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इस बार 9वीं कड़ी में न्याय योजनाएं,नयी दिशाएं विषय पर होगी बात22, 23 एवं 24 जुलाई को अपरान्ह 3 से 4 बजे के बीच फोन करके करा सकते हैं रिकाॅर्डिंग
कोरबा 16 जुलाई :मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल लोकवाणी में इस बार न्याय योजनाएं, नयी दिशाएं विषय पर प्रदेशवासियों से बात करेंगे। इस संबंध में कोई भी व्यक्ति आकाशवाणी रायपुर के दूरभाष नंबर 0771-2430501, 2430502, 2430503 पर 22, 23 एवं 24 जुलाई को अपरान्ह 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकाॅर्ड करा सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 9वीं कड़ी का प्रसारण 9 अगस्त को होगा। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केंद्रों,एफएम रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक होगा। -
जिले के लगभग दो लाख 39 हजार से अधिक बीपीएल राशनकार्डधारी होंगे लाभान्वित
कोरबा : जिले के सभी अंत्योदय, प्राथमिकता, निःशक्तजन, एकल निराश्रित एवं अन्नपूर्णा श्रेणी राशन कार्डधारियों को जुलाई से नवम्बर तक अतिरिक्त चावल एवं एक किलो चना प्रति राशनकार्ड निःशुल्क मिलेगा। इन राशनकार्डधारियों को माह जुलाई से नवंबर 2020 तक नियमित मासिक आबंटन के साथ-साथ अतिरिक्त निःशुल्क चावल और प्रति राशनकार्ड एक किलो चना का वितरण किया जाएगा । जो राशनकार्डधारी उपभोक्ता अपने राशन दुकानों से माह जुलाई का खाद्यान्न उठा चुके हैं। उन्हें माह जुलाई का निःशुल्क अतिरिक्त चावल और चना अगस्त माह में नियमित आबंटन और अतिरिक्त चावल व चना के साथ वितरित किया जाएगा। कोरबा जिले में दो लाख 39 हजार 029 बीपीएल राशन कार्डधारी हैं। इनमें से नगरीय निकाय क्षेत्रों में 61 हजार 667 और ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख 77 हजार 362 बीपीएल राशनकार्डधारी हैं। इन्हें 450 राशन दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। बीपीएल राशनकार्डधारीयों में 52 हजार 920 अन्त्योदय कार्डधारक, दो हजार 029 अन्त्योदय गुलाबी कार्डधारक, एक लाख 83 हजार 752 प्राथमिकता वाले कार्डधारक, 236 अन्नपूर्णा कार्डधारक और 092 निःशक्तजन कार्डधारक हैं।
खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि निःशक्तजन, एकल निराश्रित और अन्नपूर्णा श्रेणी के राशनकार्डधारियों को जुलाई से नवम्बर तक 35 किलो मासिक आबंटन के साथ प्रति माह प्रति सदस्य 5 किलो अतिरिक्त निःशुल्क चावल दिया जाएगा। प्राथमिकता श्रेणी के 5 से अधिक सदस्य वाले राशन कार्ड में नवम्बर तक 3 किलो प्रति सदस्य अतिरिक्त चावल दिया जाएगा। इन हितग्राहियों को नियमित और अतिरिक्त चावल आबंटन को मिलाकर कुल वितरित खाद्यान्न का 50 प्रतिशत का एक रूपए प्रतिकिलो की दर पर एवं 50 प्रतिशत खाद्यान्न निःशुल्क दिया जाएगा। अनुसूचित क्षेत्र के अंत्योदय एवं प्राथमिकता राशनकार्डों में एक किलो चना निःशुल्क एवं एक किलो चना पांच रूपए प्रति किलो की दर से जुलाई से नवम्बर 2020 तक वितरण किया जाएगा। -
महिला समूह यूट्यूब से सीख कर बना रही नये-नये डिजाइन की राखियांस्वावलंबी होने के साथ इनोवेशन की ओर बढ़ी जिले की महिलाएं
कोरबा : भाई-बहनों के प्यार का पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन आने वाला है, ऐसे में बाजार में रंग बिरंगी राखियां आनी शुरू हो गई है। कभी कोरोना का हाॅट स्पाट बन चुके कटघोरा की महिलाएं देशी राखी बनाकर नया मिशाल पेश कर रही हैं। बहनों का पे्रम बनकर इस रक्षाबंधन पर चावल, गेहूं, दाल, धान, पैरा, बांस, कौड़ी, रूद्राक्ष जैसे परंपरागत चीजों से बनी आकर्षक राखियां भाईयों की कलाईयों पर सजेंगी। कोरबा जिले के जनपद पंचायत कटघोरा के जननी महिला संकुल संगठन धंवईपुर की महिलाएं चाइनीज राखियों को कड़ी टक्कर देने के लिए छत्तीसगढ़ी थीम पर राखियां बना रही हैं।
समूह की 20-25 महिलाएं मिलकर पैरा, दाल, चावल दाने, कौंड़ी और गेहूं दाने से विभिन्न प्रकार की और नये-नये कलात्मक डिजाइन में राखियां बना रही हैं। भाई-बहन के पे्रम का त्यौहार रक्षा बंधन में स्वदेशी और पूर्ण रूप से छत्तीसगढ़ी स्वरूप देने के लिए लगभग दस हजार राखियां समूह की महिलाएं तैयार कर रही हैं। राखियों का बिक्री मूल्य दस, बीस और पचास रूपये तय किया गया है। राखियों को बेचने के लिए स्थानीय बाजार के अलावा बाहर के मार्केट में भी भेजने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। घर के पास ही काम मिल जाने से समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन रही हैं। विदेशी और प्लास्टिक राखियों से मुक्ति तथा छत्तीसगढ़ी थीम पर बनी राखियां आमजन को स्वतः ही आकर्षित कर रही है। छत्तीसगढ़ी थीम पर बनी राखियों से अपनेपन की अलग ही भावना भाई-बहनों के पवित्र पे्रम को नई पहचान दे रही है।
जननी महिला संकुल संगठन धंवईपुर की महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे राखियों की खास बात यह भी है कि नये-नये डिजाइन और थीम बनाने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। महिलाएं यू-ट्यूब से देखकर और खुद इनोवेशन के नये तरीके सीखकर कलात्मक डिजाइन की संरचना कर रही हें। समूह की महिलाओं का राखी बनाने के लिए धन की आपूर्ति क्लस्टर द्वारा प्रदान की जा रही हें इन राखियों की बिक्री जितनी होगी महिलाओं की आमदनी भी उतनी ही बढ़ेगी। समूह की महिलाओं ने दस हजार छत्तीसगढ़ी थीम पर राखी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमें से पांच हजार राखी अभी तक तैयार हो चुकी है। राखी बनाने के लिए कच्चा सामान स्थानीय बाजार से जुटाये गये हें, जिससे राखी बनाने की लागत भी बहुत कम आ रही है। कम लागत आने से समूह की महिलाओं को अधिक लाभ होगा।
जननी महिला संकुल संगठन की अध्यक्ष श्रीमती देवेश्वरी जायसवाल ने बताया कि समूह की 20-25 महिलाएं मिलकर राखी बनाने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाएं रेशम धागा, मौली धागा से राखी बनाई हैं। इसके अतिरिक्त गेहूं, धान, चावल, मूंग मोर पंख, कौड़ी, शंख तथा पैरा से भी देशी राखी बनाने का काम कर रही हैं। श्रीमती जायसवाल ने शासन की ओर से किये जा रहे मदद के लिए जिला प्रशासन को समूह की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने समूह की महिलाओं को राखी से होने वाली अच्छी आवक की भी उम्मीद जताई। बिहान योजनांतर्गत समूह की महिलाएं साल भर घरेलू सामानों की उत्पादन में सहयोग करती हैं। जिससे उनको रोजगार मिलता है और उनके घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है।
जननी महिला समूह की महिलाएं कोरोना काल में भी लगभग 20 हजार कपड़े के बने मास्क तैयार किये थे। समूह द्वारा बनी मास्क की सप्लाई जिले भर में की गई थी। समूह की महिलाओ ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए उपयोग होने वाले सेनेटाइजर का उत्पादन भी किया था। संगठन की महिलाएं घरेलू सामान जैसे तकिया, बच्चों के खिलौने, पापड़, अगरबत्ती, साबुन और मिट्टी से बने सजावट के रंगीन सामान भी बनाते है। समूह की महिलाओं द्वारा अन्य सामानों में फेंसिंग पोल, जाली, ट्री गार्ड (बांस के बने) आदि का भी निर्माण किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा समूह को 60 हजार ट्री बैग बनाने का आर्डर दिया गया था जिसे समूह द्वारा तैयार करके वन विभाग को आपूर्ति कर दी गई है। -
*पिछले साल की तुलना में इस साल वाहनों की बिक्री 123 प्रतिशत बढ़ी *कोरबा जिले में अभी तक साढ़े आठ हजार से अधिक मोटर साइकिलें, साढ़े तीन सौ से अधिक टेªेक्टर बिके*जिले में छोटे-बड़े मिलाकर इस वर्ष अभी तक लोगों ने खरीदे 11 हजार 158 वाहन *
कोरबा : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अर्थव्यवस्था की जड़ों को मजबूत करने की रणनीति पूरे छत्तीसगढ़ में रंग ला रही है। अर्थव्यवस्था की बुनियाद खेती-किसानी को प्रोत्साहित करने, किसानों को वित्तीस संबल देने की योजनाओं से कोरोना के कारण हुई आर्थिक मंदी की काली छाया से छत्तीसगढ़ आज भी अछूता है। प्रदेश में खेती-किसानी को बढ़ाने वाली योजनाओं का असर अब अन्य आर्थिक क्षेत्रों में भी दिख रहा है। आॅटोमोबाईल सेक्टर इनमें से एक है। कोरबा जिले में आटोमोबाईल सेक्टर में पिछले पूरे साल की तुलना में इस वर्ष जुलाई तक ही अच्छी वृद्धि रही है। इस वर्ष अभी तक जिले में छोटे-बड़े, चारपहिया, तीन पहिया, दो पहिया सभी मिलाकर 11 हजार 158 वाहन लोगों ने खरीदे हैं जोकि पिछले पूरे वित्तीय वर्ष से 123 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष केवल नोै हजार 067 वाहन खरीदे गये थे। अब तक जिले में हल्के मोटरयान की बिक्री 136 प्रतिशत, छोटी नौ सीटर बसों की बिक्री 179 प्रतिशत, आटो रिक्शा की बिक्री 353 प्रतिशत, मोटर सायकलों की बिक्री 129 प्रतिशत, कारों की बिक्री 133 प्रतिशत, टेªक्अरों की बिक्री 207 प्रतिशत तक बढ़ी है।
जिला परिवहन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा जिले में इस वर्ष अब तक 246 हल्के मोटरयानों का पंजीयन हुआ है। पिछले वर्ष केवल 180 हल्के वाहन पंजीकृत हुए थे। इसी तरह इस वर्ष अभी तक 152 हल्की नौ सीटर बसों का पंजीयन किया जा चुका है जोकि पिछले वर्ष केवल 85 ही था। इस वर्ष जिले में आटो रिक्शा की बिक्री में लगभग साढ़े तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले वर्ष जहां केवल 26 आटो बिके थे, वहीं इस वर्ष अभी तक 92 आटो का पंजीयन जिले के आरटीओ कार्यालय से हो चुका है।
कोरोना संक्रमण के कारण एक ओर वैश्विक स्तर पर जहां अर्थव्यवस्था में मंदी हैं, पूरे देश में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है तो छत्तीसगढ़ में बाजार का यह चढ़ाव दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर तेजी से आगे बढ़ाने वाली नीतियों पर अमल किया है। अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ खेती को आगे रखने के लिए किसानों को भरपूर मदद दी है। सरकार ने जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन सुदृढ़ किया है। किसानों को उनकी धान की फसल का वाजिफ दाम 2500 रूपये प्रति क्विंटल देने के साथ, कर्जमाफी और किसान न्याय योजना से खेती हब छत्तीसगढ़ में लाभ का व्यवसाय बनने की राह पर है। सरकार के गोबर खरीदी के निर्णय ने भी गांवों की अर्थव्यवस्था को स्थानीय स्तर पर मजबूत करने का विश्वास लोगों में जगाया है। इन सबका सीधा असर अन्य गतिविधियों पर भी दिख रहा है। कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों के बाद जिले में बड़ी संख्या में युवा वर्ग भी अब स्थानीय स्तर पर ही खेती के प्रति आकर्षित हो रहा है। अपने गांव-घर में परिवार के साथ रहकर आधुनिक तरीकों से खेती करने की मंशा को छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं से ही पंख लगे हैं।
