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महासमुंद : राज्यपाल सुश्री उइके ग्राम अरण्ड में  स्व. श्री बूढ़ान शाह की पुण्य तिथि में हुए शामिल

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 

 
आदिवासी प्रकृति पूजक होने के साथ-साथ

प्रकृति ने उनके हाथों में जन्मजात हूनर दिया है - राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके

आदिवासी समाज संगठित रहकर विकास करें - राज्यपाल सुश्री उइके
 
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महासमुन्द : राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके ने महासमुन्द जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम अरण्ड में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. बुढ़ान शाह के पुण्य तिथि पर शामिल हुई और उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री बुढ़ान शाह ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए शिक्षा एवं समाज को संगठित करने का कार्य किया है। यह हम सभी लोगों के लिए गर्व की बात है।

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इस वर्ष देश के आजादी के 75वें वर्षगांठ को आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर हम आजादी के नायकों को याद कर रहे हैं। स्वतंत्रता सेनानी श्री बूढ़ानशाह जी के योगदान को चिरस्थायी बनाने के लिए प्रतिवर्ष की भॉति इस वर्ष भी यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। श्री बूढ़ानशाह जी गांधी जी द्वारा चलाये जा रहे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से प्रेरित थे। वे उन्हें अपना आदर्श मानते थे। गांधी जी ने जब दाण्डी यात्रा के साथ नमक सत्याग्रह किया तो श्री बूढ़ानशाह भी रायपुर में इस आंदोलन में शामिल हुए और नमक कानून तोड़कर गिरफ्तार हुए। श्री शाह निरंतर राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रिय रहे और शंकर राव एवं यति यतन लाल के साथ ग्राम तमोरा में जंगल सत्याग्रह में शामिल हुए और उन्हें 03 माह 15 दिन की सजा हुई। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों और अन्य गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक पुनरोद्धार कार्यक्रम में भी शामिल हुए।
 
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वे संत विनोबा भावे के भू आंदोलन से भी प्रभावित थे और उन्होंने भू आन्दोलन से प्रभावित होकर लोगों को प्रेरित किया, जिससे 4190 एकड़ भूमि कास्तकारों को दान कर भूमि स्वामी बनाकर गोपालपुर गांव बसाया। श्री बूढ़ान शाह ने जीवन भर समाज के निचले तबकों के हक के लिए संघर्ष करते रहे। आज अरण्ड ग्राम के जिस जमीन पर यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, यह वीरों की भूमि रही है। यहां श्री जहान सिंह और श्री चन्द्रपाल डड़सेना जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जन्म लिया है और देश की आजादी में योगदान दिया है। उस समय यहां के लोगों में इतनी जागरूकता होना अपने आप में एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसका श्रेय कहीं न कहीं यहां की मिट्टी और ऐसे महापुरूषों को जन्म देने वाली माताओं को जाता है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि इस गांव में पूर्ण शराबबंदी है। इस गांव की महिलाओं और पुरूषों के समूह इस अभियान को थामे हुए हैं। जिन्होंने गांधी जी के आदर्शों को अपनाया था, उनका आशीर्वाद अभी भी इस गांव में है, इसलिए आज गांधीजी के रास्तों पर चलते हुए शराबबंदी जैसे कार्यक्रम को मूर्त रूप प्रदान कर रहे हैं। इस अभियान में योगदान देने वाले प्रबुद्धजनों की सराहना की।

महात्मा गांधी ने आत्मनिर्भर ग्राम की संकल्पना की थी और आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था। इसे फलीभूत करने के लिए हमें अपने स्वसहायता समूह की महिलाओं को शासकीय योजनाओं से जोड़ें और उन्हें प्रशिक्षित करें, ताकि वे स्वयं के उत्पाद बनाएं और उनके उत्पादों को ट्राइफेड तथा शासन के विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बाजार उपलब्ध कराएं। आदिवासी प्रकृति पूजक होते हैं। प्रकृति ने उनके हाथ में जन्मजात हूनर दिया है, उन्हें जड़ी-बुटियों, वन संसाधन तथा अन्य कौशल की अच्छी जानकारी होती है। आवश्यकता है कि हम अपने ज्ञान को संरक्षित करें, नई पीढ़ी को जानकारी दें तथा तकनीक के माध्यम से जोड़ते हुए उन्हें नया स्वरूप प्रदान करें। युवाओं को काम मिलेगा, अच्छी आय होगी, जिससे वे स्वयं अपने ऊर्जा को सकारात्मक कार्य में लगाएंगे और देश की प्रगति में योगदान देंगे। इस अवसर पर महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री चुन्नी लाल साहू, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं आदिवासी समाज के संरक्षक श्री अरविन्द नेताम, संसदीय सचिव एवं खल्लारी विधायक श्री द्वारिकाधीश यादव ने भी संबोधित किया।

इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों ने भी राज्यपाल के समक्ष अपने मांगों एवं समस्याओं को रखते हुए इसका शीघ्र निराकरण करने की मांग की। राज्यपाल ने सुश्री उइके ने सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों एवं उपस्थित ग्रामीणों और समिति के सदस्यों को उनके मांगों एवं समस्याओं के निराकरण सुनिश्चित करने हेतु त्वरित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को देवगुड़ी बनाने तथा देव स्थलों में मूर्तियों को संरक्षित करने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा पुजारियों को मानदेय दिया जा रहा है, उन्होंने इसका बेहतर उपयोग करने की समझाईश भी दी। राज्यपाल सुश्री उइके द्वारा आश्वसन देते हुए कहा कि आदिवासी समाज को संगठित बनाए रखने के लिए आव्हान किया। राज्यपाल ने ग्रामीणों एवं समाज प्रमुखों की मांग पर मौके पर उपस्थित राजस्व अधिकारियों को जमीन संबंधी समस्याओं के निराकरण, चौक पर स्व. श्री बूढ़ान शाह की प्रतिमा स्थापित करने सहित अन्य समस्याओं के शीघ्र निराकरण करने के लिए निर्देशित किया गया। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधिगण, आदिवासी शासकीय सेवक संघ के प्रतिनिधिगण, कलेक्टर री डोमन सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री दिव्यांग कुमार पटेल, वनमण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री आकाश छिकारा एवं आसपास से आए ग्रामीणजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
 

 

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