उपचार किया गया है। नाले पर जगह-जगह बनी विविध संरचनाओं का सीधा लाभ ग्रामीणों को नदी में पानी भराव एवं सिंचाई सुविधा के रूप में मिल रहा है।
सिंचाई सुविधा, मिलने से 14.52 हेक्टेयर सिंचाई का रकबा बढ़ गया है जिससे सोनईपुर हाथीबाड़ी, पोटापानी, डूमरकछार, आदि ग्रामों के किसानों को लाभ मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर मनरेगा से तालाब निर्माण आदि कराये जाने से 350 से अधिक ग्रामीणों को रोजगार मिला है।
नाला के समीपस्थ किसानों के खाली खेतों में नाला उपचार के उपरांत सिंचाई सुविधा मिलाने से फसलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें ग्रामवासियों का अजीविका संवर्धन हो रहा है।श्री सहेत्तर पूर्व सरपंच, ग्राम पंचायत पोटापानी का कहना है कि नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी छ.ग. सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसमें नाला उपचार के तहत् किये गये कार्यों से नदी में पानी रूकेगा, भूमिगत जल स्तर में वृ़िद्ध होगी। इससे ग्रामीणों की आजिविका संवर्धन होने से ग्रामीण आत्मनिर्भर बनेंगे। इस योजना से ग्रामीण किसानों के जीवन में खुशहाली आयेगी।
किसान श्री बिहारीलाल केंवट का कहना है कि नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना ग्रामीणों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास का अवसर लेकर आई है। जल और मृदा संरक्षण संरचनाएं जैसे-ब्रशवुड, लूज बोल्डर चेक, गलीप्लग, गेबियन आदि से जल प्रवाह और मिट्टी का कटाव कम होगा।
इससे नदी नाले पुनः जिवित हो रहें है। यह महत्वपूर्ण कार्य सहभागिता से किये जा रहें है। नदी नाले पुर्नजीवित होने से हम ग्रामीण आत्मनिर्भर हो सकेंगें तथा जल जंगल जमीन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन हो सकेगा। - सात नए धान खरीदी केन्द्र शुरू होने से ढाई हजार से अधिक किसानों को मिली सहूलियत
कोरबा : अपनी मेहनत के पसीने से सींच कर खेतो में धान उगाने के बाद उसे बेचने में होने वाली कठिनाई और मशक्कत से कोरबा जिले के दो हजार 773 किसानों को छुटकारा मिल गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के किसानों को अपना धान सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए हर संभव सुविधा दी है।
कोरबा जिले में राज्य शासन ने पिछले दो वर्षाे में 14 नई सहकारी समितियां और सात नए उपार्जन केन्द्र शुरू किए हैं। निरधि, नोनबिर्रा, कुलहरिया, सुमेधा, दादर खुर्द, लबेद और तरईनारा में शुरू हुए इन नए उपार्जन केन्द्रो को मिलाकर जिले में अब 49 धान खरीदी केंद्रोे में किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है।
इन नए धान खरीदी केन्द्रो के शुरू होने से किसानों को अपना धान बेचने में काफी सहूलियत हुई है। पहले उन्हें अपनी मेहनत से उपजाए धान को बेचने के लिए 20 से 25 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता था। धान को उपार्जन केन्द्र तक ले जाने के लिए ट्रैक्टर गाड़ी आदि की व्यवस्था में समय और पैसा दोनों ही खर्च होता था। कभी-कभी उपार्जन केन्द्र पर धान की आवक अधिक होने से रूकना भी पड़ जाता था। ऐसे में राज्य शासन ने किसानों को आसानी से अपनी फसल खरीदी केन्द्रो पर बेचने के लिए पूरे प्रदेश में 260 नए केन्द्र शुरू किए हैं।
इसी तारतम्य में कोरबा जिले में पिछले दो सालों में 14 नई सहकारी समितियां और सात नए उपार्जन केन्द्र खुले हैं। अब समितियों की संख्या 27 से बढ़कर 41 हो गई है और धान खरीदी केन्द्र 49 हो गई है। कुलहरिया में खुले नए खरीदी केन्द्र से 637, लबेद से 419, सुमेधा से 163, निरधी से 584, दादर खुर्द से 332, करईनारा से 285 और नोनबिर्रा से 353 किसान जुड़े हैं। जो अब अपने ही गांव के पास धान बेच रहे हैं। कोरबा जिले में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में धान बेचने वाले किसानों की संख्या 27 हजार 694 से बढ़कर 32 हजार 589 हो गई है।
वहीं पिछले वर्ष का धान का रकबा 45 हजार 803 हेक्टेयर से बढ़कर 48 हजार हेक्टेयर को पार कर गया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत भी जिले के किसानों को 67 करोड़ 62 लाख रूपए का भुगतान चार किश्तों में किया जा रहा है। तीन किश्तों में अभी तक किसानों को 53 करोड़ 25 लाख रूपए की राशि मिल चुकी है। कोरबा जिले में 23 हजार किसानों का 118 करोड़ रूपए का अल्प कालीन कृषि ऋण भी माफ किया गया है। सरकार की इन सहुलियतों से किसानों को खेती के लिए जरूरी आदान सामाग्रियों बीज, खाद, दवाई आदि के लिए बहुत मदद मिली है और उनका खेती-किसानी के प्रति रूझान बढ़ा है।
सुमेधा गांव के पूर्व सरपंच भजन कंवर ने अपने गांव में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केन्द्र शुरू होने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि धान बेचने के लिए पहले 22 कि.मी. की दूरी तय कर छुरीकला जाना पड़ता था और अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। अब गांव में ही धान खरीदी केन्द्र खुलने से हम सब काफी खुश है।
अब अपना धान अपने केन्द्र में समय पर बेचे हैं। किराया भाड़ा और समय की भी बचत हुई है। कृषक त्रिभुवन सिंह कंवर और इतवार सिंह कंवर ने ग्राम सुमेंधा में तथा अमन पटेल व अरूण यादन ने ग्राम दादरखुर्द में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केन्द्र खोलने के लिए राज्य सरकार कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि हमारे गांव के अलावा आसपास के गांव के कृषकों को अपनी उपज बेचने के लिए अब दूर तक सफर तय नही करना पडेगा।कृषक मनीराम साहू ने भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को किसानों की सहूलियत का ध्यान रखने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है। मनीराम साहू ने कहा कि किसानों को सहूलियत देने की सरकार के प्रयासों से ही जिले मेे इस वर्ष धान का रकबा भी बढ़ा है और धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है। - कोरबा : छत्तीसगढ़ ही क्या पूरे देश मंे कभी किसी ने सोंचा नहीं था कि गोबर जैसी चीज भी बिकेगी और उससे भी लोग रूपए कमाएंगे। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में गोधन न्याय योजना शुरू कर लोगों की इस अकल्पनीय सोंच को भी साकार कर दिया है।
पूरे प्रदेश मंे ग्रामीण क्षेत्रों में बने गौठानों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी गोबर संग्राहक दो रूपए प्रति किलो गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं और विशेष बात यह है कि यह आमदनी उन्हें लगातार मिल रहीं है।कोरबा जिले में अब तक 13 हजार से अधिक गोबर संग्राहकों ने एक करोड़ पांच लाख 94 हजार किलो से अधिक गोबर दो रूपए प्रति किलो की दर से गौठानों में बेच दिया है और इससे उन्हें करीब दो करोड़ 11 लाख रूपए का मुनाफा मिला है।
जिले में गोबर खरीदी के काम में 205 गौठान सक्रिय हैं। सरकार की इस योजना से एक ओर जहां राज्य को जैविक खेती की ओर बढ़ने का ठोस रास्ता मिला है वहीं दूसरी ओर पशुधन की देखभाल, नस्ल और स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ खेतों में खड़ी फसलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। गोबर खरीदी की गोधन न्याय योजना से गोबर जैसे अपशिष्ट से संग्राहक अब अपना जीवन स्तर बेहतर कर रहें हैं और समुदाय में विशिष्टता की तरफ बढ़ रहंे है।
एक ओर जहां ग्रामीण बढ़-चढ़कर गोबर बेचने और लाभ कमाने में भागीदार बन रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिले के शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले गोबर संग्राहक भी गोधन न्याय योजना का लाभ उठाने में पीछे नहीं है। शहरी क्षेत्र के निवासियों के लिए भी गोबर बेचकर अपनी गरीबी मिटाने और अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने का भरपूर मौका मिल रहा है।