कई राज्यों से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों और कामगारों का भी अब बाहर जाकर काम करने से मोह भंग हो गया है ऐसे में कोरोना काल से सबक लेते हुए लोग विशेषकर युवा वर्ग खेती को ही आज निवेश का सबसे बेहतर क्षेत्र मान रहा है। आधुनिक खेती के लिए जरूरी बीज-खाद-दवा, तकनीकी मार्गदर्शन के साथ आधुनिक कृषि यंत्रों तक अपनी पहुंच बनाने में प्रयासरत हें। खेती में अधिकांश कोमों में उपयोग होने वाले ट्रेक्टरों की बिक्री का बढ़ना जिले में इसी बात का संकेत है। कोरबा जिले में पिछले साल 169 ट्रेक्टर बिके थे। ज्यादातर किसान ट्रेक्टर अपे्रल, मई, जून माह में ही खरीदते हैं ताकि जून जुलाई में खेतों की तैयारी, बुआई-जुताई में इनका उपयोग किया जा सके। इस वर्ष अभी तक जिले में 351 ट्रेक्टर बिक चुके हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दो गुना है।
पिछले सालों में खेती की बढ़ती लागत, उपज का कम दाम से लेकर मौसम की मार तक ने किसानों को खेती से लाभ कमाने की संभावनाओं को क्षीण कर दिया था। नई सरकार ने आते ही कर्जमाफी से किसानों को जो संबल दिया उसी संबल में 2500 रूपये प्रति क्विंटल धान की खरीदी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती की नींव रखी गई और राजीव किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना से लेकर अब गोधन न्याय योजना तक से किसानों को गांवों मेे रहकर खेती से आर्थिक समृद्धि का नया रास्ता दिखने लगा है। खेती-किसानी में आर्थिक स्वावलंबन के बढ़ते अवसरों से ही बाजार में भी बूम है। जिले में पिछले वर्ष जाहं छह हजार 641 मोटर साइकले लोगों ने खरीदी थी वहीं इस वर्ष केवल जून माह तक ही आठ हजार 569 मोटर साइकिलें बिक चुकी है। यह दोनों सालों की तुलना पर लगभग 130 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह कारों की बिक्री पिछले वर्ष जहां 777 थी इस वर्ष अभी तक 133 प्रतिशत बढ़कर एक हजार 36 हो गई है। वाहनों की बिक्री और पंजीयन से भी राज्य सरकार को लाखों रूपये का राजस्व मिला है। जो अन्य विकास योजनाओं के लिए उपयोगी होगा।
‘कोरबा जिले में इस वर्ष अभी तक 11 हजार से अधिक वाहनों की बिक्री हो चुकी है। वाहनों के पंजीयन में 123 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मोटरसाइकलों, कारों से लेकर ट्रेक्टर आदि की बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ है, जो कोरोना काल के बाद भी कोरबा के बाजार के लिए अच्छा संकेत है।‘
विजेन्द्र पाटले जिला परिवहन अधिकारी -
नौ सौ रूपये में सिंचित धान, 660 रूपये में असिंचित धान का प्रति हेक्टेयर रकबे का होगा बीमा
बैंकों, लेम्पस और कृषि विभाग के कार्यालयों से संपर्क कर फसलों का बीमा कराने कलेक्टर की अपीलकोरबा 09 जुलाई 2020/ चालू खरीफ मौसम में नौ सौ रूपये में सिंचित धान, 660 रूपये में असिंचित धान, तीन सौ रूपये में मूंग और उड़द का प्रति हेक्टेयर रकबे का फसल बीमा 15 जुलाई तक किया जा रहा है। किसानों द्वारा फसल बीमा कराने के लिये अंतिम छह दिन बाकी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस वर्ष ऋणी-अऋणी सभी किसानों के लिए यह फसल बीमा ऐच्छिक कर दिया गया है। खरीफ फसलों के लिए किसान द्वारा देय प्रीमियम दर बीमित राशि का 2 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। इस वर्ष धान (सिंचित) पर प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 45 हजार रूपए होगी, जिसके लिए किसान को 900 रूपये प्रीमियम देना होगा। धान (असिंचित) पर प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 33 हजार रूपए होगी और बीमा प्रीमियम 660 रूपये निर्धारित किया गया है। इसी तरह मूंग और उड़द की एक हेक्टेयर फसल का 15 हजार रूपये का बीमा 300 रूपये में होगा। इस वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन एग्रीकल्चर इंश्योरेंश कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए किसान निकटतम बैंक,सहकारी समिति, कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते है।कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि किसानों को बीमा कराने हेतु बी 1 की छायाप्रति,पहचान पत्र एवं बंैक खाते के पासबुक की छायाप्रति, किसान पहचान पत्र की छायाप्रति एवं फसल बुआई प्रमाण पत्र के साथ जमा करना अनिवार्य होगा। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने इस फसल बीमा योजना का लाभ उठाने किसानों से अपील करते हुये कहा है कि वे नजदीकी बैंक एवं सहकारी समितियों से संपर्क कर फसल बीमा जरूर कराएं।कृषि विभाग द्वारा बीमा आवरण की जानकारी देते हुए उप संचालक ने बताया कि बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमी दशाओं में बुआई, रोपण नहीं होने पर हानि से यह बीमा सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके अलावा गैर बाधित जोखिम जैसे सूखा, शुष्क अवधि, बाढ़, जल भराव, कीट व्याधि, भू-स्खलन, प्राकृतिक अग्नि दुर्घटना, आकाशीय बिजली, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, आंधी, समुद्री तूफान, भंवर और बवंडर के कारण फसल को होने वाले नुकसान की सुरक्षा के लिए वृहत् जोखिम बीमा दिया जाएगा। यह बीमा आच्छादन अधिसूचित फसलों के कटाई के बाद अधिकतम दो सप्ताह (14 दिन) के लिए चक्रवात, चक्रवातीय वर्षा और बेमौसम वर्षा के मामले में दिया जाएगा, जिन्हें फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ा गया हो। अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषक भूमि को प्रभावित करने वाली ओलावृष्टि, भू-स्खलन और जलभराव के अभिचिन्हित स्थानीयकृत जोखिमों से होने वाले क्षति से भी यह सुरक्षा प्रदान करेगा। इस संबंध में बताया गया है कि युद्ध, नाभिकीय जोखिमों से होने वाली हानियों, दुर्भावनाजनित क्षतियों और निवारणीय जोखिमों को इस बीमा आवरण में शामिल नहीं किया गया है। -
गोठानों में आने वाले 66 हजार से अधिक पशुओं को मिलेगा हरा चारा
मक्के को चारागाह में उगाकर बेचने से महिला स्व सहायता समूह भी हो रहे लाभान्वित
कोरबा 09 जुलाई 2020/सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत गोठानों में चारागाह विकसित किये जा रहे हैं। पशुओं को हरा चारा देने के लिए कोरबा जिले में 228 चारागाह स्वीकृत किए गये हैं। जिसमें से 93 चारागाह पूर्ण हो चुके हैं। पशुपालन को ध्यान में रखते हुए ताजे और हरे चारे की व्यवस्था करने के लिए गोठानों के समीप लगी भूमि पर चारागाह विकसित किये जा रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा पशुओं के लिए पौष्टिक चारे उपलब्ध कराने के लिए गोठानों में तीन से पांच एकड़ में नेपियर घास के साथ-साथ ज्वार और मक्का की फसल भी लगाई गई है। चारागाह विकास के लिए मनरेगा मद से 17 करोड़ 81 लाख रूपये तथा अन्य मद से 28 लाख रूपये की राशि भी स्वीकृत की गई है। चारागाह में पशुओं को पर्याप्त मात्रा में चारा मिलने से क्षेत्र में किसानों को दुध उत्पादन के लिए बेहतर सुविधा मिल रही है। इन चारागाहों की पूरी देखरेख और संरक्षण गोठान समिति के सदस्यों द्वारा की जा रही है। चारागाह में उगाने वाले चारा फसल जैसे मक्का के पत्ता, तना को पशुओं के लिए चारा के रूप में उपयोग किया जाता है। मक्का के पौधे से निकलने वाले भुट्टे को स्वसहायता समूह की महिलाएं बाजार में बेचकर मुनाफा भी कमा रही हैं। जिले के गोठानों में विकसित चारागाह में पानी की व्यवस्था के लिए बोर भी कराये गये हैं जो सौर उर्जा चलित है जिससे बिजली बिल का खर्चा भी नहीं आता है। चारागाह में उगाने वाले घास की कटाई महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों द्वारा की जाती है। कटाई किए गए घास को चरवाहा कक्ष में सुरक्षित रखा जाता है। जिससे घास की पौष्टिकता बनी रहती है और आवश्यकतानुसार पशुओं को खिलाया जाता है।
जिला पंचायत के सीईओं श्री कुंदन कुमार ने बताया कि जिले में नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत कुल तीन चरणों में चारागाह का निर्माण किया जा रहा है। कुल 228 चारागाह निर्माण की स्वीकृति हुई है। कुल 93 चारागाह का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा शेष का कार्य भी तेजी से पूर्ण हो रहे हैं। जिले में एक हजार 407 एकड़ का रकबा चारागाह निर्माण के लिए चयनित किया गया हैं। सभी पांचों जनपद पंचायत में पशुओं का विकास एवं संवर्धन में चारागाह सहायक साबित होगी। जिले में 228 चारागाह निर्मित हो जाने से 66 हजार से अधिक पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता हो पायेगी।
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अन्य प्रदेशों से आये श्रमिकों को जिले के निजी और सार्वजनिक संस्थानों में दिया जायेगा कामप्रवासी श्रमिकों की हो रही स्कील मैपिंग,कुशल और अनुभवी कामगारों की जरूरत पर संस्थान लाईवलीहुड कालेज से कर सकते हैं संपर्क
कोरबा : अन्य राज्यों से कोरबा लौटे प्रवासी श्रमिकों को अब जिले में ही रोजगार दिया जायेगा। राज्य शासन के निर्देशानुसार अन्य प्रांतों में कार्यरत जिले के श्रमिक जो वापस जिले में आ चुके हैं उन्हें यहां के निजी और सार्वजनिक संस्थानों में रोजगार दिया जायेगा। कुशल मजदूरों को उनकी कार्यक्षमता के अनुसार जिले के व्यावसायिक और औद्योगिक संस्थानों में काम दियाा जायेगा। विभिन्न कार्यों में जैसे जेसीबी आपरेटर, हेल्पर, मशीन आपरेटर, इलेक्ट्रिशियन, पेंटर, वैचिंग कार्य, राजमिस्त्री, प्लंबर, वेल्डर, मैकेनिकल, टाइल्स, फिटर वाईंडिंग, मेशन, फैक्ट्री में कार्य कर चुके अन्य सेल्स कार्य, सुपरवाईजर, बोरवेल, वाहन चालक, पावर प्लांट में कार्य एवं अन्य कार्य करने वाले श्रमिकों को निजी संस्थानों में नियोजित किया जायेगा।
जिला प्रशासन द्वारा अलग-अलग संवर्ग अनुसार कुशल और अनुभवी श्रमिकों की स्कील मैपिंग करके सूची तैयार की जा रही है। श्रमिकों को उनके क्षमता और कार्य कुशलता के अनुसार उनको काम दिया जायेगा। काम की तलाश में अन्य राज्य में प्रवासी श्रमिकों को अब अपने घर के आसपास काम मिल जायेगा। क्वारेंटाइन सेंटर में ठहरे प्रवासी मजदूरों को क्वारेंटाइन अवधि पूर्ण होने के बाद बारिश के सीजन में ही जिले में काम मिल जायेगा। जिला प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूरों की आर्थिक समस्या दूर करने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
