बलरामपुर : सर्पदंश आपदा से बचाव एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए सर्पदंश आपदा मानक संचालन प्रक्रिया तैयार
'द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा'
बलरामपुर : आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में निहित प्रावधान अनुसार प्रदेश में सर्पदंश आपदा से बचाव एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए “सर्पदंश आपदा मानक संचालन प्रक्रिया 2020” तैयार गई है।
“सर्पदंश मानक संचालन प्रक्रिया 2020” का उद्देश्य है कि सर्पदंश के प्रकरणों में कमी लाना, सर्प एवं सर्पदंश के प्रति लोगों को जागरूकता करना, सर्पदंश की स्थिति में स्वास्थ्य सुविधाओं व प्रावधानों के लिए लोगों को जागरूक करना तथा जानकारी प्रदान करना, सर्पदंश के पश्चात् तुरंत उपचार से व्यक्ति को मृत्यु होने से बचाया जाना, ग्रामीण क्षेत्रों में घटित होने वाली सर्पदंश की घटनाओं को रोकना, सर्पदंश के प्रबंधन के संबंध में जनसमुदाय को प्रशिक्षित करना, प्राथमिक चिकित्सा एवं सर्पदंश प्रबंधन के संबंध में जन चेतना को विकसित करना, सर्पदंश के प्रबंधन के संबंध में रूढ़ीवादी परंपरा बैगा, गुनिया एवं झाड़-फूंक विचारधाराओं को परिवर्तित करना है।
“सर्पदंश पर तुरंत क्या करें-क्या न करें”
आपदा प्रबंधन द्वारा जारी निर्देशानुसार सर्पदंश आपदा से बचाव एवं सुरक्षा हेतु व्यक्ति को सर्पदंश की स्थिति में काटे गये जगह को साबून पानी से धोए, दांत के निशान की जांच करें, कहीं जहरीले सर्प के काटने का दो दंत का निशान तो नहीं, काटे हुए अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें, सर्प-दंश वाले अंग को स्थिर करें।
बैंडेज घायल व्यक्ति को सांत्वना दें, घबराहट से हृदयगति तेज चलने से रक्त संचरण तेज हो जाएगा और जहर सारे शरीर में जल्द फैल जायेगा।
तुरंत अस्पपाल लें जाएं एवं बैंडेज यदि जहरीले सर्प ने काटा है तो एण्टी वेनम का स्नैक एव्हीएस का इंजेक्शन डॉक्टर से लगवाए। इसी प्रकार सर्प के काटने पर व्यक्ति बर्फ अथवा गर्म पानी का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर न करें, अप्रशिक्षित व्यक्ति टुर्निकेट न बांधे। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। काटे गये स्थल पर चीरा न लगाए, यह आगे नुकसान पहुंचाता है। घायल को चलने से रोके, शराब/नींद आने की कोई दवा नहीं दें, मुंह से कटे हुए स्थान को न चुसे तथा मंत्र या तांत्रिक के झांसे में न आये।
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