शहरी क्षेत्र के गोबर संग्राहक भी नए मकान बनाने, अधिक मवेशी खरीदने तथा घरेलू जरूरत के सामान लेने की योजना को मूर्त रूप देने में लगे हुए हैं। कोरबा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली श्रीमती रमा गोबर बेचने से प्राप्त हुए रुपयों से अपना पक्का मकान बनाएगी।
पोड़ीबहार बांसबाड़ी की रमा महंत अपने पति गणेश महंत के साथ 12 मवेशियों की देखभाल करतीं हैं। उनके पास छह गाय और छह बछड़े हैं। हर दिन औसतन 35 किलो गोबर पोड़ीबहार के खरीदी केन्द्र में बेचने वाली रमा बताती हैं कि कभी सोचा नहीं था कि गोबर भी बिकेगा।
पहले गोबर के कंडे या उपले ही शहरी क्षेत्र में कभी-कभी बिक जाते थे। परंतु रोज गोबर से रूपए मिलेंगे, यह छत्तीसगढ़ सरकार की योजना से ही संभव हो सका है। महंत दंपत्ति बताते हैं कि समय पर गोबर बिक्री की राशि सीधे उनके खाते में जमा हो रही है। इस राशि से वे अब झोपड़ी की जगह अपना पक्का मकान बनायेंगे।
कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में 199 गौठानों में गोबर की खरीदी हो रही है। इन गौठानों में अभी तक 97 लाख 65 हजार किलो से अधिक गोबर खरीदा जा चुका है। शहरी क्षेत्रों के छह गौठानों में आठ लाख 28 हजार किलो से अधिक गोबर अब तक खरीदा गया है। जिसके लिए दो करोड़ 11 लाख रूपए से अधिक की राशि सीधे गोबर संग्राहकों केे खातों में जमा करा दी गई है। - मक्का, वनोपज, काजू, बांस, लाख, चार-चिरौंजी की प्रोसेसिंग युनिट लगाने की योजना
कलेक्टर श्रीमती कौशल ने अधिकारियों के साथ बैठक कर दिए निर्देश
कोरबा : कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत शिक्षित बेरोजगार युवाओं, महिला समूहों की सदस्यों, वनवासियांे और किसानों को बड़ी तादात में रोजगार से जोड़ने की जिला प्रशासन की तैयारी शुरू हो गई है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने आज इस संबंध में एक आवश्यक बैठक कलेक्टोरेट सभा कक्ष में आहूत की।
बैठक में वीडियो काॅन्फे्रंसिंग के माध्यम से ब्लाॅक स्तर के अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में जिले में चिन्हांकित लगभग 27 आर्दश गौठानों में मुर्गी पालन, बटेर पालन, बकरी पालन, रेशम धागाकरण, मछली पालन आदि रोजगार मूलक गतिविधियां शुरू करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए।
उन्होंने इसके लिए की जाने वाली तैयारियां एक सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। बैठक मंे जिले मंे मिलने वाली लघु वनोपजों, औषधीय जड़ी बूटियों के साथ-साथ मक्का, काजू, बांस, लाख, चार-चिरौंजी जैसे प्रसंस्करण युनिट लगाने पर भी चर्चा हुई।
कलेक्टर ने इन प्रोसेसिंग युनिटों को शुरू करने के लिए बहुतायत में पाये जाने वाले क्षेत्रों की पहचान कर अनुमानित उत्पादन के लिए सघन सर्वे करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने पिछले वर्षों में उत्पादन, प्रसंस्करण और विक्रय के बारे में भी अधिकारियों से जानकारी ली। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुंदन कुमार सहित कटघोरा वनमण्डल की डीएफओ शमा फारूखी, कोरबा वनमण्डल के डीएफओ एस. गुरूनाथन और अन्य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।
बैठक में कलेक्टर ने फल पौधरोपण, औषधीय पौधरोपण के साथ-साथ उनके उत्पादन और प्रसंस्करण के बारे में भी वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने बहुतायत में मिलने वाली औषधि जड़ी बूटियों तथा आम, जामुन जैसे फलों के प्रसंस्करण के लिए भी युनिट लगाने की संभावनाओं पर चर्चा कर अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।
श्रीमती कौशल ने काजू प्रसंस्करण युनिट लगाने के लिए भी अधिकारियों को योजना बनाने को कहा। उन्होनंे कोरबा और कटघोरा वनमण्डलों में पहले से स्थापित बांस प्रसंस्करण युनिटों के आधुनिकीकरण और जीर्णाेद्धार के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।कलेक्टर ने बैठक में कहा कि जिले में उपलब्ध संसाधनों, जड़ी बूटियों, वन औषधीयों और कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनके उत्पाद बनाकर खुले तथा थोक बाजार में बेचने की व्यवस्था से ग्रामीणों को अधिक से अधिक फायदा हो सकता है।
डाबर, पतंजलि जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर जिले के उत्पाद पशु आहार निर्माताओं को भी बेचे जा सकते हैं। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को आय का एक साधन मिलेगा और जिले की अलग पहचान भी बनेगी।कलेक्टर ने गौठानों को मल्टी एक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए भी विस्तृत कार्ययोजना गौठानवार तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
उन्हांेने गौठानों में तिखुर और जिमी कांदा की भी खेती कराने के निर्देश उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को दिए। श्रीमती कौशल ने वन अधिकार पट्टे के माध्यम से मिली जमीनों पर भी वनवासियों के लिए रोजगार मूलक खेती और पौधरोपण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। - पाली के हरदीबाजार में लगी शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की विकास फोटो प्रदर्शनी
कोरबा : छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जनसंपर्क विभाग द्वारा शासन के जन कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियों की विकास फोटो प्रदर्शनी विकासखण्डवार लगाई जा रही है।सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाने विकासखण्ड पाली के ग्राम हरदीबाजार में एक दिवसीय विकास फोटो प्रदर्शनी लगाई गई।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से हरदीबाजार के ग्रामीण सहित आसपास के गांव में रहने वाले लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर विकास फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया।ग्रामीणों ने प्रदर्शनी में पहुंचकर शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी ली तथा उनसे होने वाले लाभ के बारे में जानकर शासन की योजनाओं की सराहना भी की।
हरदीबाजार के रहने वाले ग्रामीण श्री रमेश सिंह ने डाॅ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के लाभ के बारे में जानकारी ली और कहा कि यह योजना सभी लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है। इस योजना के माध्यम से लोग अपने राशन कार्ड के माध्यम से निःशुल्क में स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।
ग्राम नोनबिर्रा निवासी श्री अजुराम यादव भी विकास फोटो प्रदर्शनी देखने पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से शासन की योजनाओं की जानकारी एक ही जगह में मिल जाने से किसान सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जागरूक हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से वितरित किए जा रहे योजनाओं से संबंधित पाम्प्लेट, पुस्तक बहुत ही उपयोगी है इससे सभी योजनाओं की जानकारी आसानी से मिल रही है।
प्रदर्शनी के माध्यम से शासन के दो वर्षों के कार्यो को फोटो के माध्यम से लोगों को बताया गया। इस विकास फोटो प्रदर्शनी का ग्रामीणजनों ने अधिक संख्या में आकर अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में जनकल्याणकारी योजनओं से संबंधित पुस्तकों, पाम्पलेट का भी वितरण किया गया।
ग्राम हरदीबाजार में लगाए गए विकास फोटो प्रदर्शनी में छत्तीगसढ़ शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, 23 नये तहसीलों का गठन, महिला उत्थान के लिए संचालित योजनाएं, लघु वनोपज की खरीदी, तेंदुपत्ता संग्रहण, गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर की खरीदी, डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजनाएॅ, किसानों को न्याय योजना के माध्यम से धान का दो हजार पांच सौ रूपए प्रति क्विंटल भुगतान, लाॅकडाऊन में मनरेगा बना रोजगार का सबसे बड़ा साधन, नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजनाओं और उससे राज्य में लाभान्वित हितग्राहियों की जानकारी और लोगों को इन योजनाओं से मिलने वाले लाभों के बारे में बताया गया। 28 दिसंबर को विकास फोटो प्रदर्शनी विकासखण्ड करतला के ग्राम सरगबुंदिया में लगाई जाएगी। - दर्री में नई तहसील शुरू होने से 48 गांवो के लोगों को मिली सुविधा
