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बलरामपुर : नरवा सिर्फ जल संरक्षण नहीं अपितु पर्यावरण का समेकित विकास

 'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा'


बांध एवं स्टाॅप डेम के माध्यम से अब कृषक गर्मी के दिनों में रबी फसल ले पा रहे हैं

बलरामपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी को सहेजने का सार्थक परिणाम दिखने लगा है। छत्तीसगढ़ राज्य की इन चारों चिन्हारियों के सरंक्षण और संवर्धन से बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के ग्रामीण जन-जीवन में खुशहाली का दौर शुरू हुआ है एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नयी गति मिली है।
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जिले में नरवा (नाला) के उपचार से वर्षा जल को सहेजने का काम शुरू होने से गांवों में भू-जल की स्थिति में सुधार होने के साथ ही नालों में साल भर पानी रूकने लगा है। नरवा संरक्षण पानी को संरक्षित करने के साथ-साथ पर्यावरण के समेकित बचाव के लिए भी आवश्यक है।
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जिला प्रशासन ने भी नरवा के महत्व को देखते हुए संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में पानी के संरक्षण हेतु ऐसे जल स्त्रोतों को चिन्हांकित कर उनका संरक्षण किया जाए, जिससे जलस्तर में वृद्धि हो तथा किसानों को सिंचाई सुविधा मिले।

बढ़ते ग्रीन हाऊस के प्रभाव एवं क्लोरो फ्लोरो कार्बन, कार्बन डाईआॅक्साइड गैसों के फैलाव से इन गैसों के अवशोषण करने हेतु पेड़-पौधों का पर्यावरण में स्थायित्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। नरवा संरक्षण पानी को संरक्षित करने के साथ-साथ पर्यावरण के समेकित बचाव के लिए भी आवश्यक है।

ग्राम पंचायत इन्द्रावतीपुर के सरपंच श्री मोहन सिंह का कहना है सामाजिक सहभागिता एवं ग्राम सभा की बैठक आयोजित कर कुल 203 कार्यों का चयन किया गया। उन्होंने कहा कि वर्षा जल को पहाड़ के ऊपर चोटी से 7 हेक्टेयर के क्षेत्रफल मे कंटूर ट्रेंच के माध्यम से समाहित कर धीरे-धीरे नालों में बोल्डर चेक एवं गेबियन बनाकर उसकी गति को धीमा करते हुए नीचे बड़े मिट्टी के बांध द्वारा जल को एकत्रित किया गया है।

स्टाॅप डेम मे संरक्षित जल को मोटर पंप के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहंुचाया जा रहा है। ग्रामीणजनों ने बताया कि पहले जहां केवल 50 एकड़ के रकबे में खेती ले पाते थे, वहीं बांध एवं स्टाॅप डेम के माध्यम से अब 120 एकड़ खेत की सिंचाई के साथ ही गर्मी के दिनों में रबी फसल ले पा रहे हैं।

कंटूर ट्रेंच, बोल्डर चेक एवं गेबियन के बनने से मिट्टी के कटाव में कमी आयी है एवं मिट्टी बांध का जल भराव बढ़ा है। नरवा के माध्यम से बड़े क्षेत्रफल को सिंचित किया जा रहा है, जिसका सीधा लाभ किसानों को हो रहा है। नरवा संवर्धन कर जिला प्रशासन ने किसानों की आय बढ़ाने की राज्य शासन की मंशा को साकार किया है।

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