जिले के निजी क्षेत्र के मुख्य प्रतिष्ठान एवं ठेके पर कार्यरत प्रतिष्ठान, उनके संस्थान में उपरोक्त पदों के अनुभवी कर्मचारियों की आवश्यकता होने पर प्राचार्य लाईवलीहुड कालेज जिला कोरबा से संपर्क कर सकते हैं। सभी संस्थानों के संचालक कर्मचारियों की आवश्यकता होने पर प्राचार्य श्री अरूणेन्द्र कुमार मिश्रा लाईवलीहुड कालेज कोरबा के मोबाईल नंबर 9589583878 और ई मेल [email protected] में या लाईवलीहुड कालेज कोरबा आईटीआई परिसर रामपुर में उपस्थित होकर संस्थानों में भरने वाले पदों की जानकारी दे सकते है। -
पूरी गुणवत्ता से समय सीमा में काम पूरा करने के दिए निर्देश
कोरबा 08 जुलाई : कोरबा शहर के मध्य में स्थित अशोक वाटिका को सौंदर्यीकरण कर संवारने की जिला प्रशासन की योजना आने वाले दिनों में फलीभूत होती दिख रही है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने आज वाटिका को संवारने के लिए अधिकारियों के साथ औचक निरीक्षण किया। श्रीमती कौशल ने वाटिका के सौंदर्यीकरण के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाकर एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। मौके पर उपस्थित नगर निगम आयुक्त एस.जयवर्धन ने बताया कि अशोक वाटिका को आक्सीजोंन के साथ-साथ संपूर्ण वानस्पितिक पार्क के रूप में विकसित करने के लिए निगम तथा वन विभाग के अधिकारियों ने पहले एक कार्य योजना तैयार की थी। कलेक्टर ने पहले की कार्य योजना को भी मौके पर ही नक्शे पर देखा और उसमें वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से परिवर्तन के निर्देश दिए। श्रीमती कौशल ने वाटिका में पानी की व्यवस्था को प्राथमिकता से करने के लिए कहा। उन्होंने लोगों को मार्निंग-इवनिंग वॅाक के लिए सुविधा देने व्यवस्थित मार्ग बनाने, महिला - पुरूषों के लिए अलग-अलग ओपन जिम लगाने के साथ-साथ शहर के लोगों को योग के लिए बड़ा शेड भी बनाने को भी कार्य योजना में शामिल करने के निर्देश दिएं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस लगभग 17 हेक्टेयर रकबे की अशोक वाटिका में बटरफ्लाई पार्क स्थापित करने की भी योजना है। विभिन्न प्रकार के फल-फूलदार पौधों का रोपण कर वाटिका के एक भाग में विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी तितलियों के संरक्षण संवर्धन के लिए भी प्रयास किये जायेंगे। कलेक्टर श्रीमती कौशल ने अशोक वाटिका के सौंदर्यीकरण और समुचित विकास के लिए समेकित कार्य योजना बनाकर एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए ताकि सौंदर्यीकरण का काम जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।
पीएम आवास बनाने का काम तेजी से पूरा करने के निर्देश, सड़क निर्माण में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें ठेकेदार
कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने आज सुबह कोरबा शहर में चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों का औचक निरीक्षण किया। अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्री संजय अग्रवाल, नगर निगम आयुक्त श्री एस. जयवर्धन, अपर आयुक्त श्री अशोक शर्मा सहित विकास कार्यों से जुड़े अधिकारी और कार्यकारी ठेकेदार भी इस दौरान मौजूद रहे। कलेक्टर श्रीमती कौशल ने दादरखुर्द में निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवास योजना के घरों का भी निरीक्षण किया। उन्होने आवास निर्माण की गति बढ़ाने के निर्देश ठेकेदार को दिए। कलेक्टर ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले दो हजार 784 मकानों के जल्द बन जाने से इतने ही जरूरतमंद लोगों को घर मिल सकेगा। उन्होंने मकानों के लिए पानी की व्यवस्था, साफ-सफाई और सिवरेज व्यवस्था की भी अधिकारियों से जानकारी ली। श्रीमती कौशल ने आवास परिसर में सड़कों के किनारे व्यवस्थित जल निकासी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि बरसात के दिनों में परिसर में पानी जमाव को रोका जा सके।
कलेक्टर ने अधिकारियों के साथ सीएसईबी चैक से ध्यानचंद चैक तक बन रही फोरलेन सड़क के काम का भी औचक निरीक्षण किया। उन्होंने कई स्थानों पर सड़क के उंचा होने और कई स्थानों पर निचले भागों में पानी जाम होने से रोकने के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी काम करने वाले ठेकेदार और निगम के कार्यपालन अभियंता से ली। श्रीमती कौशल ने पानी जमाव की स्थिति से बचने के लिए आवश्यकतानुसार सड़क के दोनों तरफ निकासी नाली का काम तेज करने के निर्देश दिये। उन्होंने सड़क और नाली निकासी के काम में निर्धारित गुणवत्ता का पालन करने और निर्धारित समय सीमा में काम पूरा करने के निर्देश ठेकेदार एवं अधिकारियों को दिए। श्रीमती कौशल ने टीपी नगर स्थित वाहन पार्किंगों का भी अवलोकन किया। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को इन पार्किंगों से कबाड़ हटाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने तीनों पार्किंग स्थलों को वाहनों के लिए व्यवस्थित करने के निर्देश दिए। - कोरबा : कलेक्टर श्रीमती कौशल ने शहर में चल रहे निर्माण कार्यों का किया औचक निरीक्षण...सीएसईबी चौक से ध्यानचंद चौक फ़ोरलेन निर्माण का भी किया अवलोकन... पानी निकासी की समुचित व्यवस्था के लिए दिए निर्देश...
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वार्ड कार्यालय में आवेदन के बाद दर्री के पटले नगर का जीव्ही प्वाइंट हुआ खत्मपेबर ब्लाक, सुंदर गमलों और फेंसिंग कर साफ-स्वच्छ-सुंदर बना प्वाइंटअब तक दो हजार छह सौ से अधिक आवेदन मिले, ढाई हजार से अधिक समस्याओं का हुआ निराकरण
कोरबा : नगर निगम कोरबा के वार्ड नंबर 21 पटेल नगर दर्री में एनटीपीसी गेट के पास बेहतरीन फेंसिंग के साथ रंग-बिरंगे पेबर ब्लाक युक्त साफ-स्वच्छ स्थान पर लगा बैनर अनायास ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। बैनर से आकर्षण का कारण उस पर लिखी पंक्ति ‘मै अब बदल गया हूं अब मुझसे कचरा दूर रखो‘ है। दरअसल इस वार्ड में पहले इसी जगह पर लोग अपने घरों का कचरा फेंकते थे। सड़क के किनारे लगे कचरे के ढेर से आने-जाने वाले लोगों को बदबू, गंदगी से परेशानी होती थी। साथ ही कचरे से फैलने वाली बिमारियों और अन्य मक्खी, मच्छर जैसे कीटों के पनपने से भी लोग परेशान थें।
इस वार्ड में लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए जैसे ही मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय शुरू हुआ, यहां के निवासी हेमंत देवांगन ने इस जीव्ही प्वाइंट को हटाने का आवेदन कार्यालय में दिया। कार्यालय में आवेदन मिलते ही नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों ने इस जगह का निरीक्षण किया और लोगों को परेशानी से निजात दिलाने के लिए कचरे की सफाई कर उस जगह पर रंग-बिरंगे पेबर ब्लाक लगाकर फूलदार सुंदर पौधों के गमले रख दिये गये। कचरा फेंकने के इस स्थान को वारवेट वायर से फेंसिंग करके उस पर स्वच्छता का संदेश देने वाला आकर्षक बेनर भी लगा दिया गयां। अब यहां लोग कचरा नहीं फेकते। वार्ड कार्यालयों से ऐसी कई छोटी-छोटी समस्याएं स्थानीय स्तर पर एक ही दिन में अब निराकृत हो रही है। हेमंत देवांगन जैसे लोग समस्याओं के निराकरण पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की वार्ड कार्यालय खोलने की संकल्पना की भी जमकर तारीफ कर रहे हैं। वार्ड कार्यालय आम नागरिकों की समस्याओं के निराकरण में सहज पहुंच की सोंच को साकार करने में सफल हो रहे हैं। वार्ड कार्यालयों से स्थानीय नागरिकों को घर पहुंच बुनियादी सुविधाएं मिलने और उनकी समस्याओं का निराकरण घर के पास ही वार्ड स्तर पर हो जाने से स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ा है।
खरमोरा वार्ड नंबर 31 के निवासी श्री अरूण यादव ने बताया कि उनके मोहल्ले में पानी निकासी के लिए नाली तो बनी थी परंतु उसके लगातार जाम रहने से सड़क पर पानी बहता था। जाम नाली के पानी में बदबू, मच्छर आदि से भी लोग परेशान थे। श्री यादव ने बताया मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय में इस समस्या के निराकरण के लिए आवेदन दिया था। एक ही दिन में नाली की सफाई होकर अब पानी जाम की समस्या खतम हो गई है। पथर्रीपारा वार्ड निवासी यादव प्रसाद श्रीवास ने खुशी-खुशी बताया कि वार्ड में बिजली के खंभे लगे थे परंतु बिजली नहीं थी। अंधेरे में आने-जाने और असमाजिक तत्वों द्वारा धटना-दुर्घटना का भय रहता था। स्ट्रीट लाईट के लिए मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय में आवेदन दिया। सूचना मिलते ही नगर निगम के कर्मचारी मोहल्ले में आये और सभी खंभों में स्ट्रीट लाईट लगा दीं। अब पूरा मोहल्ला बिजली से जगमगा रहा है। बिना किसी डर के बच्चे, बुढ़े, महिलाएं, युवतियां सभी सड़कों पर आना-जाना कर रहे हैं।
ढाई हजार से अधिक समस्याओं का हुआ निराकरण- नगर निगम कोरबा के 14 वार्डों में मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय संचालित हैं। अभी तक इन वार्ड कार्यालयों के माध्यम से दो हजार 520 समस्याओं का निराकरण किया जा चुका है। लगभग एक सौ आवेदन पेंडिंग हैं। कोरबा नगर निगम आठ जोन और 67 वार्डों में बंटा है। कई वार्डों की दूरी निगम मुख्यालय से पांच से 25 किलोमीटर तक की है। इन दूरस्थ वार्डों के नागरिकों को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं और कामों के लिए लंबी दूरी तय करके निगम कार्यालय तक आना पड़ता था। वार्ड में ही मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय शुरू हो जाने से अब साफ-सफाई, सड़क-नाली संधारण, नल कनेक्शन, पानी की समस्या, स्ट्रीट लाईट से लेकर संपत्ति कर जमा करने, राजस्व संबंधी समस्याओं, जन्म-मृत्यु पंजीयन, राशन कार्ड बनाने और कई प्रकार की अनुमतियां और लाइसेंस जारी करने का काम इन वार्ड कार्यालयों से ही हो रहा है। लोगों की स्वास्थ्य जांच करने के लिए शुरू हुई मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के स्वास्थ्य शिविर भी इन वार्ड कार्यालयों में ही आयोजित हो रहे हैं। वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण के नियंत्रण और बचाव संबंधी अधिकांश गतिविधियां भी इन्हीं वार्ड कार्यालयों के माध्यम से की जा रही हैं। -
