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दुर्ग :  सरसों उगा भी रहे, प्रोसेसिंग कर सरसों तेल भी बेच रहे

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 

 
-स्वसहायता समूहों की महिलाएं बने उद्यमी भी, खेत में सरसों

हो रहा था अब सरसों तेल की पेराई मशीन आ जाने से

सीधे तेल बेचकर कमा रही बड़ा मुनाफा
 
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दुर्ग : इतिहासकार विलियम डेलरिंपल के रिसर्च के मुताबिक जब ईस्ट इंडिया कंपनी बनी तब ब्रिटेन का विश्व के जीडीपी में योगदान 1.8 प्रतिशत था जबकि भारत का योगदान विश्व के जीडीपी में 22.5 प्रतिशत था। अंग्रेजों ने भारत को एक उत्पादक देश के बजाय केवल कच्चे माल का उत्पादक बनाकर छोड़ दिया और जब देश आजाद हुआ तब विश्व जीडीपी में भागीदारी मात्र .4 प्रतिशत रह गई। गांधी जी ने इसी आर्थिक माडल को ध्यान में रखकर सुराजी आत्मनिर्भर गांवों की कल्पना की जो उत्पादन भी करें और प्रोसेसिंग भी करें। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार इसी दिशा में काम कर रही है। उत्पादन के साथ इसके प्रसंस्करण को भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि मूल्यवर्धन हो सके।

गौठान सुराजी गांवों के माध्यम बन गये हैं। छोटा सा उदाहरण कोनारी गांव का है जहां एक छोटी सी पहल ने बड़ा बदलाव किया है। यहां झुनिया साहू का परिवार हर साल अपने खेत में एक एकड़ में सरसों लगाता है। जो भी उत्पादन होता है वो बाजार में बेच देते हैं। बाजार में खुदरा सरसों 90 रुपए प्रति किलोग्राम का बिकता है। दुकानदार इससे भी कम कीमत में सरसों लेते हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गौठानों में सरसों की पेराई, नीम और करंज का तेल आदि निकालने जैसे नवाचार करने के निर्देश दिये थे। इस तर्ज पर डीएमएफ के माध्यम से जिला प्रशासन ने सरसों पेराई की मशीन उपलब्ध कराई।

  इससे कमाल हुआ। सरसों की पेराई के बाद इसका बाजार भाव दो सौ रुपए हो गया और यह आसानी से बिक जाता है। झुनिया साहू देवी स्वसहायता समूह चलाती हैं। उन्होंने बताया कि इस साल तो पहले के सरसों के स्टाक की ही पेराई की है। अब नया उत्पादन जो होगा उसकी पेराई करेंगे। झुनिया ने बताया कि गांव में ही काफी डिमांड है। बुजुर्ग लोग सरसों के तेल को स्वास्थ्यवर्धक भी मानते हैं और यहीं पर ही यह बिक जाता है। एडीईओ रुचि टिकरिया ने बताया कि ये लोग सरसों की खली को भी बेच रहे हैं जो पशु आहार के काम आता है। इस तरह मूल्यवर्धन से काफी लाभ समूह को पहुंचा है।  

3059 हेक्टर में है अभी सरसों का रकबा- राज्य सरकार की योजनाओं से सरसों उत्पादन को बढ़ावा मिलने की बड़ी संभावनाएं पैदा हुई हैं। राजीव गांधी न्याय योजना में अन्य फसलों को शामिल किये जाने से दूसरी फसलों को भी प्रोत्साहन मिला है। नरवा योजना से जलस्तर बढ़ा है और इससे रबी फसल के लिए जलस्तर बढ़ गया है। ऐसे में सरसों के उत्पादन की संभावना बढ़ी है। जिला प्रशासन द्वारा इस संभावना को और मजबूत करने ठोस पहल की जा रही है। जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने बताया कि कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देश पर हम ऐसे गांव चिन्हांकित कर रहे हैं जहां सरसों का रकबा अधिक है और वहां डीएमएफ आदि माध्यमों से पेराई के लिए मशीन देंगे। मूल्यवर्धन की जितनी संभावनाएं बनेंगी, किसान फसल वैविध्य को लेकर उतना ही आगे बढ़ेगा। उपसंचालक कृषि श्री एसएस राजपूत ने बताया कि हम लोग फसल वैविध्य की दिशा में किसानों को प्रेरित कर रहे हैं और इसके लिए बाजार की संभावनाओं के बारे में भी उन्हें बता रहे हैं।

वेल्यू प्रोसेसिंग की है मुख्यमंत्री की सोच- महाशिवरात्रि के दिन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ठकुराईनटोला आये थे। वहां उन्होंने कहा कि गांव में नीम, करंज आदि पर्याप्त मात्रा में है। इसकी उचित प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो तो ग्रामीण अपनी आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने सरसों के लिए भी यही बात कही।

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