कोरबा : कोरबा जिले में राज्य सरकार ने दर्री को नई तहसील बनाकर आसपास के 48 गांवो के लोगों को अपने राजस्व संबंधी कामों के लिए बड़ी सुविधा दे दी है।अब इन गांवो के लोगों को नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, फौती सहित आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 25 किलोमीटर दूर कटघोरा जाने से भी मुक्ति मिल गई है।
इसके साथ ही कोरोना काल में वैवाहिक कार्यक्रमों से लेकर अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति आदि के आवेदन भी अब दर्री तहसील कार्यालय में ही लिए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने जिले में 11 नवंबर को दर्री और हरदीबाजार को नई तहसील के रूप में स्थापित कर दिया हैं। यहां तहसीलदार कार्यालय भी शुरू कर दिये गए हैं। एक महीने में ही दर्री तहसील में 165 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।
85 नकल प्रकरण, 34 आय प्रमाण पत्र प्रकरण, 18 निवास प्रमाण पत्र प्रकरण इनमें शामिल हैं। दर्री तहसील क्षेत्र में 48 गांव शामिल किए गए हैं जिनमें से 30 गांव शहरी और 18 ग्रामीण क्षेत्रों के हैं।तहसील 25 पटवारी हल्का और नौ राजस्व निरीक्षक मण्डल हैं। पूरी तहसील में आठ हजार 661 खातेदार हैं जिन्हें अब अपने किसी भी राजस्व संबंधी काम के लिए कटघोरा के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राज्य शासन ने डाॅ. रविशंकर राठौर नायब तहसीलदार को दर्री का प्रभारी तहसीलदार भी नियुक्त कर दिया है। जेलगांव प्रेमनगर के सामुदायिक भवन में तहसील का कार्यालय शुरू हो गया है।
नई तहसील में कामकाज शुरू हो जाने से 48 गांवो के निवासी भी अब सरकार की इस पहल का स्वागत कर रहे हैं। दर्री निवासी श्री शंकर जायसवाल बताते हैं कि पहले छोटे से नामांतरण या फौती उठाने के काम के लिए भी 25 किलोमीटर दूर कटघोरा जाना पड़ता था।एक दिन में काम नहंी होने पर दूसरे दिन फिर उतनी ही दूर जाना होता था इससे समय के साथ-साथ किराये-भाड़े में भी काफी खर्चा हो जाता था। अब अपने घर के नजदीक दर्री में तहसील खुल जाने से इन सब झंझटों से छुटकारा मिल गया है।
तहसीलदार के सहयोगी स्वभाव और तहसील के कर्मचारियों के व्यवहार से सभी काम आसानी से हो जा रहे हैं। वहीं तहसील स्तर पर प्रकरणों की पैरवी करने वाले वकील तुलसी विश्वकर्मा भी दर्री में तहसील कार्यालय शुरू हो जाने पर खासे खुश हैं।अब प्रकरणों की सुनवाई के लिए उन्हें काफी आसानी हो गई है। पहले अपने पक्षकार के राजस्व प्रकरणों की सुनवाई के लिए उन्हें पक्षकार सहित कटघोरा जाना पड़ता था। पक्षकारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने पर उनका किराया, खाने-पीने का खर्चा आदि भी कभी-कभी वकील विश्वकर्मा के हिस्से आ जाता था।
अब दर्री में तहसील खुल जाने से पक्षकार सीधे आकर उनसे संपर्क करते हैं और वकील विश्वकर्मा भी तहसील मंे आसानी से प्रकरणों की सुनवाई में शामिल हो जाते हैं। अब नई तहसील में राजस्व प्रकरणों की तेजी से सुनवाई हो रही है। प्रकरणों के निराकरण में भी तेजी आई है।
डिंडोलभाठा गांव के निवासी श्री तामेश्वर बताते हैं कि कोरबा में बिजली बनाने के कारखानों के साथ-साथ कोयले की खदाने भी हैं और इनसे जुड़े राजस्व प्रकरणों के लिए पहले कटघोरा के चक्कर काटने पड़ते थे।फसल खराब होने, बाढ़ से पानी भर जाने से लेकर अन्य आपदाओं पर सर्वे-मुआवजा आदि प्रकरणो में पहले काफी समय लगता था। दर्री में ही तहसील कार्यालय शुरू होने से अब एक आवेदन पर उसी दिन अधिकारियों द्वारा सर्वे आदि कर लिया जाता है और प्रकरणों के निराकरण में भी तेजी आ गई है। - कोरबा : कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने 18 दिसंबर को कोरबा जिला जेल में विचाराधीन बंदी राजू तिवारी की मौत की दण्डाधिकारिक जांच के निर्देश दिए हैं। डिप्टी कलेक्टर श्री बी. आर. ठाकुर को जांच अधिकारी बनाया गया है और 30 दिन के भीतर जांच पूरी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
कोरबा जेल में विचाराधीन बंदी राजू तिवारी की तबियत खराब होने पर उसे जेलगार्ड, फार्मासिस्ट और मुख्य प्रहरी द्वारा शासकीय जिला चिकित्सालय भेजा गया था।चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में विचाराधीन बंदी का ईलाज चल रहा था और ईलाज के दौरान 18 दिसम्बर को सुबह साढ़े पांच बजे उसकी मौत हो गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला दण्डाधिकारी ने घटना के मेजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए हैं।
जांच के दौरान विचाराधीन बंदी क्या पहले से किसी बीमारी से पीड़ित थे, बीमारी की स्थिति में कब-कब ईलाज कराया गया, बंदी किस धारा के तहत कितने समय से जेल में परिरूद्ध थे, उन्हें जेल में कोई शारीरिक यातना तो नहीं दी गई, बंदी के ईलाज के दौरान किन-किन प्रहरियों की ड्यूटी थी, ईलाज की क्या-क्या कार्रवाई की गई, चिकित्सा परीक्षण रिपोर्ट आदि बिंदुओं पर यह जांच आगामी 30 दिनों में पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। - अमरपुर और ढेलवाडीह गौठानों की 60 महिलाएं सुगंधित हर्बल गुलाल बनाने में लगी
कोरबा : वैसे तो होली के त्यौहार मंे अभी दो-तीन महीने बाकीं हैं पर कोरबा जिले के कटघोरा विकासखण्ड के अमरपुर और ढेलवाडीह आदर्श गौठानों में काम करने वालीं लगभग 60 महिलाओं ने होली पर गुलाल बेचकर 50 से 60 हजार रूपए की अतिरिक्त आमदनी की तैयारी अभी से कर ली है।
दोनो गौठानों से संलग्न आठ महिला स्व-सहायता समूहों की यह महिलाएं सब्जियों, फूलों की पंखुड़ियों, गुलाब जल, चंदन जल, खस के इत्र आदि से हर्बल गुलाल बना रहीं हैं। खास बात यह है कि इस गुलाल में किसी तरह का कोई हानिकारक रासायन उपयोग नहीं किया जा रहा है।
गुलाल को पालक की भाजी से हरा रंग, लाल भाजी से गुलाबी रंग, चुकंदर से लाल रंग, हल्दी से पीला रंग दिया जा रहा है। गुलाब, गेंदा, टेसु जैसे फूलांे की पुखड़ियों से भी यह महिलाएं प्रीमियम क्वालिटी का हर्बल गुलाल भी बना रहीं हैं। गुलाल में सुगंध के लिए गुलाब जल, चंदन का इत्र, खस का इत्र आदि प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया जा रहा है।
महिलाओं ने आगामी होली के त्यौहार तक अलग-अलग रंग के लगभग पांच क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य तय किया है जिससे उन्हें होली पर 50 से 60 हजार रूपए की अतिरिक्त आमदनी होगी। अभी तक 30 किलो से अधिक हर्बल गुलाल इन महिलाओं ने बना भी लिया है। जिला प्रशासन की मदद से इस गुलाल की बिक्री के लिए समूहों को कटघोरा-कोरबा सहित स्थानीय बाजार भी उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है।
धवईपुर जननी महिला क्लस्टर संगठन की अध्यक्ष देवेश्वरी जायसवाल बताती हैं कि उन्हें और उनके जैसी लगभग 60 महिलाओं को दो चरणों में आजीविका मिशन के तहत हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग मिली है। स्टार्च को फल और सब्जियों के प्राकृतिक रंगो से रंग कर और उसमें गुलाब जल, इत्र आदि मिलाकर हर्बल गुलाल बनाने के गुर उन्हंे सिखाए गए हैं।
गुलाब, गेंदा, टेसु के फूलों की पंखुड़ियों से प्रीमियम क्वालिटी का हर्बल गुलाल भी बनाना इन महिलाओं को सिखाया गया है। सब्जियों और फलों के अलावा अलग रंगो के लिए स्टार्च में खाने का रंग भी मिलाकर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है।
श्रीमती जायसवाल बताती हैं कि हर्बल गुलाल बनाने में किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होता है बल्कि इसमें चेहरे में निखार के लिए हल्दी, चंदन, गुलाब जल आदि भी मिलाया जा रहा है। रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होने से यह गुलाल त्वचा, आंख, बाल आदि के लिए हानिकारक नहीं होगा और इसे बिना किसी चिंता के लोग होली मंे उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही यह आसानी से शरीर से छुट भी जाएगा।