श्रीमती कौशल ने समय सीमा की साप्ताहिक बैठक में खनि अधिकारियों को दिए निर्देशविभागीय कामकाज की समीक्षा की, राजस्व लक्ष्यों की पूर्ति के भी दिए निर्देश
कोरबा : समय सीमा की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने सख्त रूख इख्तयार किया। श्रीमती कौशल ने राजस्व अधिकारियों पर भू व्यवस्थापन, भूमि आबंटन एवं डायवर्सन प्रकरणों में धीमी गति के साथ-साथ अवैध रेत खनन मामलों पर खासी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को लक्ष्यानुसार प्रकरणों को एक सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने अवैध रेत खनन मामलों में खनिज विभाग के अधिकारियों की छापामार कार्यवाही करने के सख्त निर्देश दिए। श्रीमती कौशल ने अवैध रेत, मुरूम उत्खनन पर कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिए और ऐसी गतिविधियों पर खनिज, पुलिस तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों की टीम बनाकर कार्यवाही के निर्देश दिए। बैठक में एडीएम श्री संजय अग्रवाल, सीईओ जिला पंचायत श्री कुंदन कुमार, नगर निगम आयुक्त श्री एस.जयवर्धन, अपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका महोबिया सहित सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। वीडियो कांफे्रंसिंग के माध्यम से सभी एसडीएम तथा ब्लाक स्तरीय अधिकारी भी समय सीमा की बैठक में शामिल रहे।
राजस्व प्रकरण लंबित रहने पर राजस्व अधिकारी होंगे जिम्मेदार-जिला कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने कल समय सीमा की साप्ताहिक बैठक में राजस्व प्रकरणों की अनुविभाग व तहसीलवार समीक्षा के दौरान असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रकरण लंबित होने पर संबंधित राजस्व अधिकारी जिम्मेदार होंगे। कलेक्टर ने कहा कि लोक सेवा गारंटी के तहत अधिसूचित सेवाएं से संबंधित प्रकरणों का निराकरण तत्परतापूर्वक किया जाए। कलेक्टर ने अधिकारियों को नामांतरण एवं सीमांकन के छह माह से अधिक के लंबित प्रकरणों का कारण बताते हुए जानकारी देने के निर्देश दिये। कलेक्टर ने जिले में सीमांकन के प्रकरणों में प्रगति लाने और किसानों को के.सी.सी. जारी करने की प्रक्रिया में विशेष ध्यान देने कहा। श्रीमती कौशल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हेतु किसान पंजीयन के संबंध में क्रियान्वयन विभाग कृषि विभाग के सभी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से दो दिनों में संबंधित क्षेत्र के सभी किसानों की इंट्री पोर्टल में कराने कृषि विभाग के उप संचालक को निर्देशित किया।
उन्होंने डायवर्सन के लंबित प्रकरण हेतु राजस्व विभाग की टीम बनाकर कार्य में प्रगति लाने अधिकारियों को निर्देशित किया। बैठक में लोक सेवा गांरटी के तहत प्राप्त प्रकरणों का निराकरण, सीमांकन प्रकरण, अविवादित नामांतरणध्बटवारा, विवादित नामांतरणध्बटवारा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पंजीयन, वन अधिकार प्रमाण पत्र धारकों का प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत पंजीयन, किसान क्रेडिट कार्ड, सामुदायिक वन अधिकार पत्र, गांवों में खेलकूद हेतु मैदान आरक्षित और नगरीय क्षेत्र अंतर्गत 7500 वर्गफीट तक भूमि का आबंटन एवं व्यवस्थापन की समीक्षा की गई।
10 जुलाई तक पूरा करें धान चबूतरा बनाने का काम- कलेक्टर श्रीमती कौशल ने बैठक में धान चबूतरा निर्माण कामों की भी समीक्षा की। उन्होंने धान चबूतरा बनो की धीमी गति पर नाराजगी जताई और अगले चार दिनों में सभी 149 धान चबूतरा बनाकर तैयार करने के निर्देश बैठक में दिए। कलेक्टर ने धान चबूतरा बनाने के लिए निर्माण सामग्री की कमी स अन्य बाधाओं को दूर करने राजस्व अधिकारियों को भी लैम्पस के अधिकारियों को सहयोग करने को कहा। -
कोरबा में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला कंवर और कटघोरा में विधायक श्री पुरूषोत्तम कंवर ने मुनगा पौधा रोपण कर की शुरूआत
कोरबा: पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को कोरबा जिले में वृहद मुनगा महा अभियान की शुरूआत हो गई। कोरबा वनमण्डल में पोंड़ीबहार माध्यमिक शाला परिसर में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला कंवर ने और कटघोरा वनमण्डल में छुरी एकलव्य विद्यालय परिसर में विधायक श्री पुरूषोत्तम कंवर ने मुनगे के पौधे रोपकर इस अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान एडीएम श्री संजय अग्रवाल, कोरबा वनमण्डलाधिकारी श्री एस. गुरूनाथन और कटघोरा वनमण्डलाधिकारी सुश्री शमा फारूकी भी मौजूद रहीं। अभियान के तहत प्रदेश भर में स्कूल, आंगनबाड़ी परिसरों, किसानों के बाड़ियों, खेतों की मेंड़ों और घर आंगन में भी बड़े पैमाने पर मुनगा के पौधों के रोपण किया जाएगा। वृक्षारोपण के साथ ही वनविभाग इन पौधों का संरक्षण भी सुनिश्चित करेगा. सभी ने पौधों की सुरक्षा के साथ इसका लाभ सभी को मिले इसका संकल्प लिया।
इस अवसर पर विधायक कंवर ने बताया कि प्रदेश सरकार के वन विभाग की यह एक अनूठी पहल है जिसके तहत प्रदेश भर में वृहद स्तर पर मुनगा के पौधे रोपे जाएंगे. उन्होंने मुनगा के पौष्टिकता के साथ स्वास्थ के लिए इसके लाभ को प्रतिपादित किया. उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि पौधों के लिए यदि उनके पास उचित व सुरक्षित स्थान उपलब्ध है तो वे भी मुनगा का रोपण करें।
कटघोरा की वनमंडलाधिकारी शमां फारूकी ने बताया कि कटघोरा वनमण्डल में इस योजना के तहत 9 हजार 6 सौ 85 पौधे का रोपण किया जाएगा. यह संख्या शासन के निर्देश पर बढ़ भी सकती है। सुश्री फारूकी ने बताया कि कटघोरा वनमण्डल में 59 हजार पौधे तैयार है जिनका रोपण आगे भी किया जाएगा और मांग अनुसार भी पौधों का वितरण करेंगे।
कोरबा वनमण्डल के डीएफओ एस गुरूनाथन ने बताया कि मुनगा महा अभियान का उद्देश्य पूरी तरह गैर व्यावसायिक है. यह ग्रामीण व शहरी दोनो क्षेत्रो में प्रभावशाली होगा। श्री गुरूनाथन ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आम लोगो मे मुनगा की पौष्टिकता व महत्व को सामने लाना है। मुनगा में पाये जाने वाले लौह तत्व की अधिकता के कारण एनीमिया खून की कमी जैसी बिमारी में मुनगे की भाजी से लेकर फल तक सभी उपयोगी हैं। उन्होंने बताया कि औषधीय गुण वाले इस पौधे को फिलहाल अहाते वाले स्कूल, आंगनबाड़ी भवन व अन्य शासकीय संस्थाओ में रोपा जायेगा, इससे पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। मांगे जाने पर अन्य लोगों को भी मुनगा के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। -
पक्षकारों और अधिवक्ताओं को वीडियो कंाफे्रसिंग के माध्यम से होना होगा शामिल, न्यायालय में शारीरिक उपस्थिति रहेगी प्रतिबंधित
कोरबा : कोरोना कोविड-19 महामारी के कारण विगत दो नेशनल लोक अदालतों का आयोजन निरस्त हो जाने के फलस्वरूप लंबित मामलों के निराकरण एवं पक्षकारों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने की आवश्यकता को ध्यान रखते हुए कार्यपालक अध्यक्ष छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार 11 जुलाई 2020 को उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालय स्तर पर राज्य स्तरीय लोक अदालत को विशेष ई-लोक अदालत के रूप में आयोजित किया जावेगा। इस लोक अदालत में पक्षकारों और उनके अधिवक्ता को 11 जुलाई 2020 की लोक अदालत में वी.सी. के माध्यम से उपस्थित होना होगा। इस दिवस को न्यायालय में उनकी शारीरिक उपस्थिति प्रतिबंधित रहेगी।
विशेष ई लोक अदालत /व्ही.सी. लोक अदालत में राजीनामा हेतु डाॅकेट पक्षकार या उनके अधिवक्ता संबंधित न्यायालय या विधिक सेवा प्राधिकरण से प्रापत कर पक्षकारों के तथा अधिवक्ता के मोबाईल नंबर, ई-मेल आई0डी0 का उल्लेख करते हुये भरकर न्यायालय में जमा करेंगें। लोक अदालत हेतु गठित खण्डपीठ से वी.सी. हेतु लिंक की जानकारी पक्षकारों तथा अधिवक्ताओं के मोबाईल पद दी जायेगा तथा जिला न्यायालय के वेबसाईट पर भी अपलोड की जायेगी। लोक अदालत के कार्य में सहयोग हेतु पक्षकार तथा अधिवक्तागण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/तालुका विधिक सेवा समिति से भी संपर्क कर सकते है। संपर्क के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा दूरभाष 07759-228939 और तालुका विधिक सेवा समिति कटघोरा दूरभाष नंबर 07815-250833 पर फोन किया जा सकता है।
ई- लोक अदालत में जिला एवं तहसील स्तर पर आयोजित की जावेगी। जिसमें राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरण, छप् ।बज न्ध्े 138ए मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, एवं अन्य व्यवहारवाद प्रकरण तथा अन्य राजीनामा योग्य प्रकरण रखे जावेंगे। उक्त लोक अदालत में पक्षकार को लोक अदालत के दिन उपस्थित होना आवश्यक नहीं है, परंतु लोक अदालत के पूर्व राजीनामा से संबंधित कार्यवाही हेतु संबंधित न्यायालय में अधिवक्ता के माध्यम से संपर्क स्थापित करना सुनिश्चित करें। ताकि विडियों कान्फेसिंग के माघ्यम से प्रकरण का समझौता ई लोक अदालत के दिन सुगमता से किया जा सकें, ताकि लोक अदालत के दिवस पक्षकार एवं अधिवक्ता को किसी भी प्रकार के कठिनाई का सामना करना न पड़़े। -
कोरबा : कोरबा जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हर महिने लगभग दो लाख 080 हजार से अधिक राशन कार्ड धारकों को चांवल, दाल, मिट्टी तेल, चना सहित नमक उपलब्ध कराने वाली शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को तिरंगा पुताई से अलग पहचान मिल गई है। पूरे प्रदेश में शासनकीय उचित मूल्य की दुकानों को तिरंगा रंग में पुताई कराने के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के निर्देश के बाद जिले की सभी 450 राशन दुकानों को तिरंगा कलर में पुतवाया गया है। तिरंगा कलर में पुताई होने से राशन दुकानों में एकरूपता आई है और लोग अब आसानी से शासकीय राशन दुकानों की पहचान कर पा रहे हैं। गली-मोहल्लों में राशन दुकानों को तिरंगा रंग के कारण पहचान कर लोग राशन लेने आसानी से दुकानों तक पहुंच पा रहे हैं। दुकानों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी राशन दुकान अब पते की पहचान का आसान जरिया बन गई है। जिले की शहरी इलाकों में 61 और ग्रामीण क्षेत्रों में 389 राशन दुकानों से वर्तमान में दो लाख 80 हजार 315 कार्डधारकों को हर माह खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।
कोरबा जिले में 72 नई राशन दुकानें खुलेंगी- कोरबा जिले में वर्तमान में दो लाख 80 हजार 315 राशन कार्डों के माध्यम से 450 राशन दुकानों से खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। लोगों की सहूलियत और कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए सभी को समय पर पर्याप्त मात्रा में राशन उपलब्ध कराने के लिए राज्य शासन के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने राशन दुकानों के युक्तियुक्तकरण के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। जिलों में बड़ी संख्या में एपीएल, बीपीएल परिवारों के साथ-साथ प्रवासी श्रमिक परिवारों के भी नये राशन कार्ड बनाये गये हैं। राशनकार्डों की संख्या बढ़ने से दुकानों पर खाद्यान्न वितरण का दबाव भी बढ़ गया है, ऐसे में जिले के खाद्य अमले ने गहन सर्वे कर 72 नई दुकानें खुलने की संभावना जताई है। शहरी क्षेत्रों में वार्डों में जरूरत के हिसाब से लगभग 49 राशन दुकानें खुलेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में 23 नई राशन दुकानें खोलने का प्रस्ताव विभाग द्वारा तय किया जा रहा है।
इस महिने के अंत तक सभी राशन दुकानों में लग जायेंगे सीसीटीवी कैमरे- राज्य शासन के निर्देश के बाद कोरबा जिले की सभी 450 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम शुरू हो गया है। पहले चरण में नगरीय निकाय क्षेत्रों की 61 दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जा रहे हैं। कोरबा नगर निगम क्षेत्र की 53 और अन्य नगरीय क्षेत्रों दीपका, कटघोरा, पाली तथा छुरी की आठ दुकानों में सीसीटीवी लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है। नगर निगम कोरबा क्षेत्र की नौ दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जा चुके हैं। जिला खाद्य अधिकारी श्री आशीष चतुर्वेदी ने बताया कि राशन दुकानों में सीसीटीव्ही कैमरा लगने के बाद सॉफ्टवेयर के माध्यम से उपभोक्ता मोबाईल पर अपने राशन दुकानों को देख सकेेंगे और राशन दुकान खुली या बंद होने की जानकारी घर बैठे ले सकेंगे। इसके माध्यम से सभी उचित मूल्य की दुकानों में होने वाली गतिविधियोें की जानकारी भी मिलेगी और इसकी मॉनिटरिंग भी आसानी से हो सकेगी। -
कोरबा : भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के निर्देश अनुसार कोरबा जिले में आधार पंजीयन करने वाले सभी केंद्रों को शासकीय भवनों में ही संचालित किया जाना होगा। यदि आधार पंजीयन करने वाले केंद्र निजी भवनों में संचालित होंगे तो, संचालकों पर पांच हजार रूपये तक का जुर्माना किया जायेगा। कोरबा जिले में फिलहाल 38 आधार पंजीयन केंद्र संचालित हैं। जिनमें 16 कोरबा, नौ कटघोरा, छह पाली, चार करतला और तीन पोड़ीउपरोड़ा विकासखंड में हैं। इनमें से कटघोरा विकासखंड में दो केंद्रों के निजी भवनों में संचालित होने की जानकारी प्राप्त हुई है। जिले की ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर सुश्री शिखा ठाकुर ने इन दोनों आधार पंजीयन केंद्रों को आगामी एक सप्ताह के भीतर किसी उपयुक्त शासकीय भवन में शिफ्ट करने के निर्देश संचालकों को दिए हैं।
ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर सुश्री शिखा ठाकुर ने बताया कि आधार पंजीयन केंद्रों पर संचालकों को भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा निर्धारित शुल्क की पूरी जानकारी फ्लैक्स के माध्यम से प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है। आधार सेवाओं के लिए भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा निर्धारित शुल्क ही लेने के निर्देश दिए गये हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा पहली बार आधार पंजीयन निःशुल्क होगा। पंजीयन के उपरांत किसी भी तरह के परिवर्तन के लिये निर्धारित शुल्क अदा करना होगा। फोटो, आई लिड्स और उंगलियों के निशानों को अद्यतन कराने के लिये एक सौ रूपये शुल्क निर्धारित किया गया है। नाम, पता, जन्म तारीख, लिंग, मोबाईल नंबर या ई-मेल की जानकारी अद्यतन कराने के लिए 50 रूपये शुल्क लिया जायेगा। एक बार में एक ही जानकारी अद्यतन की जायेगी। ई-आधार डाउनलोड कर ए-4 आकार के कागज पर कलर प्रिंट के लिए 30 रूपये दर निर्धारित की गई है। सुश्री ठाकुर ने सभी आधार पंजीयन केंद्रों के संचालकों को निर्देशित किया है कि आधार में जानकारी अद्यतन करने के लिए निर्धारित शुल्क से अधिक राशि न लेवें। निर्धारित शुल्क से अधिक राशि लेने की शिकायत मिलने पर संबंधित संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। ऐसी शिकायत मिलने पर संबंधित संचालकों की आधार आईडी भी निरस्त की जा सकती है। -
कोरबा : कोरबा जिले के किसान प्राथमिक सहकारी समितियों के साथ-साथ सभी 682 काॅमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से भी अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं। एक जुलाई 2020 से प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत खरीफ फसलों का बीमा कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) केंद्रों में भी किया जा रहा है। किसान मुख्य फसल धान, मुंग, उड़द, इत्यादि फसलो का बीमा करा सकते हंै। किसानों को यह सुविधा जिले के सभी ग्रामीण एवं शहरी दोनों सीएससी केंद्रों में मिल रही है। इस योजना के अंतर्गत ऋणी एवं अऋणी किसान अपनी फसलों का बीमा अंतिम तिथि 15 जुलाई तक कर सकते है। कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) केंद्र से बीमा की सुविधा मिलने से कोरबा जिले में इस बार फसल बीमा योजना से जुड़ने वाले किसानों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
सभी किसान अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) में जाकर बीमा ऑनलाइन करवा सकते है। किसानों को अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं होगी अर्थात ग्राम-ग्राम पंचायत में स्थित सीएससी केंद्र से बीमा का लाभ लिया जा सकता है। सीएससी केंद्रों की सुविधा ग्राम पंचायतों में उपलब्ध है। बीमा हेतु फसल के प्रकार के आधार पर अलग-अलग प्रीमियम राशि किसानों को देनी होगी इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। बीमा के लिए आवश्यक दस्तावेजों में बीमा प्रस्ताव बी-1, पी-2, फसल बुआई प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक और आधार की प्रतिलिपि आवश्यक है। -
कॉमन सर्विस सेंटरों पर भी मिलेंगे ई-स्टाम्प, राज्य शासन ने सरल की रजिस्ट्री प्रक्रिया
कोरबा : पाली, कटघोरा, पोड़ीउपरोड़ा, करतला सहित कोरबा तहसीलों के निवासी अपने संपत्ति और अन्य दस्तावेजों का पंजीयन अब कोरबा के जिला पंजीयक कार्यालय में भी करा सकते हैं। जिले में अब किसी भी तहसील के दस्तावेजों का पंजीयन जिला मुख्यालय के रजिस्ट्री आफिस में भी किया जायेगा। राज्य सरकार ने संपत्तियों सहित अन्य दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए प्रक्रिया को सरल कर दिया है। शासन के वाणिज्यक कर (पंजीयन एवं मुद्रांक) विभाग द्वारा दस्तावेजों के पंजीयन को सरलीकृत करने संबंधी निर्देश भी जारी कर दिये गये हंै। पंजीयन विभाग द्वारा पूर्व में अन्य तहसीलों के दस्तावेजों का पंजीयन जिला मुख्यालय के मुख्यालय उप पंजीयक द्वारा स्वीकार न किये जाने के आदेश को शिथिल किया गया है। रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 30 के अंतर्गत यह प्रावधान है की कोई भी रजिस्ट्रार अपने अधिनस्थ किसी भी उप रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रीकृत की जा सकने वाले किसी भी दस्तावेज को, स्वविवेक से प्राप्त कर और रजिस्ट्रीकृत कर सकेगा। अर्थात अन्य तहसीलों के दस्तावेजों का पंजीयन जिला मुख्यालयों के मुख्यालय उप पंजीयक द्वारा स्वीकार किया जा सकता है। राज्य शासन ने आमजनों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अब कामन सर्विस सेंटरों को भी ई-स्टाम्प बिक्री करने की अनुमति दे दी है। पहले कॉमन सर्विस सेंटर को ई-स्टाम्प विक्रय के लिए अनुमति नही थी, शासन ने निर्णय लिया है कि चूंकि कॉमन सर्विस सेंटर शासकीय एजेंसी चिप्स के माध्यम से संचालित हैं इसलिए कॉमन सर्विस सेंटर से भी ई-स्टाम्प विक्रय किया जा सकता है। जिले के सभी 682 काॅमन सर्विस सेंटरों से अब ई-स्टाम्प की बिक्री भी शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि राज्य शासन ने नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुये विगत 23 मार्च 2020 से राज्य के सभी पंजीयन कार्यालयों को बंद रखे जाने का निर्णय लिया गया था। अब सभी पंजीयन कार्यालयों में संक्रमण रोकने के सुरक्षात्मक उपायों के साथ रजिस्ट्री की कार्यवाही फिर से शुरू हो गई है। अन्य तहसीलों के दस्तावेजों का पंजीयन जिला मुख्यालयों में भी होने से लोगों को बड़ी सुविधा मिली है। राज्य शासन द्वारा बाजार मूल्य 75 लाख से कम अथवा उससे बराबर मूल्य के आवासीय मकानों एवं फ्लैट्स के विक्रय अभिलेखों पर पंजीयन शुल्क की वर्तमान दर (संपत्ति के गाइडलाइन मूल्य का 4 प्रतिशत) में 2 प्रतिशत की छूट अब 31 मार्च 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रदेश में जमीनों की खरीदी-बिक्री के लिए 2019-20 की शासकीय गाईड लाईन दरों को 31 मार्च 2021 तक के लिये लागू कर दिया गया है। -
शासकीय भूमि के आबंटन सहित अतिक्रमण के व्यवस्थापन के संबंध में दिशा-निर्देश जारीलोग निर्धारित राशि देकर ले सकेंगे भूमि स्वामी हक
कोरबा 04 जुलाई :डायवर्टेड भूमि का 15 साल का भू-भाटक एकमुश्त जमा करने पर भूस्वामी को आने वाले 15 सालों के लिए भू-भाटक जमा करने से छुट मिलेगी। यदि कोई व्यक्ति अपनी डायवर्टेड जमीन का 15 साल का भू-भाटक अभी एक साथ जमा करता है तो उसे 16 वें साल से लेकर 30 साल तक का भू-भाटक जमा नहीं करना होगा। राज्य शासन ने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि एवं अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन के लिए भूमि स्वामी हक देने संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हंै। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने नगरीय क्षेत्र में अतिक्रमित भूमि व्यवस्थापन, भूमि आबंटन, रियायती स्थायी पट्टों के भूमिस्वामी हक, गैर रियायती स्थायी पट्टों के भूमिस्वामी हक, पट्टा धृति, परिवर्तित भूमि के वार्षिक भू-भाटक वसूली एवं छुट के विषय में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश सभी राजस्व अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने नगरीय निकायों में निवासरत् नागरिकों से भी आग्रह किया है कि वे अपनी पात्रता अनुसार शासन की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ उठायें।