अमरपुर गौठान से जुड़ी महिला समूह की सदस्य श्रीमती ललिता बिंझवार और संतोषी यादव ने बताया कि एक किला हर्बल गुलाल बनाने में 75 से 80 रूपए का खर्च आता है जबकि स्थानीय बाजार में इसकी औसतन कीमत 130 से 140 रूपए प्रतिकिलो है। होली के सीजन में यह दाम 10-15 रूपए और बढ़ सकता है।
फूलों की पंखुड़ियों से बने प्रीमियम क्वालिटी के हर्बल गुलाल की कीमत इससे भी ज्यादा है। ऐसे मंे हर्बल गुलाल से आमदनी का गणित बताते हुए देवेश्वरी जायसवाल ने आशा जताई है कि पांच क्विंटल हर्बल गुलाल से समूहांे को होली के सीजन में 50 से 60 हजार रूपए का फायदा हो सकता है।
समूहों ने आजीविका मिशन के अधिकारियों के साथ मिलकर स्थानीय थोक एवं फुटकर व्यापारियों के साथ-साथ स्वयं भी दुकानें लगाकर इस गुलाल की बिक्री की योजना तैयार कर ली है। प्लास्टिक की डब्बों में 200 ग्राम की पैकिंग में प्रीमियम क्वालिटी हर्बल गुलाल और जिपर पैकिंग में दूसरे हर्बल गुलाल को आकर्षक रूप से पैकिंग कर बिक्री की तैयारी भी समूहों द्वारा की जा रही है। - मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के लिए विद्यार्थियों की सूची जारी
दस्तावेज वैरिफिकेशन के लिए पांच जनवरी अंतिम तिथि
कोरबा : जिले के अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के 77 उत्कृष्ठ विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के तहत आगे पढ़ाई जारी रखने के लिए एक मुश्त 15-15 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।जिले के दसवीं तथा बारहवीं की परीक्षा में मेरिट में स्थान रखने वाले अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के उत्कृष्ट विद्यार्थियों और बारहवीं के बाद महाविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले नियमित विद्यार्थियों को यह प्रोत्साहन राशि मिलेगी। राज्य शासन के शिक्षा विभाग से जिले के ऐसे 77 विद्यार्थियों की सूची शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्राप्त हो गई है।
इस सूची में कक्षा बारहवीं के 55 तथा कक्षा दसवीं के 22 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। कक्षा बारहवीं में अनुसूचित जाति वर्ग में 15 उत्कृष्ट विद्यार्थी सूचीबद्ध किए गए हैं जिनमें 12 छात्राएं और तीन छात्र हैं।इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति वर्ग में 40 विद्यार्थियों की सूची में 27 बालिकाएं और 13 बालक शामिल हैं। दसवीं कक्षा की उत्कृष्ट विद्यार्थियों की सूची में जिले के अनुसूचित जाति वर्ग के सात छात्र और 15 छात्राएं शामिल हैं। दसवीं कक्षा में अनुसूचित जन जाति वर्ग के जिले के किसी भी विद्यार्थी को सूची में स्थान नहीं मिला है।
सूची में शामिल विद्यार्थियों के स्थाई जाति प्रमाण पत्रों और मूल निवास प्रमाण पत्रों सहित अन्य दस्तावेजों का वैरिफिकेशन पांच जनवरी तक होगा। सूची सभी विकासखण्ड कार्यालयों और शासकीय तथा अशासकीय संस्थाओं को भी भेजी गई है।विद्यार्थी प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए अपनी पात्रता और दस्तावेजों के वैरीफिकेशन के लिए अधिक जानकारी प्राप्त करने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय कोरबा में पदस्थ श्री अजय कुमार चैहान से मोबाइल नंबर 78284-19388 पर संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही विद्यार्थी विकासखण्ड कार्यालयों और अपने स्कूलों में भी संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं। - मुख्यमंत्री इस बार युवाओं से करेंगे बात
कोरबा : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल लोकवाणी में इस बार युवाओं से बातचीत करेंगे। इस संबंध में कोई भी व्यक्ति आकाशवाणी रायपुर के दूरभाष नंबर 0771-2430501, 2430502, 2430503 पर 28, 29 एवं 30 दिसंबर को अपरान्ह 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकॉर्ड करा सकते हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 14 वीं कड़ी का प्रसारण 10 जनवरी 2021 को होगा। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केंद्रों, एफएम रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों से सुबह 10.30 से 11 बजे तक होगा। - सरकारी योजना से नलकूप खनन और फसल परिवर्तन से रंजीत ने बनाया खेती को लाभ का जरिया
कोरबा : छत्तीसगढ़ सरकार की कई जनहितकारी योजनाएं छोटे से प्रयास और छोटी-छोटी सरकारी मदद से गांव-गरीबों, किसानों की जिंदगी में बदलाव का बेहतर उदाहरण बन रहीं हैं।सरकार की योजनाओं से अपने ही नहीं अपने परिवार के भी जीवन स्तर में सकारात्मक परिवर्तन की मिसाल कोरबा जिले के किसान श्री रंजीत कुमार कंवर ने भी कायम कर दी है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के रंजीत कुमार सुदूर पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के पतुरियाडांड गांव के रहने वाले हैं। रंजीत कुमार को जिला खनिज न्यास मद से खेत में नलकूप खनन के लिए मिली मदद ने खेती के प्रति उनकी सोच को ही बदल कर रख दिया है। खेत के नलकूप बन जाने से सिंचाई का पानी मिला तो एक ही सीजन में रंजीत ने 240 क्विंटल मक्के का उत्पादन कर डाला।
समर्थन मूल्य पर कुछ मक्का सोसायटी में बेचा तो कुछ खुले बाजार में। एक ही सीजन में मक्के की खेती से रंजीत ने लगभग पांच लाख रूपए की आमदनी प्राप्त कर ली है। रंजीत ने अब अपने पुराने कच्चे घर की जगह पर नया पक्का घर बनाना भी शुरू कर दिया है। अपनी इस सफलता से सरकारी योजनाओं के प्रति उनका विश्वास भी बढ़ गया है।
खुद रंजीत कहते हैं कि जरूरतमंदो को सरकारी योजनाओं का मेरी तरह अब फायदा मिलने लगा है। अब मैं और मेरे जैसे दूसरे गरीब किसान भी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। रंजीत की देखा-देखी आसपास के इलाके के किसान भी अब उन्नत खेती, फसल परिवर्तन से किसानी को लाभ का व्यवसाय बनाने की तरफ अग्रसर हैं। युवा रंजीत ने आसपास के गांव के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भी खेती से जुड़कर अपने गांव-घर में रहकर रोजगार और आमदनी पाने का नया रास्ता दिखाया है।
परंपरागत रूप से बारिश पर आधारित धान की खेती करने वाले पतुरियाडांड के रंजीत कुमार के पास 1.75 एकड़ जमीन है। जमीन भी ऐसी उच्चहन क्षेत्र की भाठा टीकरा जिस पर धान की फसल भी ना हो सके। इस खेत में पहले केवल बारिश के मौसम में ही परंपरागत रूप से उड़द, मूंग, कुलथी जैसी फसलों की ही खेती रंजीत और उसका परिवार करता था।
फसल कटने के बाद खेत लगभग आठ-नौ महीने के लिए खाली रहता था। रंजीत बताते हैं कि केवल खरीफ में ही खेती होती थी, वह भी इतनी कि घर में खाने के लिए भी कमी पड़ जाती थी। उनका और उनके परिवार का जीवन-यापन बहुत मुश्किल से होता था। इसके बाद कृषि विभाग द्वारा जिला खनिज न्यास मद से रंजीत के खेत पर पिछले साल नलकूप खनन कराया गया।
सिंचाई के लिए पाईप, स्प्रिंकलर आदि भी शासकीय अनुदान पर उपलब्ध कराये गए। कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर रंजीत ने मक्का की खेती शुरू की। अपनी जमीन पर सिंचाई का पानी मिल जाने से रंजीत ने आसपास के आठ एकड़ खेत को भी पड़ोसियों से लीज पर लिया और लगभग दस एकड़ रकबे में मक्के की फसल लगाई।
समय-समय पर खाद, बीज, दवाई, सिंचाई, कटाई आदि के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों का मार्गदर्शन रंजीत को मिलता रहा और आज रंजीत की मेहनत रंग लाई। रंजीत ने अपनी 1.75 एकड़ जमीन पर 40 क्विंटल मक्के का उत्पादन किया है। इसके साथ ही आठ एकड़ लीज की जमीन पर लगभग 200 क्विंटल मक्का उत्पादन हुआ है।
रंजीत बताते हैं कि अपनी जमीन के मक्का को बेचने के लिए सहकारी समिति में पंजीयन कराया था। एक हजार 850 रूपए समर्थन मूल्य पर 40 क्विंटल मक्के के लिए रंजीत को 74 हजार रूपए का भुगतान मिलेगा। लीज की जमीन पर उगे लगभग 200 क्विंटल मक्के को रंजीत ने खुले बाजार में बेचने की तैयारी कर ली है। व्यापारियों से हुए प्रारंभिक संवाद में उसे लगभग दो हजार रूपए प्रति क्विंटल की दर से इस मक्के के लगभग चार लाख रूपए मिलने की आशा है।