भू-अभिलेख नजूल शाखा के प्रभारी अधिकारी श्री अजय उरांव ने आज यहां बताया कि नगरीय क्षेत्र के अतिक्रमित शासकीय नजूल भूमि के व्यवस्थापन के समय किसी व्यक्ति द्वारा भूमि स्वामी हक प्राप्त करने के लिए भूमि आबंटन के समय बाजार मूल्य के 150 प्रतिशत के बराबर प्रब्याजी तथा भूमिस्वामी हक की प्राप्ति हेतु बाजार मूल्य का 2 प्रतिशत के समतुल्य राशि अर्थात् प्रचलित गाइडलाइन दर पर बाजार मूल्य का 152 प्रतिशत राशि शासन को भुगतान करना होगा। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्र में स्थित 7500 वर्गफुट तक की शासकीय खुली नजूल भूमि के लिए भूमिस्वामी हक प्राप्त करना चाहता है, तो प्रचलित गाइडलाइन दर पर बाजार मूल्य का 102 प्रतिशत के समतुल्य राशि शासन को भुगतान करने पर भूमिस्वामी हक प्राप्त कर सकता है। यदि नगरीय क्षेत्र (नजूल) में स्थित रियायती पट्टेदार उन्हे प्रदत्त पट्टे की भूमि को भूमिस्वामी हक में परिवर्तन कराना चाहता है, तो प्रचलित गाइडलाइन दर पर बाजार मूल्य का 102 प्रतिशत के समतुल्य राशि शासन को भुगतान करने पर भूमिस्वामी हक प्राप्त कर सकता है। इन योजनाओं के संबंध में और अधिक जानकारी संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी या भू-अभिलेख शाखा में सम्पर्क कर सकते हैं। -
चालू खरीफ में अभी तक 6678 किसानों को मिला लगभग 25 करोड़ रूपये का कृषि ऋण
कोरबा 04 जुलाई : चालू खरीफ मौसम में कोरबा जिले के किसानों को खेती-किसानी के लिए 55 करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त कृषि ऋण दिया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा किसानों की खेती आसान बनाने के लिए बिना ब्याज का यह कृषि ऋण सहकारी समितियों से दिया जा रहा है। खेती के समय इस ऋण से किसान जरूरत के हिसाब से बीज-खाद, दवाई और अन्य जरूरी कृषि आदान सामग्रियां प्राप्त कर रहे हैं। चालू खरीफ मौसम में जिले में अभी तक छह हजार 678 किसानों को 24 करोड़ 85 लाख रूपये का कृषि ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध करा दिया गया है। इस वर्ष अभी तक वितरित यह कृषि ऋण पिछले वर्ष इसी अवधि में वितरित ऋण से दोगुना से भी अधिक है। पिछले वर्ष इसी अवधि में तीन हजार 868 किसानों को 11 करोड़ 98 लाख रूपये का कृषि ऋण दिया गया था। जिले में इस वर्ष राजीव किसान न्याय योजना के तहत किसानों को 17 करोड़ 85 लाख 27 हजार रूपये सीधे खातों में मिले हैं। इस सहायता के साथ ब्याजमुक्त ऋण ने खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ा दिया है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के नोडल अधिकारी श्री सुशील जोशी ने बताया कि खरीफ फसलों के लिए बिना ब्याज का कृषि ऋण लेने की समय सीमा 30 सितंबर घोषित है। इस वर्ष किसानों ने खेती के लिए ऋण लेने में पिछले वर्ष की तुलना में तेजी दिखाई है। श्री जोशी ने बताया कि राजीव किसान न्याय योजना से मिली पहली मदद ने खेती के लिए तैयारी पहले ही करा दी थी। अब बीज-खाद, दवाई आदि के लिए बिना ब्याज के लोन ने किसानों को अच्छी खेती के लिए प्रोत्साहित किया है। श्री जोशी ने बताया कि कोरबा जिले में सहकारी केंद्रीय बैंक की छह शाखाएं कार्यरत हैंै। अभी तक सबसे अधिक बरपाली शाखा से एक हजार 556 किसानों ने आठ करोड़ 80 लाख रूपये कृषि ऋण लिया है। कटघोरा शाखा ने अभी तक एक हजार 366 किसानों को चार करोड़ 015 लाख रूपये खेती के लिए लोन के रूप में दिए हैं। पाली शाखा से एक हजार 15 किसानों ने तीन करोड़ 80 लाख, कोरबा शाखा से 749 किसानों ने तीन करोड़ 30 लाख रूपये का बिना ब्याज का लोन खेती करने के लिए लिया है। पोड़ी उपरोड़ा शाखा ने 988 किसानों को तीन करोड़ 20 लाख रूपये और हरदीबाजार शाखा ने एक हजार चार किसानों को एक करोड़ 63 लाख रूपये का कृषि ऋण वितरित कर दिया है।
जिले में इस वर्ष खाद-बीज, दवाई वितरण के लिए समितियों में बेहतर व्यवस्थाएं की गई है। पर्याप्त मात्रा में समय पर खाद-बीज का भंडारण सहकारी समितियों में किया जा चुका है। सहकारी समितियों की कृषि आदान व्यवस्था को चुस्त एवं गतिशील करने हेतु कृषि विभाग के साथ ही सहकारिता विभाग, पंजीयक सहकारी संस्थाएं, छत्तीसगढ़ प्रबंध संचालक विपणन संघ एवं छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अधिकारी भी लगातार अवलोकन-निरीक्षण कर समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। जिला स्तर पर भी हर दिन कृषि आदानों की मॉनिटरिंग किए जाने से ही कृषि आदान की अच्छी स्थिति बनी हुई है। राज्य में समय पर मानसून आ जाने एवं बीज-खाद, दवाई की समय पर पर्याप्त मात्रा में अच्छी व्यवस्था से कोरबा जिले में इस वर्ष खरीफ फसल का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे किसानों और ग्रामीणों को अच्छा फायदा हो सकता है। -
एक दिवसीय कार्यशाला में मिली सूचना के अधिकार के प्रावधानों की अद्यतन जानकारी
कोरबा 04 जुलाई : सूचना का अधिकार अधिनियम के अद्यतन प्रावधानों और मामलों को निपटाने की प्रक्रियाओं की जानकारी आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में दी गई। कार्यशाला में उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण अधिनियम है जिसमें समय सीमा में आवेदक को जानकारी नहीं देने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। इसलिए सभी अधिकारी-कर्मचारियों को इस अधिनियम के सभी प्रावधानों की पूरी जानकारी रखना चाहिए। एक दिवसीय कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर एवं विधि विशेषज्ञ डा. सतीश अग्रवाल ने प्रतिभागियों को सूचना का अधिकार अधिनियम की बारिकियां समझाई। मास्टर ट्रेनर ने केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा लागू किये गये प्रावधानों की भी विस्तार से जानकारी दी और प्रश्नोत्तर काल में प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान भी किया। कार्यशाला में एडीएम श्री संजय अग्रवाल, अपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका महोबिया, डिप्टी कलेक्टर श्री अजय उरांव, मास्टर ट्रेनर प्रो. एम.एम.जोशी सहित कलेक्टर कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल हुए।
कार्यशाला में कलेक्टर श्रीमती कौशल ने कहा कि विभागीय अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की प्रत्येक धारा और प्रावधानों का गहन अध्ययन करें। कार्यालय की सभी फाईल और नस्तियां अद्यतन रखें। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत जो भी जानकारी मांगी जाये उसे बेहिचक दें। कलेक्टर ने कहा कि सभी अधिकारी अपनी कार्य प्रणाली में निष्पक्षता, पारदर्शिता और समदर्शिता के भावों का समावेश करें। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी जो भी कार्य कर रहे हैं, आदेश पारित कर रहे हैं, वे सूचना के अधिकार के तहत मांगी जा सकती है। अतः सभी अधिकारी नियमों का कठोरता से पालन कर बिना राग द्वेष से कार्य संपादित करें। कलेक्टर ने यह भी कहा कि सूचना के अधिकार का प्रभावी क्रियान्वयन करने इसके विभिन्न प्रावधानों के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। अधिनियम की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि जनता अपने इस महत्वपूर्ण अधिकार के प्रति जागरूक एवं सजग रहे।
एकदिनी कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर डा. अग्रवाल ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं, सूचना अभिप्राप्त करने के लिए अनुरोध, अनुरोध का निपटारा, सूचना के प्रकट किये जाने से छुट, अस्वीकृति के आधार, राज्य सूचना आयोग के गठन, सूचना आयोग की शक्तियां और कार्य, अपील, शस्ति, सद्भावना पूर्ण की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा अनुरोध की प्राप्ति के 30 दिन के भीतर ऐसी फीस की संदाय पर जो विहित की जाए या तो सूचना उपलब्ध करायेगा या विनिर्दिष्ट कारणों में से किसी कारण से अनुरोध को अस्वीकार करेगा। परंतु जहां मांगी गई जानकारी का संबंध किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से हो वहां वह अनुरोध प्राप्त होने के 48 घंटे के भीतर उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने सूचना के प्रकट किये जाने से छुट के संबंध में भी विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने सूचना के अधिकार अंतर्गत प्रथम अपील, द्वितीय अपील से संबंधित प्रावधानों की जानकारी दी। -
कोरबा, छुरीकला और कटघोरा में होंगे परीक्षा केंद्र, कक्षा छठवीं और नवमी में मिलेगा प्रवेश
कोरबा : प्रयास आवासीय विद्यालय में कक्षा नवमीं तथा एकलव्य विद्यालय में कक्षा छठवीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा 14 और 16 जुलाई को आयोजित की जायेगी। दोनों परीक्षाओं के लिए तीन परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं जहां इन दोनों दिन विद्यार्थी चयन परीक्षाओं में शामिल होंगे। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने परीक्षा के दौरान कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करने, हेंड सेनेटाइजेशन की व्यवस्था रखने के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
प्रयास आवासीय विद्यालय में प्रवेश के लिए 14 जुलाई को सुबह 10.30 बजे से दोपहर एक बजे तक आयोजित चयन परीक्षा के तीन केंद्र बनाये गये हैं। कोरबा और करतला विकासखंड के परीक्षार्थियों के लिए शासकीय पीडब्ल्यूडी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामपुर कोरबा परीक्षा केंद्र होगा। इस केंद्र पर 274 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। रोल नंबर 281001 से 281068, रोल नंबर 281735 से 281940 तक के विद्यार्थी रामपुर कोरबा के इस परीक्षा केंद्र में शामिल होंगे। पाली व पोड़ीउपरोड़ा के पंजीकृत परीक्षार्थियों के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छुरीकला को परीक्षा केंद्र बनाया गया है जिस पर 333 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होंगे। रोल नंबर 281404 से 281734 तक और रोल नंबर 281941 तथा 281942 के विद्यार्थी छुरीकला एकलव्य आदर्श विद्यालय के परीक्षा केंद्र में परीक्षा देंगे। इसी प्रकार परीक्षा में शामिल होने वाले कटघोरा विकासखंड के 335 परीक्षार्थियों के लिए शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कटघोरा को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। इस परीक्षा केंद्र पर रोल नंबर 281069 से 281403 तक के विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होंगे।
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में कक्षा छठवीं में प्रवेश के लिए इन्हीं तीनों परीक्षा केंद्रों पर ही 16 जुलाई को सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक चयन परीक्षा ली जायेगी। परीक्षा केंद्र शासकीय पीडब्ल्यू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामपुर में कोरबा तथा करतला विकासखंड के 430 परीक्षार्थी शामिल होंगे। रोल नंबर 1001 से 1212 तक, रोल नंबर 2139 एवं रोल नंबर 1401 से 1617 तक के विद्यार्थी इस केंद्र पर परीक्षा देंगे। पोंड़ी एवं पाली विकासखंड के 461 विद्यार्थी एकलव्य विद्यालय में प्रवेश के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छुरीकला में परीक्षा देगें। छुरीकला के इस परीक्षा केंद्र पर रोल नंबर 1213 से 1400 एवं 1618 से 1890 तक के विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। कटघोरा विकासखंड के 248 परीक्षार्थियों के लिए शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कटघोरा को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। रोल नंबर 1891 से 2138 तक के विद्यार्थी इस परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देंगे। -
पिछले एक साल में महिलाओं ने बनाया लगभग 11 लाख रूपये का एक हजार 115 क्विंटल खाद
कोरबा : छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल सतरेंगा की बगिया में खिलने वाले रंग-बिरंगे फूल और हरियाली की चादर की तरह लगी घास महिला स्वसहायता समूहों द्वारा गांव के गोठानों में बनाई गई कम्पोस्ट खाद की देन है। जिले के 74 गोठानों में बनी खाद से ही सतरेंगा के बगीचे के पौधों और लॅानग्रास को पोषण मिल रहा है। गोठानों की कम्पोस्ट खाद में एक ओर जहां सतरेंगा के गार्डन को रंग-बिरंगे खूशबुदार फूलों से भर दिया है, वहीं दूसरी ओर गोठानों की इसी खाद से महिला स्वसहायता समूहों का खजाना भी भरते जा रहा है। जिले के 74 गोठानों में बनी खाद में से लगभग 60 क्विंटल कम्पोस्ट खाद को उद्यानिकी विभाग ने उत्पादक महिला स्वसहायता समूहों से खरीद कर सतरेंगा के गार्डन में उपयोग किया है। महिला समूहों को इसके लिए नौ रूपये साठ पैसे प्रति किलो की दर से उद्यानिकी विभाग ने सीधे भुगतान किया है। शासकीय तौर पर तैयार किया गया सतरेंगा का यह गार्डन पूरी तरह से कम्पोस्ट खाद का उपयोग कर विकसित किया गया है। खास बात यह है कि कम्पोस्ट खाद कहीं बाहर से नहीं मंगाई गई है बल्कि उसका उत्पादन छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी विकास योजना के तहत स्थानीय स्तर पर बनाये गये गोठानों में हुआ है।
जिले में कम्पोस्ट खाद बनाने का काम 74 गोठानों में 74 महिला स्वसहायता समूहों द्वारा पिछले एक साल से लगातार किया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने इन गोठानों में 339 वर्मी बेडों में एक हजार 115 क्विंटल वर्मी खाद उत्पादित किया है। इस खाद को स्थानीय स्तर पर किसानों के साथ-साथ वन विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, रेशम विभाग ने भी अपनी शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में उपयोग के लिए खरीदा है। जिले की वर्मी कम्पोस्ट का प्रमाणीकरण संस्था द्वारा गुणवत्ता प्रमाणन भी किया जा चुका है। महिला समूहों ने इस कम्पोस्ट खाद का रेट नौ रूपये साठ पैसे प्रतिकिलो तय किया है। इस हिसाब से महिलाओं ने अब तक 10 लाख 70 हजार रूपये से अधिक का कम्पोस्ट खाद बना लिया है। इसमें से महिलाओं ने लगभग 915 क्विंटल खाद की बिक्री कर दी है। जिससे उन्हें आठ लाख 87 हजार रूपये की आमदनी हुई है। अभी महिलाओं के पास लगभग दो लाख रूपये की दो सौ क्विंटल कम्पोस्ट खाद बची है। इसके साथ ही खाली हुए वर्मी बेडों को फिर से भर दिया गया है। जिनसे आने वाले 15 दिनों में लगभग चार सौ क्विंटल और खाद बन जायेगी।
पोंड़ीउपरोड़ा विकासखंड महोरा गांव में बने गोठान का संचालन करने वाले हरेकृष्णा स्व सहायता समूह की सदस्य कांतिदेवी कंवर कहती है कि हम जो खाद बनाते हैं, वह कचरे, गोबर से बनता है। उसे बनाने का कोई खर्च नहीं है। फिर दस रूपये किलो में बेचते हैं। यह तो सोने पर सुहागा है। कचरे की सफाई भी हो जाती है और कम समय में ही अच्छी-खासी कमाई भी। महिला समूह द्वारा प्रतिदिन गोठानों में उपलब्ध गोबर और पेड़-पौधों के पत्तों तथा वानस्पतिक कचरे को वर्मी बेड में भरकर खाद तैयार किया जाता है। वर्मी बेड में भरे कचरे में केचुए डालकर उसे जैविक खाद में परिवर्तित किया जाता है। ऐसी जेैविक खाद सब्जियों के साथ-साथ फलों और अन्य फसलों के लिए भी उपयोगी होती है। इनमें किसी प्रकार का रसायन उपयोग नहीं होता। जिले में महिला समूहों द्वारा बनाई गई इस खाद की दिन प्रतिदिन मांग बढ़ती जा रही हैं। खाद बनाने की ट्रेनिंग उद्यानिकी विभाग द्वारा महिलाओं को दी गई है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत बने समूहों को खाद बनाने के काम में लगाया गया है। जरूरत के हिसाब से अब शासकीय विभाग उंचे दामों पर बीज निगम के माध्यम से जैविक खाद नहीं खरीदकर, स्थानीय स्तर पर ही महिला स्वसहायता समूहों से खाद की आपूर्ति कर रहे हैं। -
धान के खेतों से पानी निकासी के भी व्यवस्थित इंतजाम रखें
कोरबा : कोरबा जिले में धान का अच्छा उत्पादन लेने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने दस साल के भीतर वाली किस्मों का ही बीज के रूप में उपयोग करने की सलाह किसानों को दी है। कृषि अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी है कि अच्छी गुणवत्ता के प्रमाणित बीजों को खेतों में बोने से धान का उत्पादन बढ़ सकता है। एक ही पारिस्थिकीय में लम्बे समय से एक ही किस्मों के बीजों का उत्पादन किये जाने से उन किस्मों में अपनी ओज एवं गुण धर्मो के विपरीत प्रदर्शन करने की संभावना बढ़ जाती है। जिसके कारण फसलों में कीड़े एवं बीमारियों से अधिक प्रभावित होने के साथ ही उत्पादन में गिरावट आ सकती है। किसान ऐसी किस्मों के विकल्प के रूप में 10 वर्षो के अन्दर की किस्मों का उपयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में जिले के सभी विकासखण्डों में मानसून की बारिश के साथ खेतों की तैयारी, धान फसल की बोनी व रोपाई का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। मौसम विभाग द्वारा इस वर्ष बेहतर वर्षा होने की संभावना जताई गयी है, जो कि जिले के वर्षा आश्रित क्षेत्रों में फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। जिले के किसानों को उर्वरक एवं प्रमाणित उन्नत बीज की तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिले के सभी विकास खंडों की सेवा सहकारी समितियों में उर्वरकों एवं बीजों का पर्याप्त मात्रा का भण्डारण किया जा चुका है। किसानों द्वारा लगातार समितियों के माध्यम से बीजों का उठाव भी किया जा रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि इस वर्ष जिले में धान की खेती के लिए स्वर्णा, एमटीयू 1010, एमटीयू 1001, एचएमटी, राजेश्वरी, बीपीटी 5204, इंद्रा एरोबिक और आरपी बायो 226 प्रजाति के धान के बीज उपलब्ध कराये जा रहे हैं। कोरबा जिले में धान की अधिकांश खेती वर्षा पर निर्भर है। जिले में लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में धान की खेती बियासी-बोता विधि से की जाती है। इसमें वर्षा आरंभ होने पर जुताई कर खेत में धान के बीज को छिड़क कर बीज ढकने के लिए देशी हल अथवा पाटा चलाया जाता है। जब फसल करीब 30 से 35 दिन की हो जाती है तथा खेती में 15 से 20 से.मी. पानी भर जाता है, तब खड़ी फसल में बैलचलित हल चलाकर बियासी करते हैं। कोरबा जिले में धान की कुल फसल का 30 प्रतिशत रकबा रोपा पद्धति से लगाया जाता है। रोपण विधि के लिए धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्र में लगभग दसवें भाग में नर्सरी तैयार की जाती है तथा 20 से 30 दिनों की धान का थरहा होने पर खेतों को मचाकर रोपाई की जाती है। सिंचाई की निश्चित व्यवस्था अथवा ऐसे खेतों में जहां पर्याप्त वर्षा जल उपलब्ध हो, इस विधि से श्री फसल लगाई जाती है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की खेती के लिए सुनिश्चित सिंचाई के साधन उपलब्ध होने की स्थिति में धान का थरहा तैयार करने के लिए खेतों में पलेवा देकर ओल आते ही खेतों की अच्छी तरह जुताई से मिट्टी भुरभुरी कर खेत तैयार कर लें। इस प्रक्रिया से न केवल खरपतवार एवं कीट व्याधियां काफी हद तक नियंत्रित होती है, बल्कि धान का थरहा तैयार करने में सुविधा हो जाती है। इसके बाद रोपाई से पूर्व खेत की 2 से 3 बार जुताई कर मिट्टी भुरभुरी करना चाहिए। अंतिम जुताई के पूर्व 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाने की सलाह किसानों को दी गयी है। खेत की ढाल के अनुसार रोपणी में सिंचाई एवं जल निकास नालिया बनाए एवं नालियों का ढाल 0.10 प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत तक हो, इस बात का ध्यान भी रखने को कहा गया है। जिले के किसानों को उर्वरक एवं प्रमाणित उन्नत बीज की तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिले के सभी विकास खंडों की सेवा सहकारी समितियों में उर्वरकों एवं बीजों का पर्याप्त मात्रा का भण्डारण किया जा चुका है। किसानों द्वारा लगातार समितियों के माध्यम से बीज-खाद का उठाव भी किया जा रहा है। -
पंचायत चुनाव आचार संहिता के दौरान जारी किये थे विकास कार्यों के चेकविधानसभा को भी दी थी अधूरी और गलत जानकारी
कोरबा : कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने आज देर शाम पंचायत आम चुनाव 2020 के लिए प्रभावशील आदर्श आचार संहिता के दौरान निर्माण कार्यों के चेक जारी करने और विधानसभा को आधी-अधूरी तथा गलत जानकारी देने पर करतला जनपद पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जी.के.मिश्रा को निलंबित कर दिया है। श्रीमती कौशल ने आज जी.के.मिश्रा का निलंबन आदेश जारी कर दिया और निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय परियोजना प्रशासक कार्यालय एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना को नियत किया है। श्री मिश्रा के विरूद्ध यह कार्यवाही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) 1966 के नियम 9 के प्रावधानों के तहत की गई है।