खेत मंे नलकूप खुद जाने से सिंचाई का भरपूर पानी रंजीत को मिल रहा है और उन्होंने खेती की आगामी मार्च महीने तक की प्लानिंग कर ली है। इस चालू रबी मौसम में अपने खेत के नलकूप के पानी से सब्जी और अन्य उद्यानिकी फसलें लगाकर रंजीत कुमार लगभग एक लाख रूपए की अतिरिक्त आय पाने की योजना भी बना चुके हैं।
इसके बाद मार्च महीने में फिर ग्रीष्म कालीन मक्के की खेती की योजना भी रंजीत ने अभी से बना ली है। रंजीत ने अपने खेत मंे दो डबरियां भी बनवाई हैं जिनमें पानी भरकर बायो प्लाक से मछली पालन की तैयारी भी कर रहे हैं। - ना धूप की चिंता ना पानी की, पूरे साल किसानों को केवल साठ पैसे की लागत पर मिल रहे सब्जियों के थरहाइस वर्ष कोरोना काल में भी अब तक बने दो लाख से अधिक सीडलिंग
कोरबा : किसी भी मौसम में सब्जियों के रोग रहित और हेल्दी थरहा उपलब्ध कराने के मामले में कोरबा जिले के पताढ़ी और पंडरीपानी की दो सीडलिंग युनिट किसानों के लिए अलादीन का चिराग साबित हो रहीं हैं। इन दोनो युनिटों से अभी तक दो लाख से अधिक सब्जियों के थरहा तैयार कर किसानों को वितरित कर दिए गए हैं। इन दोनों युनिटों के शुरू हो जाने से कोरबा ही नहीे बल्कि आसपास के सीमावर्ती जिलों जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरिया के सब्जी उत्पादक किसानों की थरहा लगाकर उसे सहेजने की चिंता और मेहनत अब खत्म हो गई है। सीडलिंग युनिटों से किसानों को सब्जी और मसाला वर्गीय फसलों के थरहा केवल साठ पैसे की लागत पर मिल रहे हैं और उन्हें थरहा लगाने, पानी देने, खाद-दवा आदि के साथ-साथ थरहा के देखरेख की झंझट से छुटकारा मिल गया है। इन युनिटों के पूरी तरह शुरू हो जाने के बाद जिले मंे कम लागत में सब्जियों का उत्पादन भी बढ़ गया है। कोरबा विकासखण्ड के पताढ़ी और कटघोरा विकासखण्ड के पण्डरीपानी की सरकारी उद्यानिकी नर्सरियों में यह अत्याधुनिक मिनी प्लग टाईप सीडलिंग उत्पादन इकाईयाॅं शुरू की गई हैं। इन दोनो युनिटों में टमाटर, बैगन, हरी मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी के साथ-साथ करेला और लौकी जैसी सब्जियों के थरहा भी बन रहे हैं। डीएमएफ फण्ड से साठ-साठ लाख रूपये की लागत से स्थापित इन दोनों यूनिटों में किसान को सब्जी एवं मसाला वर्गीय फसलों की नर्सरी बहुत कम लागत में तैयार करने की सुविधा मिल रही है। किसान सब्जियों एवं मसाला फसलों की नर्सरी तैयार करने के लिए स्वयं का बीज लेकर नर्सरी में आ रहे हैं।
ग्राम बेंदरकोना के किसान सूर्यकांत ठाकुर ने सीडलिंग युनिट से करेला और टमाटर के पौधे तैयार कराये हैं। सूर्यकांत बताते हैं कि इस यूनिट के लग जाने से अब सब्जी की नर्सरी तैयार करने के स्तर पर होने वाला जोखिम पूरी तरह से खत्म हो गया है। किसान को पहले अपने खेतों में नर्सरी तैयार करने में पानी की कमी से लेकर रोग-कीट-व्याधी आदि का पूरा जोखिम स्वयं उठाना पड़ता था। उत्पादन इकाई में नर्सरी को नियंत्रित वातावरण में बीजों का अंकुरण कर तैयार किया जाते हैं, जिससे किसानों का यह जोखिम पूरी तरह खत्म हो गया है और उन्हें सामान्य से अधिक संख्या में स्वस्थ तथा रोग रहित पौधे समय पर मिल रहे हैं। इसी तरह रजगामार के किसान चंद्रप्रकाश अग्रवाल ने सीडलिंग युनिट से टमाटर और मिर्ची के थरहा बनाकर खेतों में लगाए हंै। चंद्रप्रकाश बताते हैं कि सीडलिंग युनिट में बने थरहों को खेतों में लगाने पर सब्जियांे का उत्पादन सामान्य थरहों की अपेक्षा 20 प्रतिशत तक अधिक हो रहा है।
इन युनिटों में किसी भी मौसम में सब्जियों के थरहा बनाये जा सकते हैं। सब्जियों के बीजों का अंकुरण भी इन दोनों युनिटों में सामान्य अंकुरण से 90 से 100 प्रतिशत तक होता है। दोनों पौधे उत्पादन इकाई की प्रतिवर्ष दस लाख़ पौधों की नर्सरी 20 से 30 दिन में तैयार करने की क्षमता है। इस वर्ष कोरोना काल के बाद भी दोनो युनिटों ने दो लाख से अधिक सीडलिंग उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध करायें हैं। इन यूनिटों में टमाटर, बैगन, मिर्च, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूल गोभी, गांठ गोभी, ब्रोकली, लेट्यूस, खीरा, लौकी, कुम्हड़ा, तरबूज और करेला जैसी फसलों की नर्सरी तैयार की जा सकती है। इन दोनों यूनिटों में बीज आटोमेशन सिस्टम, बीज अंकुरण चेम्बर, हार्डिनिग चेम्बर, फार्टिगेशन सिस्टम सहित पानी की उपलब्धता के लिए 10 हजार लीटर क्षमता की टंकी भी स्थापित की गई है। पौधों के उत्पादन के लिए बीज अंकुरण कोकोपिट, वर्मी कुलाईट एवं परलाईट से निर्मित माध्यम में कराया जाता है। पौध उत्पादन इकाई में बीजों के नियंत्रित वातावरण में अंकुरण से तैयार हुए पौधों में जड़ों का भी पर्याप्त विकास हो जाता है, जिससे खेतों में लगाने पर उनके जीवित रहने की भी संभावना बढ़ जाती है। ऐसे पौधों में जल्दी ही सब्जियों के फल भी लगने लगते है। - पेंशन, मजूदरी, स्काॅलरशिप से लेकर दूसरे लेनदेन के लिए ‘बैंक तुंहर दुआर‘
89556 हितग्राही, लगभग 12 करोड़ रूपये का लेनदेन, 148 बैंक सखियाॅं और पे-प्वाइंट
कोरबा : कोरबा जिले में सुदुर वनांचलों सहित ग्रामीण इलाकों में अब बैंक भी बैंक सखियों के माध्यम से लोगों के घर तक पहुंच रहा है। जिले में गांव-गांव तक बैंकिंग सेवाओं को पहुॅंचाने के लिये 148 बैंक और पे-प्वाइंट सखियों द्वारा लगातार काम किया जा रहा है। घर-घर पहुॅंचकर लेपटाॅप या छोटी सी हाथ से चलने वाली कियोस्क टाइप मशीन से यह बैंक सखियाॅं किसी महिला को वृद्धावस्था पेंशन की राशि दे रही हैं, तो किसी ग्रामीण को मनरेगा की मजदूरी का भुगतान भी कर रही हैं। बैंकों में जमा ग्रामीणों के रूपये उनके घर में पहुॅंचकर उन्हें आसानी से मिल जा रहे हैं। कोरबा जिले में वर्तमान में पाॅंच बैंकों की 148 बैंक सखियाॅं ग्रामीणों को नगद राशि निकालने, जमा करने, एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर करने जैसी सेवायें घर पहुॅंचकर दे रही हैं। इन बैंक सखियांे द्वारा ग्रामीण क्षेत्रांे में लोगों के नये खाते खोलने और उनके खाते में बचत राशि की जानकारी भी तत्काल दी जा रही है। कोरोना काल में भी जिले में यह व्यवस्था पूरी तरह सक्रिय रही है। अब तक इन बैंक सखियांे द्वारा 89456 लोगों के बैंक खातों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। जिनसे अब तक 11 करोड़ 72 लाख़ रूपये का लेनदेन हो चुका है।
किसी बीमार के ईलाज के लिये तत्काल राशि उपलब्ध कराना हो तो बैंक सखी अपने लेपटाॅप और माॅरफो डिवाईस या पाॅस मशीन लेकर सीधे अस्पताल में भर्ती मरीज तक पहुॅंच जाती है और उसके अंगूठे के निशान से ही जरूरत की राषि उसके खाते से निकालकर तत्काल उपलब्ध करा देती है। जिले में वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की 52, भारतीय स्टेट बैंक की पांच, पंजाब नेशनल बैंक की पांच और यूनियन बैंक की एक बैंक सखियाॅं कार्यरत् हैं। इसके अलावा 86 पे-प्वाइंट पर भी लेनदेन की सुविधा हैै। हर एक बैंक सखी का कार्यक्षेत्र तीन से पाॅंच ग्राम पंचायतों को मिलाकर निर्धारित किया गया है। ग्राम पंचायतों में निर्धारित जगहों पर भी उपस्थित रहकर यह बैंक सखियाॅं लोगों को मनरेगा मजदूरी भुगतान, छात्रवृत्ति भुगतान, सामाजिक सुरक्षा पेंशनों का वितरण और अपने बैंक खातों में जमा रूपयों के लेनदेन-नगद निकासी-जमा की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं।
विकासखण्ड करतला के ग्राम पंचायत कलगामार में बैंक सखी के रूप में श्रीमती शिवकुमारी राठिया कार्यरत् हैं। शिव-शक्ति महिला स्व सहायता समूह की सदस्य श्रीमती राठिया ओरिएन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स की बैंक सखी हैं। वे सितम्बर 2019 से बैंक सखी के रूप में काम कर रही हैं और कलगामार सहित आसपास की ग्राम पंचायतों के लगभग डेढ़ हजार बैंक खातों की देखरेख और उनसे रूपयों का लेनदेन की पूरी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रही हैं। श्रीमती राठिया बताती हैं कि उन्होंने अभी तक एक करोड़ रूपयों से अधिक का लेनदेन बैंक सखी के रूप में कर दिया है। वे बताती हैं कि बुजुर्ग, दिव्यंाग, बीमार, विद्यार्थियों सहित जरूरतमंद लोगों को समय पर उनकी बैंकों में जमा राशि घर पहुॅंचाकर मिल जाने से लोग उन्हें बहुत धन्यवाद और दुआयें देते हैं। इससे उन्हें हर महीने चार हजार रूपये का कमीशन बैंक की तरफ से मिल जाता है और डेढ़ हजार रूपये का मानदेय बिहान योजना से मिलता है। श्रीमती राठिया बताती हैं कि हर महीने निश्चित आमदनी से अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में उन्हें बहुत सहुलियत मिल रही है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर में नई वस्तुयें खरीदने तक की योजना अब वे बिना किसी चिन्ता के बनाकर पूरी कर भी लेती हैं। - कोरोना काल में केवल शिक्षण शुल्क ही लेेंगे विद्यालय, ऑनलाइन क्लास से वंचित करने या अधिक शुल्क वसूलने पर होगी कार्रवाई
कोरबा: जिले के निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले किसी भी विद्यार्थी को आॅनलाइन क्लासेस से वंचित नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही निजी विद्यालय कोरोना काल के लिए विद्यार्थियों से केवल शिक्षण शुल्क ही ले सकेंगे। अधिक शुल्क वसूलने या आॅनलाइन क्लासेस से वंचित करने पर स्कूल प्रबंधनों के विरूद्ध कार्रवाई होगी। जिला फीस समिति के सदस्यों और जिले के अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधकों, अभिभावकों और नोडल अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक कलेक्टर सभा कक्ष में हुई। अपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका महोबिया ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक मे उच्च न्यायालय बिलासपुर के निर्णय अनुसार कोविड काल के लिए केवल शिक्षण शुल्क जमा करने की जानकारी अपर कलेक्टर ने दी। बैठक में बताया गया कि जिले में शुल्क में रियायत के लिए 723 आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें से निजी विद्यालयों ने 702 पालकों को परीक्षण के बाद शुल्क मे रियायत दी है। बैठक में स्कूलों और नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि ऐसे पालक जिन्हें एक मुश्त शुल्क जमा करने में कठिनाई हो या शुल्क में रियायत चाहते हों, उनके आवेदनों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय करें। बैठक में पालकों से भी यह आग्रह किया गया कि सक्षम पालक निर्धारित शुल्क जमा करें ताकि विद्यालय में पदस्थ शिक्षक और अन्य कर्मचारियों को वेतन देने में संस्था को परेशानी ना हो। बैठक में यह भी बताया गया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कोई भी निजी विद्यालय अपने कार्यरत किसी शिक्षक या कर्मचारी का वेतन ना तो रोकेगा ना ही कम करेगा।
बैठक में अपर कलेक्टर ने सभी निजी संस्थाओं को सख्त हिदायत दी की किसी भी कारण से किसी भी विद्यार्थी को ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित ना करें। यदि कोई विद्यार्थी ऑनलाइन नहीं जुड़ पा रहा है तो यह संस्था को दायित्व होगा कि वह विद्यार्थी को अन्य माध्यम से शिक्षण सामग्री प्रदान करें और उसे पढ़ाई से जोडे़ रखें। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी श्री सतीश पाण्डेय ने बताया कि किसी भी विद्यार्थी के शिक्षण प्रक्रिया में रूकावट डालकर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि यदि स्कूल शिक्षण शुल्क के अलावा अन्य शुल्क भी ले रहें हैं तो नोडल अधिकारी परीक्षण कर गत सत्र के शिक्षण शुल्क को अलग कर पालकों को सूचित करेंगे और विद्यालय के सूचना पटल पर ऐसी जानकारी चस्पा भी करेंगे। बैठक में अशासकीय विद्यालय फीस विनियम और विद्यालय फीस समिति द्वारा फीस निर्धारण की पूरी जानकारी भी दी गई। - कोरबा : कोरबा जिले के दो ग्राम पंचायतों में दो नई शासकीय उचित मूल्य की दुकानें खुलेंगी। नई राशन दुकानें विकासखण्ड करतला के दो ग्राम पंचायतों में खुलेंगी। शासकीय उचित मूल्य की दुकान विकासखण्ड करतला के ग्राम पंचायत रींवापार एवं अमलडीहा मंे खुलेंगी। नई दुकानो के आबंटन के लिए कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व कोरबा द्वारा पांच जनवरी 2021 शाम पाॅच बजे तक आवेदन मंगाए गए है।
अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व कोरबा ने बताया कि नयी खुलने वाली दो उचित मूल्य की दुकानो का आबंटन शासन द्वारा निर्धारित एजेंसियों को ही किया जाएगा।यह दुकाने वृहदाकार आदिमजाति बहुद्देशीय सहकारी समिति लेम्पस, ग्राम पंचायत या स्थानीय नगरीय निकाय, शासन द्वारा पंजीकृत महिला स्वसहायता समूह, वन सुरक्षा समितियां, अन्य सहकारी समितियां जिसका कार्य क्षेत्र ग्राम पंचायत क्षेत्र में अनिवार्य हो तथा राज्य शासन द्वारा विनिर्दिष्ट उपक्रम को ही आबंटित की जाएंगी।
नयी उचित मूल्य दुकानों के आबंटन के लिए संस्था को निर्धारित प्रारूप में आवेदन के साथ जीवित पंजीयन प्रमाण पत्र, बायलास की प्रति, समिति के पदाधिकारियों की सूची, समिति के बैंक पासबुक की सत्य प्रतिलिपि, वर्तमान में बैंक में उपलब्ध धनराशि का विवरण प्रस्तुत करना होगा।
अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व कोरबा ने बताया कि ग्राम पंचायतो में उचित मूल्य दुकानों का आबंटन उन सहकारी समितियों या एजेंसियों को किया जाएगा जिनके गठन का उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण अथवा विक्रय अपने सदस्यों अथवा क्षेत्र के अन्य लोगों को करना है। उन्होने बताया कि संबंधित संस्था या समिति का कार्यक्षेत्र वही क्षेत्र होना चाहिए जहां के उचित मूल्य दुकान उसे आबंटित की जानी है। किसी भी एजेंसी को उसके कार्यक्षेत्र की एक उचित मूल्य की दुकान आबंटित की जाएगी।
राशनकार्ड धारी उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक से अधिक उचित मूल्य की दुकान आबंटित की जा सकेगी। किसी भी स्थिति में उक्त संख्या तीन उचित मूल्य दुकान से अधिक नही होगी। राजस्व अधिकारी ने बताया कि आवेदनकर्ता संस्था या समिति के द्वारा पूर्व कार्य का मूल्यांकन में अनियमितता पाए जाने के स्थिति मंे उन्हें दुकान आबंटन के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
अनुविभागीय अधिकारी ने बताया कि उचित मूल्य दुकान आबंटन ऐसे सहकारी समितियों एवं महिला स्वसहायता समूह को किया जाएगा जो आवेदन पत्र प्राप्त होने की तारीख के कम से कम तीन माह पूर्व पंजीकृत एवं कार्यरत् हो तथा जिसे सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव हो।
राजस्व अधिकारी ने बताया कि उचित मूल्य दुकान आबंटन के पश्चात् दुकान भवन में शासन द्वारा निर्धारित रंग से रंगरोगन करना एवं दुकान में सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना अनिवार्य होगा। दुकान संचालन के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से खाद्य कारोबार एवं भण्डारण संबंधी अनुज्ञप्ति प्राप्त करना अनिवार्य होगा। दुकान आबंटन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व कोरबा में सम्पर्क किया जा सकता है। - कोरबा : मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजनांतर्गत आर्थिक सहायता बैंक ऋण एवं अनुदान के लिये जिले के इच्छुक बेरोजगार युवक युवतियों से आठ जनवरी 2021 तक आवेदन आमंत्रित किया गया है। इस योजनांतर्गत उद्योग स्थापना के लिए अधिकतम 25 लाख, सेवा क्षेत्र के लिए अधिकतम दस लाख तथा व्यवसाय के लिए अधिकतम दो लाख तक का ऋण बैंक के माध्यम से स्वीकृत किया जाता है।
आवेदक के लिये पात्रता की शर्तों में आवेदन कोरबा जिले का मूल निवासी तथा आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता आठवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। आवेदक की आयु आवेदन दिनांक को सामान्य श्रेणी के उद्यमी हेतु 18 से 35 वर्ष के मध्य हो तथा आरक्षित श्रेणी के उद्यमियों (अ.जा, अ.ज.जा., अ.पि.व., अल्पसंख्यक, महिला, भूतपूर्व सैनिक, नक्सल प्रभावित परिवार के सदस्य एवं विकलांग श्रेणी) हेतु अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट की पात्रता होगी।