कलेक्टर ने शिकायतों की जांच के दिये थे निर्देश, जिला पंचायत के सीईओ ने की जंाच- कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल से श्री मिश्रा के विरूद्ध तत्कालीन समय विधानसभा में गलत उत्तर प्रस्तुत करने और आदर्श आचार संहिता के दौरान शासकीय राशि का दुरूपयोग करने की शिकायतें की गई थी। श्रीमती कौशल ने इन शिकायतों की जांच के लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जिला पंचायत सीईओ द्वारा चार सदस्यीय जांच दल गठित कर पूरे प्रकरण की गहन जांच की थी और इस पर आज ही प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया। प्राप्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर श्री मिश्रा के विरूद्ध लगाये गये आरोपों की पुष्टि होने के बाद उन्हे आज देर शाम निलंबित कर दिया गया है।
पंचायत चुनाव आचार संहिता के दौरान चेक जारी करने और विधानसभा को गलत जानकारी देने की हुई पुष्टि- जांच के दौरान पाया गया कि पंचायत आम चुनाव 2020 के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान करतला जनपद के तत्कालीन सीईओ जी.के.मिश्रा ने निर्माण कार्यों की प्रथम किश्त की राशि के चेक जारी किये थे। यह सभी चेक 10 ग्राम पंचायतों में खनिज न्यास मद से स्वीकृत किये गये 14 विकास कार्यों से संबंधित थे। इसी के साथ तत्कालीन सीईओ श्री मिश्रा को छत्तीसगढ़ विधानसभा के दो प्रश्नों के जवाब में आधी-अधूरी और गलत जानकारी भेजने का भी दोषी पाया गया है। जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया है कि जनपद पंचायत करतला के एक्सिस बैंक से 24 ग्राम पंचायतों द्वारा पंचायत आम चुनाव आचार संहिता के दौरान 86 लाख रूपये से अधिक की राशि आहरित की गई। जिसकी पुष्टि बैंक के स्टेटमेंट से भी होती है। इसी प्रकार जांच में करतला जनपद के तत्कालीन सीईओ जी.के.मिश्रा द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा में दो प्रश्नों के उत्तर में दो अलग-अलग आधी-अधूरी और गलत जानकारी वाले जवाब देने की भी पुष्टि जांच दल द्वारा की गई है। एक प्रश्न के उत्तर में तत्कालीन सीईओ ने करतला जनपद की 26 ग्राम पंचायतों में 47 विकास कार्यों के लिए लगभग एक करोड़ 19 लाख रूपये का आहरण ग्राम पंचायत सचिवों के एकल हस्ताक्षर से किया जाना बताया था तथा उसी प्रश्न के एक अन्य उत्तर में 26 ग्राम पंचायतों के 47 कार्यों के लिए 98 लाख रूपये का आहरण बताया गया। इस प्रकार श्री मिश्रा ने आहरित राशि की सही जानकारी विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत नहीं करते हुए गलत और आधी अधूरी जानकारी दी थी।
श्री मिश्रा ने पंचायत सचिवों के अकेले हस्ताक्षर से राशि निकालने बैंकों को लिखा था पत्र- पंचायत चुनावों के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान करतला जनपद के तत्कालीन सीईओ जी.के.मिश्रा ने कार्यालय से शासकीय पत्र लिखकर सभी बैंकों को ग्राम पंचायत सचिवों के एकल हस्ताक्षर से राशि आहरित करने के निर्देश दिए थे, जोकि छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 66 की विपरीत है। श्री मिश्रा के इस कृत्य के लिए कलेक्टर श्रीमती कौशल ने उनके विरूद्ध विभागीय जांच करने की अनुशंसा शासन से की है और उन्हें तत्काल जनपद पंचायत करतला के प्रभार से हटाकर सहायक आयुक्त कार्यालय आदिवासी विकास विभाग कोरबा में संलग्न कर दिया था। एकल हस्ताक्षर से पंचायत चुनाव आचार संहिता के दौरान राशि आहरित किये जाने के कारण करतला जनपद के 9 पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया गया है और 14 ग्राम पंचायत सचिवों की दो-दो वेतनवृद्धियां असंचयी प्रभाव से रोकी गई है। इसके साथ ही ऐसे सभी पंचायत सचिवों को स्थांनांतरित कर अन्यत्र पंचायतों में पदस्थ कर दिया गया है। -
अब तक 15 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक कोरबा लौटे, चार हजार 829 अभी भी प्रवासी क्वारेंटाइन में,सेंटरों में आवास एवं भोजन सहित सभी बुनियादी सुविधाएं, स्वास्थ्य की भी नियमित जांचसाढ़े आठ हजार से अधिक प्रवासियों की हुई कोरोना जांचलगभग आठ हजार दो सौ की रिपोेर्ट निगेटिव, 282 संक्रमित मिले
कोरबा : कोरोना संकट के कारण हुए लाॅक डाउन से कामकाज की तलाश में कोरबा जिले से देश के विभिन्न हिस्सों में गये लगभग 15 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक वापस लौट आये हैं। जिले में लौटे प्रवासी श्रमिकों से कोरोना संक्रमण का जिले में फैलाव रोकने के लिए सभी श्रमिकों को 14 दिनों के लिए 260 क्वारेंटाइन सेंटर्स में अवलोकन में रखा गया हैं। इन क्वारेंटाइन सेंटरों से अब तक दस हजार 686 प्रवासी श्रमिक क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद अपने घर पहुंच गये है। जिले के क्वारेंटाइन सेंटरों में अभी चार हजार 829 लोग रह रहे हैं। अलग-अलग राज्यों से वापस आए इन सभी प्रवासियों को कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए उनके परिजनों और स्वयं के साथ-साथ अन्य लोगों में कोरोना संक्रमण को रोकने और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए 14 दिनों तक क्वारेंटाइन में रहने के निर्देश दिए गए हैं। जिले में 211 क्वारेंटाइन सेंटर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये गये हैं। इन सभी क्वारेंटाइन सेंटर्स का संचालन एवं नियंत्रण संबंधित जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इनके संचालन में ग्राम पंचायतें, जनपद पंचायतें और जिला पंचायतें सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। कोविड प्रोटोकाॅल और समय-समय पर शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार इन क्वारेंटाइन सेंटरों में आकर रूके प्रवासी श्रमिकों में से अब तक आठ हजार 627 श्रमिकों की कोरोना जांच कराई जा चुकी है, जिनमें से आठ हजार 176 श्रमिकों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। दो सोै ब्यासी प्रवासियों को जांच में कोरोना संक्रमित पाया गया है। जिन्हे ईलाज के लिए कोरबा, रायपुर, बिलासपुर के कोविड अस्पतालों और एम्स रायपुर भेजा गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे प्रवासी मजदूरों को आवास और भोजन सहित सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। स्थायी-अस्थायी शौचालयों, पुरूषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नानगृहों, स्वच्छ पेयजल, लाइट एवं पंखों की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कई सेंटर्स में प्रवासी श्रमिकों के लिए मनोरंजन के साधनों की भी व्यवस्था की गई है। क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। अस्वस्थ लोगों को ईलाज और दवाईयां मुहैया कराई जा रही है। संक्रमण की संभावना और लक्षण वाले व्यक्तियों के तत्काल सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है। वृद्ध, गर्भवती महिलाओं और डायबिटीज, ब्लड पे्रशर जैसी बिमारियों से पहले से ही ग्रसित व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। कोरबा जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक 77 क्वारेंटाइन सेंटर पाली विकासखंड में बनाये गये हैं। करतला विकासखंड में 40, कटघोरा विकासखंड में 36, कोरबा विकासखंड में 34 और पोंड़ीउपरोड़ा विकासखंड में 24 क्वारेंटाइन सेंटर हैं। इन सभी क्वारेंटाइन सेंटरों में अब तक लगभग 12 हजार प्रवासी श्रमिकों को ठहराया जा चुका है। इनमें से सात हजार 790 श्रमिक क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर जा चुके हैं। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के क्वारेंटाइन सेंटरों में चार हजार 161 श्रमिक रूके हैं।
कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल गांवों में क्वारेंटाइन सेंटर्स के सुचारू संचालन के लिए लगातार व्यवस्था की समीक्षा कर रही हैं। क्वारेंटाइन सेंटरों के लगातार निरीक्षण के लिए जोनल अधिकारियों सहित सभी एसडीएम, तहसीलदार और अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। कलेक्टर के निर्देष पर सेंटर्स की कमियों-खामियों को तत्परता से दूर किया गया है। उन्होंने क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे लोगों की सेहत की लगातार निगरानी और संक्रमण के लक्षण वाले लोगों के तत्काल सैंपल जांच के निर्देष स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के 211 क्वारेंटाइन सेंटरों में रूके लगभग 12 हजार प्रवासी श्रमिकों में से कोविड प्रोटोकाॅल और समय-समय पर स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार छह हजार 247 का कोरोना टेस्ट कराया गया है, जिसमें से छह हजार की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 189 प्रवासी मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों के क्वारेंटाइन सेंटरों में कोरोना संक्रमित मिले हैं। जिनका ईलाज कोविड अस्पतालों में कराया गया है और इनमें से भी कई स्वस्थ्य होकर वापस लौट आये हैं। क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर वापस लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के लिए जिला स्तर पर मनरेगा के तहत जष्ब-कार्ड बनाकर रोजगार दिया जा रहा है। अन्य योजनाओं के माध्यम से भी उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं। मजदूरों की स्किल-मैपिंग कर जिले के सार्वजनिक उपक्रमों, निजी औद्योगिक संस्थानों, भवन निर्माण और अन्य क्षेत्रों में उन्हें काम दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
कोरबा के शहरी क्षेत्रों में 49 क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गये हैं। शहरी क्षेत्रों में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए दस, छात्रों, व्यापारियों, पर्यअकों और अन्य लोगों के लौटने पर क्वारेंटाइन के लिए 21 सेंटर स्ािापित है। जिले में स्थित सार्वजनिक उपक्रमों ने भी अपने-अपने कामगारों और उनके परिजनों के बाहर से कोरबा लौटने पर क्वारेंटाइन के लिए 18 सेंटर बनाये हैं। इन क्वारेंटाइन सेंटरों में अभी तक साढ़े तीन हजार से अधिक लोग बाहर से कोरबा लौटकर ठहर चुके हैं। इनमें से दो हजार 900 लोग अपनी 14 दिन की क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर वापस अपने घर जा चुके हैं।