आवेदक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक, वित्तीय संस्था, सहकारी बैंक का ऋण चूककर्ता ना हो। आवेदक के परिवार की वार्षिक आय तीन लाख रूपए से अधिक ना हो तथा एक परिवार से मात्र एक ही व्यक्ति को आवेदन करने की अनुमति होगी।
उक्त योजनांतर्गत मार्जिन मनी, अनुदान सामान्य श्रेणी के उद्यमियों को परियोजना लागत का दस प्रतिशत अधिकतम एक लाख रूपए तक एवं अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, महिला, भूतपूर्व सैनिक, नक्सल प्रभावित परिवार के सदस्य एवं विकलांग श्रेणी के उद्यमियों को परियोजना लागत का 15 प्रतिशत अधिकतम एक लाख 50 हजार तक एवं अनुसूचित जाति, जनजाति श्रेणी के उद्यमियों को परियोजना लागत का 25 प्रतिशत अधिकतम एक लाख 50 हजार रूपए की पात्रता होगी।
आवेदन पत्र जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित कोरबा से कार्यालय से निःशुल्क प्रदाय किये जायेंगे। आवेदन के साथ तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सरपंच, पार्षद, पटवारी द्वारा जारी जाति एवं निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र ही मान्य किये जायेंगे।
राशन कार्ड, आधार कार्ड मतदाता परिचय पत्र बैंको में बकाया नहीं का शपथ पत्र दस रूपये के स्टाम्प पर संलग्न करते हुए आवेदन में वर्तमान का पासपोर्ट साईज फोटो स्वयं या सरपंच, पार्षद द्वारा सत्यापन उपरांत चस्पा करके मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजनांतर्गत स्वयं का उद्योग, सेवा, व्यवसाय स्थापना हेतु कार्यालय, महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, कोरबा (छ.ग.) में कार्यालयीन समय में संपर्क कर आवेदन प्राप्त कर सकते हैं। - ग्रामीणों को शासन के जनकल्याणकारी योजनाओं, उपलब्धियों और विकास कार्यों की मिली जानकारी
कोरबा : राज्य सरकार के सफलतम दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जनसंपर्क विभाग द्वारा शासन के जन कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियों की विकास फोटो प्रदर्शनी लगाई गई।एक दिवसीय फोटो प्रदर्शनी को देखकर आस-पास गांव के लोगों ने शासन के जनकल्याणकारी योजनाओं, उपलब्धियों और विकास कार्यों की जानकारी प्राप्त की। विकासखण्ड कटघोरा के ग्राम पंचायत रलिया के साप्ताहिक हाट-बाजार स्थल में यह प्रदर्शनी लगाई गई।
प्रदर्शनी के माध्यम से शासन के दो वर्षों के कार्यो को फोटो के माध्यम से लोगों को बताया गया। इस विकास फोटो प्रदर्शनी का ग्रामीणजनों ने अधिक संख्या में आकर अवलोकन किया।इस प्रदर्शनी में जनकल्याणकारी योजनओं से संबंधित पुस्तकों, पाम्पलेट का भी वितरण किया गया। ग्राम रलिया के किसान श्री अंतराम ने विकास फोटो प्रदर्शनी में आकर गरीब और किसानों के लिए राज्य भर में लागू की गई योजनाओं के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से मुझे राज्य भर में लागू जनकल्याणकारी योजनाओं और उनके लाभ के बारें में जानकारी प्राप्त हुई। इसी प्रकार ग्राम रलिया के ही सेवानिवृत्त शिक्षक श्री अंजोर दास ने कहा कि जनसंपर्क विभाग द्वारा लगाये गए प्रदर्शनी से किसानों को योजनाओं से संबंधित लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी मिल रही है।उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में बांटे गये ज्ञान वर्धक और उपयोगी पुस्तकों को मैं विस्तार से पढूंगा और अपने सहयोगी बुजुर्ग किसानों के बीच योजनाओं की जानकारी को साझा करूंगा।
रलिया के ही युवा श्री संदीप कुमार ने विकास फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कहा कि यह फोटो प्रदर्शनी जन उपयोगी है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से ग्रामीण शासन की योजनाओं के बारे में जान सकेंगे और योजनाओं का फायदा उठा सकेंगे।उन्हांेने कहा कि इस विकास प्रदर्शनी के माध्यम से बांटे जा रहे पुस्तक और पाम्प्लेट, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक है।
ग्राम रलिया में लगाए गए विकास फोटो प्रदर्शनी में छत्तीगसढ़ शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, 23 नये तहसीलों का गठन, महिला उत्थान के लिए संचालित योजनाएं, लघु वनोपज की खरीदी, तेंदुपत्ता संग्रहण, गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर की खरीदी, डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजनाएॅ, किसानों को न्याय योजना के माध्यम से धान का दो हजार पांच सौ रूपए प्रति क्विंटल भुगतान, लाॅकडाऊन में मनरेगा बना रोजगार का सबसे बड़ा साधन, नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजनाओं और उससे राज्य में लाभान्वित हितग्राहियों की जानकारी और लोगों को इन योजनाओं से मिलने वाले लाभों के बारे में बताया गया। - अब तक तीन लाख 19 हजार क्विंटल से अधिक धान की खरीदी, एक लाख 34 हजार क्विंटल धान का उठाव भी हुआ
कोरबा : समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बाद कस्टम मिलिंग के लिए मिलर्स द्वारा कोरबा जिले में धान का उठाव शुरू हो गया है। जिले में मिलिंग के लिए 74 मिलर्स ने अब तक अनुबंध संपादित कर लिया है। अनुबंधित मिलरों में से 70 ने एक लाख 34 हजार क्विंटल से अधिक धान का उठाव भी कर लिया है। जिले में भी समर्थन मूल्य पर धान खरीदी एक दिसंबर से शुरू किया गया है। कोरबा जिले में अभी तक तीन लाख 19 हजार 174 क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा चुकी है। जिले में अब तक दो लाख 61 हजार 679 क्विंटल मोटा, सात हजार 826 क्विंटल पतला और 49 हजार 669 क्विंटल सरना धान खरीदा जा चुका है। खरीफ वर्ष 2020-21 के लिए धान खरीदी एक दिसंबर 2020 से 31 जनवरी 2021 तक जारी रहेगा।
जिला खाद्य अधिकारी ने धान खरीदी के संबंध में आज यहां बताया कि समर्थन मूल्य पर खरीदे गये धान की कस्टम मिलिंग के लिए कोरबा-करतला क्षेत्र के 34 और कटघोरा, पाली, पोड़ी क्षेत्र के 40 मिलर्स ने खाद्य विभाग के साथ अनुबंध संपादित किया है। अब तक खरीदे गये धान में से 70 मिलर्स ने एक लाख 34 हजार 456 क्विंटल धान का उठाव किया है। मिलर्स ने एक लाख 22 हजार 186 क्ंिवटल मोटा, दो हजार 290 क्विंटल पतला और नौ हजार 980 क्विंटल सरना धान मिलिंग के लिए उठा लिया है। जिले के उपार्जन केन्द्रों में अभी एक लाख 84 हजार 718 क्विंटल धान उठाव के लिए बचा है। खाद्य अधिकारी ने बताया कि खरीफ सीजन 2020-21 में जिले के 32 हजार 589 किसानों से 41 समितियों के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है। जिले के किसानों के लिए धान बेचने के लिए 49 उपार्जन केन्द्र बनाये गये हैं। समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिये जिले में नये-पुराने मिलाकर 32 हजार 589 किसानों का पंजीयन किया गया है। इन पंजीकृत किसानों का धान के फसल का रकबा 48 हजार 113 हेक्टेयर है। जिले में इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिये पांच हजार 746 नये किसानों ने सहकारी समितियों में अपना पंजीयन कराया है। पिछले साल के किसानों में से रकबा सत्यापन के बाद 851 किसानों का पंजीयन निरस्त हुआ है। - ललिता गांव की महिलाओं को समूह में जोड़कर गौठान में वर्मी कम्पोस्ट, सब्जी, मुर्गी पालन, कोसा धागा का कर रहे उत्पादन
कोरबा : विकासखण्ड कोरबा अंतर्गत ग्राम चिर्रा की दिव्यांग ललिता राठिया जिले ही नहीं समूचे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरक मिसाल बन रही है। ट्राईसाइकिल के माध्यम से चलने वाली ललिता पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद अपने गांव की 50 से अधिक महिलाओं के लिए आर्थिक स्वावलंबन का सहारा बन गई हैं। ललिता गांव की महिलाओं को गौठान के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़कर विभिन्न आजीविका गतिविधियां चला रही हैं।
ललिता स्वयं सक्षम बनकर दूसरों को स्वावलंबन बनाने की संभावना को छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी ने पूरा किया है। कक्षा बारहवीं तक पढ़ी ललिता को गांव में गौठान बनने के बाद मन में कुछ कर दिखाने की आस जागृत हुई। उत्सुकता व उत्साह से लबरेज ललिता ने गौठान में काम करने की इच्छा जताई। ललिता के हौसले को कोरबा कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल का हाथ मिला। ललिता को आजीविका मिशन के तहत वर्मी कम्पोस्ट बनाने से लेकर गोबर से अन्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग उसे दिलवाई गई।
ट्रेनिंग के बाद महिला समूह के माध्यम से ललिता व गांव की महिलाओं को गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम मिल गया। ललिता सहित गांव की महिलाओं ने मेहनत कर पहली बार में ही करीब 50 क्विंटल खाद बनाया। बनाये हुए खाद को विभिन्न शासकीय विभागों को बेचकर लगभग 40 हजार रूपए लाभ कमाए। चिर्रा गौठान की इन महिलाओं ने वन विभाग सहित दूसरे जिलांे के शासकीय विभागों और गौठानों को भी अच्छी क्वालिटी की कंेचुआ खाद बनाने के गुर सिखाये।ललिता की नेतृत्व में समूह की महिलाओं ने केंचुआ का भी उत्पादन शुरू किया। गौठान में उत्पादित पांच क्विंटल केंचुआ को बेचकर भी समूह ने लगभग सवा लाख रूपए की आमदनी प्राप्त की है। ललिता के साथ जुड़ी गांव की महिलाओं ने जिला पंचायत और बिहान की टीम की मदद से अन्य आजीविका संवर्धन के कार्य भी शुरू कर दिये हैं। पांच महिला समूह वर्मी खाद उत्पादन के साथ-साथ केंचुआ उत्पादन, कोसा धागा उत्पादन, सब्जी, मछली और कुक्कुट पालन कर अपनी आजीविका में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से गौठान की महिलाओं को दस कोसा धागा निकालने की मशीन दिया गया है। समूह की महिलायें मशीन चलाकर कोसा धागा भी निकालने के काम में लगी हुईं हैं। ललिता के नेतृत्व में समूह की महिलायें उन्नत किस्म की मुर्गियों का पालन भी कर रहे हैं। मुर्गियों से रोजाना अंडो का उत्पादन भी शुरू हो गया है। ललिता की नेतृत्व में समर्पित होकर काम कर रहीं महिलाओं की समूह ने सब्जी बेचकर भी लगभग 25 हजार रूपए कमा लिये हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत दो रूपए प्रति किलो गोबर खरीदी योजना शुरू होने से गौठान में गोबर की आवक बढ़ गई है। गोबर की आवक बढ़ने से ज्यादा मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट बनने लगा है। दिव्यांग होने के बावजूद भी ललिता इन सभी महिलाओं का नेतृत्व कर उनको स्वावलंबन का राह दिखा रही है। ग्रामीण जन के लिए जीवकोपार्जन के लिए महत्वपूर्ण योजना शुरू करने के लिए ललिता राठिया मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार मानना नहीं भूलती हैं। -
महिलाओं से जुड़े 20 प्रकरणों की करेंगी सुनवाई
कोरबा : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक 23 दिसम्बर को कोरबा जिले के प्रवास पर रहेंगी। वे 22 दिसंबर को रात्रि नौ बजे कोरबा पहुंचेंगी। डाॅ. नायक अगले दिन 23 दिसम्बर को पंचवटी रेस्ट हाउस में सुबह 11 बजे से महिलाओं से जुड़े कोरबा जिले के 20 प्रकरणों की सुनवाई करेंगी। सुनवाई के बाद डाॅ. नायक शाम छह बजे से आमजनों से मुलाकात करेंगी। वे 24 दिसम्बर को सुबह आठ बजे कोरबा से रायगढ़ के लिए रवाना होंगी। - पानी की रानी ने बदली वीर सिंह की जिंदगानी
कोरबा : कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के सीपत गांव में रहने वाले किसान वीर सिंह की जिंदगी पानी की रानियों ने बदल दी है। कभी कर्जे में डूबे वीर सिंह ने राज्य शासन के मछली पालन विभाग की सरकारी योजनाओं और तकनीकी सलाह से मछलियों की खेती कर पहले अपना कर्जा चुकाया, फिर नई बाइक खरीदी।
अपनी बेटियों को डोंगातराई के डीएव्ही स्कूल में दाखिल कराया और अब मछली पालन के व्यवसाय को आगे बढ़ाने की योजना बनाई हैं। मछली पालन से मिली आय ने वीर सिंह और उसके परिवार की जिंदगी में यू-टर्न ला दिया है। मछली पालन के साथ-साथ सब्जी की खेती, मुर्गी पालन भी वीर सिंह ने शुरू किया है। अब इस व्यवसाय को समन्वित रूप से आगे बढ़ाने के लिए पोल्ट्री और बतख पालन की भी बड़ी योजना वीर सिंह ने बना ली है।
अपनी जुबानी वीर सिंह बताते हैं कि उनके पास अपने पुर्खों का 0.4 हेक्टेयर पुश्तैनी तालाब था जिस पर वे मछली पालन किया करते थे। इसके साथ ही सात एकड़ की जमीन थी जिस पर मानसून आधारित खेती भी होती थी। उत्पादन कम होने से आर्थिक तंगी थी। दो बेटों और दो बेटियों के परिवार की जरूरतें पूरी करने कई बार कर्जा लेना पड़ता था।
ऐसे में मछली पालन विभाग के अधिकारियों से सलाह के बाद शासकीय अनुदान पर 0.5 हेक्टेयर का तालाब और तीन पोखर बनाकर वीर सिंह मछली पालन से जुड़ गये। विभागीय अधिकारियों ने तकनीकी सलाह दी और मछली पालन तथा मछली बीज उत्पादन से वीर सिंह का व्यवसाय चल निकला। पिछले दो सालों में वीर सिंह ने केवल मछलियों से ही लगभग तीन लाख रूपये की आय अर्जित कर ली है।
वीर सिंह बताते हैं कि मछली पालन का व्यवसाय मेरे और मेरे परिवार के लिए वरदान साबित हुआ है। पिछले तीन सालों से चढ़े कर्जे को वीर सिंह ने इस आय से अब चुका दिया है। पिछले वर्ष ही 75 हजार रूपए की नई मोटर साइकिल और कुंए से पानी निकालने के लिए नया पंप भी खरीदा है। मोटर साइकिल व पम्प से मछली पालन के व्यवसाय में अच्छी मदद हो जा रही है।
वीर सिंह ने अपनी दो बेटियों को डोंगातरई के डीएव्ही स्कूल में पढ़ाने के लिए कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं में दाखिल भी कर दिया है। इस वर्ष उन्होंने अपने खेत के पोखर के आसपास गोभी व टमाटर की खेती कर 30-40 हजार रूपये की अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त की है।
वीर सिंह की योजना अब इस व्यवसाय को समन्वित खेती के रूप में विकसित करने की है। उन्होने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिये हैं। 500 मुर्गी-चुजे से वीर सिंह ने मछली पालन के साथ-साथ कुक्कुट पालन का व्यवसाय भी शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में पोल्ट्री और बतख पालन को भी मछली पालन से जोड़कर प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन बढ़ाने की वीर सिंह की योजना है।
वीर सिंह के अनुसार इस वर्ष उन्होंने अपने तालाबों में मछली पालन विभाग द्वारा मिली मेजर काॅर्प, काॅमन काॅर्प, ग्रास काॅर्प, पंगेशियस, मांगुर आदि मछलियों के बीज संवर्धन और पालन किया है। इस वर्ष मछली बीजों को बेचकर ही अभी तक वे 40 हजार रूपए कमा चुके हैं। कोरोना संक्रमण के कारण लाॅकडाउन के चलते मछली बीज बेचना प्रभावित हुआ है, तो वीर सिंह ने अब लगभग 10 हजार बीज को बड़ा कर टेबल फिश तैयार कर तीन लाख रूपये तक की आय प्राप्त करने की योजना पर भी अमल शुरू कर दिया है। उनकी इस योजना से अगले तीन वर्षों तक तीन-तीन लाख रूपए की आय की संभावना है। - कोरबा : कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल द्वारा जिला योजना एवं सांख्यिकी के अंतर्गत विधायक मद से चार विकास कार्यों के लिए कुल 45 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है।जारी आदेश के अनुसार विधायक मद से नगर निगम कोरबा क्षेत्रान्तर्गत वार्ड क्रमांक 18 ढेंगुरनाला चेकपोस्ट में साहू समाज भवन के पास सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 20 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है।
इसी प्रकार वार्ड क्रमांक 18 ढेंगुरनाला चेकपोस्ट में गणीनाथ मंदिर के पास एवं वार्ड क्रमांक 34 चेकपोस्ट में सुलभ शौचालय के पास सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 10-10 लाख रूपये की स्वीकृति दी गई हैै।वार्डक्रमंाक 23 कृष्णा नगर डिवाईन सेंटर के पास सामुदायिक भवन निर्माण के लिए पांच लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। इन सभी कार्यों के लिए आयुक्त नगर पालिक निगम कोरबा को क्रियान्वयन एजेंसी नियुक्त किया गया है।